किस प्रकार भारत के कंकरीट बनते शहर हो रहे हैं अधिक गर्म
दक्षिणी राज्य, चेन्नई में एक इमारत के निर्माण के दौरान आराम करते श्रमिक। पेड़, झीलों और खुले जगह का सड़कों, बहुमंजिली इमारतों द्वारा कंकरीट में प्रतिस्थापित होने के साथ भारतीय शहर गर्म द्वीप में बदल रहे हैं।
भारत में विकसित हो रहे शहरों में मानसून के आने से गर्मी में कमी हुई है लेकिन तापमान में वृद्धि हो रही है और जिस प्रकार शहरी क्षेत्रों का विस्तार हो रहा है, तापमान में आगे भी वृद्धि होगी।
पांच शहरों में किए गए वैज्ञानिक अध्ययन पर इंडियास्पेंड द्वारा किए गए विश्लेषण के अनुसार, पेड़, झीलों और खुले जगहों का सड़कों में बदले जाने और बहुमंजिली इमारतों के साथ कंकरीट में विस्तार होने से – अक्सर ज़ोनिंग और कानून का उल्लंघन के साथ – भारतीय शहर गर्म द्वीप में बदल रहे हैं।
एक प्रवृति स्पष्ट है: दिन के समय अधिकतम और रात के समय न्यूनतम दैनिक तापमान के बीच अंतर - प्रतिदिन तापमान रेंज (डीटीआर) – लगातार घट रही है। यह संकेत देता है कि शहरों के कंकरीट बनने से गर्मी कायम रह रही है, यहां तक कि पूर्व में ठंडे बाहरी इलाके में तापमान की वृद्धि, जैसा कि वो होते हैं, उनका भी शहरीकरण हो रहा है। तापमान की उच्च श्रेणी अधिक ठंडे को इंगित करता है।
गर्म द्वीप डिजाइन, निर्माण सामग्री और पर्यावरण के संयोजन से बनाई गई है। आस-पास भवनों के निर्माण से घाटी बनती है जो उनके दीवारों परावर्ती गर्मी को लेता है। एयर कंडीशनिंग वेंट, विशेष रूप से संकीर्ण गलियों में, आगे इमारतों और आर-पास के इलाकों को गर्म बनाता है।
पेड़, झाड़ियां, घास और मिट्टी गर्मी अवशोषित करती है और भूमि को ठंडा करती है, लेकिन जब से यह भारतीय शहरी डिजाइन में तेजी से अनुपस्थित हो रहे हैं और जो मौजूद हैं उन्हें साफ किया जा रहा है, जो बच रहा है वह कंकरीट और डामर है जो सोखती है और दिन की गर्मी को तेज़ करता है, और रात को कई घंटों तक गर्म रहता है।
हालात के और बद्तर होने की संभावना है, जैसा कि इंडियास्पेंड ने मार्च 2016 में विस्तार से बताया है। पिछले 20 वर्षों के दौरान, कोलकाता का पेड़ फैलाव 23.4 फीसदी से गिरकर 7.3 फीसदी हुआ है, जैसा कि निर्मित क्षेत्र के रूप में 190 फीसदी की वृद्धि हुई है। 2030 तक, वनस्पति कोलकाता क्षेत्र का 3.37 फीसदी हो जाएगा। पिछले 20 वर्षों में, अहमदाबाद के पेड़ फैलाव 46 फीसदी से गिरकर 24 फीसदी हुआ है; निर्मित क्षेत्र में 132 फीसदी की वृद्धि हुई। 2030 तक, वनस्पति अहमदाबाद के क्षेत्र का 3 फीसदी होगा। पिछले 22 वर्षों में, भोपात के पेड़ का फैलाव 66 फीसदी से गिरकर 22 फीसदी हुआ है। 2018 तक, यह शहर के क्षेत्रफल का 11 फीसदी होगा। पिछले 20 वर्षों के दौरान, हैदराबाद का पेड़ फैलाव 2.71 फीसदी से गिरकर 1.66 फीसदी हुआ है। 2024 तक, यह शहर के क्षेत्रफल का 1.84 फीसदी हो जाएगा।
एक सहज, स्पर्श स्तर पर, आप शहरों के व्यस्त इलाकों में गर्म द्वीपों के प्रभाव और दुर्लभ, हरे विस्तार इलाकों जैसे कि दिल्ली के लोधी गार्डन या जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय और बंगलुरु के इंडियान इंस्ट्टयूट ञफ साइंस की ओर से गुज़रते हुए तापमान में गिरावट को महसूस कर सकते हैं।
पांच शहरों में क्या हो रहा है, यहां इसका विवरण दिया गया है:
दिल्ली : तीव्र गर्म द्वीप
जनसंख्या: 11 मिलियन । क्षेत्र 1,484 वर्ग किमी
जैसा कि, 2001से 2011 के बीच दिल्ली की जनसंख्या 20 फीसदी की वृद्धि हुई है, अधिकतम और न्यूनतम तापमान के बीच अंतर बराबर हुआ है, जैसा कि मंजू मोहन, सेंटर ऑर एटफोसफेरिक साइंस, आईआईटी दिल्ली में प्रोफेसर, और अनुराग कंड्या, पंडित दीनदयाल पेट्रोलियम विश्वविद्यालय, गांधीनगर में सहायक प्रोफेसर, द्वारा 2015 में इस पेपर में बताया गया है। अमेरिकी उपग्रहों से आंकड़ों का इस्तेमाल कर, जो पृथ्वी की सुविधाओं और जलवायु का हर 24 से 48 घंटे स्कैन करता है, इस जोड़ी ने निर्मित क्षेत्रों (अलग-अलग घनत्व के साथ) का अध्ययन किया है; हरे क्षेत्र (जंगलों से उद्यान तक), खुले क्षेत्र, नदी किनारे के क्षेत्र और शहरी बाहरी इलाके जो ग्रामीण क्षेत्रों के समान है। जैसा कि मैप में दिखाया गया है, 2001 से 2011 के बीच, निर्माण क्षेत्र में 17 फीसदी की वृद्धि होने से चौड़े क्षेत्रों में तापमान की वृद्धि अधिक स्पष्ट है। व्यापक तापमान बदलाव – मतलब ठंडे इलाके - शहरी गांवों और खुले क्षेत्रों में स्पष्ट देखा गया है। उत्तर पश्चिमी और दक्षिण पश्चिम दिल्ली, तीव्र विकास वाले क्षेत्र, में तापमान परिवर्तन में सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई है - 2.5 से 4 डिग्री सेल्सियस के बीच।
