जलवायु परिवर्तन से भारत में बढ़ सकती है भूखे लोगों की संख्या
नई दिल्ली: अंतर्राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा रिपोर्ट पर गौर करें तो वर्ष 2030 तक देश में जलवायु में हो रहे परिवर्तन से कई तरह की फसलों को उगाना मुश्किल हो जाएगा। कृषि उत्पादन कम होगा और भूखे लोगों की संख्या बढ़ेगी।
वाशिंगटन डीसी स्थित कृषि पर काम करने वाले एक वैश्विक मंच ‘इंटरनेश्नल फूड पॉलिसी रिसर्च इन्स्टिटूट’ द्वारा 20 मार्च, 2018 को जारी 2018 ग्लोबल फूड पॉलिसी रिपोर्ट के अनुसार "पहले से ही कमजोर आबादी की खाद्य सुरक्षा पर इसके प्रभाव को देखते हुए, जलवायु परिवर्तन दक्षिण एशिया के लिए सबसे कठिन मुद्दा है।"
रिपोर्ट में कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन से मौसम में तीव्र उतार-चढ़ाव की घटनाओं और बढ़ते तापमान से क्षेत्र में खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए नई चुनौतियां देता है।
भारत के कृषि क्षेत्र पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव के बारे में चिंता भी भारत के 2018 आर्थिक सर्वेक्षण में भी उजागर हुई थी। सर्वेक्षण के मुताबिक, भारत के आधे खेत असिंचित होने के साथ भारत में कृषि विकास दर काफी घट-बढ़ रही है।
2004 और 2016 के बीच, भारत की मुद्रास्फीति-समायोजित कृषि विकास औसतन 3.2 फीसदी था, लेकिन मानक विचलन 2.7 था जबकि चीन के लिए यह आंकड़े 0.7 थे, जहां उन वर्षों में विकास दर 4.4 फीसदी था, जैसा कि सर्वेक्षण में कहा गया है।
सर्वेक्षण में कहा गया है कि तापमान में एक डिग्री-सेल्सियस वृद्धि, खरीफ (सर्दियों) मौसम के दौरान किसानों की आय 6.2 फीसदी कम कर देता है और असिंचित जिलों में रबी मौसम के दौरान 6 फीसदी की कमी करता है।
औसत वर्षा में, हर 100 मिमी की गिरावट के लिए, खरिफ के मौसम में किसानों की आय में 15 फीसदी और रबी के मौसम में 7 फीसदी की गिरावट होती है, जैसा कि सर्वेक्षण में कहा गया है।
सर्वेक्षण में कहा गया है कि 21 वीं सदी के अंत तक भारत में तापमान 3-4 डिग्री सेल्सियस बढ़ने की संभावना है।
तापमान में अत्यधिक बढ़ोतरी और बारिश में गिरावट के कारण खेत आय में 15 से 18 फीसदी का नुकसान होता है, औसतन सिंचित क्षेत्रों में, और 20 से 25 असिंचित क्षेत्र का, औसत कृषि घर के लिए 3,600 रुपए का सालाना योगदान है, जैसा कि सर्वेक्षण में कहा गया है।
अत्यधिक बारिश गंभीर बाढ़ के खतरे को बढ़ाता है। अगर परिस्थितियों को कम करने के लिए कोई प्रयास नहीं किया गया तो 20140 तक इस तरह के बाढ़ का सामना करने वाली भारत की आबादी में छह गुना वृद्धि हो सकती है ( 1971 और 2004 के बीच जोखिम का सामना कर रहे 3.7 मिलियन से बढ़ कर आंकड़े 25 मिलियन लोगों का हो सकता है )। इस संबंध में इंडियास्पेंड ने 10 फरवरी, 2018 की रिपोर्ट में विस्तार से बताया है।
ग्लोबल फूड पॉलिसी रिपोर्ट पर किए गए ट्वीट नीचे दिए गए हैं :
International agri think-tank @IFPRI released Global Food Policy Report 2018, its seventh edition, on March 20, 2018. Follow this thread for highlights (1/13)
— IndiaSpend (@IndiaSpend) March 21, 2018
Foregrounding climate change as most pressing issue for S Asia, the report sees impact on India's agri output, per capita food intake & hungry popn in 2030, 2050 (2/13)
