क्यों भारतीय कंपनियाँ निदेशक – मंडलों में महिला निदेशक रखने में टाल मटोल कर रही
मुकेश अंबानी (दायें), चेयरमैन, रिलायंस इंडस्ट्रीज़, पत्नी नीता अंबानी (दायें से दूसरी), माँ कोकिलाबेन और पुत्र आकाश अंबानी | 18 जून 2014 को रिलायंस कंपनी के शेयर धारकों की वार्षिक बैठक को संबोधित करने से पूर्व अंबानी-परिवार:
मुंबई – कंपनीयों के निदेशक – मंडलों में सेबी नें महिलाओं को अपने निर्देशक मंडलों में चयनित करने के आदेश और दो निर्धारित समय सीमा को पार करने के उपरांत – लगभग 70% कंपनियों ने केवल प्रतीक रूप में अपने निदेशक मंडलों में महिला – निदेशकों को चयनित कर – सेबी के आदेशित अधिनियमों की भरपाई किया है| अब कम्पनियों द्वारा किए गए प्रतीकात्मक महिला निदेशक –चयन स्पष्ट दर्शातें है कि भारत की उपलब्ध शिक्षित – महिलाओं की विशाल संख्या के बावजूद – भारतीय कंपनियों ,न केवल निदेशक मंडलों बल्कि अपने सम्पूर्ण कार्य – क्षेत्रों में बराबरी की महिला भागीदारी नहीं करना चाहती हैं |
इंडियास्पेंड ने CNX-Nifty, 23 कार्य क्षेत्रों में फैली – भारत की सबसे बड़ी शिखर कम्पनियों का समूह – के सर्वेक्षण से पाया कि इनमें से केवल 5 कम्पनियों : - Axis bank Ltd, Bharti Airtel Ltd, Idea Cellular Ltd, Infosys Ltd और Ultratech Cement ने अपने निदेशक मंडलों में ज्यादा से ज्यादा तीन महिला निदेशकों को चयनित किया है – जबकि उनकी कुल निदेशकों की सदस्य संख्या 7 से 17 के बीच है | इनमें से पाँच सार्वजनिक क्षेत्रों की कंपनियों के निदेशक मंडलों में एक भी महिला निदेशक चयनित नहीं है |
- जिसमें से प्रमुख राज्य कंपनियाँ हैं – भारत पेट्रोलियम, एन०टी०पी०सी०, ओ०एन०जी०सी०, पंजाब नेशनल बैंक और जी०ए०आई०एल |
- 70% कंपनियों में मात्र एक महिला निदेशक चयनित है, जिसमें से प्रमुख हैं – टी०सी०एस० और रिलायंस |
- जबर्दस्त प्रसार प्रचार वाली भीमकाय कंपनियों में से केवल 12% ने तो अपने निदेशक मंडलों में अपने परिवार की महिलाओं को ही महिला निदेशक के तौर पर नामित कर लिया है |
- 20% कंपनियों ने एक आवश्यक महिला निदेशक से ज्यादा को नामित किया है
Classification | Organisation |
---|---|
YET TO APPOINT | Oil and Natural Gas Corporation Ltd, GAIL Ltd, Punjab National Bank, NTPC Ltd, BPCL |
THREE WOMEN DIRECTORS ON BOARD | Axis Bank Ltd, Bharti Airtel Ltd, Idea Cellular Ltd, Infosys Ltd, Ultratech |
TWO WOMEN DIRECTORS ON BOARD | Asian Paint Ltd, HCL Technologies Ltd, HDFC Bank Ltd, IDFC Ltd, Lupin Ltd |
निम्नाकित ऐसी निदेशक महिलाएं हैं, जोकि दो या दो से अधिक निफ्टी समूह की कंपनियों के निदेशक मंडलों में चयनित हैं
Falguni Nayar |
Usha Sangwan |
Kalpana Morparia |
Rajashree Birla |
Renu Sud Karnad |
Ireena Vittal |
COMPANIES WITH ONLY FAMILY MEMBERS AS WOMEN DIRECTORS |
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Reliance |
