एक साथ दो मोर्चों पर जंग लड़ रही है उत्तर प्रदेश पुलिस
"12 घंटे की ड्यूटी में करीब 7-8 घंटे खड़े रहना पड़ता है। बीच में खाने के लिए 20 मिनट का ब्रेक मिलता है, वो भी सिर्फ़ सुबह 10 से 10.30 के बीच। दिन भर पॉइंट पर ड्यूटी करते हुए और शिकायतों का निपटारा करते हुए बीत जाता है। रात को आठ बजे दूसरी शिफ़्ट को हैंडओवर देते हैं,” उत्तर प्रदेश पुलिस में कांस्टेबिल शेरपाल ने बताया।
शेरपाल सिंह पश्चिमी उत्तर प्रदेश के शामली ज़िले के कैराना में तैनात हैं। फ़िलहाल उनकी ड्यूटी पुलिस रेस्पांस वैन (पीआरवी) पर लगी है। शेरपाल को रोज़ सुबह पांच बजे उठना होता है। करीब 1 घंटे कसरत करने के बाद तैयार होकर ड्यूटी पर निकल जाते हैं जहां उन्हें सुबह आठ बजे से चार्ज संभालना होता है। लॉकडाउन के बाद से शेरपाल की यही दिनचर्या है। लगभग पांच महीने में उन्हें एक दिन का भी आराम नहीं मिल पाया है।
कोरोनावायरस महामारी के बाद से उत्तर प्रदेश के सभी पुलिसकर्मियों की दिनचर्या शेरपाल जैसी ही है। उत्तर प्रदेश पुलिस दो मोर्चों पर जंग लड़ रही है। अपराधों पर लगाम लगाने और लोगों से क़ानून का पालन करवाने के साथ-साथ उनकी जद्दोजहद ख़ुद को और अपने परिवार को इस महामारी के संक्रमण से बचाए रखने की है।
यूपी पुलिस में संक्रमण के मामलों का प्रतिशत, फ़्रंटलाइन हेल्थवर्कर्स से भी ज़्यादा है। राज्य में 12 अगस्त 5,784 पुलिसकर्मी कोरोनावायरस से संक्रमित हो चुके हैं, जिनमें से 16 पुलिसकर्मियों की मौत हो चुकी है।
मुरादाबाद में फ़्लैग मार्च करती पुलिस की टीम। फ़ोटोः @Uppolice
20 करोड़ से भी ज़्यादा आबादी वाले राज्य में सभी लोग मास्क पहने और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें, इसकी ज़िम्मेदारी पुलिस के ऊपर है। वो भी तब राज्य में पुलिस फ़ोर्स स्टाफ़ की कमी का सामना कर रही है। सरकारी आंकड़े बताते हैं कि एक जनवरी 2018 तक राज्य के पुलिस विभाग में 1.28 लाख से भी ज़्यादा पद ख़ाली थे।
राज्य पुलिस की हेल्पलाइन, यूपी-112 और पीआरवी का रोल काफ़ी अहम रहा है। लॉकडाउन के नियमों का पालन कराने से लेकर, लोगों को खाना और दवाएं पहुंचाने जैसा काम इस टीम ने किया है। कोरोनावायरस के मद्देनज़र राज्य के कई ज़िलों की टीम ने अपने कामकाज के तरीक़ों में बदलाव किया है।
हेल्थवर्कर्स से भी ज़्यादा हैं पुलिसकर्मियों में संक्रमण के मामले
फ़्रंटलाइन हेल्थ वर्कर्स के साथ ही पुलिसकर्मियों के सामने भी कोरोनावायरस के संक्रमण का जोखिम है। इस वायरस से लड़ते हुए यूपी पुलिस के कई कर्मचारी कोरोनावायरस से संक्रमित हुए हैं। लखनऊ के पीजीआई अस्पताल में 5 अगस्त को एक पुलिस इंस्पेटक्टर की कोविड से मौत हो गई।
उत्तर प्रदेश में हेल्थ वर्कर्स की तुलना में पुलिसकर्मियों में कोरोनावायरस के संक्रमण के मामले ज़्यादा मिले हैं। राज्य के 75 ज़िलों में दवा दुकानदारों और फ़्रंटलाइन हेल्थ वर्कर्स के 12,299 रैंडम सैंपल लिए गए, जिसमें से 26 ज़िलों के 72 सैंपल पॉज़िटिव पाए गए हैं। यह कुल लिए गए सैंपल का 0.58% है,” राज्य के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव, अमित मोहन प्रसाद ने 4 जुलाई को बताया। जबकि राज्य में 12 अगस्त तक 19,882 पुलिसकर्मियों का सैंपल लिया गया। इसमें 5,784 पुलिसकर्मी कोरोनावायरस से संक्रमित पाए गए। यानी पुलिसकर्मियों में वायरस के संक्रमण के मामले 29% रहे। उत्तर प्रदेश में अब तक 16 पुलिसकर्मियों की मौत कोरोनावायरस से हो चुकी है, उत्तर प्रदेश पुलिस के अपर महानिदेशक (एडीजी), लॉ एंड ऑर्डर के पीआरओ ने 13 अगस्त को यह जानकारी इंडियास्पेंड को दी।
