झारखंड की नई विधानसभा में 15 विधायक ‘राजनैतिक विरासत’ वाले हैं
मुंबईः हाल ही में हुए झारखंड चुनाव में परिवारवाद का असर नज़र आया। राज्य की 81 सदस्यों वाली विधानसभा में इस बार जीतकर आए विधायकों में से कम से कम 15 को राजनीति विरासत में मिली है। इंडियास्पेंड के विश्लेषण के मुताबिक़, इनमें बीजेपी के सात, झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के छह, और कांग्रेस के दो विधायक हैं।
झारखंड विधानसभा के लिए चुनाव के नतीजे 23 दिसंबर, 2019 को घोषित किए गए थे और झारखंड मुक्ति मोर्चा-कांग्रेस-राष्ट्रीय जनता दल गठबंधन ने 81 में से 47 सीटों पर जीत हासिल की। सत्ता से बाहर होने वाली बीजेपी ने राज्य की 79 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे और उसे इनमें से 25 सीटों पर जीत मिली।
‘राजनैतिक विरासत’ का मतलब उन परिवारों से है जिनके परिवार के एक से ज़्यादा सदस्य राजनीति में हैं। आंकड़ों में परिवार के अलावा दूसरे रिश्तेदारों को शामिल नहीं किया गया है। इसलिए ये संख्या कम लग सकती है।
हमारे विश्लेषण से पता चलता है कि झारखंड विधानसभा चुनाव में प्रमुख राजनैतिक दलों की ओर से उतारे गए कम से कम 28 उम्मीदवार राजनैतिक परिवारों से थे। इनमें से 15 को जीत हासिल हुई है।
झारखंड विधानसभा चुनाव, 2019 में राजनैतिक विरासत वाले विधायक | ||||
---|---|---|---|---|
Candidate | Political party | Family Member in politics | Relation With Candidate | Constituency |
Jai Prakash Bhai Patel | BJP | Teklal Mahato | Father | Mandhu |
Amit Kumar Mandal | BJP | Raghu Nandan Mandal | Father | Godda |
Pushpa Devi | BJP | Manoj Kumar | Husband | Chattarpur Palamau |
Manish Jaiswal | BJP | Braj Kishor Jaiswal | Father | Hazaribagh |
Alok Kumar Chaurasiya | BJP | Anil Kumar Chaurasiya | Father | Daltonganj |
Bhanu Pratap | BJP | Lal Hemndra Pratap | Father | Bhawanthpur |
Nilkanth Singh Muna | BJP | T Muchirai Munda | Father | Khunti |
Amba Prasad | INC | Yogendra Saw | Father | Barkagaon(Ramgarh) |
Purnima Niraj Singh | INC | Niraj Singh | Husband | Jharia(Dhanbad) |
Sabita Mahato | JMM | Sudhir Mahato | Husband | Ichagarh |
Vikas Kumar Munda | JMM | Ramesh Singh Munda | Father | Tamar |
Joba Majhi | JMM | Devendra Majhi | Husband | Manoharpur |
Hemant Soren | JMM | Shibu Soren | Father | Borhait/Dumka |
Sita Murmur | JMM | Durga Soren | Husband | Jama |
Dinesh Wiliam Marandi | JMM | Simon Marandi | Father | Littipara |
Source: Analysis of Election Commission of India data
राजनैतिक विश्लेषक और सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च में फेलो, राहुल वर्मा ने इंडियास्पेंड को बताया कि चुनाव नतीजों का मतलब राजनैतिक विरासत को मान लेना या उन्हें नकारना नहीं है।
