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देश के पांचवें सबसे अधिक आबादी वाले शहर अहमदाबाद में 12 मई 2017 को वायु प्रदूषण के लिए पहली निगरानी और पूर्व चेतावनी प्रणाली शुरु की गई है। इस प्रणाली का उदेश्य वायु प्रदूषण से स्वास्थ्य कुप्रभाव और मृत्यु को कम करना है। हम बता दें कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक, 2016 में दुनिया के 20 सबसे प्रदूषित शहरों में से नौ भारत में हैं।

स्थानीय सरकार, वैज्ञानिकों और गैर-लाभकारी संगठनों के प्रयासों के बाद अहमदाबाद में हवा की गुणवत्ता को मापने के लिए आठ जगहों पर निगराणी प्रणाली लगाए गए हैं। इस प्रणाली सेरोजाना हवा के गुणवत्ता सूचकांक (एएयूआई) का पता चलेगा।

यह शहर भर में 11 एलईडी स्क्रीन के माध्यम से नागरिकों के लिए ‘एयर इनफॉर्मेशन और रिस्पांस’ (एआईआर) योजना के हिस्से के रुप में उपलब्ध होगा।

पूर्व चेतावनी प्रणाली ‘रिस्पांस योजना’ के रुप में लोगों को अत्यधिक प्रदूषित दिनों के संबंध में जानकारी देगा। जबकि चिकित्सा पेशेवरों को वायु-प्रदूषण में आपात स्थिति से निपटने के लिए प्रशिक्षण दिया जाएगा। 55 लाख से अधिक लोगों की आबादी वाले इस शहर में आठ स्थानों (बोगल, सैटेलाइट, पिराना, रायखद, नवरंगपुरा, राखील, चंदखेड़ा और हवाई अड्डे) पर मॉनिटर लगाए गए हैं। एक्यूआई स्लाइडिंग स्केल पर एक मीट्रिक है, जो लोगों को हवा की गुणवत्ता और निकटतम स्वास्थ्य प्रभावों के बारे में बताता है। यह विभिन्न प्रदूषकों के जटिल वायु गुणवत्ता वाले आंकड़े को एकल संख्या (सूचकांक मूल्य) देता है। परिभाषित करता है और रंग के जरिये उसकी स्थिति बताता है।

भारत का वायु गुणवत्ता सूचकांक

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Source: Indian Institute of Tropical Meteorology & Ahmedabad AIR planNote: Each of the AQI categories are decided based on ambient concentration values of air pollutants and their likely health impacts (known as health breakpoints). The eight pollutants measured are PM 10, PM 2.5, NO2, SO2, CO, O3, NH3, and Pb for which short-term (upto 24-hours) National Ambient Air Quality Standards are prescribed.

डब्ल्यूएचओ 2014 के परिवेश वायु प्रदूषण डाटाबेस के मुताबिक, पीएम 2.5 के संदर्भ में भारत के पांच सबसे प्रदूषित शहरों में से एक अहमदाबाद है।

पीएम-2.5 (पार्टिकुलेट मैटर) ये ऐसे कण हैं जिसका साइज 2.5 माइक्रोग्राम से भी कम होता है। ये कण आसानी से नाक और मुंह के जरिए शरीर के अंदर तक पहुंच कर लोगों को बीमार बना सकते हैं। यह मनुष्य के बाल से भी 30 गुना ज्यादा महीन हो सकता है। इससे दिल के दौरे, स्ट्रोक, फेफड़े के कैंसर और सांस की बीमारी होने का खतरा बढ़ता है। यह मानव स्वास्थ्य के लिए सबसे बड़ा खतरा उत्पन्न करने के लिए जाने जाते हैं। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक वायु प्रदूषण से स्वास्थ्य जोखिम के स्तर को मापने के लिए पीएम-2.5 सबसे सटीक पैमाना है।

बीजिंग के नक्शेकदम पर

अधिक वायु प्रदूषण वाले क्षेत्र में अधिक समय तक रहने से समय से पहले ही मृत्यु हो सकती है और असंगत निगरानी के कारण वायु प्रदूषण से उत्पन्न खतरे का आकलन करना अक्सर कठिन होता है।

