बहुत छोटे व्यवसाय के लिए दिए गए 4 ऋण में से 3 महिलाओं के लिए
महिलाओं द्वारा भुगतान किए जाने वाले ब्याज दरों पर छूट के बावजूद ‘माइक्रो’ व्यवसाय को प्रोत्साहित करने के लिए एक राष्ट्रीय कार्यक्रम के तहत उन्हें मंजूर किए गए ऋण में 2016-17 में 5.8 प्रतिशत अंक की गिरावट हुई है। ऐसा रकारी आंकड़ों से पता चलता है। 2015-16 में इस योजना का शुभारंभ हुआ था। हालांकि, यहां ये भी हम बताते दें कि तीन साल में स्वीकृत चार में से तीन ऋण महिलाओं के लिए थे।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 5 जनवरी, 2018 को लोकसभा को दिए एक जवाब में बताया है कि 2016-17 में 29 मिलियन महिलाओं को दिए गया ऋण प्रधान मंत्री मुद्रा योजना के तहत स्वीकृत 39.7 मिलियन का 73 फीसदी है, जो 2015-16 में 27.6 मीलियन था, यानी स्वीकृत 35 मिलियन का 79 फीसदी था।
छोटे व्यवसाय को शुरू करने के लिए महिलाओं को प्रोत्साहित करना कार्यक्रम के लक्ष्यों में से एक है: महिला उद्यम कार्यक्रम के तहत महिलाओं को ऋण पर लगाए गए ब्याज पर सरकार 25 आधार अंक (एक आधार अंक एक प्रतिशत का सौवां हिस्सा) का छूट देती है। सरकार की परिभाषा के मुताबिक, एक ‘सूक्ष्म’ इकाई वह है, जहां संयंत्र और मशीनरी में 25 लाख रुपए से कम या उपकरण पर 10 लाख से कम का निवेश हुआ है।
वित्त वर्ष 2016-17* के लिए प्रधान मंत्री मुद्रा योजना के तहत महिलाओं को ऋण
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Loans To Women Under Pradhan Mantri Mudra Yojana FY2016-17* | ||||
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Loan accounts for women | Total loan accounts | % women in total | Change in % points | |
2016-17 | 29,146,894 | 39,701,047 | 73.42 | -5.79 |
2015-16 | 27,628,265 | 34,880,924 | 79.21 |
Source: Lok Sabha reply, Mudra portal accessed on February 5, 2018
नवीनतम आंकड़े प्रासंगिक हैं, क्योंकि पिछले 24 वर्षों से 2013 तक भारत में महिला श्रमशक्ति की भागीदारी 35 फीसदी से घटकर 27 फीसदी हुआ है, जैसा कि इंडियास्पेंड ने 5 अगस्त, 2017 की रिपोर्ट में बताया है। जी -20 देशों में केवल सऊदी अरब भारत से नीचे था। दक्षिण एशिया में पाकिस्तान का प्रदर्शन भी भारत से बद्तर रहा है।
जेटली ने बताया कि, 2015-16 के बाद से, संचयी रूप से 22 दिसंबर, 2017 तक महिलाओं के लिए 75.5 मिलियन लोन की मंजूरी दी गई है। पहले दो वर्षों में, मुद्रा के तहत स्वीकृत 74.6 मिलियन ऋण में से 56.77 मिलियन या 76 फीसदी महिलाओं के लिए थे।
5 फरवरी, 2018 को मुद्रा पोर्टल के आंकड़ों के अनुसार 26 जनवरी 2018 तक, इस योजना के तहत 106 मिलियन ऋण मंजूर किए गए थे।
इंडियास्पेंड के विश्लेषण के मुताबिक, 2015-16 और 2017-18 (दिसंबर 22 तक) के दौरान प्रति 1,000 महिलाओं पर 368 ऋण के साथ पुडुचेरी ने सबसे अधिक ऋण की स्वीकृति दी थी। इसके बाद ओडिशा (319) और कर्नाटक (289) का स्थान रहा है।
तीन वर्षों के दौरान भारत का औसत (22 दिसंबर, 2017 तक) प्रति 1000 महिलाओं पर 125 ऋण का रहा है। 2015-16 और 2017-18 (22 दिसंबर तक) के बीच प्रति 1,000 महिलाओं पर तीन ऋण के साथ अरुणाचल प्रदेश का प्रदर्शन सबसे बद्तर रहा है। इसके बाद दमन और दीव (7) और जम्मू और कश्मीर (8) का स्थान रहा है।
36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में से, 10 ने 125 के राष्ट्रीय औसत से अधिक स्वीकृत किया थाऔर 14 राज्यों ने 2015-16 से 2017-18 (22 दिसंबर तक) के बीच प्रति 1000 महिलाओं पर 100 से अधिक का ऋण दिया है।
प्रति 1000 महिलाएं मुद्रा ऋण, वर्ष 2016-18-18*
Mudra Loans Per 1,000 Women FY2016-18* | |||||||
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Rank | Female Population 2011 Census | 2015-16 | 2016-17 | 2017-18* | Total FY2016-18* | Per 1,000 females | |
India | 604839730 | 27628265 | 29146894 | 18730738 | 75505897 | 124.84 | |
1 | Puducherry | 635442 | 64932 | 102069 | 67044 | 234045 | 368.32 |
2 | Odisha | 20762082 | 2104820 | 2409957 | 2109631 | 6624408 | 319.06 |
3 | Karnataka | 30128640 | 3819070 | 2888347 | 2008316 | 8715733 | 289.28 |
4 | Tamil Nadu | 36009055 | 4148794 | 3738516 | 2157700 | 10045010 | 278.96 |
5 | Tripura | 1799541 | 45546 | 199746 | 149320 | 394612 | 219.28 |
6 | West Bengal | 44467088 | 2076842 | 3955741 | 2269023 | 8301606 | 186.69 |
7 | Madhya Pradesh | 35014503 | 2192664 | 2008028 | 1301385 | 5502077 | 157.14 |
8 | Bihar | 49821295 | 2047823 | 3029715 | 1871435 | 6948973 | 139.48 |
9 | Maharashtra | 54131277 | 2940363 | 2747979 | 1696779 | 7385121 | 136.43 |
10 | Chhattisgarh | 12712303 | 488968 | 672626 | 431159 | 1592753 | 125.29 |
*Note: 2017-18 figures till December 22; Source: Lok Sabha reply, Census 2011, Telangana Statistical Year Book 2017
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(विवेक विश्लेषक हैं और इंडियास्पेंड के साथ जुड़े हैं।)
यह लेख मूलत: अंग्रेजी में 21 फरवरी, 2018 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।
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