गोरखपुर में बच्चों की मौत से उत्तर प्रदेश में बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था की खुली पोल, और शहर भी हैं बदनाम
पूर्वी उत्तर प्रदेश का गोरखपुर, ‘बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल’ में लगभग 70 बच्चों की मृत्यु के कारण सुर्खियों में है। स्वास्थ्य मंत्रालय के ‘हेल्थ इनफॉर्मेशन मैनेजमेंट सिस्टम’ (एचआईएमएस) से डेटा के अनुसार, वर्ष 2015-16 में नवजात शिशुओं की अनुमानित 7,659 मृत्यु के आधार पर 75 जिलों में गोरखपुर का स्थान 15वां था।
डेटा से पता चलता है कि उत्तर प्रदेश में इलाहाबाद में सबसे अधिक नवजात शिशुओं की मृत्यु (14,032) दर्ज थी।
नवीनतम उपलब्ध स्वास्थ्य डेटा से पता चलता है कि उत्तर प्रदेश में 64 के साथ नवजात मृत्यु दर (प्रति 1,000 जीवित जन्मों पर एक वर्ष की आयु से पहले एक बच्चे की मृत्यु की संभावना) दर और पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों की 78 की मृत्यु दर (प्रति 1,000 जीवित जन्मों पर पांच वर्ष की आयु से पहले एक बच्चे की मृत्यु की संभावना) भारत में सबसे अधिक है। इस पर अगस्त,2017 में इंडियास्पेंड ने विस्तार से बताया है।
एचआईएमएस नवजात शिशुओं की अनुमानित मृत्यु की गणना निम्नलिखित फॉर्मूला के उपयोग से करता हैः
नवजात शिशुओँ की मृत्यु की अनुमानित संख्या = आईएमआर (नवजात मृत्यु दर) *अनुमानित जीवित जन्म/1000
इस गणना के अनुसार, उत्तर प्रदेश में 2015-16 में नवजात शिशुओँ की अनुमानित मृत्यु 288,230 थी।
एचएमआईएस डेटा से पता चलता है कि इलाहाबाद के बाद सीतापुर (11,642) और हरदोई (10,683) का स्थान है।
उत्तर प्रदेश में बाल मृत्यु दर
Source: Health Management Information Systems
(साल्वे विश्लेषक हैं और इंडियास्पेंड के साथ जुड़ी हैं।)
यह लेख मूलत: अंग्रेजी में 17 अगस्त 2017 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।
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