क्या बजट 2016 से रोजगार की कमी होगी कम?
24 फरवरी 2016, बजट पेश होने से पांच दिन पूर्व, लोकसभा में उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, देश भर में कौशल विकास कार्यक्रमों को लागू करने के लिए 100,000 प्रशिक्षकों की कमी है।
सवाल यह है कि क्या कौशल विकास और उद्यमशीलता के लिए बजट 2016 के आवंटन में 74 फीसदी की वृद्धि – पिछले वर्ष 1,038 करोड़ रुपए (160 मिलियन डॉलर) से इस वर्ष, 2016-17 में 1,804 करोड़ रुपए (264 मिलियन डॉलर) तक - भारत में रोज़गार की कमी को संबोधित करने में मदद कर पाएगा?
वर्ष 2015 में, सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में 1.4 मिलियन नौकरियों की मांग थी जिसमें से केवल 209,000 या 17 फीसदी को ही नौकरियां मिल पाई थी, जैसा कि इंडियास्पेंड ने पहले भी अपनी रिपोर्ट में बताया है। इसी तरह, बैंकिंग क्षेत्र में, वर्ष 2015 में सरकारी और निजी बैंकों द्वारा शुद्ध रुप से 33,224 लोगों के काम पर रखे जाने की जानकारी मिली है।
केवल 2 फीसदी (करीब 9 मिलियन) भारतीय श्रमिक औपचारिक रूप से कुशल हैं; भारत में व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में प्रति वर्ष शुद्ध नामांकन 5.5 मिलियन है जबकि चीन में प्रति वर्ष यह आंकड़े 90 मिलियन एवं अमरीका में 11.3 मिलियन है, जैसा कि इंडियास्पेंड ने पहले भी बताया है।
राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय द्वारा 2011-12 सर्वेक्षण के अनुसार करीब 10.6 मिलियन भारतीय बेरोज़गार है; इनमें से 7.8 मिलियन लोग 20 से 59 आयु वर्ग के हैं। इसी तरह, एक अनुमान के मुताबिक 474 मिलियन पार्ट टाइम काम करते हैं।
भारत में सालाना 23 मिलियन नौकरियों की आवश्यकता है लेकिन पिछले 30 सालों से, देश में प्रति वर्ष केवल सात मिलियन नौकरियों का ही सृजन हो पा रहा है, जैसा कि इंडियास्पेंड ने हाल ही में अपनी रिपोर्ट में बताया है।
29 फरवरी 2016 को वित्त मंत्री, अरुण जेटली ने अपनी तीसरा बजट पेश करते हुए, बजट 2016 में से 1,700 करोड़ रुपए (200 मिलियन डॉलर) अलग रखते हुए, देश भर में 1,500 बहु-कौशल प्रशिक्षण संस्थान स्थापित करने की योजना की घोषणा की है।
#VikasKaBudget: 1 crore youth to be skilled in next three years#Budget2016 pic.twitter.com/Z1yHo2x5nt
— PIB India (@PIB_India) February 29, 2016
उद्योग और शिक्षा के साथ साझेदारी में कौशल विकास के लिए राष्ट्रीय प्रमाणन बोर्ड की स्थापना के अलावा, अगले तीन वर्षों में प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई) के तहत सरकार 10 मिलियन युवाओं को कुशल बनाने की योजना कर रही है। कौशल विकास और उद्यमशीलता के लिए एक अलग मंत्रालय की घोषणा, इनके निर्देश पर पिछले वर्ष की गई थी।
कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय के लिए बजट
एक बड़ा आवंटन, 1,771 करोड़ रुपए, पीएमकेवीवाई, के लिए किया गया है जिसके तहत राष्ट्रीय कौशल विकास कोष/निगम (एनएसडीसी) के लिए - कौशल विकास के लिए सरकारी और गैर - सरकारी दोनों क्षेत्रों से धन जुटाने का काम सौंपने के साथ - सबसे बड़ी राशि, 1,350 करोड़ रुपए, दी गई है।
15 जुलाई, 2015 को शुरु किया गया पीएमकेवीवाई एक कौशल प्रमाणीकरण और इनाम योजना है, एवं इससे 2.4 मिलियन लोगों को लाभ मिलने की संभावना है।
चालू वित्त वर्ष के पहले छह महीनों में, एनएसडीसी ने 3.7 मिलियन कौशल- प्रशिक्षण के लक्ष्य का 15 फीसदी से भी कम हासिल कर पाया है। इसके अलावा, पीएमकेवीवाई के तहत 2.4 मिलियन लक्ष्य के तुलना में, एनएसडीसी नें प्रशिक्षण के मामले 30 फीसदी से कम प्राप्त किया है एवं प्रमाण पत्र के मामले में 10 फीसदी प्राप्त किया है, जैसा कि फरवरी 2016 की यह मिंट रिपोर्ट कहती है।
लोकसभा में पेश आंकड़ों के अनुसार, पिछले तीन सालों में 40 विभिन्न कौशल विकास योजनाओं के तहत करीब 19 मिलियन लोगों को प्रशिक्षित किया गया है।
कौशल विकास कार्यक्रम के तहत प्रशिक्षित लोग (2012-13 से 2015-16)
वर्तमान में, कम से कम 5.5 मिलियन लोग कुशलता पाठ्यक्रम में नामंकन कराया है जिसमें से 231 मिलियन लोग 15 से 24 आयु वर्ग के हैं। इस संबंध में इंडियास्पेंड ने हाल ही बाताया है।
24 क्षेत्रों में, भारत में रोज़गार के अवसर, वर्ष 2013 में 461.1 मिलियन से वर्ष 2022 तक 581.9 मिलियन तक विकसित होने के लिए तैयार है। एनएसडीसी अध्ययन के अनुसार, टॉप 10 क्षेत्रों में आवश्यक नौकरियों की 80 फीसदी हिस्सेदारी के साथ, कई क्षेत्र जैसे कि निर्माण, खुदरा और कल्याण में वर्ष 2022 तक 109.7 मिलियन अतिरिक्त मांग की भविष्यवाणी की गई है।
बिल्डिंग निर्माण और रियल एस्टेट क्षेत्र में 31.1 मिलियन लोगों की आवश्यकता होगी, लौजिस्टिक्स, परिवहन और भंडारण में 11.7 मिलियन एवं सुंदरता और कल्याण में 10.1 मिलियन लोगों की आवश्यकता होगी।
वृद्धि संबंधी मानव संसाधन आवश्यकता, टॉप 5 क्षेत्र
इस सूची में 15.5 मिलियन अधिक लोगों की आवश्यकता के साथ सबसे टॉप पर महाराष्ट्र है जबकि 13.6 मिलियन के आंकड़ों के साथ तमिलनाडु दूसरे एवं 11 मिलियन के साथ उत्तर प्रदेश तीसरे स्थान पर है।
वृद्धि संबंधी मानव संसाधन आवश्यकता, टॉप 5 राज्य
सरकार ने, राष्ट्रीय कैरियर सेवा (एक ऑनलाइन पोर्टल जो नौकरी की तलाश कर रहे लोगों को नौकरियां दिलवाने में मदद करता है) के तहत वर्ष 2016-17 के अंत तक 100 “मॉडल कैरियर केन्द्रों” की स्थापना करने का प्रस्ताव दिया है। जुलाई में इस पोर्टल के आरंभ होने के बाद से 35 मिलियन नौकरी चाहने वालों ने रजिस्टर किया है।
(मल्लापुर इंडियास्पेंड के साथ नीति विश्लेषक हैं।)
यह लेख मूलत: अंग्रेज़ी में 3 मार्च 2016 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।
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