एक अध्ययन के अनुसार, रायगढ़ के कोयला खादान के पास हरेक 10 में 9 लोग हैं बीमार
छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले के कोसंपल्ली-सरसमल पंचायत में कोयला खदानों के कारण बदलते परिदृश्य को देखता एक ग्रामीण। जिले के तीन गांवों पर कोयला खनन का स्वास्थ्य और पर्यावरणीय पर पड़ रहे प्रभाव के अध्ययन में हवा, पानी, मिट्टी और तलछट के नमूनों में 12 उच्च स्तर के विषाक्त धातुओं के संकेत मिले हैं।
छत्तीसगढ़ में रायगढ़ जिले के एक गांव सरसमल में 341 लोगों से जब कुछ सवाल पूछे गए तो उनमें से 296 या 87 फीसदी लोग एक या उससे अधिक बीमारी से पीड़ित हैं। इनमें बालों का गिरना, मांसपेशियों को प्रभावित करने वाली स्थिति, हड्डियों और त्वचा की बीमारी और शुष्क खांसी शामिल है। कोयला खनन का स्वास्थ्य और पर्यावरण पर पड़ रहे प्रभाव के लिए किए गए एक अध्ययन में ऐसा पाया गया है।
यह अध्ययन 16 नवंबर, 2017 को प्रकाशित किया गया था। अध्ययन खादान में काम करने वाले श्रमिकों के अलावा कोयला खदानों और कोयला आधारित बिजली संयंत्र के आस-पास लगभग 2 किमी के भीतर रहने वाले दीर्घकालिक निवासियों की स्वास्थ्य समस्याओं पर ध्यान केंद्रित था।
मेडिकल और पर्यावरण पेशेवरों ने मई 2017 में भारत के एक पर्यावरण मंच ‘पीपुल्स फर्स्ट कलेक्टिव, इंडिया ’ और एक सामाजिक संगठन ‘आदिवासी दलित मजदूर संगठन’ के साथ साझेदारी में अध्ययन का आयोजन किया था। सर्वेक्षण में तीन गांवों के 132 घरों से 515 लोगों को शामिल किया गया था। सारासमल में 82, कोसंपल्ली में 27 और डोंगमुहा में 23। करीब 205 वयस्क और बच्चों ने ( सारासमल से 78, कोसंपली से 39 और डोंगमौहा से 88 ) 22 मई से 24 मई, 2017 के बीच मेडिकल चेक-अप में भाग लिया था।
छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में कोयला आधारित संयंत्र और कोयला खदानें
Coal-fired plants and coal mines in Raigarh district, Chhattisgarh | |||
---|---|---|---|
Plants/Mines | Operational | Under construction and/or proposed | Capacity |
Power Plants | 6 | 7 | 14,824 MW |
Mines | 7 | 10 | 100.27 mt per annum |
Source: Health and Environmental Impact of Coal Mining in ChhattisgarhNote: *Three of these are waiting for environmental clearance
खनन से छत्तीसगढ़ के तीन जनजातीय गांव कैसे हुए प्रभावित?
सरसमल गांव में 68 फीसदी और कोसंपल्ली गांव में और 85 फीसदी आदिवासी हैं, जबकि डोंगमुहा में ज्यादातर पिछड़े वर्ग बसे हुए हैं।
छत्तीसगढ़ के रायगढ़ में तीन गांवों का समुदायिक बनावट
Source: Health and Environmental Impact of Coal Mining in Chhattisgarh
खनन शुरू होने से पहले, कोसंपल्ली तक सारे तरफ से सड़कों की पहुंच थी लेकिन अब खनन की वजह से सड़कें कट गई हैं। अध्ययन में कहा गया है कि ग्रामीणों को मुख्य सड़क तक पहुंचने या पास के बाजार की यात्रा के लिए केलो नाम की एक नदी को पार करना पड़ता है।
पिछले दो दशकों में, कोसंपल्ली-सरस्वल पंचायत के 240 परिवारों के 100 से अधिक कमाई वाले सदस्यों की मौत श्वसन और अन्य स्वास्थ्य बीमारियों से हुई है, जैसा कि इंडिया वाटर पोर्टल ने 30 मार्च, 2017 की रिपोर्ट में बताया है।
औसतन, सभी तीन गांवों में अध्ययन के लिए प्रश्नों के जवाब देने वालों में करीब एक-तिहाई कम वजन के थे।
छत्तीसगढ़ के रायगढ़ के तीन गांवों में बॉडी मास इंडेक्स
Source: Health and Environmental Impact of Coal Mining in Chhattisgarh
वायु, पानी, मिट्टी और तलछट के नमूनों में 12 विषाक्त धातुओं के उच्च स्तर का संकेत दिया गया: एल्यूमिनियम, आर्सेनिक, एंटीमोनी, बोरान, कैडमियम, क्रोमियम, सीसा, मैंगनीज, निकेल, सेलेनियम, वैनेडियम और जस्ता। आर्सेनिक और कैडमियम कार्सिनोजेन्स होते हैं जबकि बोरन से अधिक वृषण, आंतों, यकृत, गुर्दा और मस्तिष्क को नुकसान पहुंचा सकता है। क्रोमियम के कारण अस्थमा और फेफड़ों के कैंसर जैसे श्वसन समस्याओं होती हैं। और सेलेनियम की अधिक मात्रा से तंत्रिका संबंधी समस्याएं हो सकती हैं, जिसमें पक्षाघात और मृत्यु भी शामिल है।
