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जनगणना के आंकड़ों पर नए विश्लेषण के मुताबिक शहरी भारत में बाल विवाह, विशेष रुप से लड़कियों के विवाह के मामलों में वृद्धि हुई है। वहीं इस मामले में ग्रामीण क्षेत्रों में कमी देखी गई है। हालांकि इसके पीछे का तत्काल कारण स्पष्ट नहीं हैं, लेकिन पितृसत्तात्मक परिवार की अवधारणा और परंपरा पर निरंतर पकड़ जारी है।

प्रति व्यक्ति आय अनुसार, भारत के तीसरे सबसे समृद्धि राज्य महाराष्ट्र में बाल विवाह के मामलों में वृद्धि देखी गई है। भारत का सर्वोच्च बाल अधिकार समूह ‘नेशनल कमीशन फॉर प्रोटेक्शन फॉर चाइल्ड राइट’ (एनसीपीसीआर) और यूके सरकार द्वारा वित्त पोषित एजेंसी ‘यंग लाइव्स इंडिया’ द्वारा किए गए अध्ययन की रिपोर्ट चौंकाने वाली है। रिपोर्ट के अनुसार, पिछले एक दशक से वर्ष 2011 तक देश में बाल विवाह मामलों में राष्ट्रीय रैंकिंग में जो टॉप 20 जिलों के नाम आए, उनमें से 16 जिले महाराष्ट्र से हैं।

प्रति व्यक्ति आय के अनुसार, भारत के नौंवे सबसे गरीब राज्य राजस्थान में कानून द्वारा तय आयु से पहले 10 से 17 वर्ष की आयु की लड़कियों और 10 से 20 वर्ष की आयु के लड़कों के विवाह के मामले ज्यादा देखे गए हैं। हालांकि, इस राज्य में बाल विवाह के कुल मामलों में गिरावट हुई है। लेकिन अध्ययन की रिपोर्ट कहती है कि इसके 13 जिलों में से एक रैंकिंग में शामिल है। भारत में विवाह के लिए कानूनी उम्र महिलाओं के लिए 18 और पुरुषों के लिए 21 है।

‘यंग लाइव्स इंडिया’ की निदेशक रेणु सिंह कहती हैं, “ इस मामले से संबंधित बड़ी खबर यह थी कि 2001 और 2011 की जनगणना के बीच शहरी क्षेत्रों में कानूनी उम्र से पहले लड़कियों के विवाह होने के मामलों में वृद्धि हुई है।”

वर्ष 2011 की जनगणना में 10 वर्ष से कम उम्र में किसी की शादी का कोई नया मामला सामने नहीं आया है। औसतन, पिछले एक दशक से 2011 तक कुछ ही ऐसे बच्चों की शादी हुई है। जबकि 21 वर्ष से पहले लड़कों के विवाह का अनुपात 9.64 फीसदी से गिरकर 2.54 फीसदी हुआ है। वहीं लड़कियों के संबंध में 18 वर्ष की कानूनी उम्र से पहले शादी होने के मामलों में मामूली गिरावट देखी गई है। ये आंकड़े 2.51 फीसदी से कम होकर 2.44 फीसदी हुए हैं।

कानून उम्र से पहले होने वाले लड़के और लड़कियों के विवाह

Source: A Statistical Analysis of Child Marriage in India based on 2011 Census

महाराष्ट्र के पूर्वोत्तर भंडारा जिले में कम उम्र में लड़कियों की शादी के मामलों में पांच गुना से ज्यादा वृद्धि हुई है। जबकि राज्य के सभी 16 जिलों में कम उम्र में लड़कों की शादी के मामलों में वृद्धि देखी गई है लेकिन भंडारा में कम उम्र में लड़कों की शादी का मामला कुछ ज्यादा ही चिंताजनक है। यहां पिछले एक दशक से 2011 तक लड़कों के अल्प आयु में विवाह होने में मामलों में 21 गुना वृद्धि देखी गई है।

देश के सभी राज्यों में से, राजस्थान में कानूनी उम्र से पहले लड़कियों और लड़कों की शादी ज्यादा होती है। आंकड़ों के अनुसार 10 से 17 वर्ष के आयु की 8.3 फीसदी लड़कियों और 10 से 20 वर्ष की आयु के 8.6 फीसदी लड़कों का विवाह कानूनी उम्र से पहले हुआ है।

कानूनी उम्र से पहले लड़के और लड़कियों का विवाह – राष्ट्रीय औसत से बद्तर प्रदर्शन

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Source: A Statistical Analysis of Child Marriage in India based on 2011 Census

13 राज्यों के 70 जिलों में कम उम्र में विवाह की अधिक घटनाएं

भारत के 13 राज्यों के 70 जिलों में कम उम्र में विवाह की उच्च घटनाएं दर्ज हुई हैं। रिपोर्ट के अनुसार देश भर में होने वाले बाल विवाहों में इन जिलों की हिस्सेदारी 21 फीसदी है।

