भारत की असल चुनौती: 263 मिलियन खेतिहर मजदूर
- देश में काम करने वाले लोगों में से 54 फीसदी लोग खेतों पर किसान या मजदूर के रुप में काम करते हैं।
- कम कौशल के कारण अधिक लोग खेतों पर मजदूरी के लिए मजबूर हैं।
- भारत में कामगार लोगों में से केवल 2 फीसदी लोग औपचारिक रुप से कुशल हैं।
हाल ही प्रधानमंत्री द्वारा कौशल विकास योजना शुरु की गई है। इस योजना के तहत भारत के 231 मिलियन युवाओं को ( 25 वर्ष की आयु तक ) बेहतर रोज़गार की प्राप्ति के लिए कौशल विकास की सहायता प्रदान की जाएगी।
कौशल विकास योजना से भारतीय उत्पादन क्षेत्र को भी बढ़ावा मिलने की उम्मीद है जोकि मेक इन इंडिया प्रॉजेक्ट से जुड़ा हुआ है।
यहां पर अप्राप्त कड़ी 263 मिलियन खेतिहर मजदूरों का प्रशिक्षण है।
भारत: श्रमिक एवं भागीदर दर
भारतीय आबादी की कुल श्रमिक संख्या में से कम से कम 54 फीसदी एवं ग्रामीण श्रमिक शक्ति का 72 फीसदी हिस्सा खेत पर काम करते हैं।
No. Of Workers (in million) | Worker Participation Rate (%) | ||||
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Total | Rural | Urban | Total | Rural | Urban |
482 | 349 | 133 | 40 | 42 | 35 |
Farm Workers | Total (in million) | % of Total Workers | ||||
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Total | Rural | Urban | Total | Rural | Urban | |
Cultivators | 119 | 115 | 4 | 25 | 3 | 3 |
Agricultural Labourers | 144 | 137 | 7 | 30 | 39 | 6 |
Total farm workers | 263 | 252 | 11 | 54 | 42 | 8 |
Source: Census 2011; figures have been rounded
इंडियास्पेंड ने पहले ही अपनी खास रिपोर्ट में बताया है कि किसान एवं ज़मीन मालिकों की संख्या में लगातार कमी आ रही है जबकि खेतिहर मजूदरों की संख्या में वृद्धि हो रही है। कृषि क्षेत्र का विकास अस्थिर हो गया है। साल 2014-15 की अंतिम तिमाही में वृद्धि दर में 0.2 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है।
जैसे-जैसे भारत की अर्थव्यवस्था विकसित हो रही है, कृषि क्षेत्र की हिस्सेदारी कम होती जा रही है। जबकि 600 मिलियन लोग अब भी कृषि पर ही निर्भर हैं।
देश की कुल आबादी के काम करने वाले लोगों में कौशल विकास की कमी है और शायद यही कारण है कि अधिक संख्या में लोग खेतिहर मजदूरी की ओर जा रहे हैं। कम कौशल के कारण या तो लोग खेतों पर मजदूरी कर रहे हैं या फिर कोई छोटी-मोटी नौकरी कर अपना बसर कर रहे हैं।
अशोक गुलाटी, इंडियन काउंसिल फॉर रिसर्च ऑन इंटरनेश्नल इकोनोमिक रिलेश्नस में प्रोफेसर एवं अध्यक्ष, ने हाल ही में अंग्रेज़ी अखबार इंडियन एक्सप्रेस में लिखा “कई नीति निर्माता मुझसे अकेले में पूछते हैं कि सकल घरेलू उत्पाद में कृषि के योगदान में 15 फीसदी की गिरावाट आई है तो इस क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करने की क्या आवश्यकता है। यह सही है कि यदि औद्योगीकरण, शहरीकरण, सेवा उद्योग विकास क्षेत्रों में विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धा बनी रहे एवं यह बढ़ती हुई श्रमिक शक्ति को अवशोषित करने में सक्षम रहें तो भारतीय अर्थव्यवस्था का भविष्य मुख्यत इन क्षेत्रों में ही नीहित है। लेकिन वर्तमान में लगभग आधा श्रमिक शक्ति कृषि क्षेत्र पर निर्भर है और जबतक इन्हें पर्याप्त शिक्षा या कौशल प्रशिक्षण नहीं मिलता यह वर्ग शहर के दूसरे काम में हिस्सा नहीं ले सकता। लोगों तक शिक्षा पहुंचाने या कौशल प्रशिक्षण देने में कम से कम 15 से 20 साल या इससे भी अधिक समय लग सकता हैऔर तब कृषि क्षेत्र पर निर्भर लोगों के अनुपात में कुल श्रमिक शक्ति के कम से कम 25 फीसदी की गिरावट हो सकेगी”।
सकल घरेलू उत्पाद में विभिन्न क्षेत्रों की हिस्सेदारी (% में)
Source: NITI Ayog; Figures in (%).
