किस तरह 46 मिलियन भारतीयों को धीरे धीरे जहर दिया जा रहा है
भारत में लगभग 46 मिलियन लोग -या जितनी स्पेन की जनसंख्या का आकार है - हर रोज़ दूषित पानी से रूबरू होते हैं जिससे कंकाल को अपंग करने वाली क्षति, गुर्दों का अध: पतन, लिवर सिरोसिस और हृदय की गति रूक जाना जैसी गंभीर स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ उत्प्न्न हो सकती हैं ।
78,508 से अधिक ग्रामीण बस्तियों में आर्सेनिक, फ्लोराइड, लोहे या नाइट्रेट से पानी दूषित हो रहा है। पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार,कीटनाशकों और उर्वरकों द्वारा भी पेयजल के स्रोत दूषित हो रहे हैं।
आर्सेनिक 2.9 मिलियन लोगों के घर कहलाने वाली ,लगभग 1,991 बस्तियों में पानी को ज़हरीला कर देता है और फ्लोराइड अन्य 14,132 बस्तियों को इन बस्तियों में पानी को ज़हरीला कर देता है।
2011 जनसांख्यिकी के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में केवल 35% भारतीयों को अपने घरों के भीतर पीने योग्य पानी उपलब्ध है जबकि 22% ग्रामीण परिवारों को पीने योग्य पानी की खोज में आधे से एक किलोमीटर से भी अधिक की यात्रा करनी पड़ती है।
संयुक्त राष्ट्र ने 22 मार्च 2015 को विश्व जल दिवस मनाया, और इस वर्ष की विषय वस्तु जल और सतत विकास थी।
एक अनुमान के अनुसार, विश्व स्तर पर,1.8 अरब लोग दूषित पानी पी रहे हैं।
2011 जनसांख्यिकी के अनुसार भारत में पानी की प्रति व्यक्ति उपलब्धता 1545 क्यूबिक मीटर है, जो 2001 जनसांख्यिकी के अनुसार, 1816 क्यूबिक मीटर की तुलना में कम हो गई है।
हालाँकि पेयजल राज्यों की ज़िम्मेदारी है, वहीं केंद्रीय सरकार राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम (एनआरडीडब्ल्यूपी) के माध्यम से राज्य सरकारों की सहायता दे रही है। कार्यक्रम का प्रमुख दष्टिकोण पेयजल में आर्सेनिक और फ्लोराइड के संदूषण से निपटना है।
हम अब देश की उन ग्रामीण बस्तियों को देखते हैं जिन्हे पेयजल की आपूर्ति के लिए लक्षित किया गया और पेयजल प्रदान किया गया।
State/UTs | 2011-12 | 2012-13 | 2013-14 | 2014-15* | ||||
Target | Coverage | Target | Coverage | Target | Coverage | Target | Coverage | |
Uttar Pradesh | 23300 | 23134 | 24000 | 23727 | 24612 | 22666 | 6429 | 6623 |
Odisha | 8642 | 6782 | 12209 | 19484 | 11812 | 18447 | 19538 | 14020 |
Karnataka | 9695 | 8757 | 10403 | 13284 | 15475 | 17522 | 10381 | 7918 |
Madhya Pradesh | 16744 | 15644 | 17074 | 17483 | 13120 | 13858 | 12446 | 9102 |
Bihar | 16600 | 11243 | 15015 | 10960 | 14100 | 12787 | 13354 | 8696 |
India | 164586 | 138367 | 158795 | 155706 | 144030 | 153428 | 137043 | 87722 |
Source: Lok Sabha, *Figures as on March 2, 2015
पिछले चार वर्षों में, सरकार ने एनआरडीडब्ल्यूपी के तहत, 604,454 बस्तियों को पेयजल प्रदान करने के लिए आशा व्यक्त कीथी : यह योजना अपने लक्ष्य से 11% से चूक गई ।