इस एआईआर योजना में कई संस्थानों की भागीदारी है। यह योजना अहमदाबाद नगर निगम (एएमसी), इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक हेल्थ (आईआईपीएच), गांधीनगर की संस्था नेचुरल रिसोर्स डिफेंस कांउसिल (न्यूयॉर्क में एक गैर-मुनाफे वाला मुख्यालय), इंडियन इंस्यीय्यूय ऑफ ट्रापिकल मीटीअरालजी विज्ञान (सरकारी संस्थान) और द इंडियन मीटीऑरलाजिकल डिपार्टमेंट्स सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फॉरकास्टिंग एंड रिसर्च (एसएएफएआर) नेटवर्क के बीच सहयोगात्मक प्रयास का नतीजा है।

वायु प्रदूषण के मामले में ‘निगरानी और चेतावनी प्रणाली’ भारत में पहली बार आजमाया जा रहा है। यह बीजिंग में इससे पहले सफल हो चुका है।

बीजिंग में वर्ष 2013 में रंग कोडित प्रदूषण अलर्ट जारी करने के लिए कार्यक्रम शुरू किया गया था, जैसा कि ‘द साइंटिफिक अमेरिकन’ की इस रिपोर्ट में बताया गया है।

हालांकि, ‘जर्नल ऑफ एपिडेमियोलॉजी और कम्युनिटी हेल्थ’ की ओर से वर्ष 2014 के एक पेपर के मुताबिक, यह चेतावनी योजना सीमित ड्राइविंग शेड्यूल, स्कूल बंद और उत्सर्जन को रोकने के लिए औद्योगिक उत्पादन में कमी जैसे अन्य उपायों के साथ किया गया है, जो अहमदाबाद योजना से गायब है।

एयर प्लान के नोडल अधिकारी और एएमसी में पश्चिम क्षेत्र के उप स्वास्थ्य अधिकारी, चिराग शाह ने इंडियास्पेंड से बात करते हुए बताया कि एएमसी ने वर्ष 2017 के लिए 30 लाख रुपये का बजट तय किया है।

उन्होंने बताया, “सभी आवर्ती लागत जैसे - स्क्रीन और स्टेशनों के रख-रखाव, सलाह जारी करने और सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाने के लिए कार्यक्रम शुरू करने खा खर्च- हमारे द्वारा वहन किया जाएगा। एक्यूआई मॉनिटर स्थापित करने के लिए भूमि एएमसी द्वारा मुफ्त में प्रदान की गई है।

‘एसएएफएआर’ने गांधीनगर और अहमदाबाद में दस एक्यू मॉनिटर स्थापित करने के लिए करीब 20 करोड़ रुपए का निवेश किया है, जिनमें से आठ यहां हैं। ”

12 मई, 2017 की टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, एएमसी ने 2016 में निर्माण गतिविधियों से, वाहनों के उत्सर्जन और उद्योगों से फैल रहे प्रदूषण से निपटने के लिए एक व्यापक वायु एक्शन प्लान तैयार किया था। यह वर्ष 2002 के बाद से ऐसी दूसरी योजना है, लेकिन अभी तक इसे लागू नहीं किया जा सका है।

हवा की गुणवत्ता का पूर्वानुमान बेहतर कल की तैयारी

एएमसी स्वास्थ्य विभाग एक्यूएआई और एआईआर योजना के समन्वय के लिए जिम्मेदार है। इसमें दैनिक एक्यूआई की निगरानी, ​​खराब वायु के दिनों में अलर्ट जारी करना और चेतावनी देना और स्थानीय विभागों और सामुदायिक सेवा प्रदाताओं को सार्वजनिक स्वास्थ्य संदेश प्रसारित करना शामिल है।

एयर प्लान की योजना अहमदाबाद की हीट एक्शन प्लान (एचएपी) के बाद तैयार की गई है ताकि स्वास्थ्य संबंधी प्रभावों को कम किया जा सके और प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली, सार्वजनिक जागरूकता और प्रशिक्षण स्वास्थ्य पेशेवरों को शामिल करने वाले उपायों के माध्यम से अत्यधिक गर्मी तरंगों से मृत्यु दर को कम किया जा सके।

