भारत में तीन साल में 350 फीसदी बढ़ा साइबर अपराध
भारत में जैसे-जैसे इंटरनेट के इस्तेमालमें बढ़ोतरी हो रही है, वैसे-वैसे साइबर अपराध में भी इजाफा देखा जा रहा है लेकिन भारतीय कानून साइबर अपराध के बढ़ते मामलों से निपटने लिए पर्याप्त नहीं है।
नेशनल काइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के अनुसारी 2013 में समाप्त हुए तीन वर्षों के दौरान साइबर क्राइम के मामले 966 से बढ़ कर 4,356 हो गए, इसमें 350 फीसदी की बढ़ोतरी हुई।
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2010-13 के दौरान साइबर क्राइम के दर्ज हुए मामले और गिरफ्तारियां
Source: NCRB
2014 के अंत तक भारत में 3,020 लाख इंटरनेट इस्तेमालकर्ता होने का अनुमान था और इस वर्ष उम्मीद है कि यह अमरिका को इस मामले पछाड़ कर चीन के बाद दूसरे स्थान पर आ जाएगा। भारत की जनसंख्या का लगभग 24 फीसदी तब ऑनलाइन होगा।
जैसे-जैसे साइबर क्राइम बढ़ रहा है, संकेत इस बात के हैं कि क्रिमिलन-जस्टिस सिस्टम इससे निपटने में सक्षम नहीं है, अपराधस के मुकाबले सजा का प्रतिशत काफी कम है, यद्यपि इस संदर्भ में राष्ट्रीय स्तर का कोई विश्वसनीय आंकड़ा उपलब्ध नहीं है।
साइबर क्राइमका मुख्य उद्देश्य : अवैध लाभ और तंग करना
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जान बूझ कर किए गए साइबर क्राइम के दर्ज मामले, 2013
Source: NCRB
आंकड़ों से स्पष्ट होता है कि साइबर क्राइम का शीर्ष उद्देश्य 'अवैध कमाई करना' और 'तंग करना' है। ज्यादातर अपराधों का पंजीकरण 'अन्य' की श्रेणी में किया गया है, 2013 में इस श्रेणी के अंतर्गत 2,144 मामले दर्ज किए गए थे। इतनी संख्या में मामलों को अन्य श्रेणी में दर्ज किया जाना बताता है कि वर्तमान नियम और कानून साइबर अपराध से निपटने के लिए पर्याप्त नहीं हैं।
बेंगलुरु सेंटर फॉर इंटरनेट एंड सोसायटी के संस्थापक-निदेशक सुनील अब्राहम ने कहा कि साइबर अपराध को 'अन्य' की श्रेणी में इकट्ठा करने की जगह इनका वर्गीकरण किया जाना चाहिए।
युवा और जानकार : साइबर अपराध के लिए गिरफ्तार हुए
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साइबर क्राइम के लिए उम्र समूह के हिसाब से हुई गिरफ्तारी, 2013
Source: NCRB
इन कानून के तहत जिन्हें गिरफ्तार किया गया वे आश्चर्यजनक रूप से युवा थे। आंकड़े बताते हैं कि 18-30 आयु वर्ग की प्रतिशतता साइबर अपराध में सबसे अधिक थी। इस आयु-वर्ग के 1,638 लोगों को गिरफ्तार किया गया जबकि 2013 में कुल गिरफ्तारी 3,301 हुई थी।
कुछ साइबर लॉ आधुनिक और प्रजातांत्रिक सोसायटी के लिए काफी सख्त हैं जो इंटरनेट के इस्तेमाल बढ़ने के साथ ही जबरदस्ती बढ़ते जा रहे हैं। इन कानूनों का विरोध कई विशेषज्ञ, वकील और बोलने की आजादी वाले एक्टिविस्ट कर रहे हैं।
विशेष रूप से धारा 66ए पर विचार कीजिए, जो कंप्यूटर या पर्सनल कम्युनिकेशन डिवाइस के जरिए 'अपमानजनक' संदेश भेजनेसे जुड़ा है। कोई भी व्यक्ति जो दोषी पाया जाता है उसे तीन साल तक की कैद और जुर्माना हो सकता है।
2012 में, मुंबई में धारा 66ए के तहत दो लड़कियों को गिरफ्तार भी किया गया था। बाल ठाकरे की मृत्यु के बाद उसने मुंबई बंद पर सावल उठाए थे और उनमें से एक ने फेसबुक पर अपने दोस्त की इस पोस्ट को सिर्फ 'लाइक' किया था।
कानून का गलत इस्तेमाल न हो इसके लिए सर्वोच्च न्यायालय ने आदेश दिया था कि शहरों में गिरफ्तारी पुलिस महानीरिक्षक से अनुमति मिलने के बाद और जिलों में पुलिस अधीक्षक से अनुमति मिलने के बाद ही की जा सकती है।
सवोच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा,' हाल ही में कुछ ऐसे मामले सामने आए हैं जिनमें इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट 2000 की धारा 66ए और उसके साथ भारतीय दंड संहिता की अन्य धाराएं कुछ लोगों के विरुद्ध इसलिए लगाई गई क्योंकि उसने कुछ ऐसी चीजें पोस्ट/कम्युनिकेट की थी जिसे पुलिस ने नुकसान पहुंचाने वाला समझा था।' सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि साइबरस्पेस के आरोपित गलत इस्तेमाल वाले मामलों में ज्यादा सावधानी बरते जाने की जरूरत है। सर्वोच्च न्यायालय धारा 66ए की सांवैधानिक महत्व की जांच कर रही है।
अब्राहम ने कहा कि इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट, 2000 की कई धाराओं के साथ समस्या है, जैसे कि धारा 66ए और धारा 69 (किसी कंप्यूटर रिसोर्स के जरिए पब्लिक एक्सेस रोकने के निर्देश जारी करने का अधिकार) में भारी खामियां हैं। उन्होंने कहा कि ये कानून ब्रिटेन और अमेरिका के कानूनों से 'कॉपी-पेस्ट' किए गए हैं।
साइबर क्राइम में महाराष्ट्र शीर्ष पर
चित्र-4 साइबर क्राइम के तहत राज्यवार हुई गिरफ्तारियां (आईटी एक्ट के तहत), 2013
चित्र-5 साइबर क्राइम के तहत राज्यवार हुई गिरफ्तारियां (आईपीसी के तहत), 2013
Source: NCRB
ऐसा लगता है कि साबइर क्राइम उन राज्यों में ज्यादा है जहां प्रमुख शहरें हैं, जो संकेत करता है कि शहरीकरण बढ़ने के साथ ही इंटरनेट की बढ़ती पहुंच भी एक कारक है। आईटी एक्ट 2000 के तहत सबसे ज्यादा लोग महाराष्ट्र में गिरफ्तार किए गए और उत्तर प्रदेश ऐसा राज्य रहा जहां सबसे ज्यादा लोग भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत गिरफ्तार किए गए।
(देवानिक साहाद पॉलिटिकल इंडियन के डाटा एडिटर हैं)
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