मुंबई: मुंबई फायर ब्रिगेड (एमएफबी) हर दिन एक इमारत या उसके कुछ हिस्सों के टूटने से संबंधित कॉल का जवाब देता है, जैसा कि फायर ब्रिगेड डेटा से पता चलता है।

अभी मुंबई में 14,000 से ज्यादा इमारतें हैं, जो 50 साल से अधिक पुरानी हैं और पुराने हो जाने की वजह और रखरखाव की कमी के कारण जिनके ढह जाने का खतरा है। ऐसी ही एक इमारत 16 जुलाई, 2019 को दक्षिणी मुंबई के डोंगरी में गिर गई थी, जिसमें 14 लोग मारे गए और नौ घायल हो गए, जैसा कि हमने 16 जुलाई, 2019 की रिपोर्ट में बताया था।

ऐसी इमारतों की संख्या का अनुमान टैक्स रिकॉर्ड से लगाया जाता है- जो 1969 से पहले की तारीख में बने हैं, रख-रखाव के लिए महाराष्ट्र सरकार को उपकर का भुगतान करते हैं। हालांकि उनकी संख्या में गिरावट (जीर्णोधार, विध्वंस या पतन की वजह से)आई है। 1969 में 19,642 संख्या थी, आज 14,207 की संख्या है।

दशकों पुरानी दरों पर रेंट कंट्रोल एक्ट के तहत उनका किराया रुका हुआ है,मालिक अपने रख-रखाव पर खर्च करने के लिए अनिच्छुक हैं, जैसा कि 17 जुलाई, 2019 की रिपोर्ट में द प्रिंट ने बताया है। जोखिम के बावजूद, निवासी वहां रहना जारी रखते हैं और इसका कारण कम किराया और अक्सर 'पारगमन' आवास (खतरनाक इमारतों को खाली करने के लिए, नगर निगम द्वारा संबंधित द्वारा प्रदान की गई) उपलब्ध नहीं होना है। मुंबई नगर निगम की 2018 की आपदा प्रबंधन योजना ने तब 16,104 इमारतों को कलैप्स के लिए चिह्नित किया था।

दस्तावेज में कहा गया था, "कानूनी बाधाओं के अलावा, धन की कमी ने मुंबई रिपेअर बोर्ड के काम को काफी धीमा कर दिया है। भवन ढहना इसलिए एक नियमित घटना है और पर्याप्त 'पारगमन' आवास के अभाव में और मकान गिरने की स्थिति में आपातकालीन आश्रयों की एक बड़ी आवश्यकता बन जाती है।"

शहर की आबादी घनी, खराब ढंग से नियोजित

मुंबई-शहर और उसके उपनगरीय क्षेत्र - 1.2 करोड़ से अधिक लोगों के लिए घर है। यह ढाका (44,500) के बाद के बाद दुनिया में दूसरा सबसे घनी आबादी वाला शहर (31,700 लोग प्रति वर्ग किलोमीटर) है, जैसा कि वर्ल्ड इकोनोमिक फोरम ने 2017 में रिपोर्ट किया था। इस आबादी का एक बड़ा वर्ग झुग्गियों में रहता है, कुछ अनुमानों के अनुसार 40 फीसदी से ज्यादा।

मुंबई प्राकृतिक और मानव निर्मित आपदाओं से ग्रस्त है, जैसे बाढ़, पेड़ गिरना; स्ट्रक्चरल कलैप्स; भूस्खलन; मलिन बस्तियों, इमारतों, उच्च राइज़, औद्योगिक इकाइयों और परिवहन वाहनों में आग; और यहां तक ​​कि आतंकवादी हमले भी।

विशेषज्ञों का कहना है कि अपनी बढ़ती आबादी को समायोजित करने के लिए शहर के उच्च विकास और गगनचुंबी इमारतों के रूप में ऊर्ध्वाधर विकास...अनुचित योजना और अपर्याप्त सुरक्षा उपायों के साथ हुआ है। पुरानी संरचनाएं पहले से ही कमजोर हैं, जैसा कि हमने बताया है।

मुंबई फायर ब्रिगेड के चीफ फायर ऑफिसर और महाराष्ट्र फायर सर्विसेज के डायरेक्टर, प्रभात राहंगडाले ने इंडियास्पेंड को बताया, "मुंबई एक पुराना शहर है जो एक पुनर्वास चरण में है, जहां पुनर्वसन घटक एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।"

