नोटबंदी के बाद से पर्यटकों की संख्या में गिरावट, 5 करोड़ लोगों की जीविका प्रभावित
गोवा का अंजुना बीच : उत्तरी गोवा के इस लोकप्रिय पर्यटन पट्टी पर राजू लखानी का रेस्तरां है। साल के इस समय तक यह रेस्तरां पूरी तरह से भरा होना चाहिए था। लेकिन राजू लखानी का मून स्टार रेस्तरां खाली है और इसी कारण राजू काफी परेशान हैं।
राजू कहते हैं, “हमारे पास ग्राहक नहीं हैं। नोटबंदी से हुई असुविधा के कारण 90 फीसदी पर्यटक वापस जा रहे हैं।”
2.8 फीसदी के आंकड़ों के साथ पिछले साल दुनिया भर की तुलना में भारत में यात्रा और पर्यटन उद्योग में वृद्धि हुई थी। दुनिया भर के लिए ये आंकड़े 2.3 फीसदी थे। यात्रा और पर्यटन उद्योग के लिए वैश्विक मंच ‘विश्व व्यापार और पर्यटन परिषद’ (WTTC) द्वारा वर्ष 2016 की इस रिपोर्ट के अनुसार, देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में यात्रा और पर्यटन का योगदान 6.3 फीसदी रहा है। इसमें प्रत्यक्ष, अप्रत्यक्ष और प्रेरित योगदान शामिल हैं। परिणामस्वरूप वर्ष 2015 में 8.3 करोड़ लाख रुपए का योगदान रहा।
पर्यटन मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, पर्यटन भी एक श्रम प्रधान क्षेत्र है और हर दस लाख रुपए के निवेश पर 78 नौकरियों का सृजन करता है। समान निवेश पर कृषि क्षेत्र 45 नौकरियां और उत्पादन का क्षेत्र केवल 18 नौकरियों का सृजन करता है।
वर्ष 2009 के बाद से रोजगार में पर्यटन की हिस्सेदारी भारत के 50 करोड़ श्रमिकों के कार्यबल के साथ हमेशा 10 फीसदी से ऊपर रहा है। इसका मतलब हुआ कि इस क्षेत्र में करीब 5 करोड़ लोगों को रोजगार मिलता है। यह संख्या कोलम्बिया की आबादी से ज्यादा है।
पर्यटन क्षेत्र भारत के कामगारों में से 10 फीसदी को देता है रोजगार, जीडीपी में 6.8 फीसदी की हिस्सेदारी
Source: Ministry of Tourism
पर्यटक के तीन संकट: नकदी की कमी, लंबी कतारें, विनिमय की सीमा
पर्यटन मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2015 में, भारत की यात्रा करने वाले विदेशी पर्यटकों की संख्या 80 लाख थी और देश को करीब 1.35 लाख करोड़ रुपए विदेशी मुद्रा आई थी। वर्ष 2014 की तुलना में ये आंकड़े 9.6 फीसदी ज्यादा हैं।
लेकिन अगर राजू लखानी की तरह पर्यटन उद्यमियों का व्यापार नीचे गिरना शुरु होता है तो ये आंकड़े बदल सकते हैं।
नोटबंदी के बाद के हफ्तों में पर्यटकों को होने वाली असुविधाओं की सूचना मिली थी। केरल और कर्नाटक में होने वाली बुकिंग में भी तेजी से गिरावट हुई है।
Source: Tourism Statistics, Annual Report 2015-16, Ministry of Tourism
विल किंग और हलम बेकर-हावर्ड, दोनों ब्रिटेन के नागरिक हैं। दोनों की उम्र 20 के आस-पास है। 28 नवंबर, 2016 को दोनों मुबंई आए हैं ।यानी नोटबंदी लागू होने के 20 दिन बाद। इन दोनों को नकद की कमी का सामना करना पड़ रहा है।
किंग कहते हैं, “भारत आने के बाद तीन दिनों तक हम हर एटीएम तक गए, लेकिन हर जगह लंबी कतारें थी। 45 मिनट इंतजार के बाद एटीएम तक पहुंचे भी लेकिन तब तक उसमें कैश खतम हो चुका था।”
ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा सहित कई देशों की सरकारों ने भारत में होने वाले पैसों की मुश्किलों के संबंध में अपने नागरिकों के लिए यात्रा परामर्श जारी किया है।
बेकर-हावर्ड कहते हैं, “हमें केवल एटीएम के बार ही कतारों में लंबा इंतजार नहीं करना पड़ता है, बल्कि मुझे प्रत्येक लेनदेन के लिए करीब 120 रुपए (1.5 ब्रिटिश पाउंड) का शुल्क देना पड़ता है। मैं एकमुश्त बड़ी रकम निकाल सकता था, लेकिन यही मुझे हर रोज करना पड़ता है जिससे बिना किसी कारण के मेरे काफी पैसे खर्च हो रहे हैं।”
