भारत के 2020 कोयला लक्ष्य के लिए अपेक्षित राशि = रक्षा बजट का 4 गुना
सरकार का अनुमान है कि वर्ष 2020 तक भारत में कोयले की 1.5 बिलियन टन की आवश्यकता होगी। लेकिन ब्रूकिंग्स इंडिया की एक हालिया रिपोर्ट पर इंडियास्पेंड द्वारा की गई विश्लेषण से पता चलता है कि अगले चार वर्षों में भारत की कोयले की ज़रुरत 1.2 बिलियन से अधिक नहीं होगी।
इस लक्ष्य के नीचे होने का एक कारण और है: अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सरकार को करीब 10 लाख करोड़ रुपए (149 बिलियन डॉलर) निवेश करने की ज़रुरत है। यह जानकारी जून 2016 की प्राइसवॉटरहाऊस कूपर्स (पीडब्ल्यूसी) की इस रिपोर्ट में सामने आई है और यह भारत की सालाना रक्षा बजट का चार गुना है।
पिछले साल की शुरुआत की सरकार के लक्ष्य को देखते हुए केंद्रीय कोयला सचिव अनिल स्वरूप ने इस प्रकार कोयला उत्पादन का विभाजन किया था: “हमने जिस पर काम किया है वह है कि एक बिलियन टन कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) से आ जाएगा और 500-600 मिलियन टन (एमटी) निजी क्षेत्र से आ जाएगा।”
सीआईएल एक राज्य के स्वामित्व वाली कंपनी है जिसकी भारत के कोयला उत्पादन में 80 फीसदी की हिस्सेदारी है। पीछले दो वर्षों में, सीआईएल ने निश्चित तौर उत्पादन में 74 मिलियन टन की वृद्धि की है। इस संबंध में Factchecker ने अगस्त 2016 में विस्तार से बताया है। लेकिन फिर भी हमें लगता है कि सरकार को जितने की उम्मीद है उतना उत्पादन हो पाना मुश्किल है।
कोल इंडिया के उत्पादन में वृद्धि
Source: Coal India Limited
2020 तक वास्तव में हमें कितने कोयले की ज़रुरत होगी?
छह साल बाद भारत की कोयला जरूरतों का अनुमान लगाने के लिए ब्रूकिंग्स रिपोर्ट आंकड़ों के तीन सेट पर फोकस करता है:
1. मूल वृद्धि दर : इस मामले में , रिपोर्ट में दो अलग-अलग परिदृश्य का विश्लेषण किया गया है :
a) परिदृश्य 1: गैर बिजली क्षेत्र की मांग के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के आधार पर बहिर्वेशन किया गया था और यह अनुमान लगाया गया कि मांग और उत्पादन लोचदार होगा - मांग और कीमतों में वृद्धि के लिए उत्पादन की जवाबदेही होगी। बिजली की मांग की गणना आगामी ताप विद्युत क्षमता पर की गई (सभी संयंत्र का निर्माण, अपने स्थानों , प्रौद्योगिकी, और स्थिति के तहत जांच की गई, इसी तरह के एक प्लांट लोड फैक्टर मानते हुए (पीएलएफ) – या वित्तिय वर्ष 14-15 में बिजली संयंत्र की क्षमता के उपयोग पर की गई। गैर बिजली क्षेत्र के लिए अनुमान में निम्नलिखित शामिल हैं: 8 फीसदी जीडीपी विकास, आपूर्ति और मांग के कारण संबंधित क्षेत्रीय सकल घरेलू उत्पाद में परिवर्तन, और आधार वित्तिय वर्ष 14-15 में आयात के लिए जारी आयात आनुपातिक। यह परिदृश्य 1,311 एमटी का अनुमान करता है।
b) परिदृश्य 2: गैर बिजली क्षेत्र की मांग परिदृश्य 1 की तरह ही रखा गया है। बिजली की मांग गणना 2020 तक कोई बिजली की कटौती न होने और असंबद्ध ग्रामीण उपभोक्ताओं का विद्युतीकरण और वितरण नुकसान में कमी मान कर की गई है। इस परिदृश्य में अनुमान 1228 एमटी पर रखा गया है जोकि रिपोर्ट के अनुसार सबसे अधिक यथार्थवादी आंकड़ा है।
2. उच्च कोयला :यह विधि, जिसमें कोयले की मांग 1,291 एमटी पर रखा गया है, आशावादी है और तापीय कोयला की आयात न होना – (कोकिंग कोल - मुख्य रूप से इस्पात के आयात में उपयोग), 8 फीसदी की उच्च जीडीपी विकास दर , कोई तरह की बिजली कटौती न होने के साथ 100 फीसदी विद्युतीकरण और अक्षय ऊर्जा का मामूली वृद्धि की कल्पना करता है।
हालांकि, बिजली उत्पन्न करने के लिए कोयले के उपयोग से भारत की सालाना स्वास्थ्य लागत 4.6 बिलियन डॉलर (29,400 करोड़ रुपए) है जोकि 1,000 मेगा वाट की पांच बिजली संयंत्रों की स्थापना की लागत या भारत की 2 फीसदी की स्थापित क्षमता (प्रति वर्ष) के बराबर है, भारत के पास विकल्प थोड़ा कम हो सकता है लेकिन बिजली के प्राथमिक स्रोत के रूप में कोयले पर ध्यान केंद्रित करने के लिए, कोयला आधारित बिजली के लिए जरूरत के साथ, 2030 तक तीन गुना वृद्धि का अनुमान लगाया गया है, जैसा कि इंडियास्पेंड ने मई 2015 में विस्तार से बताया है।
भारत में 75 फीसदी बिजली का उत्पादन कोयले से होता है, और उपलब्ध सस्ती ऊर्जा स्रोतों में से एक है। लेकिन अन्य व्यवहार्य विकल्प पर इसका मुख्य लाभ यह है कि यह काफी हद तक प्रकृति से हस्तक्षेप - भूकंप, बाढ़, सूखा - आर्थिक अनियमितता और कृत्रिम दुर्घटनाओं की प्रतिरक्षा है।
3. कम कोयला :इस परिदृश्य में वित्तीय वर्ष '14 -'15 में उसी अनुपात में आयात के साथ आपूर्ति की गुणवत्ता में एक आंशिक सुधार की कल्पना करता है और 1,139 एमटी का अनुमान करता है।
2020 तक कोयले की आवश्यकता का अनुमान
Source: Brookings India
क्यों लक्ष्य हैं महत्वकांक्षी?