Grasim |
Hindalco |
Cairn India Ltd |
HCL Technologies Ltd |
Lupin Ltd |
निम्न आंकड़ें 20 अप्रैल 2015 तक के हैं | एस0 ई0 बी0 आई0 – the securities and exchange board of India – जो की भारत सरकार की कंपनियों से सबंधित बाजार और उनके नियमन के लिए सर्वोच्च वित्तीय संस्था हैं – ने कंपनियों के निदेशक मंडलों में महिलाओं को निदेशक नामित करने के लिए जो नियमन प्रक्रिया फ़रवरी 2015 में चलाई थी और जिनको पूरा करने की सीमा में 20 दिन की और छूट दिया था, ने निम्न तद संबंधी आंकड़ें प्रकाशित किए है |
सेबी द्वारा घोषित अंतिम समय सीमा , 2015 को समाप्त हुई |एक पूंजी गत बाजार शोध कंपनी – प्राइम डाटा बेस ने बताया की नेशनल स्टॉक एक्स्चेंज (NSE) में अधिसूचित कुल 1,475 कंपनियों में से 245 ने उक्त आखिरी तारीख तक अपने निदेशक मंडलों में एक भी महिला निदेशक को नहीं नामित किया था |
सेबी में अब अंतिम समय सीमा के लिए एक तारीख और 3 महीने का समय और अगले 30 जून 2015 तक जो कंपनी अपने निदेशक मण्डल में महिला को नहीं नामित कर पाएगी उसे 50,000 रूपये का जुर्माना भरना पड़ेगा | ऐसी कंपनियाँ जो 1 जुलाई से 30 सितम्बर तक महिला नोमिनेश्न नहीं कर पाएगीं उनको प्रतिदिन उपरोक्त अवधि में 1,000 रूपये जुर्माने के तौर पर देना पड़ेगा | 1 अक्टूबर 2015 के बाद जुर्माने के राशि बड़ाकर 1.42 लाख रूपये और 5,000 रुपये प्रतिदिन अधिनियम अवमानना के दंड स्वरूप भरना होगा |
अधिकांश भारतीय कंपनियाँ व्यवहार में समुचित महिला भागीदारी के पक्ष में नहीं
मिंट ने कई वर्तमान महिला निदेशकों का साक्षात्कार लिया – तो एक अत्यंत महत्वपूर्ण तथ्य उभर कर आया कि अब समय आ गया है कि कंपनियों को केवल महिलाओं की भागीदारी के प्रति प्रतिकात्मक झुकाव / नामांकन से आगे बढकर अपने द्वितीय स्तर पर प्रबंधकीय संचालन में और अपने सम्पूर्ण कर्मचारियों की नियुक्तियों के प्रति समानुपाती लिंग दृष्टिकोण रखना चाहिए जिससे की निरंतर बढ़ती शिक्षित लड़कियों को समान भागीदारी / रोजगार के अवसर प्राप्त हों , तभी महिला सशक्तिकरण के उद्देश्य पूरे होंगे |
पल्लवी श्रोफ़्फ़ , जो कि औटोमोबाइल निर्माता मारुति सुजूकी इंडिया लिमिटेड में निदेशक हैं और भारत की सबसे बड़ी लॉं फ़र्म – अमर चंद एंड मंगलदास एंड सुरेश ए श्रोफ एंड को – में भागीदार हैं – मिंट से साक्षात्कार में कहा कि “कंपनियों के मार्गदर्शक मण्डल में महिला निदेशकों का नामित होना तो एक शुरुवात भर है, मुझे पूरी उम्मीद है महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में सेबी के कारण उठाया उक्त कदम केवल प्रतीक बन कर नहीं रह जाएगा” |
लोकप्रिय जी टीवी चैनल पर स्वतंत्र् रूप से कार्यरत महिला निदेशक निहारिका वोरा ने कंपनियों में महिला निदेशकों के चयन के संदर्भ में कहा कि कंपनी बोर्डस में केवल एक महिला का नामित होना सिर्फ प्रतीकात्मक है और कंपनियों को कम से कम दो से तीन तक महिला निदेशकों को नामित करना चाहिए – अगर इससे ज्यादा ना कर सके |