गांधीनगर में आईआईपीएच के निदेशक दिलिप मावलंकर ने इंडियास्पेंड से बात करते हुए बताया कि, “यदि लोग अत्यधिक प्रदूषित क्षेत्रों में नहीं जाते हैं और जोखिम कम करने के लिए स्वास्थ्य सलाहकार का पालन करते हैं, तो लक्षण कम हो जाएंगे और नागरिकों के लिए भी लागत बचत होगी। इसलिए, यह इस बात पर निर्भर करता है कि हम लोगों से संवाद करने में सक्षम हों। ”

मावलंकर आगे कहते हैं, “एक बार यह योजना लागू की जाती है तो हम शायद यह देख पाएंगे कि सावधानी बरतने से प्रदूषण के स्तर से आस्पतालों में प्रवेश या मृत्यु दर में गिरावट हो रही है, जैसे हमने हीट एक्शन योजना लागू करने के बाद देखा है। ”

एयर योजना के हिस्से के रुप में एएमसी एक स्वास्थ्य चेतावनी जारी करेगा, जब अगले 24 घंटों के लिए एक्यूआई पूर्वानुमान ‘बहुत बद्तर’ (301-400) रहेगा। जब एक्यूआई का पूर्वानुमान ‘गंभीर’ स्तर (401-500) तक बढ़ जाता है, तब भी स्वास्थ्य चेतावनी जारी की जाएगी।

स्वास्थ्य चेतावनी के तहत एयर कार्यक्रम के नोडल अधिकारी और डिप्टी हेल्थ ऑफिसर शाह कहते हैं, " हम शहरी स्वास्थ्य केंद्रों के साथ-साथ पलोनोगोनोलॉजिस्ट, बाल रोगियों सहित निजी मेडिकल प्रैक्टिशनर्स को सतर्क करेंगे ताकि उन्हें श्वसन संबंधी मामलों के लिए तैयार किया जा सके।

अगर एक्यूआई 401 (गंभीर) से अधिक है, तो नोडल अधिकारी शहरी स्वास्थ्य केंद्रों, स्थानीय एम्बुलेंस सेवा, परिवहन, यातायात पुलिस, सरकारी रेडियो स्टेशन, स्कूलों, कॉलेजों और एस्टेट विभाग को सूचित करेगा ताकि सड़क धूल और निर्माण कार्य को नियंत्रित करने का आदेश दिया जा सके।

अहमदाबाद में वायु प्रदूषण के कारण

गुजरात एनविस केंद्र द्वारा इस 2012 रिपोर्ट के अनुसार, “वायु प्रदूषण के प्रमुख कारण बढ़ती योगदान जनसंख्या, उद्योग और वाहन हैं। शहरीकरण और औद्योगिकीकरण की वजह से वाहनों की संख्या में वृद्धि होती है। इस कारण अहमदाबाद, सूरत, वडोदरा और राजकोट जैसे शहरों में ज्यादा वायु प्रदूषण हो रहा है। ”

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा वर्ष, 2015 की रिपोर्ट के अनुसार यदि कोई कार्रवाई नहीं की जाती है तो अकेले परिवहन स्रोतों से पीएम 2.5 के परिवेश का स्तर 2030 तक दोगुना होने की संभावना है।

वर्ष 2000-01 और 2010-11 के बीच, अहमदाबाद में वाहनों की संख्या दोगुनी हुई है। दोपहिया वाहन के लिए ये आंकड़े 12 लाख से बढ़ कर 26 लाख हुए हैं। 2014-15 में, शहर में 34 लाख वाहन थे। रिपोर्ट कहती है कि अहमदाबाद में मई 2012 तक 2,000 से अधिक औद्योगिक वायु प्रदूषणकारी इकाइयां भी थीं।