लखनऊ में पुलिसकर्मी का कोरोनावायरस का सैंपल लेती स्वास्थ्य विभाग की टीम। फ़ोटोः @Uppolice
ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मियों के परिवार भी संक्रमण के सीधे जोखिम में हैं। "ड्यूटी ख़त्म करके जब मैं घर आती हूं तो हमेशा डर रहता है कि कहीं मेरी वजह से मेरा बच्चा संक्रमित न हो जाए। बच्चा छोटा है, इसलिए समझा भी नहीं सकते। इसलिए संक्रमण से बचने का हर उपाय करती हूं,” गोरखपुर में 112 पीआरवी पर तैनात कॉन्स्टेबल कुलदीप कौर ने बताया।
कुलदीप के बेटे की उम्र 5 साल है। उन्हें सुबह 7 बजे की ड्यूटी पर जाने के लिए सुबह 4 बजे उठकर तैयार होना पड़ता है। घर के काम निपटाने के बाद ही वो ड्यूटी के लिए जा पाती हैं। कुलदीप को आख़िरी बार छुट्टी लॉकडाउन से पहले मिले थी।
जून के महीने में टेक्निकल टीम के कई सदस्य पॉज़िटिव पाए गए थे। 12 और 13 अगस्त को भी 24 कर्मचारी पॉज़िटिव पाए गए। बार-बार आ रहे संक्रमण के मामलों की वजह से हेल्पलाइन का मुख्यालय कई बार बंद करना पड़ा है।
"इतने मामले आ रहे हैं तो मेरी हिम्मत नहीं हो रही है कि मैं 500 लोगों को रोज़ काम पर बुलाऊं। हमारी कोशिश है कि हम 400 कर्मचारियों को वर्क फ़्रॉम होम पर रखें। हम 112 को बंद नहीं होने देंगे,” हेल्पलाइन के एडीजी, असीम अरुण ने इंडियास्पेंड से कहा।
यूपी - 112 के एडीजी असीम अरुण। फ़ोटोः @AsimArunIPS
मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन पुलिसकर्मियों के भरोसे
20 करोड़ से भी ज़्यादा आबादी वाले राज्य में लोगों का मास्क लगाना और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना पुलिस के भरोसे है।
“चेकिंग के दौरान ज़रा सी नजर हट जाए तो लोग तेजी से निकल जाते हैं। पकड़े जाने पर सिफ़ारिशें लगाते हैं। लोगों की समझ में नहीं आ पा रहा है कि यह नियम उनकी ही सुरक्षा के लिए है,” गोंडा ज़िले में तैनात महिला कांस्टेबल प्रीति उपाध्याय ने बताया।
राज्य सरकार ने बाहर निकलने वाले हर व्यक्ति के लिए मास्क पहनना और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना आवश्यक कर दिया है, इसके उल्लंघन पर जुर्माना और क़ानूनी कार्रवाई भी की जा रही है। इंडियास्पेंड ने 20 जुलाई की अपनी इस रिपोर्ट में बताया था कि यूपी के कस्बों और छोटे शहरों में लोगों से मास्क लगवाना और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करवाना पुलिस के भरोसे है।
पुलिसकर्मियों पर काम का बोझ
बहुत कम वीकली या मन्थली ऑफ़ के साथ काम करने के लंबे घंटे, भारतीय पुलिस फ़ोर्स के जीवन का हिस्सा है। 27 अगस्त, 2019 को जारी, स्टेटस ऑफ पोलिसिंग इन इंडिया रिपोर्ट 2019 के हवाले से इंडियास्पेंड ने 24 अक्टूबर 2019 की अपनी इस रिपोर्ट में बताया था कि भारत में लगभग 24% पुलिसकर्मी, औसतन 16 घंटे से ज्यादा काम करते हैं और 44% 12 घंटे से ज्यादा काम करते हैं। औसतन एक दिन में उन्हें 14 घंटे काम करना पड़ता है।
उत्तर प्रदेश के हालात भी ऐसे ही हैं। यहां पुलिसकर्मियों को औसतन 14 घंटे की ड्यूटी करनी पड़ती है। कोरोनावायरस महामारी के बाद से उन्हें एक भी वीकली या मन्थली ऑफ़ तक नहीं मिला है।
पुलिसकर्मियों पर काम का बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है। फ़ोटोः रणविजय सिंह