निहारिका वोरा, एक स्वतंत्र निदेशक, ने आगे कहा कि तभी कंपनियों के व्यवहार और चरित्र में एक महत्वपूर्ण सकारात्मक बदलाव परिलक्षित होगा | निहारिका इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट अहमदाबाद में संगठनात्मक व्यवहार विज्ञान की एक प्रोफेसर हैं |
पल्लवी श्रोफ़्फ़ ने भी उक्त बातें दूसरे ढंग से परिभाषित किया और कहा कि कंपनियाँ गहरा आत्म मंथन नहीं कर रही हैं – जिस से कि सच्ची विभिन्नता के समभागी सिद्धांत को प्रश्रय मिले और निदेशक मण्डल लैंगिक आधार पर संभागीदार हों और संतुलित व्यवहार करे | यही कारण है कि कंपनियों के कार्य क्षेत्रों में कुछ जाने पहचाने महिला उद्यमियों / घरेलू स्त्रियों को विभिन्न कंपनियों के निदेशक मंडलों में विशेष रूप से आमंत्रित कर नामित कर लिया जाता है जिस से केवल खाना पूर्ति ही हो पाती है, न कि वह मुख्य उद्देश्य जिसके लिए सेबी ने वाकई में उन्हे निर्देशित किया है |
लेकिन उपरोक्त तथ्यों पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए रेखा सेठी सन फारमास्युटिकल इंडस्ट्रीज़ में निदेशक ने कहा कि वित्तीय क्षेत्र में कार्य कुशल महिलाओं ने कंपनियों के कार्यों में अच्छा प्रदर्शन किया है और पुरषों के मुक़ाबले प्रतिभा को भी प्रकट किया है |
ऐसा भी होता है कि ज्यदातर कंपनिया अपने यहाँ निदेशक मंडल में वित्तीय मामले में कुशल किसी जानकार महिला को चैयनित नहीं करते , इसका कारण यह है की ऐसी महिला को इस निदेशक के पद पर रखने से एकाउंट्स के मामले अनजाने में भी बाहर प्रकट हो गये तो कम्पनी को भारी नुकसान का सामना करना पड़ेगा |
देश में मूलभूत (इंफ्रास्ट्रक्चर , माईनिंग , एनर्जी) ढांचों में महिला का कार्यरत होना आज भी अत्यंत कठिन कार्य है क्योंकि इस क्षेत्र में कार्य करने के लिए उनको बड़े शहरों से दूर और कठिन परिस्थितियों में काम करना पड़ेगा , ऐसा रेखा सेठी ने कहा और उन्होंने आगे भी बताया की कुछ समय की ही बात है की भविष्य में कुछ बहादुर महिलायें इन कठिन मूलभूत ढांचों में कार्य करती नज़र आयें |
वर्तमान में कार्यरत एक महिला निदेशक ने कहा की कंपनियों के निदशक मंडलों में लैंगिक विभन्नता के समन्वित प्रयास कंपनियों के बोर्ड रूम से परे सभी प्रकार के कार्य क्षत्रों में महिलाओं को प्रवेश करना होगा अगर कॉर्पोरेट जगत में समुचित महिला सहभाग के स्तर को भारत बढ़ाना चाहता है | लेकिन यह कार्य सेबी के आदेश जितना आसन नहीं है |
सबसे गहरी समस्या : विभिन्न पुरुष प्रधान्य कार्य क्षेत्रों में से महिलाओं का बहिर्गमन |
जब हम उपरोक्त परिदृश्य में महिलाओं के मीडियम स्तर पर प्रबंधन में भागीधारी और सभी प्रकार के कार्य क्षेत्रों में उनकी भागीधारी को देखतें हैं तो हम पातें हैं की एशिया के देशों में भारत सबसे निचले पायदान पर है |
