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नई दिल्ली: एक नए सर्वेक्षण के मुताबिक, लगभग 87 फीसदी भारतीय ड्राइवर और वाहन मालिक इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) खरीदने के लिए तैयार हैं, अगर इससे वायु प्रदूषण को कम करने में मदद मिलती है।

बेंगलुरु स्थित गैर-लाभकारी संस्था ‘क्लाइमेट ट्रेंड्स’ ने 2,000 से अधिक भारतीय लोगों का सर्वेक्षण किया । वे जो गाड़ी चलाते थे। वे जो गाड़ी के मालिक थे और वे जो कार खरीदने की योजना बना रहे थे। इस सर्वेक्षण के मुताबिक, पेट्रोल और डीजल का उपयोग करने से बचने के लिए केवल 12 फीसदी उत्तरदाता ईवीएस पर स्विच करेंगे। 2017 में, भारत में 900,000 ईवीएस बेचे गए यानी बेचे गए डीजल और पेट्रोल वाहनों की संख्या का 4 फीसदी। भारत भर में कार्बन उत्सर्जन में करीब 11 फीसदी हिस्सेदारी परिवहन की है और देश भर में कई शहरों में वायु प्रदूषण का एक प्रमुख कारण है। 2018 विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया के शीर्ष 20 सबसे प्रदूषित शहरों में से 14 भारत में हैं। ‘क्लाइमेट ट्रेंड्स’ के सर्वेक्षण के निष्कर्ष 6 सितंबर, 2018 को सामने आए थे, यानी केंद्र सरकार की वैचारिक संस्था नीति आयोग द्वारा आयोजित दो दिवसीय लंबे सम्मेलन की शुरुआत से एक दिन पहले। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से भारतीय ईवी उद्योग के लिए 'अनुमानित और हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक वाहनों के विनिर्माण पर एक नीति (फेम -2) शुरू करने की उम्मीद थी। पहला चरण(फेम -1) 2015 में जारी किया गया था। ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ के 7 सितंबर, 2018 को रिपोर्ट के मुताबिक, प्रधान मंत्री की तरफ से एक बड़े बदलाव के ‘संकेत’ के बाद पॉलिसी में फिर से शुरू नहीं किया गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि सब्सिडी प्रदान करके पूरे वाहन की कीमत को कम करने की पहल के बदले अब वाहनों में बैटरी की कीमत को कम करने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।

ईवी निर्माताओं और विक्रेता एक ऐसी पॉलिसी की प्रतीक्षा कर रहे थे जिसमें चार्जिंग स्टेशनों और विनिर्माण और खरीद में प्रोत्साहन सहित ईवी पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के लिए एक रोडमैप हो, जैसा कि इंडियास्पेन्ड ने 5 मार्च, 2018 को बताया है।

बद्तर वायु प्रदूषण से सब होते हैं प्रभावित

सर्वेक्षण के मुताबिक लगभग 76 फीसदी वाहन चालकों और मालिकों ने कहा कि वे, उनके मित्र, परिवार और पड़ोसी बद्तर हवा से पीड़ित थे।

उत्तरदाताओं की सबसे ज्यादा संख्या दिल्ली के लोगों की थी, जिन्होंने कहा कि वे वायु प्रदूषण से पीड़ित हैं। सर्वेक्षण किए गए 91 फीसदी उत्तरदाताओं ने कहा कि या तो वे खुद या उनके परिवार का कोई या फिर पड़ोस में कोई वायु प्रदूषण से प्रभावित था।

सर्वेक्षण के मुताबिक, इसी प्रकार हैदराबाद (78 फीसदी), चेन्नई (75 फीसदी), मुंबई (74 फीसदी), बेंगलुरू (71 फीसदी), और कोलकाता (70 फीसदी) में उच्च प्रतिशत दर्ज किए गए थे।

खराब हवा की गुणवत्ता से बीमार स्वास्थ्य के सबसे आम लक्षण सांस की तकलीफ, सांस लेने में परेशानी (55 फीसदी), सिरदर्द (51 फीसदी) और खांसी (51 फीसदी) थीं। सर्वेक्षण में कहा गया है कि ये लक्षण दिल्ली और आस-पास शहरी इलाकों में ज्यादा हैं ।वहीं 18 से 24 वर्ष के बच्चों और ग्रामीण इलाकों में इसके कम होने की संभावना है।

60 फीसदी उत्तरदाताओं के अनुसार, ईवी को खरीदने में सबसे बड़ी बाधा घर के आस-पास चार्जिंग स्टेशन का न होना है। इसके अलावा दूसरा कारण अपर्याप्त ड्राइविंग रेंज (46 फीसदी) बताया गया है।

ईवीएस रिचार्ज करने में अधिक समय (31 फीसदी) लगता है। वे पेट्रोल या डीजल वाहन के समान सुविधाओं और शैलियों के साथ (26 फीसदी) उपलब्ध नहीं हैं, और वे जो रेंज प्रदान करते हैं, उनके लिए वे बहुत महंगे(25 फीसदी) हैं। ईवी खरीदने को मामले में ये सब अन्य प्रमुख आपत्तियां सामने आईं थीं।

दोपहिया वाहन भारत में ईवी बाजार में वृद्धि को बढ़ावा देंगे

ऑटोमोबाइल के लिए भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा बाजार है। 2017 में लगभग 25 मिलियन आईसी इंजन बेचे गए हैं। सर्वे की विज्ञप्ति में कहा गया है कि किसी भी अन्य देश की तुलना में 80 फीसदी से अधिक या लगभग 20 मिलियन अधिक दोपहिया वाहन थे।

एक ईवी के बॉडी निर्माता, ‘सोसाइटी मनुफ्रैक्चरर ऑफ एलेक्ट्रिक व्हेकिल’ (एसएमईवी) के अनुसार, 2017 में हालांकि, भारत ने एक मिलियन से भी कम बिजली के वाहन बेचे हैं ( आईसी इंजन वाहनों का 4 फीसदी बेचा है। ) इनमें से 93 फीसदी से अधिक इलेक्ट्रिक तीन-पहिया और 6 फीसदी दोपहिया वाहन थे। भरत में, कार या बस नहीं, दोपहिया वर्ग में ईवी बाजार बढने की उम्मीद है। कैलिफोर्निया स्थित वाहन मूल्यांकन और ऑटो शोध फर्म, ‘केली ब्लू बुक’ में वरिष्ठ निदेशक और कार्यकारी विश्लेषक रेबेका लिंडलैंड ने 13 फरवरी, 2018 को ‘द मिंट’ को बताया, "हम चार-पहिया वाहनों की जगह पर भारत में दोपहिया वाहनों से ‘इ- मोबिलटी’ की उम्मीद कर रहे हैं।"

हालांकि, दोपहिया निर्माता, बिजली के दोपहिया वाहनों पर सरकार की उदासीनता से निराश हैं। एफएएम -2 पॉलिसी के मसौदे से पता चलता है कि ईवीएस के पूर्व फैक्ट्री मूल्य पर दी गई सब्सिडी 20 फीसदी रहेगी।

यह ‘किफायती’ इलेक्ट्रिक दोपहिया बनाने के लिए प्रोत्साहन को कम करेगा । इस संबंध में, ईटी ऑटो ने 13 जून, 2018 की रिपोर्ट में बताया है।

( त्रिपाठी प्रमुख संवाददाता हैं और इंडियास्पेंड के साथ जुड़े हैं। )

यह लेख मूलत: अंग्रेजी में 17 सितंबर, 2018 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।

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