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प्रधानमंत्री, नरेंद्र मोदी द्वारा 500 रुपए और 1,000 रुपए के नोटों की विमुद्रीकरण की घोषणा के बाद 10 दिनों के दौरान (18 नवंबर, 2016 तक) बैंकों से की गई निकासी की तुलना में जमा राशि पांच गुना अधिक हुई है।

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा हाल ही में जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, 10 नवंबर से 18 के बीच 5,44,571 करोड़ रुपए (80 बिलियन डॉलर) राशि के अमान्य नोट (500 या 1,000 नोट) बदले या जमा किए गए हैं।

33,006 करोड़ रुपए (4.85 बिलियन डॉलर) राशि के अमान्य नोट बदले गए हैं जबकि 5,11,565 करोड़ रुपए (75 बिलियन डॉलर) जमा किए गए हैं।

इसी अवधि के दौरान, बैंकों ने आरबीआई को खाता धारकों द्वारा 1,03,316 करोड़ रुपए निकासी करने की रिपोर्ट भी की है।

प्रधानमंत्री ने एक ही झटके में 14 लाख करोड़ रुपए (217 बिलियन डॉलर) से अधिक मूल्य की मुद्राओं को अवैध कर दिया है। इस संबंध में इंडियास्पेंड ने 8 नवंबर, 2016 को विस्तार से बतायाहै।

सरकार का कहना है कि इस कदम से काले या बेहिसाब धन को बाहर निकलवाने, आतंकवाद के वित्त पोषण और नकली मुद्रा पर रोक लगाने में मदद मिलेगी। लेकिन सरकार के इस कदम से उन लाखों आम भारतीयों पर भी प्रभाव पड़ा है जिनके पास काला धन को नहीं है लेकिन उनका कारोबार नगदी पर ही चलता है। देश भर में, विशेष रुप से ग्रामीण क्षेत्रों में एटीएम मशीनों और बैंकों पर रुपए बदलने और जमा कराने के लिए लंबी कतारें देखने मिल रही हैं।

भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, तीन वर्षों के दौरान 500 रुपए और 1,000 रुपए के मूल्यवर्ग में मुद्राओं की 50 फीसदी की वृद्धि हुई है, जैसा कि इंडियास्पेंड ने 12 नवंबर, 2016 को बताया है।

रिजर्व बैंक के आंकड़ों से पता चलता है कि तीन वर्षों के दौरान (2013 से 2016) बैंकों में लोगों द्वारा जमा कराए गए राशि की तुलना में लोगों के साथ की मुद्राओं में वृद्धि हुई है। 2007 में लगभग बराबर होने से, इन वर्षों में बैंकों में जमा कराने की तुलना में भारतीयों के साथ मुद्राएं 50 फीसदी अधिक थी। इस संबंध में भी इंडियास्पेंड ने 12 नवंबर, 2016 को विस्तार से बताया है।

आप वीडियो यहां भी देख सकते हैं:

1)भारतीय अर्थव्यवस्था को विमुद्रीकरण कैसे प्रभावित करता है?

क्या इस कदम से काले धन पर रोक लग पाएगा? कौन से कारोबार सबसे प्रभावित होंगे? इस कदम से भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले प्रभाव के संबंध में इंडियास्पेंड के संस्थापक, पत्रकार, ब्लूमबर्ग टीवी इंडिया के संस्थापक-संपादक गोविंद इतिराज से बात की है।

2)विमुद्रीकरण: संभावनाएं और खतरा

कितनी जल्दी भारतीय रिजर्व बैंक मुद्राए प्रिंट कर सकते हैं? क्या यह अभ्यास वास्तव में विमुद्रीकरण है? एक आम भारतीय के लिए बैंक की पहुंच कैसी है? इंडियास्पेंड ने आईडीएफसी संस्थान में सीनियर फेलो प्रवीण चक्रवर्ती से बात की है।

यह लेख मूलत: अंग्रेजी में 21 नवम्बर 2016 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।

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