भारत के लिए इजराइल क्यों है महत्वपूर्ण?
28 सितंबर, 2014 को न्यूयार्क में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और इजराइल के प्रधामंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के बीच हुई मुलाकात का एक दृश्य।
नरेंद्र मोदी इजराइल का दौरा करने वाले भारत के पहले प्रधान मंत्री है। भारत और इजराइल के प्रधानमंत्री के बीच की यह मुलाकात रक्षा, कृषि, व्यापार, कूटनीति और जल प्रबंधन पर केंद्रित होने संभावना है।
प्रधानमंत्री मोदी वर्ष 2008 में मुंबई के 26/11 के आतंकवादी हमले में बचने वाले मोश होल्त्ज़बर्ग से भी मुलाकात करेंगे । मुंबई में जब आतंकवादी हमला हुआ था, तो मोश मात्र दो वर्ष का था।
इजरायली अखबार ‘द हारेटज’ की 29 जून, 2017 की रिपोर्ट के अनुसार, “यात्रा से पहले दोनों देशों ने संयुक्त आर्थिक उपक्रमों का एक ढ़ाचा तैयार किया है। इजराइल के कैबिनेट ने द्विपक्षीय उपायों के जारी रखने वाले 23 पृष्ठों के दस्तावेज़ और 514 करोड़ राशि के बजट की मंजूरी दी है। यह राशि, इजराइल द्वारा संयुक्त रुप से चीन, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के साथ किए जाने वाले व्यापार के कहीं ज्यादा है। ”
In the 70 years of the country's existence no Indian Prime Minister has ever visited and this is further expression of Israel's strength.
— PM of Israel (@IsraeliPM) June 25, 2017
भारत के लिए इजराइल मुख्य रुप से पांच कारणों से महत्वपूर्ण है:
1) रक्षा: एक स्वतंत्र वैश्विक संघर्ष और हथियार-अनुसंधान संस्थान, स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट के अनुसार इजराइल के लिए भारत हथियारों के प्रमुख खरीददारों में से है। वर्ष 2012 से 2016 के बीच इजराइल द्वारा किए गए कुल हथियार निर्यात में से 41 फीसदी हिस्सेदारी भारत की थी।
भारत के लिए इजराइल हथियारों का तीसरा सबसे बड़ा स्रोत है। वर्ष 2012 से 2016 के बीच इजराइल की 7.2 फीसदी की हिस्सेदारी रही है। इस संबंध में, इसी अवधि के दौरान अमरिका के लिए आंकड़े 14 फीसदी और रुस के लिए 68 फीसदी रहे हैं।
भारत-इजराइल रक्षा व्यापार
Source: SIPRI Arms Transfers Database
भारत-इजराइल रक्षा संविदाएं | |||||
---|---|---|---|---|---|
2013-14 | 2014-15 | 2015-16 | |||
Contracts | Value | Contracts | Value | Contracts | Value |
5 | Rs 3751 crore (US $650 million) | 1 | Rs 875.49 crore (US $143.5 million) | 4 | Rs 2979.26 crore (US $458 million) |
Source: Lok Sabha
दोनों देशों के बीच सहयोग की शुरुआत 1962 में चीन-भारत युद्ध के दौरान शुरु हुआ था। इस युद्ध के दौरान इजराइल ने भारत को सैन्य सहायता प्रदान की थी। 1965 और 1971 में पाकिस्तान के साथ हुए दो युद्धों के दौरान भी इजराइल ने भारत की सहायता की है, जैसा कि स्टैनफोर्ड जर्नल ऑफ इंटरनेशनल रिलेशंस के 2009 के इस लेख में बताया गया है।
इस साझेदारी का मुख्य आकर्षण 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान देखने मिला था। युद्ध के दौरान जब भारत तोपखाने के गोले की कमी का सामना कर रही थी, तब इजराइल से ही आपूर्ति हुई थी।
भारत के असैन्य हवाई वाहनों (यूएवी) का आयात भी इजराइल से होता है। इजराइल से खरीदे गए 176 यूएवी में से 108, खोजी यूएवी हैं और 68 हेरोन यूएवी हैं। इस संबंध में इंडियास्पेंड ने मई 2015 में विस्तार से बताया है।
अप्रैल 2017 में, भारत और इजराइल ने उन्नत मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार गिराने वाली मिसाइल प्रणाली के लिए 2 बिलियन डॉलर (12,878 करोड़ रुपये) सौदा पर हस्ताक्षर किए। यह भारतीय सेना को 70 किलोमीटर तक की सीमा के भीतर विमान, मिसाइल और ड्रोन को मार गिराने की क्षमता प्रदान करता है।
Strengthening defence ties
India clears missile deal with Israelhttps://t.co/JzFsUmlNYC@fpjindia pic.twitter.com/tgBRLWIGYF
