प्रथम चरण के उम्मीदवारों में से 32 फीसदी करोड़पति, 49फीसदी ग्रैजुएट, 17फीसदी आपराधिक आरोपों का कर रहे हैं सामना।
मुंबई: लोकसभा चुनाव के पहले चरण में लड़ने वाले उम्मीदवारों में से, 213 (17 फीसदी) ने घोषणा की है कि वे आपराधिक मामलों का सामना कर रहे हैं, जिनमें से 146 (12 फीसदी) पर गंभीर आरोप हैं, जैसा कि ‘एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स’ (एडीआर) द्वारा उम्मीदवारों के हलफनामों के विश्लेषण से पता चलता है।
1,266 उम्मीदवारों, जिनके हलफनामों का अध्ययन किया गया था, उनमें से करीब एक तिहाई (32 फीसदी) या 401 ने घोषणा की है कि उनके पास 1 करोड़ रुपये या उससे अधिक की संपत्ति है। प्रमुख दलों में, तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) और तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) में करोड़पति उम्मीदवारों की संख्या (टीडीपी से 25 और टीआरएस से 17) उल्लेखनीय है।
सभी उम्मीदवारों में से लगभग आधे ने घोषित किया है कि उनके पास ग्रैजुएशन की डिग्री या उससे ऊपर है। 1.5 फीसदी ने घोषित किया है कि वे सिर्फ साक्षर हैं। 5.2 फीसदी ने बताया है कि वे निरक्षर हैं। लगभग एक तिहाई उम्मीदवार 25 से 40 वर्ष की आयु के हैं, जबकि आधे से अधिक 41 से 60 वर्ष के बीच के हैं। 11 अप्रैल, 2019 को पहले चरण का मतदान शुरू हुआ। एडीआर ने 1,279 उम्मीदवारों में से 1,266 के हलफनामों का अध्ययन किया, जो इस चरण के दौरान चुनाव लड़ रहे थे।
13 उम्मीदवारों के हलफनामों का विश्लेषण नहीं किया गया, क्योंकि वे ठीक से स्कैन नहीं किए गए थे या अधूरे थे।
चुनाव लड़ने के लिए नामांकन पत्र दाखिल करने वाले उम्मीदवारों को एक शपथ पत्र (फॉर्म 26) प्रस्तुत करना होता है, जिसमें पैन और आयकर रिटर्न के प्रमाण के साथ व्यक्तिगत विवरण और आय और संपत्ति का विवरण शामिल होता है। एक उम्मीदवार को ऐसे किसी भी आपराधिक मामलों के विवरण को भी सूचीबद्ध करना होता है, जिनका उन पर आरोप लगा हो। यदि किसी उम्मीदवार को गलत हलफनामा देते पाया जाता है, तो उसे छह महीने तक की कैद और या जुर्माना या जुर्माना और सजा दोनों हो सकती है।
17 वीं लोकसभा चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों द्वारा दायर हलफनामे सार्वजनिक रूप से चुनाव आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध हैं।
आपराधिक मुकदमें
गंभीर आपराधिक आरोपों का सामना कर रहे 146 उम्मीदवारों में से 12 ने घोषणा की है कि उन्हें अतीत में दोषी ठहराया गया है। दोषी ठहराए गए व्यक्तियों को सजा की तारीख से छह साल तक चुनाव लड़ने से वंचित किया जाता है, लेकिन तभी अगर उन्हें दो साल या उससे अधिक की कैद की सजा सुनाई गई हो।
कांग्रेस के उम्मीदवारों में से, 27 फीसदी (83 में से 22) गंभीर आपराधिक आरोपों का सामना कर रहे हैं, बीजेपी के 19 फीसदी (83 में से 16), बहुजन समाज पार्टी के 13 फीसदी (32 में से 4), वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के 40 फीसदी ( 25 में से 10), टीडीपी के 8 फीसदी (25 में से 2) और टी.आर.एस. के 18 फीसदी (17 में से 3 ) गंभीर आरोपों का सामना कर रहे हैं।