— IndiaSpend (@IndiaSpend) March 21, 2018
India’s agri output seen 7 points lower in 2030--at 1.56X of 2010 level against potential 1.63X without climate change; 15 points lower in 2050 at 2.01X against 2.16X (3/13)
— IndiaSpend (@IndiaSpend) March 21, 2018
Per capita food intake seen 17% lower in 2030--at 2,651 kcal/day against potential 2,697 kcal/day without climate change; 38% lower in 2050 at 2,883 kcal/day against 2,998 kcal/day (4/13)
— IndiaSpend (@IndiaSpend) March 21, 2018
No. of hungry people 22.5% higher in 2030--at 90.5mn against estimated 73.9mn without climate change; 0.2% higher in 2050 at 45mn against 44.9mn (5/13)
— IndiaSpend (@IndiaSpend) March 21, 2018
Indian govt’s agri spending is 6% of country’s agri GDP; China 23.6%, Afghanistan 4.6%, Bangladesh 8%, Bhutan 22%, Maldives 7%, Nepal 6.8%, Pakistan 1.6%, Sri Lanka 10.8% (6/13)
— IndiaSpend (@IndiaSpend) March 21, 2018
Indian govt spends 6% of its total expenditure on agriculture; China 9.3%, Afghanistan 2%, Bangladesh 11%, Bhutan 13%, Maldives 0.74%, Nepal 11%, Pakistan 2%, Sri Lanka 5.7% (7/13)
— IndiaSpend (@IndiaSpend) March 21, 2018
India spends 0.3% of agri GDP ($1,068 mn) on agri research: Nepal 0.28% ($17.8 mn), Bangladesh 0.37% ($78.2 mn), China 0.62% ($5,081.5 mn), Sri Lanka 0.34% ($21.6 mn) (8/13)
— IndiaSpend (@IndiaSpend) March 21, 2018
Indian govt’s per capita spending on agri in 2014 was $16; China $149.6, Afghanistan $8, Bangladesh $11, Bhutan $96, Maldives $19, Nepal $15.5, Pakistan $5, Sri Lanka $21 (9/13)
— IndiaSpend (@IndiaSpend) March 21, 2018
Land productivity in 2014 (production per hectare): India $1,488, Afghanistan $99, Bangladesh $2,648, China $1,058, Nepal $1,514, Pakistan $1,145, Sri Lanka $1,072 (10/13)
— IndiaSpend (@IndiaSpend) March 21, 2018
Labour productivity in 2014 (production per economically active person): India $968, Afghanistan $630, Bangladesh $753, China $2,593, Nepal $530, Pakistan $1,580, Sri Lanka $733 (11/13)
— IndiaSpend (@IndiaSpend) March 21, 2018
Agri total factor productivity--which measures efficiency as ratio of agri output to inputs--in 2010-14: India 2.7, Afghanistan 0.5, Bangladesh 0.7, Bhutan -0.9, China 1.7, Nepal -1.1, Pakistan 0.7, Sri Lanka -2.8 (12/13)
— IndiaSpend (@IndiaSpend) March 21, 2018
India accounted for 31% of growth in global agri total factor productivity in 2011-14, China 42%. You can read the full report here: https://t.co/NOUXkBD9zN (13/13)
— IndiaSpend (@IndiaSpend) March 21, 2018
(विवेक विश्लेषक हैं और इंडियास्पेंड के साथ जुड़े हैं।)
यह लेख मूलत: अंग्रेजी में 22 मार्च, 2018 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।
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