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने कहा है कि 30 दिसंबर, 2016 तक ग्राहकों को एटीएम चार्ज से छूट दी जाएगी, लेकिन यह बेकर-हावर्ड जैसे विदेशी बैंक खाता धारकों पर यह लागू नहीं होता।
गोवा का अंजुना बीच। हर साल इस समय तक यह पूरा पर्यटकों से भरा होता है, लेकिन इस साल नोटबंदी के कारण पर्यटकों की संख्या में भारी कमी हुई है।
नोटबंदी का असर केवल आने वाले पर्यटकों पर ही नहीं पड़ा है, बल्कि बाहर जाने वाले भारतीयों पर भी हुआ है, जैसा कि स्क्रॉल ने 2 दिसंबर, 2016 की रिपोर्ट में बताया है। बाहर जाने वाले भी विदेशी मुद्रा में 2,000 रुपए से ज्यादा निकालने में असमर्थ थे जो कि पर्याप्त नहीं है।
भारतीय रिजर्व बैंक के नियमों में यह भी घोषणा की गई है कि 15 दिसंबर 2016 तक विदेशी पर्यटक एक सप्ताह में केवल 5000 रुपए तक मुद्रा विनिमय करा सकते हैं। हालांकि, इस कदम से पहले, विदेशी पासपोर्ट धारक 3,000 डॉलर (200,000 रुपये) तक का विनिमय करने में सक्षम थे। इसका मतबल हुआ कि विदेशी पर्यटक नोटबंदी के बाद पहले की तुलना में 2.5 फीसदी ही विनिमय कर सकते हैं।
विदेशी मुद्रा को बदलने के लिए पर्यटकों को विदेशी मुद्रा में एक 'प्री-पेड साधन' का उपयोग करने की अनुमति दी गई है। लेकिन यह उनके लिए सहायक नहीं हैं, जिनके पास विदेशी मुद्राएं समाप्त हो गई हैं। नोटबंदी के बाद देश छोड़ने वाले पर्यटक अपनी मुद्रा में 5,000 रुपए से ज्यादा बदलवाने में असमर्थ रहे हैं। हालांकि, नकदीकरण के लिए औसत मांग 20,400 रुपए है।
यात्री खर्च करने को तैयार है, लेकिन कहां हैं छुट्टे?
आमतौर पर बुधवार को अंजुना बीच के सड़कों पर बाजार लगता है। यहां कपड़े से लेकर हस्तशिल्प, आभूषण, मसाले, कलाकृतियां, और भोजन तक सारी चीजे मिलती हैं। इन्हें खरीदने वालों की भीड़ भी काफी होती है। लेकिन 14 दिसंबर, 2016 को यह पूरा बाजार सुनसान पड़ा है।
बाजार की सड़के सुनी पड़ी हैं। यात्री नकद खर्च नहीं करना चाहते हैं। नोटबंदी का असर इन दुकानों पर पड़ा है।
अब्दुल कयूम और अहमद भट ग्राहकों के इंतज़ार में अपने ए-जेड हस्तशिल्प के बाहर बैठे हैं। कार्ड से भुगतान स्वीकार कर पाने के लिए उन्होंने स्वाईप मशीन का आवेदन दे दिया है। हालांकि, निवास स्थान का प्रमाण न हो पाने के कारण उनके अनुरोध को बार-बार अस्वीकार किया जा रहा है। वर्ष 2010 में पर्यटन मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, करीब 35 फीसदी पर्यटक सिर्फ घूमने के लिए भारत आते हैं।
यात्रा के उदेश्य अनुसार विदेशी पर्यटक
Source: Ministry of Tourism
कयूम कहते हैं, “लोग यहां अपने पैसे खर्च करने आते हैं, लेकिन अपने ही पैसों तक उनकी पहुंच नहीं है। यह हास्यास्पद है।”
अस्थायी दुकानदार मुख्य मौसम के दौरान ज्यादातर दुकान बनाते हैं और नकद में ही कार्य करते हैं। हालांकि अब काफी जगह स्वाईप मशीनों के लिए दुकानदारों ने आवेदन दिया है। लेकिन अभी इसके चलन में वक्त लगेगा।
विदेशी मुद्रा आय, 1991-2015
Source: Tourism Statistics, Annual Report 2015-16, Ministry of Tourism
(पाटिल विश्लेषक हैं और इंडियास्पेंड के साथ जुड़ी हैं।)
यह लेख मूलत: अंग्रेजी में 23 दिसंबर 2016 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।
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