एडीआर के विश्लेषण के अनुसार 10 ने घोषणा की है कि वे हत्या से संबंधित मामलों का सामना कर रहे हैं। 25 ने हत्या के प्रयास से संबंधित मामले बताए, चार अपहरण के मामले में आरोपी हैं।16 के खिलाफ महिलाओं से जुड़े अपराध का आरोप है और 12 के खिलाफ घृणास्पद भाषण से संबंधित आरोप हैं। प्रमुख दलों में, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के 36 फीसदी ( 83 में से 30) और बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) के 25 फीसदी (32 में से 8) उम्मीदवारों की तुलना में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (कांग्रेस) के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले 42 फीसदी (83 में से 35) उम्मीदवारों ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले घोषित किए हैं। 16 वीं लोकसभा के सांसदों में से आपराधिक आरोपों का सामना करने वाले 55 फीसदी लोग बीजेपी से थे, जैसा कि इंडियास्पेंड ने 30 मार्च, 2019 की रिपोर्ट में बताया है।
आपराधिक आरोपों का सामना करने वाले उम्मीदवारों का उच्चतम अनुपात वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) से है, जो आंध्र प्रदेश से चुनाव लड़ रही है, जिनके 52 फीसदी उम्मीदवारों ( 25 में से 13) पर आपराधिक आरोप है।
दक्षिण भारत में स्थित अन्य दलों में, 16 फीसदी टीडीपी उम्मीदवारों (25 में से 4) और 29 फीसदी टीआरएस उम्मीदवारों (17 में से 5) ने खुद के उपर के आपराधिक आरोप घोषित किए हैं।
आपराधिक आरोपों के अनुसार, लोकसभा चुनाव के पहले चरण के उम्मीदवार
पहले चरण के दौरान मतदान होने वाले 91 निर्वाचन क्षेत्रों में से कम से कम 37 में आपराधिक आरोपों का सामना करने वाले तीन या अधिक उम्मीदवार हैं। आपराधिक मामलों का सामना करने वाले आठ उम्मीदवार आंध्र प्रदेश के नंदयाल निर्वाचन क्षेत्र से, सात तेलंगाना के निजामाबाद निर्वाचन क्षेत्र से और छह आंध्र प्रदेश के नरसापुरम निर्वाचन क्षेत्र और तेलंगाना के खम्मम निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे हैं।
1 करोड़ या उससे अधिक की संपत्ति
एक तिहाई उम्मीदवारों ने 1 करोड़ रुपये या उससे अधिक की संपत्ति घोषित की है, जैसा कि हमने पहले कहा है। प्रमुख दलों में, कांग्रेस के 83 उम्मीदवारों में से 69 (83 फीसदी), बीजेपी के 83 उम्मीदवारों में से 65 (78 फीसदी), बसपा के 32 उम्मीदवारों में से 15 (47 फीसदी), वाईएसआर कांग्रेस के 25 उम्मीदवारों में से 22 (88 पीसदी) ने 1 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति घोषित की है।
करोडपति उम्मीदवारों में से शीर्ष तीन राज्य आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश हैं- आंध्र प्रदेश के 132 (42 फीसदी) उम्मीदवार, तेलंगाना के 77 (18 फीसदी) उम्मीदवार और उत्तर प्रदेश के 39 (41 फीसदी) उम्मीदवार हैं जिनके पास 1 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति है।
उम्मीदवार जो करोड़पति हैं...
