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मुंबई: हाल के सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि एक सामान शैक्षिक योग्यता होने के बावजूद, भारत में पुरुषों की तुलना में महिलाएं कम कमाती हैं।

शहरी इलाकों में, स्नातक डिग्री वाली महिला को परिवहन और भंडारण क्षेत्र में प्रति दिन 690.68 रुपये का भुगतान किया जाता है, जबकि एक पुरुष को 30 फीसदी अधिक 902.45 रुपये मिलते हैं। कृषि क्षेत्र में, ग्रामीण भारत में एक अशिक्षित महिला मजदूर प्रति दिन 88.2 रुपये प्राप्त करती है, जबकि एक अशिक्षित पुरुष मजदूरों को 128.52 रुपये मिलता है, जो 45 फीसदी अधिक है।

हालांकि, कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जिनमें महिलाओं को पुरुषों से अधिक भुगतान मिलता है, लेकिन वहां यह अंतर काफी छोटा है। उदाहरण के लिए, ग्रामीण इलाकों में निर्माण क्षेत्र में, महिलाओं (शिक्षा के स्तर के बावजूद) प्रति दिन औसतन 322 रुपये का भुगतान किया जाता है जबकि पुरुषों को 279.15 रुपये का भुगतान होता है, जो 43 रुपये या 13 फीसदी कम है।

शहरी इलाकों में, परिवहन और भंडारण क्षेत्र में,शैक्षिक स्तर के बावजूद महिलाओं को प्रति दिन औसतन 455 रुपये का भुगतान किया जाता है, जबकि पुरुषों को प्रति दिन 443 रुपये यानी 12 रुपये या 2.7 फीसदी कम भुगतान किया जाता है।

मई, 2018 में सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा जारी ' मेन एंड वुमन इन 2017 ' की रिपोर्ट में उद्योग और काम के प्रकार द्वारा व्यवस्थित, 15-59 साल की उम्र के पुरुषों और महिलाओं के लिए औसत दैनिक मजदूरी और वेतन पर डेटा शामिल है।

शिक्षा स्तर के अनुसार महिलाओं और पुरुषों के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में प्रति दिन मजदूरी

Source: Men and Women In 2017, Ministry of Statistics and Program Implementation

Note: Figures in rupees. Manufacturing 1 includes Food and Beverages, Tobacco, Textiles, Textile Products, and Leather and Footwear; Manufacturing 2 includes Wood and Cork, Pulp, Paper, Paper Products, Printing and Publishing, Coke, Refined Petroleum and Nuclear Fuel, Chemicals and Chemical Products, Rubber and Plastics, Other Non-Metallic Minerals, Basic Metals and Fabricated Metal Products, Machinery, Electrical and Optical Equipment.

ग्रामीण क्षेत्रों में एक अशिक्षित महिला की तुलना में एक स्नातक महिला 5.8 गुना अधिक कमाती है, जबकि एक अशिक्षित पुरुष की तुलना में स्नातक पुरुष 3.6 गुना अधिक कमाता है। शहरी क्षेत्रों में एक अशिक्षित महिला की तुलना में स्नातक महिला चार गुना अधिक कमाती है, वहीं एक अशिक्षित पुरुष की तुलना में स्नातक पुरुष तीन गुना ज्यादा कमाता है।

यह तथ्य दिलचस्प है कि उच्च शिक्षा के बाद भी पुरुषों और महिलाओं के बीच वेतन का अंतर उच्च रहता है - एक स्नातक महिला को पूरे क्षेत्रों में औसतन 609 रुपये का भुगतान किया जाता है, जबकि स्नातक या उच्चतर डिग्री वाले व्यक्ति 805 रुपये कमा सकते हैं। स्नातक या उच्चतर डिग्री वाली महिलाएं अपने पुरुष समकक्षों की तुलना में 24 फीसदी कम कमाती हैं।