हर दिन पच्चीस आपातकालीन कॉल

पिछले छह वर्षों से 2018-19 तक मुंबई फायर ब्रिगेड को 99,393 आपातकालीन कॉल प्राप्त हुए हैं, जिनमें से 1.8 फीसदी (1,830) घर के ढहने के संबंध में थे, जैसा कि आधिकारिक डेटा से पता चलता है। यह औसत हर साल 300 से अधिक घर ढहने की कॉल है। ये ज्यादातर छोटी दीवारों, इमारतों के हिस्सों, पैरापेट या एक्सटेंशन, पुराने चॉल में लकड़ी के ढांचे और उनके एक्सटेंशन से संबंधित है।

आपातकालीन कॉलों में बचाव की मदद मांगने वाले कॉल्स की संख्या सबसे ज्यादा है - 38,345 या 39 फीसदी और इसमें पक्षियों, जानवरों और मनुष्यों का बचाव शामिल है। इसके बाद फायर कॉल (30 फीसदी या 29,829) और तेल रिसाव या पेड़ गिरने जैसे अन्य सेवाओं (29,056 या 29 फीसदी) के लिए आवश्यकताओं से संबंधित हैं।

शहर का पुराना और नया बुनियादी ढांचा कमजोर

आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2018-19 में आग लगने पर कॉल में 10 फीसदी की वृद्धि हुई है। औसतन, पिछले छह वर्षों में, मुंबई की फायर ब्रिगेड को हर साल लगभग 5,000 फायर कॉल प्राप्त हुए हैं। शॉर्ट-सर्किट सबसे आम कारण था, जैसा कि फायर ब्रिगेड के अधिकारियों ने इंडियास्पेंड को बताया है।

राहंगडाले कहते हैं, “शहर में अब भी ऊंची इमारतों की संख्या सबसे ज्यादा है, आप पुरानी इमारतों और पुराने इन्फ्रास्ट्रक्चर को देख सकते हैं। इन पुरानी इमारतों में वायरिंग पुरानी है और अधिकांश विद्युत पैनल सीढ़ियों से नीचे हैं। ”

इनमें से बहुत सी इमारतों में उचित निकासी की योजना नहीं है। फायर सेफ इंडिया फाउंडेशन में सरकारी मामले के निदेशक और महाराष्ट्र सरकार के पूर्व अग्नि सलाहकार एम. वी. देशमुख बताते हैं, “ज्यादा लोग धुएं के कारण मरते हैं और आग के कारण कम। इसलिए इसे रोकने के लिए आपको एक उचित निकासी योजना और तरीके की आवश्यकता है।”

मुंबई में कई ऊंची इमारतों में एक ही सीढ़ी है, जबकि 15 मीटर से ऊपर की किसी भी इमारत में दो की आवश्यकता होती है। ज्यादातर लोगों को यह पता नहीं है और उनके पास कोई विकल्प नहीं है। जब आप और मैं एक फ्लैट खरीदने जाते हैं तो सबसे पहले हम बजट फिर पार्किंग, जिम, स्विमिंग पूल जैसी सुविधाओं को देखते हैं। लेकिन इमारत सुरक्षित है या नहीं, इस बारे में लोगों को चिंता नहीं होती। ”

“भारी संख्या में झुग्गियां ‘ अपनी प्रकृति में दहनशील’ हैं”, राहंगडेल कहते हैं, "गैस सिलेंडरों के उपयोग और उसमें विस्फोट सबसे अधिक चोटों और मौतों का कारण बनता है।"

असंगत शहर योजना

देशमुख कहते हैं, "शहरों को लंबवत रूप से विकसित करने की अनुमति देकर, हम "अपनी क्षमता से परे उपलब्ध अवसंरचना का दोहन करते हैं। यह सिर्फ आग सेवा के लिए एक चुनौती नहीं है, यह कई अन्य दृष्टिकोणों से भी चुनौती है-जैसे परिवेशी वायु गुणवत्ता प्रबंधन, जल प्रबंधन जल निकासी, सीवेज प्रबंधन, यातायात प्रबंधन।"

मुंबई में 130 से अधिक गगनचुंबी इमारते हैं। इनमें से कुछ की सीमा 100 मीटर (30 मंजिला) से 250 मीटर (70 मंजिला) से अधिक होती है, जबकि फायर ब्रिगेड की सीढ़ी केवल 25-90 मीटर तक होती है, जो केवल 30 मंजिलों तक पहुंचने के लिए पर्याप्त है।

राहंगडेल ने कहा, "अगर कोई 240 मीटर की इमारत या 300 मीटर की इमारत है, तो दुनिया के किसी भी हिस्से में कोई सीढ़ी नहीं है जो उस ऊंचाई तक पहुंच सकती है। आंतरिक प्रणाली जैसे स्प्रिंकलर, स्मोक डिटेक्टर, पंप बिल्डिंग का एक अभिन्न अंग हैं और इसका ठीक से रखरखाव करना पड़ता है।"