— Indian Diplomacy (@IndianDiplomacy) February 28, 2017
वर्ष 2016 के सितंबर में संयुक्त रूप से विकसित सतह से लंबी दूरी तक मार करने वाली हवाई मिसाइल का परीक्षण किया गया।
भारत ने इस साल मई में इजराइल द्वारा बनाई गई स्पाईडर द्रुत प्रतिक्रिया वाली सतह से हवा वाली मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया। भारतीय वायु सेना इस प्रणाली को अपनी पश्चिमी सीमा पर तैनात करने की योजना बना रही है, जैसा कि इंडिया टुडे ने अपनी 28 फरवरी, 2017 की रिपोर्ट में बताया है।
आतंकवाद के विरुद्ध एक संयुक्त कार्यसमूह के माध्यम से भारत और इज़राइल आतंकवाद के मुद्दों पर भी बारीकी से सहयोग करते हैं।
2) कूटनीति: प्रधानमंत्री के इजराइल दौरे से पहले भी कई मंत्री वहां गए हैं और और उच्चस्तरीय आधिकारिक दौरे हे हैं। इसमें वर्ष 2000 में पूर्व गृह मंत्री लालकृष्ण आडवाणी, फरवरी 2008 में पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम, नवंबर 2014 में गृह मंत्री राजनाथ सिंह, अक्टूबर 2015 में राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी और विदेश राज्य मंत्री सुषमा स्वराज की जनवरी 2016 की यात्रा शामिल है।
दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों के 25 साल के प्रतीक के रुप में तीन भारतीय नौसैन्य जहाजों. विध्वंसक आईएनएस मुबंई, युद्धपोत आईएनएस त्रिशूल और टैंकर आईएनएस आदित्य ने वर्ष 2017 के मई में हाइफा बंदरगाह पर एक सद्भावना यात्रा की थी।
#BridgesofFriendship As the ships of EF are steaming in S Indian Ocean iaw #ActEastPolicy the WF ships (Mumbai& Trishul) enter Haifa, Israel pic.twitter.com/SnggjeaNLf
— SpokespersonNavy (@indiannavy) May 9, 2017
Source: Embassy of India in Israel /Embassy of Israel in India
3) कृषि: 2015-18 के लिए एक भारत-इजराइल कृषि कार्य योजना चालू है। साथ ही भारतीय किसानों के समक्ष नवीनतम तकनीक के प्रदर्शन करने वाले प्रस्तावित 26 कृषि उत्कृष्टता 26 केंद्रों में से 15 इजराइल की मदद के साथ भारत में विकसित किए जा रहे है।
7 फरवरी, 2017 को लोकसभा के इस उत्तर के अनुसार समझौते के चरण- I (2010-12) और चरण- II (2012-15) पूर्ण हो गए हैं।
Training&experts seminar conducted by @MASHAVisrael expert #EliSimansky @the MANGO #CenterofExcellence, #Talala,#Gujarat,2Binaugurated today pic.twitter.com/cCG6nkBtNP
— Daniel Carmon🇮🇱 (@danielocarmon) June 15, 2017
Source: Embassy Of Israel In India
भारत को बागवानी मशीनीकरण, संरक्षित खेती, बाग और चंदवा प्रबंधन, नर्सरी प्रबंधन, सूक्ष्म सिंचाई और बाद के फसल प्रबंधन में इजराइली प्रौद्योगिकियों से लाभ हुआ है, विशेष रुप से हरियाणा और महाराष्ट्र में।
CM @CMOMaharashtra @Dev_Fadnavis:we discussed increased cooperation in agriculture,water conservation&treatment,solar projects inAMRUTcities https://t.co/lC5SRoQ1HJ
— Daniel Carmon🇮🇱 (@danielocarmon) June 22, 2017
हर साल, 20,000 से अधिक किसान हरियाणा के करनाल के घरुंड में एग्रिकल्चर सेंटर ऑफ एक्सिलेंस का दौरा करते हैं, जहां एक नर्सरी टमाटर, चेरी-टमाटर, रंगीन शिमला मिर्च, खीरे, बैंगन और मिर्च का काली मिर्च सहित संकर पौधों का उत्पादन करती है और छोटे, व्यक्तिगत कोशिकाओं में विकसित, कंटेनरों या क्षेत्र में प्रत्यारोपित करने के लिए तैयार करती है।
भारत-इजराइल कृषि परियोजना पर दिसंबर 2014 की रिपोर्ट के मुताबिक फसल की पैदावार में 5 से 10 गुना बढ़ोतरी हुई है, जिसमें पानी के उपयोग में 65 फीसदी की कटौती और कीटनाशकों और उर्वरकों के इस्तेमाल में उल्लेखनीय कमी आई थी।
हरियाणा में इजराइल की कृषि प्रौद्योगिकी के सहयोग से खेती में वृद्धि
Source: Indo-Israel Agriculture Project
