भाजपा की सफलता का राज़ : उसके मूल वफ़ादार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, 2014 में , निस्संदेह ही अनेक मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित किया है --और इसका उनकी जीत पर काफी असर पड़ा है -और इन राज्य चुनाव परिणाम श्रृंखला में प्राप्त जीतयह भी इंगित करती है कि पार्टी के बुनियादी मूल मतदाता, एक दशक से अधिक कांग्रेस शासन में भी पार्टी के प्रति वफादार बने रहे हैं।
यदि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) गरीबी से त्रस्त झारखंड में सरकार बनाती है , तो पार्टी प्रथम दो राज्यों -मध्य प्रदेश और राजस्थान के सहित 29 भारतीय राज्यों में से 8 पर अपना नियंत्रण कर लेगी - 1990 की जीत से भी अधिक ।
कांग्रेस जो कि संसदीय चुनावों में अपनी सबसे न्यूनतम गणना से भी निम्न स्तर पर है , अभी भी नौ राज्यों में, नियंत्रण में है । लेकिन कांग्रेस शासित राज्यों में पांच,भारत के सबसे छोटे राज्य शामिल हैं। कर्नाटक, केरल, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश छोड़कर, बाकी सभी भारत के पूर्वोत्तर राज्य हैं।
पहाड़ियों मे दुबके (छिपे, सिमटे)
इस मानचित्र में वर्तमान में भाजपा और कांग्रेस द्वारा शासित राज्य दर्शित हैं
भाजपा शासित राज्यों में आज लगभग 366 करोड़ से अधिक लोग हैं , जबकि कांग्रेस , जो 1950-51 के चुनाव में हर भारतीय राज्य में शासन करती थी, उसके पास शासित नौ राज्यों में लगभग 150 करोड़ ही लोग हैं । भाजपा की वोट सहभागिता , महाराष्ट्र में 28% से गुजरात में 48% तक भिन्नता लिए है जो कि मतदाताओं से मज़बूत समर्थन का संकेत तो है ही लेकिन पार्टी की ओर मतदाताओं के मजबूत विरोध का भी संकेत सूचक है।
राज्यों में भाजपा की स्थिति
Source: Election Commission
राष्ट्रीय सत्ता पर धीमी पकड़
भाजपा ने 1984 में लड़े अपने पहले राष्ट्रीय चुनाव में उसमे 7. 7 % की सहभागिता के साथ केवल दो सीटों पर ही जीत हासिल की। पार्टी की सीटों पर सहभागिता पिछले कुछ वर्षों में बढ़ गई है । भारत एक बहुदलीय लोकतंत्र है, जहां उच्चतम वोटों पाने वाली पार्टी चुनाव जीतती है और ज़रूरी नही उसके पास बहुमत भी हो।
इसे "फर्स्ट -पास्ट -द -पोस्ट " सिस्टम कहा जाता है ,इसकी विसंगतियों को पिछले कुछ वर्षों में भारतीय जनता पार्टी के वोट प्रतिशत में देखा जा सकता है जैसा कि नीचे दी गई तालिका इंगित करती है। 1989 में, भारतीय जनता पार्टी के वोट प्रतिशत में 83 की वृद्धि हुई , लेकिन पार्टी की वोट सहभागिता में केवल 3.6% की ही बढ़ोतरी हुई।
लोकसभा में भाजपा: 1984 के बाद से वोट प्रतिशत और सीटों में में वृद्धि
Source: Election Commission
अब, लोकसभा में एक स्पष्ट बहुमत के साथ भाजपा की 31.3% वोट की हिस्सेदारी है। वोट बैंक का एक स्पष्ट ध्रुवीकरण दिखाई देता है। भारतीय व्यवस्था में, एक पार्टी के प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में कुछ हजार अतिरिक्त मतदाताओं को आकर्षित कर जीत हासिल कर सकती है। भाजपा ने ऐसा किया है, लेकिन पार्टी ने अपने मूल मतदाताओं को भी वफादार रखा है। यह उसकी राज्यों में हाल में ही हुई लगातार जीतों से स्पष्ट है।
भाजपा शासित राज्यों : 1990 से वर्तमान तक
Source: News Reports
जनता पार्टी से विलग हुए जन संघ से परिवर्तित भाजपा ने चार साल के अपने गठन के बाद ही 1996 में अपने पहला राष्ट्रीय चुनाव लड़ा।
भाजपा को मज़बूत पार्टी बन कर उभरने में 12 वर्ष लग गए, 1996 में, भाजपा ने भारत को अटल बिहारी वाजपेयी के रूप में अपना पहला प्रधानमंत्री दिया । लेकिन पार्टी लोकसभा में अपना बहुमत साबित नहीं कर सकी और उसकी सरकार 13 दिनों में ही गिर गई।
1990 के दशक से भाजपा की कई राज्यों में एक मजबूत पकड़ थी, जो आज मोदी की प्रबल सफलता का कारण बनी ।
1967 से ही कांग्रेस की पकड़ राज्यों पर ढीली होती जा रही थी । राज्यों में क्षेत्रीय दलों का प्रभाव बढ़ रहा था लेकिन केंद्र में कांग्रेस का ही शासन था। केंद्र में पहली गैर कांग्रेसी सरकार 1977 से पहले नही बनी थी , जब खंडित, अनियंत्रित जनता दल सत्ता में आया । भाजपा ही एक पार्टी रही जिसने सही मायनों में कांग्रेस के प्रभुत्व को चुनौती दी।
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