अहमदाबाद में, "प्रदूषण विभिन्न स्रोतों से आता है - बिजली संयंत्रों और जिले के आसपास के ईंट भट्टों से। हमें लगता है कि तत्काल परिवेश में घूमने वाले वाहन शहरों में प्रदूषण फैलाते हैं। हालांकि, शहर से दूर स्थित संयंत्र या भट्ठा भी हवा की दिशा के कारण अहमदाबाद को प्रभावित कर सकता है”, जैसा कि शोधकर्ता और Urbanemissions.info के संस्थापक, शरण गट्टिकुंडा ने 2012 में टाइम्स ऑफ इंडिया की इस रिपोर्ट में बताया है। इस 2012 के पेपर के मुताबिक, अहमदाबाद में दो थर्मल पावर प्लांट और 300 से अधिक ईंट भट्टे हैं।

गट्टिकुंडा कहते हैं, “हालांकि, चेन्नई का आकार करीब-करीब बराबर है और औद्योगिर क्षेत्रों की संख्या ज्यादा है। लेकिनसमुद्र की हवा पीएम 10 को शहर से बाहर ले जाती है। अहमदाबाद में पीएम 10 के स्तर से प्रदूषण के कारण अनुमानित समयपूर्व मौतों की संख्या 4,950 है। जबकि चेन्नई में यह संख्या 3,950 रही है। ”

एयर एक्शन प्लान, यदि लागू किया गया है, तो कई स्रोतों से विभिन्न उपायों के माध्यम से प्रदूषण घट जाएगा।

जैसे कि ईंधन की गुणवत्ता में सुधार, 15 वर्षों से वाणिज्यिक वाहनों को समाप्त करना, यातायात प्रबंधन, उद्योगों में प्रदूषण नियंत्रण उपायों को स्थापित करना और तापीय विद्युत संयंत्रों से प्रदूषण को कम करना।

योजना का एक हिस्सा वायु गुणवत्ता निगरानी नेटवर्क को मजबूत करना और शहर पर वायु प्रदूषण से स्वास्थ्य पर पड़ने वाले कुप्रभावों का अध्ययन भी है, जो अब प्रक्रिया में है।

अहमदाबाद में वायु प्रदूषण की समस्या कितनी गंभीर?

वर्ष 2015 में, राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) के मुताबिक, अहमदाबाद में वायु की गुणवत्ता के लिए निगरानी किए गए 168 दिनों (93 फीसदी) में से 153 दिन अच्छा रहा है।

हालांकि, 2016 में, अहमदाबाद में वार्षिक पीएएम 2.5 औसतन 183.35 ग्राम / एमई (माइक्रोग्राम / क्यूबिक मीटर) था, जो कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा निर्धारित 40 ग्राम / एमई के राष्ट्रीय परिवेश वायु गुणवत्ता मानक के 4.5 गुना से अधिक है। 2017 में, मैनिनगर में सीपीसीबी द्वारा वास्तविक समय के वायु गुणवत्ता वाले डाटा प्रदान करने के लिए मॉनिटर स्थापित किया गया है।

जब सीपीसीबी डेटा उपलब्ध नहीं थे तब इंडियास्पेंड ने 14 मार्च से 14 मई 2017 की अवधि के लिए अहमदाबाद में स्थित दो उपकरणों के लिए सामूहिक रूप से # Breathe नामक अपनी निगरानी प्रणालियों से वायु गुणवत्ता वाले डेटा का विश्लेषण किया है।

अहमदाबाद में पीएम 2.5 स्तर /14 मार्च, 2017 - 14 मई, 2017

Source: Data from the #Breathe network

इंडियास्पेंड द्वारा किए गए विश्लेषण के 62 दिनों में से केवल छह दिन (9.6 फीसदी) 25 µg/m³ के डब्ल्यूएचओ दिशानिर्देश के तहत रहा है। हालांकि 62 दिनों में से केवल तीन दिन 60 µg/m³ के राष्ट्रीय मानक के अनुसार रहा है। जिसका अर्थ है कि निगरानी किए गए 95 फीसदी पीए 2.5 के लिए अनुमान भारतीय मानक के तहत रहे हैं। हालांकि, सबसे गंभीर वायु-प्रदूषण स्तर नवम्बर, दिसंबर और जनवरी यानी सर्दियों के महीनों में होते हैं, जैसा कि मावलंकर बताते हैं।

(पाटिल विश्लेषक हैं और इंडियास्पेंड के साथ जुड़ी हैं।)

यह लेख मूलत: अंग्रेजी में 31 मई 2017 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।

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