मेक इन इंडिया: प्रोत्साहन की कोशिशें
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने वित्तीय वर्ष 2015-16 के लिए बजट पेश करते समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किए गए "मेक इन इंडिया " अभियान के लिए नीतिगत उपाए रेखांकित किए हैं।
इस योजना का उद्देश्य विनिर्माण क्षेत्र में मध्यम अवधि में सालाना 12-14% तक की वृद्धि करने के लिए और 2022 तक करीब 100 मिलियन रोजगार के अवसर पैदा करना है। इस योजना के अंतर्गत आईटी, ऑटो, रक्षा और खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्रों सहित 25 मुख्य क्षेत्रों की पहचान की गई है।
2015-16 का बजट पेश करते हुए जेटली ने निम्नलिखित उपायों की घोषणा की:
कर लाभ
- पहली और द्वितीय श्रेणी दोनों वैकल्पिक निवेश कोष (हेज फंड) में टैक्स " पास थ्रू "(मतलब आरईआईटीएस पर कोई टैक्स देनदारी नहीं) की अनुमति दी जाए।
- आरईआईटीएस में इकाइयों की लिस्टिंग के समय में बाहर निकलने के प्रायोजकों के लिए पूंजीगत लाभ शासन का युक्तिकरण(रियल एस्टेट निवेश ट्रस्ट जो मुख्य रूप से मॉल और व्यापार पार्कों में निवेश करते हैं )।
- प्रौद्योगिकी आमद के प्रोत्साहन के लिए तकनीकी सेवाओं के लिए रॉयल्टी और फीस पर आयकर की दर 25% से घटाकर 10% कर दी गई है।
- सभी व्यावसायिक संस्थाओं को नए नियमित कामगार को रोज़गार देने पर कटौती लाभ और इसके लिए पात्रता की सीमा कम की जाए।
- कुछ आदानों, कच्चे माल, मध्यवर्ती और 22 मदों के घटकों पर ड्यूटी के विपरीत प्रभाव को कम करने के लिए बेसिक कस्टम ड्यूटी शुल्क में कमी की गई
- आईटीए बाध्य वस्तुओं के निर्माण में उपयोग होने वाले लोकप्रिय मुद्रित सर्किट बोर्ड को छोड़कर बाकि सभी वस्तुओं में एसएडी (विशेष अतिरिक्त सीमा शुल्क) में छूट दी गई है
- कुछ निवेश वस्तुओं और कच्चे माल के आयात पर एसएडी कम कर दिया गया है।
- एम्बुलेंस के चेसिस पर उत्पाद शुल्क 24% से 12.5% तक कम किया गया है।
"मेक इन इण्डिया " योजना का उद्देश्य विशेष रूप से विदेशी निवेशकों या कंपनियों को कर लाभ प्रदान करना है। उदाहरण के लिए, उन कम्पनियों के लिए जिनके पास विदेशो में ,मॉरीशस जैसे टैक्स हैवन्स में पैसा है, पर लगाम लगाने के लिए बने सामान्य कर परिवर्धन रोधी नियम (जीएएआर), को एक और दो साल के लिए टाल दिया गया है।
योजनाएं
- स्किल इंडिया जैसी योजनाओं को कुशल श्रम बल को बढ़ावा देने के लिए शुरू किया जाएगा। इस योजना के अंतर्गत आईआईटी, एम्स, बागवानी अनुसंधान एवं शिक्षा के लिए पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टिट्यूट और महाराष्ट्र, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में औषधि शिक्षा और अनुसंधान के तीन नए राष्ट्रीय संस्थान और नगालैंड और उड़ीसा में विज्ञान और शिक्षा अनुसंधान के लिए एक संस्थान के एक देखेंगे।
- सीएमएलवी देशों, अर्थात्, कंबोडिया, म्यांमार, लाओस और वियतनाम में विनिर्माण केंद्रों के गठन के लिए परियोजना विकास कंपनी की स्थापना
- 20,000 करोड़ रुपये की पूंजी और 3,000 करोड़ रुपये के ऋण गारंटी निधि के साथ माइक्रो यूनिट्स डेवलपमेंट एंड रिफाइनेंस एजेंसी अर्थात् मुद्रा बैंक का गठन।
- अहमदाबाद- धोलेरा विशेष निवेश क्षेत्र (एसआईआर) और शेंद्रा-बिडकीन औद्योगिक पार्क, दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर (डीएमआईसी) के कुछ भाग अब आधारभूत संरचना पर काम शुरू करने की स्थिति में हैं।
- औद्योगिकीय-वित्तीय उद्भवन और नए व्यापार के सभी पहलुओं को प्रोत्साहित करने के सरलीकरण कार्यक्रम के रूप में स्वरोजगार और प्रतिभा का उपयोग (सेतु) की स्थापना। इसके लिए एनआईटीआई में 1,000 करोड़ रुपये की प्रारंभिक राशि अलग से रखी जाएगी।
प्रोत्साहन
- आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के अधिसूचित पिछड़े क्षेत्रों में 2015/01/04 से 31-03-2020 तक की अवधि के दौरान स्थापित की गई नई विनिर्माण इकाइयों के लिए 15% का अतिरिक्त निवेश भत्ता और 35% का अतिरिक्त ह्रास।
- मेड इन इंडिया और भारत में खरीदें और बनाएँ नीतियों को एयर -क्राफ्ट सहित रक्षा उपकरणों के क्षेत्र में अधिक से अधिक आत्मनिर्भर करना ।
आर्थिक सर्वेक्षण के द्वारा इस तथ्य पर प्रकाश डाला गया था कि उद्योग के लिए विकास की दर वास्तव में पिछले कुछ वर्षों में , विशेष रूप से जब 2004-05 से 2011-12 के लिए आधार वर्ष में परिवर्तन हुआ था , सुधार हुआ है। हालांकि, यह क्षेत्र अभी भी (खनन के अपवाद के साथ) ऋण वृद्धि और (धीमी बिक्री और शुद्ध मुनाफे में गिरावट के साथ) कॉर्पोरेट क्षेत्र प्रदर्शन के संदर्भ में मंदी से त्रस्त है।
table{
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}
Industrial Performance, 2012-13 to 2014-15 | |||
---|---|---|---|
2012-13 | 2013-14 | 2014-15 | |
General | 1.1 | -0.1 | 2.1 |
Sectoral | |||
Mining | -2.3 | -0.6 | 1.7 |
Manufacturing | 1.3 | -0.8 | 1.2 |
Electricity | 4 | 6.1 | 10 |
Use based | |||
Basic goods | 2.5 | 2.1 | 6.9 |
Capital goods | -6 | -3.6 | 4.8 |
Intermediate goods | 1.6 | 3.1 | 1.7 |
Consumer goods | 2.4 | -2.8 | -4.9 |
Consumer durables | 2 | 2.8 | -15.2 |
Consumer non-durables | -12.2 | 4.8 | 2.2 |
Source: Economic Survey (includes percentages from April to Dec 2014-15*)
समग्र विकास दर में पिछले एक साल में नकारात्मक 0.1% से चालू वित्त वर्ष में 2.1% तक का सुधार हुआ है।प्राथमिक वस्तुओं में (धातु, रसायन, वन उत्पादों सहित)2014-15 में 6.9% के साथ सबसे अधिक विकास दर देखी गई उसके उपरान्त पूंजीगत वस्तुओं में 4.8% से कम की वृद्धि दर रही। कंज्यूमर ड्यूरेबल्स ने भी 15.2% की गिरावट दर्ज की है।
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