तमाम समस्याओं के बावजूद बढ़ती बुनयादी सुविधायें: एक सकारात्मक पक्ष
मुंबई के नागरिक आम तौर पर उनके शहर में बढ़ते यातायात, प्रदूषण और अपराध से परेशानी महसूस कर सकते हैं , लेकिन वास्तव में मुंबई ने राष्ट्रीय योजना के तहत -बुनियादी ढांचा परियोजनाओं जैसे एक पहलू में काफी कामयाबी प्राप्त की है ।
मुंबई ने जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीकरण मिशन के तहत केंद्र (जेएनएनयूआरएम) द्वारा वित्तपोषित 2,873.4 करोड़ रुपये की लागत वाली 26 परियोजनाओ में से 13 को पूरा कर लिया है। मुंबई सभी शहरों के बीच प्रयोजनाओ को पूरा करने में चौथे स्थान पर है-बैंगलोर में 38 में से 24 पूरी की गई योजनाओं के साथ यह संख्या सबसे अधिक है ।
मुंबई में पूर्ण की गई परियोजनाओं में शामिल हैं: दक्षिण मुंबई के मालाबार हिल जलाशय से क्रॉस मैदान (3.6 किमी) तक एक भूमिगत सुरंग , मुंबई के लिए मध्य वैतरणा जलापूर्ति परियोजना और मारोशी (दक्षिण मध्य मुंबई अँधेरी से ) रूपारेल कॉलेज ( उत्तर पश्चिम माटुंगा ) तक पानी की आपूर्ति के लिए 12 किलोमीटर लम्बी सुरंग।
जैसा की ज़ाहिर है, यह परियोजनाऐं शहर की कुल आवश्यकता के एक अंश की ही भरपाई कर रही हैं। अनुमानित 18,660 करोड़ रुपये से अधिक लागत वाली कुछ मुख्य परियोजनाओं में , एक नई मेट्रो लाइन और पूर्वी समुद्र तट पर सेवरी से मुख्य भूमि पर नहावा शेवा तक दुसरे सीलिंक का निर्माण शामिल हैं। धनराशि की कमी की वजह से ही इन परियोजनाओं ने कोई प्रगति नहीं की है ।
ग्रेटर मुंबई (मुंबई और उपनगरीय मुंबई) में 12,400,000 की आबादी है, लेकिन मुंबई का शहरी समुदाय ठाणे, पालघर और रायगढ़ के पड़ोसी जिलों तक फैला हुआ है। एक अनुमान के अनुसार वहाँ लगभग 26 लाख लोग रह रहे हैं। इन लोगों को उनके कार्यस्थलों तक जोड़ने के लिए जिस बुनियादी ढांचे की आवश्यकता है उसकी लागत बहुत अधिक हो सकती है ।
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