आज भारत का करीब 45 एमटी कोयला उत्पादन (वित्तीय वर्ष '14-15 में भारत के कोयला उत्पादन का 7.4 फीसदी) निजी खनिक से आता है। 2020 तक सरकार के 500 एमटी टन के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अभूतपूर्व 11 गुना वृद्धि की आवश्यकता होगी या निजी क्षेत्र में 61 फीसदी चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर की ज़रुरत होगी।
अगर कोल इंडिया और अन्य खनन पीएसयू को 1 बिलियन टन लक्ष्य तक पहुंचना है तो उन्हें 12 फीसदी सीएजीआर से बढ़ने की जरूरत होगी। यदि विकास दर का लक्ष्य सिर्फ कोल इंडिया तक सीमित है तो कंपनी की सालाना चक्रवृद्धि दर 15 फीसदी होगी। रिपोर्ट कहती है कि हालांकि कोल इंडिया ने वित्तिय वर्ष 15-16 में 8.5 फीसदी विकास दर हासिल किया – जोकि अब तक का सबसे अच्छा है – लेकिन यह अब भी 12 एमटी से अपने लक्ष्य से पीछे है, पिछले वित्त वर्ष में 538 एमटी के लिए व्यवस्थित किया है।
कोयला उत्पादन में अपेक्षित विकास
Source: Brookings India
तो कोल इंडिया के लिए 12 फीसदी की वृद्धि संभव नहीं है, विशेष रूप से एक बड़ा आधार पर भविष्य में संभव नहीं लगता है। 500 आधार पर एक 12 फीसदी की वृद्धि (500 एमटी के आसपास उत्पादन) – कोल इंडिया ने 2015-16 में 538 एमटी का उत्पादन किया है - 800 आधार पर की तुलना में आसान है (800 एमटी के करीब उत्पादन) जिसका मतलब है कि कोल इंडिया को भविष्य में 800 मिलियन टन से अधिक उत्पादन करना होगा।
लक्ष्य के लिए 10 लाख करोड़ रुपए निवेश करने की ज़रुरत है
पीडब्ल्यूसी की रिपोर्ट कहती है, भारत सरकार के कोयला उत्पादन का लक्ष्य को कोयला खनन और संबद्ध क्षेत्रों जैसे कि बिजली, इस्पात, सीमेंट, रसद के लिए बुनियादी सुविधाओं, और कोयला वाशरीज के लिए 10 लाख करोड़ रुपए की आवश्यकता होगी।
रिपोर्ट कहती है कि भारत को भूमि अधिग्रहण सुधार,पर्याप्त पानी सुनिश्चित करने, रसद ढ़ाचे बढ़ाने, कोयला वाशरीज विकसित करने और 1.5 बिलियन टन लक्ष्य को सुनिश्चित करने के लिए कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित करने आवश्यकता होगी।
कामेश्वर राव, ऊर्जा, उपयोगिताओं और खनन नेता, पीडब्ल्यूसी इंडिया, ने रिपोर्ट में लिखा है कि, “क्षेत्र का विकास, भारत के आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण होगा। पिछले कुछ वर्षों में प्रमुख नीतिगत परिवर्तन से क्षेत्र को आवश्यक प्रोत्साहन मिला है। सरकार को बुनियादी ढांचे, धन, प्रौद्योगिकी उन्नयन और कौशल विकास के रुप में अनुकूल परिस्थितियों बनाने के द्वारा क्षेत्र के विकास का नेतृत्व करना होगा।”
(साहा एक स्वतंत्र पत्रकार और इंस्ट्टयूट ऑफ डिवलपमेंट स्टडीज़, ससेक्स विश्वविद्यालय में एमए जेंडर एवं डिवलपमेंट 2016-17 के कैन्डिडेट हैं।)
यह लेख मूलत: अंग्रेज़ी में 08 सितम्बर 2016 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।
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