सरसमल गांव में स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं महिलाओं द्वारा सूचित की गई थी। पेट संबंधित सभी बिमारियों में से 58 फीसदी और गुर्दे से संबंधित सूचित बीमारियों में से 91 फीसदी महिलाएं हैं। बाल, त्वचा, आंख से संबंधित बीमारियों में से कम से कम एक से पीड़ित होने वाले 228 उत्तरदाताओं में से 16 फीसदी कम से कम तीन बार इलाज करा चुके थे और 36 फीसदी कम से कम दो बार अपना इलाज करा चुके थे।
त्वचा, संयुक्त या पेट की शिकायत करने वाले 193 में से 19 फीसदी ने सभी तीन के बारे में शिकायत की जबकि 23 फीसदी में 2 की शिकायत की। खांसी की सूचना देने वाले 127 में से 71 फीसदी ने कहा कि उन्हें सूखी खांसी है, जो अक्सर अस्थमा का लक्षण होता है।
सरसमाल में मस्कुलस्केलेटल समस्याओं की 103 शिकायतों में से एक तिहाई की उम्र 30 वर्ष से कम है।
छत्तीसगढ़ के रायगढ़ के सरसमाल में स्वास्थ्य शिकायतें
Source: Health and Environmental Impact of Coal Mining in Chhattisgarh
कोयला खानों के करीब रहने के बावजूद, 10 फीसदी से कम घरों में खाना पकाने के लिए कोयले का इस्तेमाल किया गया था। अधिकांश जलाऊ या गाय के गोबर पर निर्भर थे, जो भीतरी प्रदूषण का एक कारण है और विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार यह न्युमोनिया, स्ट्रोक और फेफड़ों के कैंसर जैसी बीमारियों से समय से पहले मौत का कारण बन सकता है।
छत्तीसगढ़ के रायगढ़ के तीन गांवों में खाना बनाने के लिए उपयोग होने वाला ईंधन
Source: Health and Environmental Impact of Coal Mining in Chhattisgarh
How Coal Hurts Health | ||||
---|---|---|---|---|
Process | By-products | Pollutants | Environment | Health |
Mining | Dust Rock | Particulate matterHeavy metalsSilicon | Deforestation, destruction of mountains; land erosionDrying of rivers and streamsImpact on agro-diversity, wildlife and natural habitatSoil contaminationDisplacement of populations | Miners: Accidents and fatal injuries; dust inhalation and respiratory illnessesPopulation: Respiratory, Cardiovascular, Neurological diseases, Chronic inflammatory conditions, Nutritional deficiencies due to loss of agriculture and forest produce |
Transport | Diesel exhaust | Nitrous Oxides (Nox) | Pollution of air along the route of transportation both road and rail. | Population: Respiratory (asthma, COPD), Cardiovascular (cardiac arrhythmias), Neurological (ischemic stroke) diseases |
Washing | Slurry containing heavy metals | Arsenic, Mercury | Pollution of river, pond and groundwater | Population: affects the Nervous system, cardiovascular system; causes poor appetite, nausea, vomiting), cancer |
Combustion | Harmful gaseous chemical | Sulphur oxides, NOx, Carbon monoxide,Particulate matterToxic metals: Arsenic, Mercury, Cadmium, Nickel, Chromium, Lead | Air pollution | Population: Respiratory (asthma, COPD, dry cough), cardiovascular (coronary heart disease, arterial blockage leading to heart attack), and nervous system disorders (ischemic stroke, loss of intelligence) |