वर्ष 2011 में देश भर में हुए बाल विवाह में से इन 70 जिलों में 21.1 फीसदी लड़कियों का विवाह कानूनी उम्र से पहले दर्ज किया गया है। लड़कों के संबंध में यह आंकड़े 22.5 फीसदी हैं। इनमें आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, असम, बंगाल, बिहार, गुजरात, हरियाणा, झारखंड, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और उत्तर प्रदेश शामिल हैं।

अध्ययन के अनुसार राजस्थान में भयावह स्थिति

वर्ष 2011 की जनगणना में, 10 से 17 वर्ष की लड़कियों के विवाह होने की घटनाओं के संबंध में देश भर के टॉप 20 जिलों में से सात राजस्थान में थे। इनमें से सबसे ऊपर भीलवाड़ा का दक्षिणी जिला है। यहां 10 से 17 वर्ष की आयु की 37 फीसदी लड़कियों के साथ-साथ ग्रामीण जिलों में भी, 10 से 17 वर्ष की आयु की 40 फीसदी लड़कियों का विवाह कानूनी उम्र से पहले हुआ है।

कानूनी उम्र से पहले लड़कों के विवाह के मामले में भी राजस्थान का प्रदर्शन सबसे बद्तर रहा है। राज्य के नौ जिले टॉप 20 बाल विवाह जिलों की सूची में शामिल हैं। कानूनी उम्र से पहले लड़कों के विवाह के मामले में भीलवाड़ा का स्थान सबसे ऊपर है। वर्ष 2011 में भीलवाड़ा में 10 से 20 वर्ष की आयु के 20.2 फीसदी लड़कों की शादी हुई है।

हालांकि, वर्ष 2011 तक एक दशक के दौरान, कुल बाल विवाह के दर में गिरावट हुई है, लेकिन राजस्थान के 13 जिलों में से एक –बंसवाड़ा- अब भी इस रैंकिंग में शामिल है।

कानूनी उम्र से पहले लड़के और लड़कियों की शादी – टॉप 20 जिले

NOTE: Based on proportion of married girls (10-17), Census 2011

Source: A Statistical Analysis of Child Marriage in India based on 2011 Census

टॉप 70 में, शहरी जिलों की हिस्सेदारी एक चौथाई, कारण पता नहीं

वर्ष 2011 में, टॉप 70 में शामिल शहरी जिलों में 25.8 फीसदी बाल विवाह के मामले दर्ज किए गए हैं। अध्ययन के मुताबिक वर्ष 2011 में शहरी क्षेत्रों में हर पांच लड़कियों में से एक का विवाह 10 से 17 वर्ष की उम्र के बीच हुआ था।

वर्ष 2011 में, टॉप 20 शहरी जिलों में 10 से 20 वर्ष की आयु के लड़कों के विवाह के सबसे ज्यादा मामले गुजरात में पाए गए हैं। इस संबंध में गुजरात के सात जिले ऐसे हैं जहां कानूनी उम्र से पहले ही लड़कों की शादी के ज्यादा मामले दर्ज हुए हैं। वहीं लड़कियों के संबंध में सबसे ज्यादा जिले पश्चिम बंगाल में हैं।

अध्ययन में बताया गया है कि लड़कियों और लड़कों के कानूनी उम्र से पहले विवाह करने के मामलों के रुझानों में कई तरह की विविधताएं हैं । जनगणना के आंकड़ों के विश्लेषण से इन प्रवृत्तियों के कारणों को समझ पाना आसान नहीं है।

रिपोर्ट कहती है कि “इन प्रवृत्तियों को समझने के लिए, हमें जमीनी सबूत इकट्ठा करने की आवश्यकता है, जिससे यह देख पाएं कि किसी विशेष जिले / खास इलाके में क्या हो रहा है।”

अध्ययन में कारणों की बहुलता को सूचीबद्ध किया गया है, और पिछले शोध (यहां, यहां, यहां, यहां और यहां क्लिक करें) की ओर भी इंगित किया गया है जिसमें यह धारणा शामिल है कि लड़कियों की शादी से जुड़े कुछ मुख्य मुद्दे ये सब हैं-पहला मासिक धर्म, गरीबी, शिक्षा की कमी, जाति, जन्म संख्या, और परिवार का आकार (अगर बड़े भाई और बहन हैं, तो लड़की की कम उम्र में शादी होने की संभावना कम है ) पितृसत्तात्मक परिवार, और शिक्षा, रोजगार, कामुकता और यौन व्यवहार के मामलों में लड़कियों के खिलाफ सांस्कृतिक लैंगिक भेदभाव । लड़कियां शादी के लिए इन्हीं मुद्दों के बीच तैयार होती हैं।

अध्ययन के अनुसार, विवाह की कानूनी उम्र को कई समुदायों में लोग अपनी सांस्कृतिक संप्रभुता के खिलाफ मानते हैं, जहां लड़कों और लड़कियों की शादी के लिए पर्याप्त जैविक परिपक्वता पर विचार करता है।

(विवेक विश्लेषक हैं और इंडियास्पेंड के साथ जुड़े हैं।)

यह लेख मूलत: अंग्रेजी में 09 जून 2017 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।

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