"लॉकडाउन शुरु होते ही हमारी सारी छुट्टियां रद्द कर दी गईं। दिल में कोरोनावायरस के संक्रमण डर भी था। हमारे कई साथी संक्रमित भी हुए हैं। आम दिनों के मुकाबले यह ड्यूटी ज़्यादा थकान वाली है। इन सब से मानसिक दवाब तो बढ़ता ही है, लेकिन हम पर बड़ी ज़िम्मेदारी है और उसे हमें निभाना है,” नोएडा कमिश्नर ऑफ़िस में तैनात यूपी पुलिस में कॉंस्टेबिल, अंकुर बालियान ने कहा।
उत्तर प्रदेश पुलिस पर काम के बोझ की एक वजह स्टाफ़ की कमी भी है। देश भर सभी राज्यों के पुलिस विभाग में कुल 5.28 लाख पद खाली हैं, जिसमें से अकेले उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक, 128,952 पद खाली हैं, दो जुलाई 2019 को लोकसभा में पेश एक जनवरी 2018 तक के आंकड़ों के मुताबिक। उत्तर प्रदेश पुलिस में कुल पद 414,492 हैं। यानी राज्य पुलिस में 31% से भी ज़्यादा पद ख़ाली हैं।
पुलिस फोर्स की कमी का सीधा असर पुलिसकर्मियों के काम पर पड़ता है। उनके काम के घंटे बढ़ जाते हैं साथ ही काम का बोझ भी ज़्यादा होता है। "पुलिस फ़ोर्स में काफ़ी पद खाली पड़े हैं, इन्हें भरा जाना चाहिए। इससे काम ठीक से होगा और पुलिसकर्मियों का वर्क लोड भी कम होगा। अभी पुलिस पर बहुत ज़्यादा वर्क लोड है,” उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक, अरविंद कुमार जैन ने इंडियास्पेंड से एक बातचीत में कहा।
अरविंद कुमार जैन इस बात पर ज़ोर देते हैं कि सीमित संसाधनों के बीच महामारी के दौरान पुलिस विभाग ने अच्छा काम किया है। "पुलिस फ़ोर्स दिन रात लगी है, काफी मेहनत हो रही है और वह दिख रही है। पुलिस फ़ोर्स का मनोबल बढ़ाया जाना चाहिए। कई ऐसी ख़बरें मैंने देखीं कि पॉज़िटिव होने के बाद कुछ पुलिसकर्मियों को अस्पतालों में भर्ती नहीं किया जा रहा था, उन्हें काफ़ी परेशानी का सामना करना पड़ा, ऐसा नहीं होना चाहिए,” अरविंद कुमार जैन ने कहा।
यूपी पुलिस के अधिकारियों का मानना है कि यह लड़ाई लंबी चलने वाली है। ऐसे में फ़ोर्स को वक़्त-वक़्त पर मोटिवेशन की ज़रूरत है, साथ ही मनोवैज्ञानिक तौर पर भी उन्हें सलाह की ज़रूरत है। इसी के मद्देनज़र यूपी-112 और लखनऊ यूनिवर्सिटी ने 'मन संवाद' कार्यक्रम शुरू किया है। इसमें इसमें यूनिवर्सिटी के मनोविज्ञान संकाय से जुड़े काउंसलर पुलिसकर्मियों को सलाह देते हैं।
"हमने शुरू से ही समझ लिया था कि यह छोटी लड़ाई नहीं है। इसे देखते हुए हमने काम के घंटे कम करने की कोशिश की है। साथ ही जो पुलिसकर्मी जहां रहता है उसके घर के पास ही उसे ड्यूटी दी है,” एडीजी, असीम अरुण ने कहा।
हेल्पलाइन और पुलिस रेस्पॉंस वैन पर अहम ज़िम्मेदारियां
यूपी-112 की टीम के सदस्य। फ़ोटोः @112UttarPradesh
कोरोनावायरस की वजह से जब देश में लॉकडाउन लगाया गया तो यूपी-112 का काम और बढ़ गया। पहले प्रति दिन लगभग 15 हज़ार कॉल आती थीं, लॉकडाउन के वक्त यह संख्या 38 से 40 हज़ार प्रतिदिन तक हो गई। आजकल क़रीब 21 हज़ार कॉल प्रतिदिन आ रही हैं।
यूपी पुलिस के हेल्पलाइन नंबर के तीन केंद्र हैं। लखनऊ में इसका मुख्यालय है और ग़ाज़ियाबाद और प्रयागराज में इसके उप केंद्र हैं। "फ़िलहाल हमारी दो ज़िम्मेदारियां हैं। पहला लॉकडाउन या अनलॉक के नियमों का पालन कराना। दूसरा लोगों की मदद करना, जैसे किसी को राशन पहुंचाना है या एंबुलेंस दिलानी है,” यूपी-112 के काम के बारे में बताते हुए एडीजी, असीम अरुण ने इंडियास्पेंड को बताया।
