पुरुषों की तुलना में काम के लिए महिलाओं में प्रवास की दर दोगुनी
वर्ष 2001 से 2011 के बीच काम और शिक्षा के लिए अपने घर से दूर प्रवास करने वाली महिलाओं की संख्या पुरुषों के तुलना में ज्यादा है। यह जानकारी जनगणना के आंकड़ों पर इंडियास्पेंड द्वारा किए गए विश्लेषण में सामने आई है।
इसी अवधि के दौरान, काम के लिए प्रवास करने वाली महिलाओं का प्रतिशत 101 फीसदी रहा है। यह आंकड़े पुरुषों के आंकड़ों की तुलना में दोगुना है। हम बता दें कि इस संबंध में पुरुषों के लिए आंकड़े 48.7 फीसदी रहे हैं। इसके अलावा, 2001 से 2011 के बीच, व्यापार को प्रवास का कारण बताने वाली महिलाओं की संख्या में 153 फीसदी की वृद्धि हुई है। यह आंकड़े पुरुषों के 35 फीसदी से करीब चार गुना ज्यादा हैं।
महिलाओं के प्रवास का अब भी मुख्य कारण विवाह ही है। वर्ष 2011 की जनगणना में विवाह के लिए प्रवास करने वाली भारतीय महिलाओं का प्रतिशत 97 है। इस संबंध में इंडियास्पेंड ने 15 दिसंबर, 2016 को रिपोर्ट किया है। ये आंकड़े वर्ष 2016 की तुलना में मामूली रुप से ही कम हैं। वर्ष 2016 की जनगणना में यह 98.6 फीसदी दर्ज की गई है।
हालांकि, जानकारों का मानना है कि महिलाएं प्रवास के बाद भी काम करती हैं, भले ही उनके प्रवास का कारण विवाह ही रहा हो। ‘लंदन ओवरसीज डेवलप्मेंट इन्स्टटूट’ की प्रिया डेसिंगकर और शाहीन अख्तर ने अप्रैल, 2009 एनडीपी के पेपर में लिखा है कि, “ सर्वेक्षण में महिला प्रवास के कारणों पर विस्तार से चर्चा नहीं हो पाई है। सर्वेक्षण में प्रवास के लिए केवल एक कारण पूछा गया है। आम तौर पर इसका कारण शादी बताया जाता है और संभव है कि काम करने के लिए प्रवास जैसे दूसरे कारणों पर ध्यान न दिया गया हो। ”
वर्ष 2017 के जनवरी में आवास और शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्रालय की प्रवासन पर रिपोर्ट को दुहराते हुए डेसिंगकर और अख्तर कहती हैं, “कई महिलाओं को जो शादी के लिए प्रवास करती हैं, वे श्रम शक्ति में शामिल होती हैं। ”
वर्ष 2001 और 2011 जनगणना के बीच, शिक्षा के लिए प्रवास करने वाले पुरुषों की संख्या में 101 फीसदी की वृद्धि हुई है। हम बता दें कि इस संबंध में महिलाओं के लिए आंकड़े 229 फीसदी हैं।
प्रवास के कारण
काम के लिए प्रवासन का परिणाम आमतौर पर गरीबी से राहत दिलाता है, भले ही भारत के महानगरों में जीवन कठिन होता है। इस संबंध में इंडियास्पेंड ने 13 जून, 2016 को विस्तार से बताया है। रिपोर्ट में उदाहरण देकर बताया गया है कि कैसे महाराष्ट्र के सूखा-पीड़ित मराठवाड़ा क्षेत्र का आदमी जब मुंबई का प्रवासी होता है तो उसकी आमदनी में अस्थायी रूप से तीन गुनी बढ़ोतरी हो जाती है।
‘इंस्टीट्यूट फॉर ह्यूमन डेवलपमेंट’ में अमृता दत्ता द्वारा 1994-2000 और 2011 में बिहार में 904 परिवारों के दो-साप्ताहिक सर्वेक्षण से पता चलता है कि वर्ष 2011 में प्रवासियों के साथ औसत परिवारों की कमाई 11,000 रुपए थी, जो कि बिना प्रवासी के साथ परिवारों से ज्यादा है, जैसा कि समाचार पत्र ‘द मिंट’ ने 4 अगस्त, 2016 की रिपोर्ट में बताया है। यह अध्ययन 30 जुलाई, 2016 को ‘इकोनोमिक एंड पालिटिकल वीकली’ में प्रकाशित हुआ है।
प्रवास का मुख्य कारण विवाह
पिछले 11 वर्षों से वर्ष 2011 तक, विवाह के लिए प्रवास करने वाले पुरुषों की संख्या में 176.6 फीसदी की वृद्धि हई है। ये आंकड़े इसी तरह के कारणों के लिए प्रवास करने वाली महिलाओं की वृद्धि दर से चार गुना अधिक है। हम बता दें कि इस संबंध में महिलाओं के लिए आंकड़े 41.5 फीसदी रहे हैं।
दो जनगणना के बीच, प्रवास का मुख्य कारण विवाह रहा है। इन दरों में मामूली गिरावट हुई है। 2001 में यह दर 50 फीसदी थी, जबकि 2011 में 49.35 फीसदी हुए हैं।
वर्ष 2001-11 में, जन्म के बाद या गृहस्थी के साथ प्रवास होने वाले पुरुषों की संख्या में वृद्धि महिलाओं की तुलना में थोड़ी तेज गति से हुई है।पहले कारण के लिए पुरुषों में 207 फीसदी और महिलाओं में 74 फीसदी और बाद के कारण के लिए पुरुषों में 199 फीसदी और महिलाओं में 54 फीसदी।
2001-11 में महिलाओं और पुरुषों में अन्य कारणों से प्रवास की सूचना देने वालों की संख्या में गिरावट हुई है। लेकिन पुरुषों में यह गिरावट 15 फीसदी है और महिलाओं में 17.5 फीसदी। जाहिर है महिलाओं में यह गिरावट ज्यादा देखी गई।
(विवेक विश्लेषक हैं और इंडियास्पेंड के साथ जुड़े हैं।)
यह लेख मूलत: अंग्रेजी में 25 जुलाई 17 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।
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