620nak

नई दिल्ली : पिछले सप्ताह मुंबई पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ एक प्राथमिकी (F IR ) दर्ज किया – जो कि निदेशक अनुराग कश्यप द्वारा निर्देशित 20 मिनट की फिल्म में एक्ट्रेस राधिका आपटे के नग्न विडियो क्लिप के लीक/वायरल हो जाने के संबंध में थी | उक्त क्लिप अपराधियों द्वारा तुरंत संदेश / विडियो क्लिपस भेजने में सक्षम “ व्हाट्स अप” पर भेज कर वायरल कर दी गई |

गत 3 वर्षों में स्मार्टफोन के क्षेत्र में आक्रामक विपणननीति अपनाने के कारण हुए अनियंत्रित स्मार्टफोन के फैलाव के कारण उसके कुछ धारकों ने इस फोन का आपराधिक इस्तेमाल – अश्लील अपराध ई- सामाग्री बनाकर उसको व्हाट्स अप जैसी तुरंत संदेश / फोटोग्राफ / विडियो क्लिप भेज सक्ने में सक्षम इलेक्ट्रोनिक माध्यमों का इस्तेमाल कर – तद संबन्धित अपराध मात्र एक साल में 589 दर्ज हुए केसों (वर्ष 2012-13) से 1203 केसों में 104% की वृद्धि तक पहुँच गई | उक्त रेकॉर्ड्स नेशनल क्राइम रेकॉर्ड्स ब्यूरो नें अपनी रिपोर्ट में दिये है |

उपरोक्त बातों का यह मतलब नहीं है कि स्मार्टफोन धारकों की संख्या में तेजी से वृद्धि ने ही सूचना अधिनियम धारा 2000 के अंतर्गत अभियोजित और रजिस्टर्ड पुलिस प्राथमिकियों में तेज वृद्धि की है लेकीन अपराध विशेषज्ञों का कहना है कि स्मार्टफोन में एंडरोएड ऑपरेटिंग सिस्टम कि तकनीकी अपना कर जरूर इसमें अपना योगदान दिया है, भारत सरकार में सूचना मंत्री रविशंकर प्रसाद नें संसद में इस बात को स्वीकार किया कि स्मार्टफोन नें साइबर अपराधों में वृद्धि किया है |

स्मार्टफोन के आने से पहले भी अश्लील अपराध ई- सामाग्री फोटोग्राफ़्स / विडियो क्लिप्स का आदान प्रदान डेस्कटॉप एवं लेप्टोप कम्प्यूटर्स के जरिये होता रहा है, लेकिन इन सब सिस्टम्स का इस्तेमाल काफी झंझटों से भरा है इस संदर्भ में बंगलोर के साइबर कनून विद एन० ए० विजय शंकर का कहना है की , “आज ऐसे बहुत से एंडरोइड एप्स उपलब्ध हैं जिनको स्मार्टफोन के धारक कहीं से और कभी भी इस्तेमाल कर उसका (स्मार्टफोन) का सदुपयोग/दुरुपयोग कर सकते हैं वस्तुतः इतना तो आसान कभी भी (मनुष्य के ज्ञात इतिहास में) नहीं था |

उपरोक्त बातों को ध्यान में रख कर यह पता चला कि स्मार्टफोन का दुरुपयोग केवल देश के बड़े शहरों तक ही नहीं सीमित है | देश में विशाखापट्टनम में सबसे ज्यादा केसेस अश्लील अपराध ई- सामाग्री/ विडियो क्लिप से संबन्धित 157 केवल वर्ष 2013 में रजिस्टर्ड हुए | उसे बाद दुसरे नंबर पर जोधपुर रहा (78 केसेस) |

Source: National Crime Records Bureau

सूचना अधिनियम द्वारा साइबर अपराध को 9 श्रेणियों में विभक्त करती है फिर भी कुल साइबर अपराधों का 80% संबंध केवल “हैकिंग” और अश्लील अपराध ई- सामाग्री/विडियो क्लिप्स को इलेक्ट्रोनिक माध्यमों में प्रकाशित करने से है | वर्ष 2013 में कुल साइबर अपराध 4356 हुए – जिनमें 3719 केवल हैकिंग और अश्लील अपराध ई- सामाग्री के आपराधिक वितरण से संबन्ध रखता है |

हाल के वर्षो में स्मार्टफोन के फैलाव से सदियों से दमित वासनाओं को फैलने का मौका मिला |

यह समझने योग्य है कि अश्लील अपराध ई- सामाग्री के वितरण संबंधी अपराधिक आरोपों में 100% वृद्धि वर्ष 2012 से 2013 के बीच हुई और इसी काल खंड में स्मार्टफोन धारकों की संख्या में 300% की वृद्धि दर्ज हुई |

अमेरिकी सलाहदाता कंपनी K P C B (ऑफ कीलेनर परकीन्स कौफील्ड & ब्येर्स) ने अपनी प्रकाशित रिपोर्ट में बताया कि भारत में वर्ष 2012 में 44 मिल्यन स्मार्टफोन धारक थे और मात्र एक वर्ष के अंदर इनकी संख्या 100 मिल्यन पार कर गयी |

K P C B ने इंटरनेट विस्तार संबंधी लेख (2014) में लिखा कि भारत में वर्ष 2013 में 117 मिल्यन स्मार्टफोन धारक थे जो चाइना और अमेरिका से थोड़ा ही कम थे |