Waste | Fly ash | Toxic metals: Arsenic, Aluminium, Boron, Cobalt, Manganese, Cadmium, Lead, Vanadium | Contamination of air, land and water:- agricultural and pasture lands from disposal and landfills- crops and vegetables from deposits from air- surface water and groundwater– river, stream, pond and shallow well from leaching and leaking. | Population: Cancer and nervous system impacts such as cognitive defects, developmental delays and behavioural problems, can affect heart, lung, kidney and reproductive organs.Affects Animals grazing contaminated grass, and chemicals enter into the food chain.Affects fish in contaminated ponds and lakes |
Source: Health and Environmental Impact of Coal Mining in Chhattisgarh
खनन से आजीविका, फसल उपज प्रभावित
तीन गांवों में सर्वेक्षण किए गए 70 फीसदी घर, जहां खेती मुख्य व्यवसाय है, शिकायत की कि फसल की पैदावार खराब थी। सरसमल गांव में 82 घरों में से कम उपज के कारण 45 फीसदी अब कृषि पर निर्भर नहीं रहे थे, जैसा कि अध्ययन में पाया गया है।
छत्तीसगढ़ के रायपुर के तीन गांवो में फसल पैदावार
Source: Health and Environmental Impact of Coal Mining in Chhattisgarh
इन गांवों में कोयला खदानों का एक विवादास्पद मुद्दा रहा है, जहां ग्रामीण अपनी जमीन पाल्मा कोयला खदानों के खनन ब्लॉक IV / 2 और 3 में खो रहे है।
‘जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड’ की रायगढ़ जिले में कोयला ब्लॉक के लिए बोली रद्द करने के लिए, दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा सरकार के 2015 के निर्णय को बरकरार रखने के बाद इन ब्लॉकों का स्वामित्व विवादित है, जैसा कि ऑनलाइन समाचार पोर्टल ‘ द वायर’ ने 10 सितंबर, 2017 को रिपोर्ट किया है। डोंगमुहा गांव जिंदल के दोंघौहा बिजली संयंत्र के पास है।
‘द वायर’ की रिपोर्ट कहती है, आदिवासी ग्रामीण भी नई खानों को खोलने और पुराने को बंद करने के खिलाफ विरोध कर रहे हैं, क्योंकि वे अपनी जमीन नहीं छोड़ना चाहते हैं।
खनन के प्रभाव को कम करने के लिए, सभी खनन कार्यों पर लेवी से स्थानीय क्षेत्र के विकास के लिए एक कॉर्पस बनाकर सरकार ने खनन-संबंधित कार्यों से प्रभावित इलाकों और लोगों के कल्याण के लिए प्रधान मंत्री खनजी क्षेत्र कल्याण योजना को 2015 में लागू किया है।
नई दिल्ली स्थित एक संस्था ‘सेंटर फॉर साइंस एंड एन्वाइरन्मन्ट’ की एक रिपोर्ट के अनुसार, छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में, जिला खनन फंड ने फरवरी 2017 तक 52 करोड़ रुपये एकत्र किए थे। जिला इस पैसे को ऊर्जा और वाटरशेड विकास (23.2 फीसदी), भौतिक अवसंरचना (14.9 फीसदी) और कौशल विकास (11.2 फीसदी) पर मुख्य रूप से खर्च करने की योजना बना रहा है।
- कोयला खानों और कोयला आधारित थर्मल पावर प्लांट के आसपास के समुदायों में प्रदूषण की प्रकृति और सीमा की पहचान करने के लिए एक अध्ययन का आयोजन हो । हवा, पानी और मिट्टी को साफ रखने के लिए नियमों का कड़ाई से पालन हो।
- कोयला खानों और कोयला आधारित बिजली संयंत्रों के 5 किमी के भीतर रहने वाले सभी निवासियों के लिए विशेष उपचार की व्यवस्था हो।
- अगर कंपनियां प्रदूषण और मानदंडों और मानकों की उपेक्षा करते हुए पाए जाएं तो प्रभावित परिवारों के नुकसान की भरपाई कंपनी की तरफ से हो।
- खानों और बिजली संयंत्रों के स्वास्थ्य प्रभाव का मूल्यांकन जब तक नहीं हो जाता, खानों का आगे विस्तार या नई खानों की स्थापना पर एक अधिस्थगन लागू हो।
(विवेक विश्लेषक हैं और इंडियास्पेंड के साथ जुड़े हैं।)
यह लेख मूलत: अंग्रेजी में 16 नवंबर 2017 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।
हम फीडबैक का स्वागत करते हैं। हमसे respond@indiaspend.org पर संपर्क किया जा सकता है। हम भाषा और व्याकरण के लिए प्रतिक्रियाओं को संपादित करने का अधिकार रखते हैं।
__________________________________________________________________
"क्या आपको यह लेख पसंद आया ?" Indiaspend.com एक गैर लाभकारी संस्था है, और हम अपने इस जनहित पत्रकारिता प्रयासों की सफलता के लिए आप जैसे पाठकों पर निर्भर करते हैं। कृपया अपना अनुदान दें :