मुंबई: 16 जुलाई, 2019 को दक्षिण मुंबई में तीन मंजिला इमारत के ढहने से कई लोगों की जान गई और संपत्ति का नुकसान हुआ। शहर में अन्य 499 इमारतों की पहचान की गई है जो इस तरह से खतरनाक हैं। नगरपालिका के आंकड़ों के इंडियास्पेंड के विश्लेषण से पता चलता है कि तीन साल से 2020 तक भारत की वित्तीय राजधानी के लिए आग और आपदा-प्रबंधन बजट में 38 फीसदी की गिरावट आई है।

बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) भारत का सबसे समृद्ध नागरिक निकाय है। 2015-16 से 2019-20 तक नगरपालिका डेटा पर हमारे विश्लेषण के अनुसार, पिछले दो वर्षों से 2020 तक, द्वीप-शहर के पश्चिमी समुद्र तट के साथ आठ-लेन, 32-किमी तटीय सड़क बनाने के लिए धन में 60 फीसदी वृद्धि के साथ इसके आपदा प्रबंधन और फायर ब्रिगेड के बजट में गिरावट आई है।

2 जून, 2019 को हिंदुस्तान टाइम्स में उद्धृत आईआईटी बॉम्बे के अध्ययन के अनुसार, बीएमसी की आग और आपदा प्रतिक्रिया की अपर्याप्तता इस तथ्य में स्पष्ट थी कि दक्षिण मुंबई में फायर ब्रिगेड को केवल तीन आपातकालीन कॉलों में से एक, आठ मिनट के भीतर मदद मिली, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृत मानक है।

आईआईटी के अध्ययन में अधिक फायर स्टेशनों और ब्रिगेड के बेड़े के लिए अतिरिक्त वाहनों की सिफारिश की गई थी, ताकि दक्षिण मुबंई इलाके में बेहतर सेवा मिल सके, जहां प्रति वर्ग किमी 92,312 लोग रहते हैं, इसकी तुलना में न्यूयार्क में प्रति वर्ग किमी 10,796 लोग रहते हैं। न्यूयार्क की आबादी मुंबई से लगभग 40 लाख कम है।

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार 2015 में 1,830 ‘स्ट्रक्चरल कलैप्स’ के मामले रिपोर्ट हुए हैं। इस आंकड़े के साथ मुंबई की विकट स्थिति देशव्यापी है। 59 फीसदी या 1,080 तक ऐसे कलैप्स आवासीय भवनों में हुए थे।

इसी वर्ष, 1,885 लोगों ( या हर दिन पांच ) की मृत्यु ‘स्ट्रक्चरल कलैप्स’ में हुई थी। इनमें से, 1,109 या हर दिन तीन लोगों की मौत ‘ घरों/आवासीय भवनों’ में हुई।

2019-20 के नगरपालिका बजट में, मुंबई फायर ब्रिगेड के लिए बीएमसी ने 201.4 करोड़ रुपये या अपने पूंजीगत व्यय का 2 फीसदी अलग रखा। इसमें नए आपदा प्रबंधन उपकरण, सुरक्षा गियर, वाहन और फायर स्टेशन के लिए निवेश शामिल हैं।

जबकि यह 2018-19 से 11.5 फीसदी की वृद्धि है, फायर ब्रिगेड का बजट दो वर्षों में 39.7 फीसदी और 7.5 फीसदी गिरावट के बाद 2018-19 से अब ठीक हो रहा है। इससे पहले, 2016-17 में बीएमसी के बजट 273.9 करोड़ रुपये था, जो पांच सालों में सबसे ज्यादा था।

2017-18 में, बीएमसी ने अपने पूंजीगत व्यय में तटीय सड़क परियोजना को शामिल किया। वर्ष के लिए 1,000 करोड़ रुपये (156 मिलियन डॉलर) आवंटित किए गए। इसके बाद, परियोजना पर खर्च 2018-19 में 33 फीसदी और 2019-20 में 6 फीसदी बढ़ा।

16 जुलाई जो आपदा हुई, वह 709 दिनों बाद सामने आई, क्योंकि बीएमसी द्वारा 7 अगस्त 2017 को दक्षिण मुंबई के डोंगरी में ढहने वाले केसरभाई भवन की पहचान एक "खतरनाक संरचना" के रूप में की गई थी, जिसे ‘खाली कराने और ढहा देने की जरूरत महसूस’ की गई थी।

यह लेख मूलत: अंग्रेजी में 16 जुलाई, 2019 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।

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