वर्ष 2013 के बाद से डेस्कटॉप इंटरनेट का इस्तेमाल मोबाइल इंटरनेट के तीव्रगामी इस्तेमाल के सामने फीका पद गया मोबाइल इंटरनेट 81% प्रति वर्ष की दर से बढ़ रहा है |

मोबाइल फोन के जरिये स्थिर और विडियो क्लिप्स का आदान प्रदान बहुत तेजी से बढ़ा है | K P C B ने अपनी रिपोर्ट में विस्तार से लिखा है कि वैश्विक स्तर पर प्रतिदिन 1.8 बिल्यन फोटोस/ पोस्ट्स/ क्लिप्स/मैस्सेजेस का आदान प्रदान सोसल मीडिया के विभिन्न साइबरीय माध्यमों – फेसबुक, व्हाट्स अप, स्नेपचैट, टिवीटर, फ्लिक्कर और इन्स्टाग्राम के जरिये होता है |

आज कल ज्यादातर युवाओं को इस बात का सज्ञान नहीं है कि अश्लील अपराध ई- सामाग्रीओं का आदान प्रदान अपराध कि श्रेणी में आता है |

रक्षित टण्डन जो कि साइबर सुरक्षा के विशेषज्ञ और इंटरनेट और मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया के सलाहकार भी – नें कहा कि अश्लील अपराध ई- सामाग्री / विडियो क्ल्पिस शेरिंग कि तेजी से बढ़त के बहुत से कारणों में से – सस्ते इंटरनेट प्लांस और सस्ते स्मार्टफोनों कि उपलब्धता के अलावा जनता में साइबर अपराध अधिनियमों के प्रति जानकारी का न होना है |

टण्डन जी ने आगे कहा कि “ ज़्यादातर इंटरनेट का इस्तेमाल करने वाले लोगों को इस बात का संज्ञान नहीं होता है कि इंटरनेट के इस्तेमाल के समय कौन – कौन सी कानूनी सीमाएं और कानूनी उलंघन हैं लोग यह समझते हैं कि वो जो भी इंटरनेट पर कर रहे हैं वह एक प्राइवेट कार्य है | जब की वास्तविकता यह है कि उनके ज़्यादातर कार्य सार्वजनिक कृत्य हैं, और पुलिस उन पर किसी की शिकायत पर एक्शन/संज्ञान ले सकती है |

Obscene3Source: National Crime Records Bureau

विशेष आयु वर्ग के लोग जिनको अश्लील ई-सामाग्री को प्रकाशित/ वितरित करने के अपराध में गिरफ्तार किया गया |

आई० टी० एक्ट 67 के अंतर्गत अभियोजित अपराधी – उम्र अधिकांशतः 18 से 45 के बीच ज्यादा तर क्रोध, प्रतिशोध या अति दुख/ प्रसन्नता के क्षणों में - अश्लील अपराध ई- सामाग्री/ औडियो विडियो क्लिप्स के आपराधीक वितरणीय कृत्य कर बैठते हैं |

वर्ष 2013 में 737 में से 660 लोग अश्लीलताजन्य फोटो / विडियो क्लिप्स को शेयर/ छुपा कर खीचने के आरोपों में गिरफ़्तार हुए – वो ज्यादातार उक्त उम्रों के बीच के थे |

K P C B की वर्ष 2014 की रिपोर्ट के अनुसार भारतीय स्मार्टफोन धारक लगभग 3 घंटा (162 मिनट) स्मार्टफोन का इस्तेमाल करते हैं – यह समय टीवी/पीसी और टेबलेट्स के इस्तेमाल से ज्यादा होता है | उक्त आंकड़ों से यूसी ब्राउज़र – जो की एक वैश्विक मोबाइल इंटरनेट और सॉफ्टवेर प्रदाता है – भी सहमत है – और उनका कहना है कि 63% इंटरनेट सेवी लोग लगभग रोज विडियो देखते हैं और वैश्विक विडियो देखने का विश्व औसत रोज एक घंटा है |

भारत के कम्युनिकेशन केन्द्र्यि मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बताया कि फिलहाल कोई अभी ठोस निर्णय नहीं लिया गया है कि विभिन्न नेटवर्किंग साइट्स की मॉनिटरिंग की जाए – पर बहुत सी सुरक्षा – एजेंसीज – भारतीय कम्प्युटर इमरजेंसी रेस्पोंस टीम (C E R T – In ), के साथ मिलकर ऐसी वेबसाइट्स का निरेक्षण कर रही हैं – जिनपर आपत्तीजनक सामग्री रहती है और उनको कैसे हटाया या उन साइबर अपराधियों को कैसे कानून के अंतर्गत अभियोजित किया जाए |

पाटिल एक दिल्ली स्थित स्वतंत्र पत्रकर हैं , जो द इकनॉमिक टाइम्स / D N A और न्यू इंडियन एक्सप्रेस के साथ जुड़े रहे हैं |

इमेज क्रेडिट : एफ० फिओंडेल्ला (आई० आर० /सी० सी० ए० एफ० एस० )


“क्या आपको यह लेख पसंद आया ?” Indiaspend.org एक गैर लाभकारी संस्था है, और हम अपने इस जनहित पत्रकारिता प्रयासों की सफलता के लिए आप जैसे पाठकों पर निर्भर करते हैं। कृपया अपना अनुदान दें :