दिल्ली प्रतिदिन तापमान रेंज, 2001
पेपर में बाहरी इलाकों के अधिक ठंडे होने की सूचना दी है। 1991 और 2008 के आकलन के साथ तुलना में, गर्म द्वीप और अधिक तीव्र हो गए हैं, 1991 में बाहरी इलाकों में 1.5 से 2 डिग्री सेल्सियस बदलाव था जबकि 2008 तक यह बढ़ कर 2.53 डिग्री सेल्सियस हुआ है। जहां कहीं भी वनस्पति था, एक शीतलन प्रभाव स्पष्ट देखा गया है।
भूमि उपयोग और भूमि फैलाव, चेन्नई
Source: Theoretical and Applied Climatology. In Chennai, the hottest areas are the urban centres and the coolest farmlands and open places.
गुवाहाटी : गर्म द्वीपों से ग्रीष्मकाल में हो रही और गर्मी
जनसंख्या 0.95 मिलियन। क्षेत्र 216 वर्ग किमी।
गुवाहाटी में गर्मी द्वीपों के सृजन यह संकेत देता है कि जैसा कि भारत के छोटे शहरों में कंकरीट बढ़ रहा है, वहां भी इलाकों में गर्मी बढ़ रही है। अपूर्बा कुमार दास और तेजपुर विश्वविद्यालय के जूरी बोरबोरा के इस 2014 के एक अध्ययन के अनुसार, दिन के समय बाहरी इलाकों की तुलना में शहरी क्षेत्र 2.12 डिग्री सेल्सियस गर्म रहते हैं और रात के समय 2.29 डिग्री सेल्सियस। अध्ययन में दिखाया गया है कि किस प्रकार एक बार इमारतों एवं सड़कों द्वारा ली गई गर्मी तीव्र होती है। दास और बोरबोरा ने आधे घंटे के अंतराल पर चार स्थानों पर तापमान मापा है।
कोच्चि : लंबी इमारतें गर्म चिमनी की तरह कर रही हैं काम
जनसंख्या : 0.61 मिलियन। क्षेत्र 95 वर्ग किमी।
ऊंचे भवनों के कारण शाम की तुलना में सुबह और ग्रीष्मकाल की तुलना में सर्दियों में गर्म द्वीप का प्रभाव अधिक रहा है। यह जानकारी जॉर्ज थॉमस और तिरुवनंतपुरम के सेंटर फॉर अर्थ साइंस स्टडिज के सहकर्मियों के 2014 के इस पेपर में सामने आई है। गर्म द्वीप का सबसे अधिक प्रभाव उन इलकों में हुआ है जिन्हें रिसर्चर कॉम्पैक्ट मध्य वृद्धि क्षेत्रों" कहते हैं जो सिटी सेंटर के पास है और जहां इमारतों की औसत ऊंचाई नौ से 24 मीटर तक है। सभी मौसमों के दौरान सबसे अधिक ठंड खुले और कम निर्मित क्षेत्रों में स्पष्ट देखा गया है।
स्थानीय जलवायु ज़ोन वर्गीकरण, कोच्चि
पेपर के अनुसार, कोच्चि की तरह, केरल की राजधानी के सिटी सेंटर में, गरम घनी व्यवस्था की कम वृद्धि (एक से तीन मंजिला इमारतें) और उच्च वृद्धि के क्षेत्रों (आठ मंजिला करने के लिए तीन) के साथ, 2.4 डिग्री सेल्सियस अधिक तापमान दर्ज किया गया है। ग्रामीण क्षेत्रों में, अधिकतम 3.4 डिग्री सेल्सियस तापमान का गिरावट दर्ज किया गया था जोकि शहरी क्षेत्रों के तापमान से 1 डिग्री अधिक है। 8 और 9 बजे के बीच शहर समुद्र की हवा से ठंडा होती है लेकिन घने इमारतों के साथ वाले क्षेत्रों में हवा अवरुद्ध होता है, जो तापमान को उच्च रखता है।
शहरी गर्म द्वीप, तिरुवनंतपुरम
Source: Journal of Indian Geophysical Union
इन प्रवृत्तियों के बदलाव, अन्य शहरों में प्रकट थे और यह स्पष्ट हो गया था कि परंपरागत निर्माण सामग्री के घरों बेहतर ठंडा करता हैं। राघवन और वेल्लोर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलोजी के सहयोगियों ने 2015 में बताया कि वेल्लोर, तमिलनाडु में छप्पर की छतों सबसे अच्छा शीतलन प्रभाव डालते हैं।
(मार्टिन पर्यावरण और जलवायु में परिवर्तन पर लोगों के व्यवहार के संबंध में शोध करते हैं एवं लिखते हैं। )
यह लेख मूलत: अंग्रेज़ी में 12 जुलाई 2016 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।
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