महिलाओं द्वारा प्रवेश स्तर पर रोजगार में महिलाओं की उपस्थित 29% है लेकिन यह गिरकर 9%, मीडियम स्तर पर से उच्च प्रबंधन स्तर तक अजाति हैं ,ऐसा सलाहकारी फर्म McKinsey ने वर्ष 2012 की रिपोर्ट में प्रकाशित किया |
उपरोक्त रिपोर्ट के अनुसार , भारत में मुख्या कार्यकारी अधिकारी (CEO) के पदों पर 1% महिलाएं कार्यरत हैं – McKinsey |
फाल्गुनी नायर , जो की acc लिमिटेड एक सीमेंट उत्पादन कम्पनी है , में कार्यरत निदेशक हैं - ने कहा की “ मैं भारतीय महिलाओं के कंपनियों में केवल निदेशक मण्डलों में ही नहीं बल्कि मीडियम प्रबंधन में भी हिस्सेदारी चाहती हैं | नायर ने लगभग पिछले दो दशक कोटक इन्वेस्टमेंट बैंक में बितायें हैं और वो एक पर्सनल केयर पोर्टल - Nykaa.com – की संस्थापक और सीईओ हैं | नायर ने इच्छा व्यक्त किया की कम्पनीज अपने निदेशक मंडलों का और विस्तार कर अधिक महिलाओं को भागीधार बनायें |
श्रॉफ ने आगे स्पष्ट किया की भारतीय महिलाएं क्यों प्रवेश स्तर और मिड मैनेजमेंट के बीच में पद – नौकरी छोड देती हैं – इसका मुख्य कारण विवाह परिणाम स्वरुप बाल बच्चों का पालन - पोषण हेतु पद नौकरी त्याग या निकाल दिया जाना | श्रॉफ ने इस समस्या के समाधान स्वरुप यह बताया की प्रत्येक कम्पनी को उन कारणों की गहरी जाँच करना चाहिए जिनके चलते महिलाएं कर्मचारी से निदेशक तक के पद छोड़ देती हैं और उनको यानि की कंपनीज को कुछ ऐसे निवारक उपाए खोजने चाहिए जिससे वो महिलाएं पुनः अपनी नौकरी / पद आदि प्राप्त कर सकें और अपनी योग्यताओं का लाभ पुनः पा सकें | ऐसा कम्पनीज के प्रतेक स्तर पर संभव होना चाहिए |
भारतीय महिलाएं दोहरी जिम्मेदारियां – घर ,नौकरी नहीं उठा पाती हैं , इसका मुख्य कारण भारतीय पुरष अधिकांशतः घरेलू काम से कतराते हैं | ऐसा कई सामजिक अध्यन रिपोर्ट से ज्ञात हुआ है |
श्री राम सुब्रमनियन संस्थापक और प्रबन्ध निदेशक – Ingovern Research Services ने उपरोक्त सन्दर्भ में बताया की कम्पनीज के परिचालन नें महिला भागेदारी प्रतेक स्तर पर टॉप - टू - बॉटम एक आवश्यक जरूरत है अन्यथा महिलाओं का निदेशक मंडलों में क़ानूनी रूप से उनको नामित करने की प्रक्रिया एक कूटनीतिक चाल के रूप में रह जाएगी | कई अध्यनों से यह बात प्रकाश में आई है कि भारत का सकल घरेलू उत्पाद स्त्रियों के कॉर्पोरेट जगत में उच्चतम स्तरों से निम्नतम स्तर तक सक्रिय सहभागिता से काफी बढ़ जाने की उम्मीद है |
विश्व में भारत की महिलाओं की श्रम सहभागिता सबसे कम 35% है, ऐसा McKinsey की रिपोर्ट मैं पहिले उल्लेखित किया जा चुका है | अगर नीचे कार्य स्तर से क्रमिक रूप से उपर बढ़ते हुए मीडियम प्रभंधन स्तर को पार करते हुए ज्यदातर महिलाएं कार्यरत हों तो निदेशक मंडल मैं एक महिला का सेबी के नियमानुसार चयन जरूरी करना बेमानी हो जाएगा –ये विचार निदेशक रेखा सेठी ने व्यक्त किया |
(भंडारी एक इंडियास्पेंड से जुड़े विश्लेषक और पिल्ले मिंट के पत्रकार हैं)
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