प्रमुख कल्याणकारी राज्य ने दिल्ली से कम बजट मिलने पर आक्रोश जताया |
भूतपूर्व मुख्यमंत्री जे ललिता (बायें) वर्तमान मुख्यमंत्री, वित्तमंत्री श्री पनीर सेलवम (दायें) के साथ फरवरी 2015 में.
भारत का सर्वाधिक कल्याणकारी राज्य तमिलनाडु–जहाँ इस वर्ष चुनाव होना है-ने केंद्र की विकेंद्रीकरण प्रक्रिया के तहत राज्यों को आर्थिक अधिकार हस्तांतरण करने की नीति का विरोध जताया है |
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री/वित्तमंत्री ओ. पनीर सेल्वम ने वर्ष 2015-16 का बजट प्रस्तुत करते हुए कहा कि चौदहवें वित्त आयोग ने अन्यायपूर्ण और जबरदस्त कटौती करके सामान्य अंशदान टैक्स धनराशि (ऐसी धनराशि जो राज्य को समय पर उपलब्ध हो ) में 4.969% से घटा कर 4.023% और सेवाकर टैक्स धनराशि को 5.047% से घटा कर 4.104% करके राज्य के साथ गलत किया है|
मुख्यमंत्री ने कहा कि 14वें वित्त आयोग के प्रस्तावों में बदलाव के कारण लगभग 35,485 करोड़ रूपये ($5.72 बिलियन) का नुकसान तमिलनाडु को अगले पाँच वर्षों में होगा|
पनीरसेल्वम ने कहा कि बिना केंद्र सरकार से अधिक सहायता मिले राज्य सरकारों को अपने संसाधनों से केंद्र समर्थित योजनाओं में ज्यादा भागीदारी करने का दायित्व बढ़ जायेगा|
केंद्रीय वित्तीय कमीशन ने निम्न आकड़ों के आधार और मापदण्ड पर संसाधन आवंटन किया|
Source: 14th Finance Commission
Source: 14th Finance Commission
देश के सर्वोच्च दस राज्यों में तमिलनाडु को सबसे कम हिस्सा मिलेगा| केंद्र से राज्यों के मिलने वाले अंश का 4% प्रतिशत ही मिलेगा|
Source: 14th Finance Commission
सेवाकर में हिस्सेदारी पाने के मामले में देश के टॉप 10 राज्यों में तमिलनाड दसवें नंबर पर है|
मुख्यमंत्री ने इच्छा वयक्त की कि केन्द्र सरकार प्रत्यक्ष कर (जैसे-आयकर) वसूले और राज्यों को अप्रत्यक्षकर (जैसे–एक्साइज टैक्स ) को वसूल करने का अधिकार दे | पनीर सेलवम ने भारत सरकार के बहुप्रचारित सहकारी संघवाद के सिद्धान्त पर यह कह कर आरोप लगाया कि केन्द्र समस्त संसाधनों पर सहभागिता और बराबरी के सिद्धान्त को नहीं मान्य कर रहा है|
तमिलनाडु के 2015/16 बजट में किसी तरह के नए करों का प्रावधान नहीं किया गया है मुख्यमंत्री पनीर सेलवम ने कुछ विशेष आइटमों– मोबाइल फोन्स, एलईडी लैम्प और एयर कम्प्रेसर पर वैल्यू एडेड टैक्स (वैट) को कम किया है, इससे तमिलनाडु सरकार को छह सौ पचास करोड़ का नुक्सान होगा|
तमिलनाडु सरकार ने इस वर्तमान वित्तीय वर्ष में कोई नया कर नहीं लगाया, जबकि सरकार का वित्तीय वर्ष 2015-2016 में राजस्व घाटा 30% बढ़कर 4,616 करोड़ होने का अनुमान है, – लगातार पिछले तीन वर्षों में घटा हुआ, जोकि वर्ष 2012-2013 में वित्तीय आधिक्य (सरप्लस) था|
तमिलनाडु सरकार को यह घाटा अपनी जन हितकारी आर्थिक कार्यक्रमों और सब्सिडी के कारण उठाना पड़ा, जो इस वर्ष 43% बढ़कर 59,185 करोड़ होने का अनुमान है, जोकि वर्ष 2013-2014 में 41,645 करोड़ था. जिन कल्याणकारी योजनाओं में तमिलनाडु सरकार ने खर्च किया उनमे प्रमुख हैं-मुफ्त चावल और मसाले, सस्ती बिजली (किसानों को मुफ्त), रोडवेज बसों में किराए में छूट, छात्रों को मुफ्त लैपटाप और ग्रहणियों को घरेलू फैन मिक्सर और ग्राइंडर आदि देना शामिल है|
अपनी कल्याणकारी योजनाओं को चलने के लिए राज्य सरकार ने ज्यादा क़र्ज़ न लेने का निर्णय लिया था. सरकार ने कुल कर्ज 30,446.68 करोड़ रुपये लिया, जबकि उसकी कर्ज लेने की क्षमता 32,990 करोड़ है |
महाराष्ट्र की तर्ज पर तमिलनाडु भी अपने पुराने कर्जों की अदायगी के लिए वर्षों से क़र्ज़ लेता रहा है. वर्तमान में तमिलनाडु का कर्ज लगभग 2 लाख करोड़ से ऊपर हो सकता है जो कि महाराष्ट्र से 3 गुना कम है |
ऊर्जा (पावर) क्षेत्र पर ध्यान होने के कारण, तमिलनाडु सरकार ने ऊर्जा क्षेत्र को 13,586 करोड़ आवंटित किया | इस मद में बिजली दर में छूट का धन 7,136 करोड़ भी समावेशित है |
मुख्यमंत्री ने बताया कि अब तक की सबसे अधिक बिजली की मांग 24 जून 2014 में 3,775 मेगावाट थी|
फोटो: विकीमीडिया/प्रकाश फोटोज
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