जबकि सभी प्रथम-चरण के उम्मीदवारों में से एक-तिहाई ने पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान 1 करोड़ रुपये या उससे अधिक की संपत्ति की घोषणा की है, संपत्ति के मामले में तीन सबसे अमीर उम्मीदवार कांग्रेस के कोंडा विश्वेश्वर रेड्डी हैं, जो तेलंगाना के चेवेलला निर्वाचन क्षेत्र से हैं, जिनकी कुल संपत्ति 895 करोड़ रुपये से अधिक है। आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा निर्वाचन क्षेत्र से वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के प्रसाद वीरा पोटलुरी जिनकी कुल संपत्ति 347 करोड़ रुपये से अधिक है और आंध्र प्रदेश के नरसापुरम निर्वाचन क्षेत्र से कानुमुरु राजू, जो टीडीपी छोड़ने के बाद मार्च में वाईएसआर कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए, जिनके पास कुल 325 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति है।
निजी संपत्ति अनुसार लोकसभा चुनाव के पहले चरण के उम्मीदवार
पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान सबसे अधिक घोषित आय वाले शीर्ष तीन उम्मीदवार भी आंध्र प्रदेश और तेलंगाना से हैं। टीडीपी से जयदेव गल्ला और बीदा मस्तान राव की आय क्रमश: 40 करोड़ रुपये और 33 करोड़ रुपये से अधिक है। गल्ला ने व्यवसाय, कृषि, संसद से वेतन, निवेश और किराया को अपनी आय के स्रोतों के रूप में उल्लेख किया है। जबकि राव ने आय का स्रोत व्यपार, किराया, एक व्यापार समूह (बीएमएस समूह) से पारिश्रमिक, झींगा खेती और निर्यात, बैंक ब्याज और राज्य सरकार से पेंशन बताया है। टीआरएस के गद्दाम रंजीथ रेड्डी की आय 16 करोड़ रुपये से अधिक है, जो उन्होंने कहा कि वेतन, किराया, व्यवसाय और कृषि से प्राप्त होता है। पार्टी-वार औसत संपत्ति का स्वामित्व वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के 25 उम्मीदवारों के लिए 62.94 करोड़ रुपये ($ 9.1 मिलियन) पर उच्चतम है। इसके बाद 25.77 करोड़ ($ 8.3 मिलियन) की औसत संपत्ति वाले 25 टीडीपी उम्मीदवारों का स्थान है, टीआरएस के 17 उम्मीदवारों की औसत संपत्ति 45.87 करोड़ रुपये (6.6 मिलियन डॉलर) है।
कांग्रेस और बीजेपी के प्रत्येक 83 उम्मीदवारों के लिए, औसत संपत्ति क्रमशः 21.93 करोड़ रुपये ($ 3.1 मिलियन) और 14.56 करोड़ रुपये ($ 2.1 मिलियन) है।
23 उम्मीदवार ऐसे हैं, जिन्होंने कोई संपत्ति घोषित नहीं की है। जिस उम्मीदवार ने सबसे कम संपत्ति (शून्य संपत्ति के उम्मीदवारों को छोड़कर) घोषित की है, वे हैं तेलंगाना के चेवेलला निर्वाचन क्षेत्र से प्रेम जनता दल (अपंजीकृत) के नल्ला प्रेम कुमार, जिन्होंने 500 रुपये का बैंक बैलेंस घोषित किया है।
ओडिशा के कोरापुट निर्वाचन क्षेत्र से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) के राजेंद्र केंद्रुका ने 565 रुपये और तेलंगाना के निजामाबाद निर्वाचन क्षेत्र से निर्दलीय उम्मीदवार अलकुन्ता राजन्ना ने 1,000 रुपये की घोषणा की है।
शैक्षिणिक योग्यता
1,266 उम्मीदवारों में से, 526 (42 फीसदी) ने अपनी शैक्षिक योग्यता 5 वीं और 12 वीं कक्षा के बीच होने की घोषणा की है, जबकि 619 (49 फीसदी) उम्मीदवारों के पास ग्रैजुएशन की डिग्री या उससे ऊपर है। बीजेपी द्वारा मैदान में उतारे गए पांच उम्मीदवारों के पास डॉक्टरेट की डिग्री है, जबकि कांग्रेस के पास ऐसे तीन उम्मीदवार हैं।
दूसरी ओर, 19 (1.5 फीसदी) उम्मीदवारों ने घोषित किया कि वे सिर्फ साक्षर हैं और 66 (5.2 फीसदी) ने बताया है कि वे निरक्षर हैं।
शैक्षित योग्यता अनुसार लोकसभा चुनाव के पहले चरण के उम्मीदवार
आयु वर्ग
एडीआर द्वारा विश्लेषण किए गए हलफनामों के अनुसार लगभग एक तिहाई (32 फीसदी) या 1,266 उम्मीदवारों में से 411 की उम्र 25 से 40 वर्ष के बीच में हैं, जबकि आधे से अधिक यानी 671(53फीसदी) 41-60 वर्ष आयु वर्ग में हैं।
आयु वर्ग अनुसार लोकसभा चुनाव के पहले चरण के उम्मीदवार
वहीं, 172 (14 फीसदी) उम्मीदवारों ने अपनी उम्र 61-80 साल घोषित की है, जबकि दो उम्मीदवार 80 वर्ष से अधिक उम्र के हैं।
( अहमद इंडियास्पेंड में इंटर्न हैं । )
यह लेख मूलत: अंग्रेजी में 11 अप्रैल, 2019 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।
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