2013-14 में सरकार 144,030, तक पहुँचने के अपने लक्ष्य से कहीं अधिक 153,428 बस्तियों तक पहुंच गई।
चालू वर्ष (2014-15) में , एनआरडीडब्ल्यूपी ने 137,043 बस्तियों का लक्ष्य निर्धारित किया है जिसमे से 64% यानी 87,722 बस्तियों में 2 मार्च 2015 की स्थिति के अनुसार, पहले से ही पेयजल की व्यवस्था हो चुकी थी।
उत्तर प्रदेश, 76,150 बस्तियों के साथ ऐसा राज्य है जो पेयजल प्रदान करने में सबसे सफल रहा है, जिसके उपरांत , ओडिशा (58,733), मध्य प्रदेश (56,087), झारखंड (52,883) और कर्नाटक (47,481) राज्य हैं।
राजस्थान पेयजल के मामले में सबसे अधिक परेशानी ग्रस्त राज्य है जहां 23,956 बस्तियाँ दूषित पानी से प्रभावितहैं जिनमे 7873 बस्तियाँ बहुत अधिक मात्रा में भारी धातुओं और अन्य विषाक्त पदार्थों से दूषित हैं। फिर भी , सरकार ने 17,978 बस्तियों में पेयजल आपूर्ति की है।
अब हम उन बस्तियों को देखते हैं जहाँ पेयजल प्रदूषण से ग्रस्त है।
Habitations Affected by Contamination | ||||||
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Name of State/UT | Fluoride | Arsenic | Manganese | Copper | Aluminium | Total habitations |
Rajasthan | 7670 | 0 | 107 | 19 | 77 | 7873 |
Punjab | 1 | 1 | 23 | 1 | 827 | 2465 |
West Bengal | 251 | 1124 | 877 | 38 | 1 | 2292 |
Assam | 128 | 424 | 896 | 7 | 16 | 1471 |
Bihar | 893 | 357 | 69 | 13 | 26 | 1358 |
Karnataka | 1122 | 12 | 95 | 20 | 26 | 1275 |
Madhya Pradesh | 1055 | 0 | 103 | 34 | 79 | 1271 |
Telangana | 1174 | 0 | 4 | 0 | 0 | 1178 |
Maharashtra | 307 | 0 | 646 | 11 | 34 | 998 |
Andhra Pradesh | 745 | 0 | 210 | 1 | 0 | 956 |
India | 14132 | 1991 | 4458 | 289 | 1427 | 23922 |
Source: Lok Sabha
कुल 23,922 ग्रामीण बस्तियाँ पेयजल में भारी धातुओं और रासायनिक पदार्थ से प्रभावित हैं। इनमें से फ्लोराइड सबसे मुख्य प्रदूषक है, जिससे 14,132 बस्तियां प्रभावित हैं।
मैंगनीज 4458 बस्तियों के पानी को प्रभावित करता है जिसके उपरांत आर्सेनिक (1991), एल्यूमीनियम (1427) और सीसा (714) है।
पश्चिम बंगाल, आर्सेनिक संदूषण (1124 बस्तियों) से सबसे अधिक प्रभावित है। प्रायोगिक जीवविज्ञान इंडियन जर्नल में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, पश्चिम बंगाल में भूजल का आर्सेनिक संदूषण को एक "भू-पर्यावरणीय आपदा" के रूप में जाना जाता है।
भारत के उत्तर-पूर्वी राज्य प्रदूषण के संदर्भ में, सबसे कम प्रभावित राज्यों में से एक हैं।
संसद में एक लिखित उत्तर में सरकार ने कहा कि उसने 4000 बस्तियों को लक्षित किया था और वहाँ सामुदायिक जल शोधन संयंत्रों का निर्माण किया गया है। इसके अलावा, दूषित पानी से प्रभावित 20,000 बस्तियों में प्रति दिन प्रति व्यक्ति 8-10 लीटर सुरक्षित पेयजल मिलेगा।
छवि आभार: फ़्लिकर/रॉस हांगकांग
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