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दिल्ली में लाल किले के बाहर तस्वीरें लेते विदेशी पर्यटक। 2015 में, विदेशी विषयक अधिनियम, 1946 (जो भारत में अवैध प्रवेश और रहने को रोकने के लिए बनाया गया है) के तहत कम से कम 1,367 विदेशियों को गिरफ्तार किया गया है।

पिछले वर्ष की तुलना में, 2015 में भारत में विदेशियों के अवैध रुप से प्रवेश करने और रहने में 84 फीसदी की वृद्धि हुई है। यह जानकारी राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) द्वारा जारी आंकड़ों में सामने आई है।

एनसीआरबी की रिपोर्ट कहती है कि अवैध नशीले पदार्थों पर कब्जे की तुलना में 70 साल पुराने विदेशी कानून का उल्लंघन करने के मामले में दस गुना अधिक विदेशियों की गिरफ्तारी हुई है।

2015 में, विदेशी विषयक अधिनियम, 1946 (जो भारत में अवैध प्रवेश और रहने को रोकने के लिए बनाया गया है) के तहत कम से कम 1,367 विदेशियों को गिरफ्तार किया गया है।

2015 में दूसरी सबसे अधिक विदेशियों की गिरफ्तारी (143 लोग) पासपोर्ट अधिनियम, 1967 के तहत फर्जी पासपोर्ट और अन्य अपराधों के मामलों में हुई है। इस संबंध में, 2014 के बाद 16 फीसदी की वृद्धि हुई है।

इसके बाद सबसे अधिक गिरफ्तारियां (128 लोग) विदेशियों का अवैध नशीले पदार्थों पर कब्जा होने के मामले में हुई है। इस संबंध में, 2014 की तुलना में 14 फीसदी की वृद्धि हुई है।

2015 में कम से कम 2,057 विदेशियों को गिरफ्तार किया गया और 872 को दोषी करार दिया गया है। गौर हो कि 2014 में 1,843 विदेशियों को गिरफ्तार किया गया और 638 को दोषी करार दिया गया है। 2014 की तुलना में 2015 में 11.6 फीसदी अधिक गिरफ्तारियां और 37 फीसदी अधिक दोषी करार दिया गया है।

इनमें से, 66 फीसदी गिरफ्तारियां और 72 फीसदी अभियुक्तों को विदेशी विषयक अधिनियम, 1946 के तहत दोषी करार दिया गया है।

संज्ञेय अपराध के तहत विदेशियों की गिरफ्तारी, 2015

Source: National Crime Records Bureau

विदेशी विषयक कानून कहता है कि भारत में विदेशियों का प्रवेश और प्रस्थान वहीं होना चाहिए जहां उन्हें अनुमाति दी गई है। यह अधिनियम भारत में, विदेशियों पर नज़र रखने और नियंत्रित सुनिश्चित करने के लिए उनके अवैध प्रवेश और रहने को रोकने के लिए बनाया गया था।

भारत में अपने प्रवास के दौरान, विदेशियों को किसी भी तरह का वैकल्पिक नाम उपयोग करने की अनुमति नहीं है। साथ ही और होटल मालिकों को विदेशी मेहमानों का पासपोर्ट और वीजा की प्रतियां रखनी होती है। अधिनियम के तहत दंड के रुप में पांच साल की जेल और जुर्माने की सजा दी जाती है।

विदेशी विषयक कानून के तहत कम से कम पांच बांग्लादेशियों को मुंबई के पास ठाणे में वैध पासपोर्ट के बिना रहने के संबंध में गिरफ्तार किया गया है, जैसा कि टाइम्स ऑफ इंडिया ने मार्च 2016 की इस रिपोर्ट में बताया है। उन्हें दो साल की जेल और 2,000 रुपए जुर्माने की सजा दी गई है।

मानव तस्करी के शिकार आमतौर पर विदेशी कानून के तहत दर्ज होते हैं, जैसा कि द हिंदू ने सितंबर 2016 की इस रिपोर्ट में बताया है। पिछले चार वर्षों से 2014 तक मानव तस्करी के मामलों में 60 फीसदी की वृद्धि हुई है। इस संबंध में इंडियास्पेंड ने अगस्त 2016 में विस्तार से बताया है।

अधिनियम के तहत वैध वीजा न होने के कारण मई 2016 में उज़्बेकिस्तान की एक महिला को गिरफ्तार किया गया था लेकिन महिला का दावा है कि उसे अपहरण कर भारत लाया गया है।

2015 के अंत तक, विदेशी विषयक कानून के तहत किए गए अपराध के संबंध में कम से कम 2631 विदेशी ट्रायल का इंतज़ार कर रहे है जो कि किसी भी अन्य अपराध से अधिक है।

2015 में, विदेशी विषयक अधिनियम के तहत किए गए अपराध में कम से कम 627 विदेशियों को दोषी करार दिया गया है। यह आंकड़े 2014 की तुलना में 120 फीसदी अधिक है। सजा की दर 92 फीसदी थी, और 56 विदेशियों को बरी करने के साथ 684 ट्रायल पूरे किए गए हैं।

इसके अलावा, विदेशी पंजीकरण अधिनियम के तहत 126 अभियुक्तों को दोषी करार किया गया है जो कि दूसरी सबसे अधिक संख्या है। और 2015 के अंत तक, इस अपराध के लिए केवल 10 फीसदी ट्रायल पूरे हुए हैं और 1,689 विदेशी जमानत पर हैं या हिरासत में हैं।

इसके अलावा, सबसे अधिक अभियुक्तों को दोषी करार फर्जी पासपोर्ट के संबंध में किया गया था: 63 लोगों को दोषी करार दिया गया है, सजा की दर 71 फीसदी थी; 2015 के अंत तक 2,407 विचाराधीन छोड़ते हुए केवल 89 ट्रायल पूरे किए गए हैं।

दवा अपराधों के लिए, सजा दर 44 फीसदी थी। 24 विदेशियों को दवा अपराधों से बरी कर दिया गया था, जबकि 20 को दोषी करार किया गया है।

2015 में, 26 विदेशियों को बलात्कार के मामलों के लिए मुकदमा चलाया गया है। इनमें से 17 मामले 2014 से चल रहे हैं, जिसमें से केवल एक का ट्रायल पूरा हुआ है और अभियुक्त को बरी किया कर दिया गया है। 2015 में बलात्कार मामले का एक भी ट्रायल पूरा नहीं हुआ है।

2015 में, तीन विदेशियों को हत्या का दोषी पाया गया है और साल के अंत तक, इस संबंध में 15 मामले लंबित हैं।

(मुलुनी मल्टीमीडिया पत्रकार है और बर्मिंघम विश्वविद्यालय, ब्रिटेन से बीए (ऑनर्स) की डिग्री प्राप्त की है।)

यह लेख मूलत: अंग्रेज़ी में 21 सितंबर 2016 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।

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