मेक इन इंडिया एवं स्किल इंडिया मिशन में कृषि गैरहाज़िर
आर्थिक सर्वेक्षण 2014-15 के मुताबिक “साल 2020 में भरतीय आबादी की औसत उम्र 29 वर्ष, दुनिया के सबसे कम होने की उम्मीद है। नतीजतन, साल 2020 तक जब वैश्विक अर्थव्यवस्था में युवा आबादी की करीब 56 मिलियन की गिरावट होने की संभावना है, ऐसे में केवल भारत ही ऐसा देश है जहां युवाओं की संख्या अधिक, करीब 47 मिलियन देखने को मिल सकती है। आर्थिक व्यवस्था में योगदान के लिए इन युवाओं का स्वास्थ्य, पर्याप्त शिक्षा एवं कौशल होना आवश्यक है”।
वर्तमान में भारत के औपचारिक कौशल श्रमिक शक्ति का आकार छोटा है। सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार यह आंकड़े 2 फीसदी हैं। सर्वेक्षण कहती है “यह आंकड़े छोटे देशों, जैसे कोरिया एवं जापान के मुकाबले काफी कम हैं। कोरिया एवं जापान में यह आंकड़े 96 एवं 80 फीसदी दर्ज किए गए हैं”।
जहां यह सर्वेक्षण जनसांख्यिकीय लाभांश दोहन के महत्व को दर्शाता है वहीं स्किल इंडिया मिशन भी इसी ओर कार्यरत है।
हालांकि कृषि क्षेत्र की ओर ध्यान गैरहाज़िर है। लगभग 72 फीसदी ग्रामीण श्रमिक शक्ति की कृषि क्षेत्र पर निर्भरता के साथ, मेक इन इंडिया के तहत एक मात्र लाभ खाद्य प्रक्रमण के रुप में है। 42 “मेगा” खाद्य पार्क बनाने के लिए सरकार 9,800 करोड़ रुपए निवेश करने की योजना में है।
62 कृषि विश्वविद्यालयों का कृषि विकास में योगदान नहीं
देश में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के तहत 62 कृषि विश्वविद्यालय हैं। कृषि मंत्रालय के पास कृषि अनुसंधान और शिक्षा का एक विभाग है। मौजूदा वित्त वर्ष में विभाग को 6,320 करोड़ रुपए ( 985 मिलियन डॉलर )आवंटित किया गया है।
हालांकि इस क्षेत्र में विकास एवं उत्पादकता कम है। इंडियास्पेंड ने पहले ही कम कृषि उत्पादकता एवं बदहाल कृषि विकास के संबंध पर विस्तार से चर्चा की है।
( तिवारी इंडियास्पेंड के साथ नीति विश्लेषक हैं )
अपडेट : यह लेख विशेषज्ञ अशोक गुलाटी की टिप्पणी के साथ अद्यतन किया गया है
यह लेख मूलत: अंग्रेज़ी में 03 अगस्त 2015 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।
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