छत्तीसगढ़ के माओवादी सुरक्षाकर्मियों के लिए ज्यादा खतरनाक हैं?
सुकमा: 212 सीआरपीएफ बटालियन एंटी-लैंडमाइन वाहन का एक नजारा, जिसे 13 मार्च, 2018 को छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में माओवादियों द्वारा उड़ा दिया गया था।
छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में 13 मार्च 2018 को एक माओवादी हमले में नौ केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) जवानों की मौत हो गई है। इसके साथ ही पिछले नौ साल से 2017 तक, माओवादी हमले में मरने वाले सुरक्षाकर्मियों की संख्या 1200 हुई है । इसी अवधि के दौरान जम्मू और कश्मीर के मुकाबले यह संख्या दोगुनी हुई है, जैसा कि गृह मामलों के मंत्रालय के आंकड़ों से पता चलता है।
पिछले नौ वर्षों में वामपंथी उग्रवादियों द्वारा होने वाली घटनाओं (जैसा कि माओवादियों के साथ हिंसक मुठभेड़ आधिकारिक रूप से वर्णित हैं ) में 60 फीसदी की गिरावट हुई है। यह संख्या 2009 में 2,258 से घट कर 2017 तक 908 हुआ है।
ताजा हमले में मारे गए नौ सैनिकों के अलावा, छह घायल हुए थे, जिनमें से चार की हालत गंभीर बताई गई है।
#SpotVisuals from the site of IED blast by Naxals in Kistaram area of #Chhattisgarh's Sukma, 9 CRPF personnel have lost their lives. pic.twitter.com/iN4bQCETHH
— ANI (@ANI) March 13, 2018
#SpotVisuals from the site of IED blast by Naxals in Kistaram area of #Chhattisgarh's Sukma, 9 CRPF personnel have lost their lives. pic.twitter.com/TNBUJh5en6
— ANI (@ANI) March 13, 2018
दो वर्षों के दौरान, नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा बलों की मौत की संख्या में 27 फीसदी की वृद्धि हुई है। यह आंकड़े 2015 में 59 थे , जो बढ़ कर 2017 में 75 हुए हैं।
18 फरवरी, 2018 को, सुकमा जिले में माओवादियों के साथ गोलीबारी में दो सुरक्षा बल के जवान मारे गए और छह घायल हुए थे, जैसा कि ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ ने 18 फरवरी, 2018 की रिपोर्ट में बताया है।
हमले की निंदा करते हुए सोशल मीडिया पर कुछ इस तरह की प्रतिक्रियाएं हुईं:
The Maoist attack in Sukma, Chhattisgarh in which 9 CRPF jawans lost their lives is tragic. It reflects a deteriorating internal security situation due to flawed policies.
My condolences to the families of those killed. To those who have been injured, I wish a speedy recovery.
— Office of RG (@OfficeOfRG) March 13, 2018
My heartfelt condolences to the families of those personnel who lost their lives in Sukma blast. I pray for the speedy recovery of the injured jawans. I spoke to DG @crpfindia regarding the Sukma incident and asked him to leave for Chhattisgarh.
— Rajnath Singh (@rajnathsingh) March 13, 2018
#CRPF has been repeatedly suffering big losses in this area, this means the CRPF authority is not taking remedial action, we should learn from mistakes:SK Sood,Former DG,BSF on Sukma attack pic.twitter.com/yO095OenQA
— ANI (@ANI) March 13, 2018
वामपंथी चरमपंथी हिंसा, 2009-17
एक दशक में पहली बार, 2017 में 1,000 से कम माओवादी घटनाओं की सूचना दर्ज की गई है, जैसा कि ‘द हिंदू’ ने 31 दिसंबर, 2017 की रिपोर्ट में बताया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक इन घटनाओं में गिरावट का कारण "माओवादियों के विभिन्न स्तर के कार्यकर्ताओं का संघर्ष और अन्य कारण माओवादियों की जानबूझकर नजर से हट कर रहना है। ”
सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, इस वर्ष 15 फरवरी, 2018 तक 120 से अधिक घटनाएं दर्ज की गईं, जिसमें नौ सुरक्षा कर्मी और 10 नागरिक मारे गए थे।
पिछले 9 सालों में पुलिस के साथ कम से कम 2,270 मुठभेड़ और बारुदी सुरंग सहित पुलिस पर 1,356 हमलों की सूचना दी गई है।
2016 से पिछले दो वर्षों में, छत्तीसगढ़ में सुरक्षा बलों ने करीब 300 नक्सलियों को मार गिराया है, जैसा कि राज्य के गृह मंत्री रामसेवक पैकरा ने विधानसभा को बताया। इस संबंध में टाइम्स ऑफ इंडिया ने 21 फरवरी, 2018 की रिपोर्ट में बताया है।
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, 2017 में किसी भी अन्य राज्य ( 41 फीसदी ) की तुलना में छत्तीसगढ़ में अधिक घटनाओं (41 फीसदी) और मृत्यु (49 फीसदी) की सूचना दी गई है।
पिछले नौ वर्षों से 2017 तक, जम्मू और कश्मीर में 2,811 आतंकवादी घटनाएं हुईं है और 497 सुरक्षाकर्मी शहीद हुए हैं, जैसा कि गृह मंत्रालय के आंकड़ों से पता चलता है।
पिछले दो वर्षों से 2017 तक जम्मू और कश्मीर में मरने वाले सुरक्षाकर्मियों की संख्या दोगुनी हुई है।
माओवादियों और जम्मू और कश्मीर आतंकवादियों द्वारा मारे गए सुरक्षाकर्मी
पिछले पांच वर्षों में, जम्मू और कश्मीर में आतंकवाद से संबंधित नागरिकों की मृत्यु के लिए वर्ष 2017 सबसे खराब वर्ष रहा है, जैसा कि इंडियास्पेंड ने 14 फरवरी, 2018 की रिपोर्ट में बताया है।
(मल्लापुर विश्लेषक हैं और इंडियास्पेंड और FactChecker के साथ जुड़े हैं।)
यह लेख मूलत: अंग्रेजी में 13 मार्च, 2018 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।
हम फीडबैक का स्वागत करते हैं। हमसे respond@indiaspend.org पर संपर्क किया जा सकता है। हम भाषा और व्याकरण के लिए प्रतिक्रियाओं को संपादित करने का अधिकार रखते हैं।
__________________________________________________________________
"क्या आपको यह लेख पसंद आया ?" Indiaspend.com एक गैर लाभकारी संस्था है, और हम अपने इस जनहित पत्रकारिता प्रयासों की सफलता के लिए आप जैसे पाठकों पर निर्भर करते हैं। कृपया अपना अनुदान दें :