17 मार्च से 12 अगस्त तक कोरोनावायरस से संबंधित क़रीब 6.46 लाख कॉल आयी। इसमें 204,310 खाने की मदद से संबंधित, 58,019 कॉल दवाइयों की मदद से संबंधित और 1.66 लाख कॉल लॉकडाउन के उल्लंघन की जानकारी देने से संबंधित थीं।
"लोगों का सहयोग मिल रहा है, क्योंकि इतनी पुलिस नहीं है कि हर जगह लगाई जाए और पुलिस भी थकी हुई है। ऐसे में जब लोग बताते हैं तो पुलिस मौके पर पहुंचकर चीजें ठीक कराती है,” असीम अरुण ने बताया।
"कोरोना में सभी की छुट्टियां रद्द हो गई। लॉकडाउन की वजह से खाने पीने की दिक़्क़तें भी बढ़ गई थीं, लेकिन हम इस हालात के लिए तैयार थे। पुलिस में यह होता रहता है। सबसे अच्छी बात रही कि लोगों ने हमें सम्मान दिया। हमने लोगों को खाना खिलाया, लोगों को घर तक छोड़ा, जितनी मदद कर सकते थे हमने की,” शेरपाल ने कहा।
''अब वो समय बीत चुका है और धीरे-धीरे स्थितियां सुधर रही हैं। कोरोना काल में ड्यूटी की अब आदत बन गई है,” अंकुर कहते हैं।
''हम 112 को बंद नहीं होने देंगे,” एडीजी, असीम अरुण पूरे विश्वास के साथ यह बात इसलिए भी कह पा रहे हैं क्योंकि हाल ही में उनकी टीम ने यह बात साबित करके दिखाई है। जून में इस हेल्पलाइन के कई कर्मचारी पॉज़िटिव पाए गए थे। इसमें टेक्निकल टीम के लोग भी शामिल थे। इस बीच हेल्पलाइन नंबर पर कुछ तकनीकी गड़बड़ी सामने आई। इस बात की जानकारी जब कोरोना पॉज़िटिव हो चुके तकनीकी विशेषज्ञ ब्रजेश गुप्ता को हुई तो उन्होंने अस्पताल से ही काम करने की इच्छा ज़ाहिर की और 48 घंटे में तकनीकी गड़बड़ी को ठीक कर दिया।
कोरोना से लड़ने के लिए अपग्रेड होती यूपी पुलिस
उत्तर प्रदेश के कई ज़िलों में कोरोनावायरस की वजह से काम करने के तरीक़ों में भी बदलाव आया है। झांसी में पुलिस ने कई अनोखे काम किए हैं जैसे मास्क फ़ोर्स बनाकर लोगों को जागरूक करना, फ़ूड बैंक और सर्विलांस वैन चलाना।
"झांसी में पुलिस ने जो काम किया है वो एक मॉडल है। हमने फ़ूड बैंक से शुरुआत की, फिर मास्क बैंक शुरू किया। इसके अलावा मास्क फ़ोर्स बनाया है, जिसमें 500 लोगों की टीम है। मास्क फ़ोर्स में एनसीसी कैडेट्स, एनएसएस, सिविल डिफ़ेंस के लोग शामिल हैं। पुलिसकर्मियों की तरह इनकी भी ड्यूटी लगाई जाती है,” झांसी के एसपी (सिटी), राहुल श्रीवास्तव ने इंडियास्पेंड को बताया।
Force Multiplier to check #Covid
— RAHUL SRIVASTAV (@upcoprahul) July 19, 2020
A Surveillance mobile of @jhansipolice having a PTZ camera was launched by ADG(Trg)Sri Sanjay. M Tarde in #Jhansi.
The camera will record those violating #SocialDistance norms & roaming without #masks at public places leading to legal action. pic.twitter.com/f18EavhsJU
पीलीभीत पुलिस ने थानों में सेनेटाइज़र की मशीन लगाई है। यहां पुलिसकर्मी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए मामलों का निपटारा कर रहे हैं। "हमने पीलीभीत के 15 थानों में सेनेटाइज़र मशीन लगा दी है। यह मशीन सेंसर पर काम करती है। हमने थानों को डिसइन्फ़ेक्ट करने के लिए भी मशीन खरीदी हैं। हर थाने को सुबह-शाम डिसइन्फ़ेक्ट किया जा रहा है,” पीलीभीत के एसपी, जय प्रकाश ने बताया।
(इसरार, इंडियास्पेंड हिंदी के संपादक हैं और रणविजय, लखनऊ में स्वतंत्र पत्रकार हैं)
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