ग्रामीण इलाकों में महिलाओं के लिए निर्माण क्षेत्र सबसे ज्यादा भुगतान करने वाला क्षेत्र है, जबकि खनन क्षेत्र पुरुषों के लिए सबसे ज्यादा भुगतान होता है, जैसा कि आंकड़ों से पता चलता है।

शहरी इलाकों में, पुरुषों को खनन क्षेत्र में सबसे ज्यादा भुगतान मिलता है जबकि महिलाओं को सार्वजनिक क्षेत्र (जैसे बिजली, गैस और पानी की उपयोगिता) में सबसे अधिक भुगतान मिलता है।

जैसा कि पहले बताया गया है, ग्रामीण क्षेत्रों में परिवहन जैसे कुछ क्षेत्र हैं, जहां महिलाओं को पुरुषों से अधिक भुगतान मिलता है - शहरी क्षेत्रों में, परिवहन और भंडारण में पुरुषों की तुलना में महिलाओं को औसतन 11 रुपये अधिक भुगतान होता है।

2016 में अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन द्वारा प्रकाशित वैश्विक मजदूरी रिपोर्ट 2016-17 ने बताया था कि 30 फीसदी पर भारत में लिंग वेतन अंतर दुनिया में सबसे ज्यादा था।

भारत में शीर्ष प्रबंधन में महिलाएं पुरुषों की तुलना में 18.8 फीसदी कम कमाती हैं, जैसा कि सलाहकार फर्म ‘कोर्न फेरी हे ग्रुप’ ने 2016 की रिपोर्ट में वरिष्ठ भूमिकाओं में महिलाओं के कम प्रतिनिधित्व पर अंतर को दोषी ठहराते हुए कहा था।

वैश्विक सर्वेक्षण के आधार पर सलाहकार एक्सेंचर ने 2017 की रिपोर्ट में कहा कि आम तौर पर मूल्य श्रृंखला में, भारत में महिलाएं पुरुषों की तुलना में 67 फीसदी कम कमाती हैं, और अंतर को खत्म करने में 100 से अधिक वर्षों लगेंगे।

इस बीच, कम महिलाएं श्रमिक श्रम बल में भाग ले रही हैं। मुंबई स्थित वैचारिक संस्था ‘सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी’ (सीएमआईई) के अनुसार 2017 के पहले चार महीनों में, 2.4 मिलियन महिलाएं रोजगार के नक्शे से बाहर हो गईं। इस बारे में इंडियास्पेंड ने 5 अगस्त, 2017 की रिपोर्ट में विस्तार से बताया है।

दक्षिण एशियाई देशों में, 2013 में पाकिस्तान के बाद, भारत में महिला रोजगार की सबसे कम दर थी। विश्व बैंक द्वारा अप्रैल, 2017 की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2013 से पहले लगभग दो दशकों में, भारत में महिला श्रम बल भागीदारी 34.8 फीसदी से घटकर 27 फीसदी हो गई है।

2017 की वैश्विक लिंग गैप रिपोर्ट के लिए विश्व आर्थिक मंच द्वारा बनाई गई लैंगिक समानता रैंकिंग पर 144 देशों में भारत का स्थान 108 वां है। इसमें भारत बांग्लादेश (47) और चीन (100 पर) के पीछे है।

बेहतर शिक्षा और स्वास्थ्य, प्रति व्यक्ति उच्च आय, तेजी से और अधिक समावेशी आर्थिक विकास और अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा से देश में बेहतर लिंग समानता जुड़ा हुआ है।

श्रम बल भागीदारी दरों में लिंग अंतर को खत्म करने से 2025 तक वैश्विक जीडीपी में 12 ट्रिलियन डॉलर जोड़े जाएंगे, जैसा कि ‘मैककिंसे ग्लोबल इंस्टीट्यूट’ द्वारा व्यापक रूप से उद्धृत अध्ययन 2015 में कहा गया था।

(सालवे विश्लेषक हैं और इंडियास्पेंड के साथ जुड़ी है।)

यह लेख मूलत: अंग्रेजी में 5 जून, 2018 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।

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