4) जल प्रबंधन: 28 जून, 2017 को, केंद्रीय कैबिनेट ने भारत में जल संरक्षण के राष्ट्रीय अभियान के लिए इजराइल के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) को मंजूरी दी है। ताजा पीने के पानी के सीमित स्रोतों के साथ एक अर्ध शुष्क क्षेत्र में स्थित इजराइल ने तकनीकी तौर पर निपुण इजराइल ने पानी प्रबंधन तकनीकों का विकास किया है।
भारत और इसराइल ने पहले नवंबर 2016 में जल संसाधन प्रबंधन और विकास सहयोग पर समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे।
India and Israel will do wonders together in our future #Water cooperation, covering all relevant watee disciplines -including #Desalination https://t.co/rmsUzR7pEp
— Daniel Carmon🇮🇱 (@danielocarmon) June 6, 2017
Proud2share a #GrowingPartnership w/#Haryana-"Hry will seek Israels assistance2conserve water" https://t.co/cO5RwKzix8 via @indiatoday pic.twitter.com/0txA6OBkue
— Daniel Carmon🇮🇱 (@danielocarmon) June 14, 2017
5) व्यापार: 2016-17 में 5.02 बिलियन डॉलर (33,634 करोड़ रुपए) के व्यापार के साथ इजराइल भारत का 38 वां सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार था। हम बता दें कि यह आंकड़ा 2012-13 के मुकाबले 18 फीसदी कम था। व्यापार संतुलन 2016-17 में भारत के पक्ष में 1.10 बिलियन डॉलर (7,370 करोड़ रुपए) था।
भारत- इजराइल व्यापार
Source: Ministry of Commerce; Figures in $ billion
भारत ने इजराइल को 2016-17 में 1.01 अरब डॉलर मूल्य के खनिज ईंधन और तेलों के निर्यात किए थे। 2016-17 में इजराइल से भारत के प्रमुख आयात में 1.11 अरब डॉलर मूल्य के प्राकृतिक या सुसंस्कृत मोती और कीमती पत्थर शामिल थे।
द्विपक्षीय व्यापार में करीब 54 फीसदी हीरों का व्यापार होता है। भारत के लगभग 40 हीरों के व्यापारियों ने रामैट-गण में हीरे के आदान-प्रदान में कार्यालय खोले हैं। नमें से कुछ व्यापारी करीब 30-40 वर्षों से इजराइल में सक्रिय रहे है।
इजराइल के निर्यातकों ने भारत में व्यापार करने में कठिनाई होने की शिकायत की है। अखबार द हारेटेज के मुताबिक, “भारी नियमों, भ्रष्टाचार और देश के विभाजन के कारण 29 राज्यों के कई न्यायालयों में अपनी नीतियां और नियम हैं। ”
इजरायली सरकार ने कई उपायों की पेशकश भी की है, जैसे कि "निर्यात बीमा प्रदान करना, विमानन क्षेत्र को उदारीकरण करना और दीर्घकालिक वीसा प्रदान करना"। इसका लक्ष्य अगले चार वर्षों में भारत में इजराइल के निर्यात को बढ़ा कर 25 फीसदी और पर्यटकों को 80,000 सालाना तक करना है।
मुंबई विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय संबंधों के प्रोफेसर उत्तरा सहस्रबुद्धे ने इंडियास्पेंड से बात करते हुए कहा, “कृषि, रक्षा और विज्ञान / प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग के कारण इजराइल के साथ संबंध भारत के लिए महत्वपूर्ण हैं। ”
वह आगे कहते हैं, “इजराइल भारत को मिसाइलों सहित महत्वपूर्ण हथियार प्रणालियों दे रहा है। उसने हमें वो हथियार दिए हैं जो हम सीधे वैदिक कारणों से अमेरिका से नहीं खरीद सकते थे। यदि सावधानी से काम किया जाए तो यह विदेशी निवेश का एक महत्वपूर्ण स्रोत भी है।”
(मल्लापुर विश्लेषक हैं और इंडियास्पेंड के साथ जुड़े हैं।)
यह लेख मूलत: अंग्रेजी में 04 जुलाई 2017 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।
"क्या आपको यह लेख पसंद आया ?" Indiaspend.com एक गैर लाभकारी संस्था है, और हम अपने इस जनहित पत्रकारिता प्रयासों की सफलता के लिए आप जैसे पाठकों पर निर्भर करते हैं। कृपया अपना अनुदान दें :
__________________________________________________________________
"क्या आपको यह लेख पसंद आया ?" Indiaspend.com एक गैर लाभकारी संस्था है, और हम अपने इस जनहित पत्रकारिता प्रयासों की सफलता के लिए आप जैसे पाठकों पर निर्भर करते हैं। कृपया अपना अनुदान दें :