“राज्यों की राजनीति में अक्सर अनुमान से अधिक स्थानीय मुद्दे हावी रहते हैं, दूसरे हिंदी भाषी राज्यों की तुलना में झारखंड में ऐसे विधायकों की संख्या ज़्यादा है जो अपनी सीटें बरकरार रखने में सफ़ल रहते हैं,” अशोका यूनिवर्सिटी में राजनीति विज्ञान विभाग के अध्यक्ष, गिलेस वरनियर्स ने इंडियास्पेंड को बताया। उन्होंने कहा कि बहुत सी सीटों पर किसी एक समूह, जाति या जनजाति का दबदबा होता है, और विरासत वाली राजनीति किसी जाति या समुदाय की वहां की राजनीति पर पकड़ और मज़बूत करती है।
“इस क्षेत्र [विरासत वाली राजनीति] पर शोध से विरासत से जुड़ी राजनीति का क्षेत्र के आर्थिक विकास पर नकारात्मक असर पड़ने का पता चला है। लोकतंत्रों में विरासत में राजनीति मिलना सामान्य है और यह हर जगह होता है, चाहे अमेरिका हो या ब्रिटेन, और भारत इसका अपवाद नहीं है,” राहुल वर्मा ने बताया।
विरासत से राजनीति में आए बीजेपी के 11 में से 7 उम्मीदवार जीते
हमारे विश्लेषण, अशोका यूनिवर्सिटी से जानकारी और नेशनल अलायंस ऑफ पीपल्स मूवमेंट्स, झारखंड की ओर से की गई रिसर्च के अनुसार, बीजेपी के 79 उम्मीदवारों में से कम से कम 11 किसी ना किसी राजनैतिक परिवार से थे। इनमें से सात को जीत मिली है।
“विरासत की राजनीति करने वाले सत्ता में न आएं और क्षेत्र की समृद्धि को कई गुना बढ़ाने को सुनिश्चित करने के लिए ‘कमल’ को वोट दें,” बीजेपी की स्टार प्रचारक और केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री, स्मृति ईरानी ने 8 दिसंबर, 2019 को एक रैली में ये कहा था।
इसी तरह, जेएमएम के 43 उम्मीदवारों में से कम से कम नौ राजनैतिक परिवारों से थे। इनमें से तीन बार के मुख्यमंत्री और पार्टी अध्यक्ष शिबु सोरेन के बेटे हेमंत सोरेन सहित कम से कम छह उम्मीदवार जीतकर आए हैं।
कांग्रेस ने 31 सीटों पर चुनाव लड़ा था और कम से कम तीन राजनैतिक विरासत वाले उम्मीदवार उतारे थे, जिनमें से दो को जीत मिली है।
Source: Analysis of Election Commission of India data
“राजनैतिक विरासत वाले उम्मीदवार उतारने के लिहाज़ से बीजेपी बाकी पार्टियों से बहुत अलग नहीं है। परिवारवाद उम्मीदवार के जीतने की संभावना का केवल एक कारण है और मौक़ा मिलने पर बीजेपी सामान्य उम्मीदवारों की तुलना में किसी राजनैतिक परिवार के व्यक्ति को टिकट देना पसंद करेगी। हालांकि, राजनैतिक परिवारों से आने वाले उम्मीदवारों और विधायकों की कुल संख्या बहुत अधिक नहीं है और इस वजह से इसे एक बहुत बड़ा मुद्दा नहीं बनाया जाना चाहिए,” वरनियर्स ने कहा।
“बीजेपी की ओर से कांग्रेस और गांधी परिवार को निशाना बनाने के लिए ‘वंशवाद’ के मुद्दे का इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि, राजनैतिक परिवारों के नियंत्रण वाले राजनैतिक दलों और परिवार से संबंध वाले उम्मीदवारों के बीच एक अंतर है। बीजेपी और वाम में, पार्टी पर परिवार का नियंत्रण नहीं है, लेकिन उनके पास चुनावों में राजनैतिक परिवार से आने वाले उम्मीदवार हैं। अधिकतर क्षेत्रीय दलों और कांग्रेस में टॉप पर एक राजनैतिक परिवार है,” वर्मा ने कहा।
(पुष्पिता डे, सिंबॉयसिस इंस्टीट्यूट ऑफ मीडिया एंड कम्युनिकेशन की एक ग्रेजुएट स्टूडेंट हैं, वह इंडियास्पेंड के साथ एक इंटर्न हैं।)
ये रिपोर्ट IndiaSpend पर 25 दिसंबर प्रकाशित हुई थी
हम फीडबैक का स्वागत करते हैं। कृपया respond@indiaspend.org पर लिखें। हम भाषा और व्याकरण की शुद्धता के लिए प्रतिक्रियाओं को संपादित करने का अधिकार सुरक्षित रखते हैं।