महाराष्ट्र अग्नि निवारण अधिनियम, आग की रोकथाम और जीवन सुरक्षा उपायों को प्रदान करने के लिए मालिक या व्यवसायी को जिम्मेदार बनाता है। उन्होंने कहा कि फायर ब्रिगेड की जांच टीम ‘कड़ी कार्रवाई’ करती हैं, लेकिन व्यावहारिक रूप से प्रत्येक भवन की जांच करना असंभव है।

देशमुख कहते हैं, “सुरक्षा कानून नहीं है। यह एक संस्कृति है।” नेशनल बिल्डिंग कोड भवन निर्माण के लिए और इसके लिए सड़कों के उपयोग के लिए कई प्रावधानों की पैरवी करता है; जो 6 से 9 मीटर के बीच है।

उन्होंने आगे बताया, “यदि आप 100-150 मीटर के टॉवर का निर्माण करने जा रहे हैं, तो शायद ही इसके आस-पास कोई जगह हो। जाहिर है कि आप अपनी खुद की धमनियों को बिना बाईपास के रोक रहे हैं। अगर उस इमारत में केवल एक लेन है, तो निश्चित रूप से यह एक खराब योजना है।”

देशमुख ने कहा, “सड़क पर फायर ट्रक और दमकल गाड़ियों को चलाने के लिए छह मीटर पर्याप्त है।लेकिन जब मैं सीढ़ी या फायर ट्रक आर्म, हाइड्रोलिक जैक खोलता हूं, तो इसके लिए 7.5 से 9 मीटर की जगह चाहिए होती है।फिर मुझे बिल्डिंग के अंदर के मोड़ की जरूरत होती है। अगर मैं एक तरफ से प्रवेश करता हूं तो मुझे दूसरी तरफ से बाहर जाना पड़ता है।”

डोंगरी में गिरी इमारत तक पहुंचने वाली सड़क फायर ब्रिगेड और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल द्वारा बचाव अभियान के लिए एक बड़ी बाधा साबित हुई। डोंगरी दक्षिण मुंबई में स्थित है, जिसमें कई पुराने ढांचे और इमारतें हैं, जो 100 साल से अधिक पुरानी हैं।

राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल के महानिदेशक एस. एन. प्रधान कहते हैं, "इमारत (जो ढह गई) एक संकरी गली में है, जो 1.5 से 2 फीट चौड़ी है (एक मीटर से कम), जिसकी वजह से बचाव उपकरण ले जाने वाले एनडीआरएफ के वाहन साइट पर नहीं पहुंच सके।टीम को उपकरण लेकर पैदल जाना पड़ा।"

यातायात और भीड़-भाड़

प्रति किलोमीटर 510 कारों के साथ, मुंबई ने देश में सबसे अधिक और दुनिया के सबसे खराब यातायात प्रवाह की सूचना दी, जैसा कि 2018 ट्रैफिक इंडेक्स में बताया गया है जिसने 56 देशों में 403 शहरों का आकलन किया।

ट्रैफिक देरी से निपटने के लिए, फायर ब्रिगेड ने शहर भर में 17 मिनी फायर स्टेशन स्थापित किए हैं।

राहंगडेल कहते हैं, “डेढ़ साल में, हमने 17 से अधिक मिनी-फायर स्टेशन स्थापित किए। दमकल की गाड़ी बहुत तेजी से आगे बढ़ती है, यह दुर्घटना स्थल तक पहुंच जाती है और बैकअप मुख्य फायर स्टेशन द्वारा दिया जाता है ... यह बहुत सफल है।" उन्होंने आगे बताया कि, अन्य 10-15 मिनी-फायर स्टेशन डेढ़ साल में स्थापित किए जाएंगे।

उन्होंने कहा, "नियंत्रण कक्ष और वाहन अब जीपीएस-सक्षम हैं, जो घटना के स्थान तक पहुंचने के लिए आवश्यक समय और सबसे कम मार्ग का अनुमान लगाने में मदद करता है।"

राहंगडाले ने कहा, अवैध पार्किंग एक और बड़ी बाधा है,जिसे रोकने के लिए फायर ब्रिगेड पहले से ही ट्रैफिक विभाग के साथ काम कर रहा है। जुलाई 2019 में, नगर निगम ने शहर भर में अवैध पार्किंग के लिए जुर्माना बढ़ा दिया है। 5,000 रुपये (दोपहिया वाहनों के लिए) से 15,000 रुपये (भारी वाहनों के लिए)। देर से भुगतान करने पर यह 23,250 रुपये तक जा सकता है।

(मल्लापुर वरिष्ठ विश्लेषक हैं और इंडियास्पेंड के साथ जुड़े हैं।)

यह लेख मूलत: 19 जुलाई 2019 को IndiaSpend.com पर प्रकाशित हुआ है।

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