लोकसभा के काम-काज में 92 घंटे के अवरोध की लागत 144 करोड़ रुपए
मध्य प्रदेश से बीजू जनता दल के सांसद जय पांडा ने घोषणा की है कि लोकसभा के मौजूदा सत्र के दौरान व्यर्थ हुए 92 घंटे की क्षतिपूर्ति के लिए वह अपने नवंबर और दिसंबर का वेतन छोड़ देंगे। हालांकि, उन्होंने यह उल्लेख नहीं किया कि यह राशि कितनी होगी। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 2014 के बाद से हुए 10 सत्रों में से मौजूदा सत्र सबसे ज्यादा बाधित हुआ और इस सत्र में सबसे कम काम हुआ है।
Winter session of Parlmt ends after passing the disabilities bill. Phew! As usual, i'll be returning salary proportional to time wasted/lost
— Baijayant Jay Panda (@PandaJay) December 16, 2016
18 दिसम्बर, 2016 को श्री पांडा ने कहा कि, “मैं यह कई वर्षों से कर रहा हूं,करीब चार-पांच वर्षों से। हर सत्र के अंत में, लोकसभा में व्यर्थ हुए समय की क्षतिपूर्ति के लिए अपने वेतन और दैनिक भत्ता का कुछ हिस्सा वापस करता हूं।”
पांडा का यह विनम्र हस्तक्षेप सागर में एक बूंद की तरह है।
लोकसभा की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, पिछले वित्तीय वर्ष (अप्रैल 2015-मार्च 2016) के दौरान 545 लोकसभा सांसदों को भारत देश के समस्त करदाताओं ने वेतन और अन्य भत्तों में करीब 177 करोड़ रुपए का भुगतान किया है।
इसमें जून 2015 से आंकड़े उपलब्ध हैं और इसमें यात्रा और दैनिक भत्ता शामिल नहीं हैं। इसमें कैबिनेट मंत्रियों को भी शामिल नहीं किया गया है, क्योंकि उन्हें संबंधित मंत्रालयों द्वारा भुगतान किया जाता है।
इसका अर्थ है कि लोकसभा सत्र में भाग लेने वाले दिनों में भत्ते सहित प्रत्येक लोकसभा सांसद पर करीब 270,000 रुपए का मासिक खर्च होता है। जब संसद सत्र चल रहा होता है, तब सांसदों को प्रतिदिन 2,000 रुपए का दैनिक भत्ता भी मिलता है।
हालांकि इस पूरे मामले में अन्य भत्ते जैसे कि मुफ्त आवास, चिकित्सा देखभाल और दूरसंचार सुविधाएं शामिल नहीं हैं।
सत्र के दौरान संसद चलाने में सरकारी खजाने से प्रत्येक मिनट 250,000 रुपए का खर्च लगती है, जैसा कि एनडीटीवी ने सितंबर 2012 में विस्तार से बताया है।
144 करोड़ रुपए: 10 वीं सत्र के दौरान संसद में कार्य बाधित होने की लागत
इंडियास्पेंड की गणना के अनुसार, वेतन, भत्तों और संसद को चलाने की लागत के आधार पर, मौजूदा लोकसभा के 10 वें सत्र के दौरान संसद में कार्य बाधित होने के कारण 144 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है।इसमें मकान पर 138 करोड़ रुपए एवं वेतन के रुप में 6 करोड़ रुपए और अन्य भत्ते भी शामिल हैं।
संसद में अवरोध का कारण यह है कि विपक्षी दल 8 नवंबर, 2016 को प्रधानमंत्री की 500 और 1,000 रुपए को बंद करने की घोषणा का विरोध कर रहे थे। इस घोषणा के बाद भारत की 86 फीसदी मुद्रा अमान्य हो गई है।
16 वीं लोकसभा: अवरोधों के कारण समय का नुकसान
Source: Lok Sabha
लोकसभा पर उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, हर महीने सांसदों को वेतन के रूप में 50,000 रुपए, निर्वाचन क्षेत्र भत्ता के रूप में 45,000 रुपए, कार्यालय खर्च के रूप में 15,000 रुपए और सचिवीय सहायता के लिए 30,000 रुपए मिलते हैं। इस तरह, कुल मिला कर उन्हें प्रति महीने लगभग 140,000 रुपए मिलते हैं।
सांसदों को 34 उड़ान दौरे और सरकारी कामों के लिए सीमित रेल और सड़क यात्रा के लिए भी पुनर्भुगतान किया जाता है, जैसा कि ‘द हिंदू’ ने मार्च 2016 की रिपोर्ट में बताया है।
'भगवान के लिए, अपना काम करें!'
16 वीं लोकसभा का दसवां सत्र जो 16 नवंबर से 16 दिसंबर, 2016 तक चला, जिसे शीतकालीन सत्र भी कहा जाता है, में हुए बार-बार अवरोधों और स्थगन ने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से व्यथित दिखे और उनकी प्रतिक्रिया ने पूरे देश का ध्यान खींचा।
8 दिसंबर, 2016 को, राष्ट्रपति मुखर्जी ने सांसदों से कहा, "भगवान के लिए, अपना काम करें!" "आप संसद में काम करने के लिए हैं। संसद के कार्य में विघटन स्वीकार्य नहीं है।"
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के मई 2014 में सत्ता में आने के बाद 16वीं लोकसभा का गठन हुआ था। 16वीं लोकसभा के करीब 1,066 काम के घंटों (लगभग 133 दिन) के साथ दस सत्र हो चुके हैं।
16 वीं लोकसभा: कितनी बार हुई बैठकें?
Source: Lok Sabha
मौजूदा लोकसभा के 10 वें सत्र में अब तक सबसे कम बैठकें हुई हैं।
16वीं लोकसभा- प्रति सत्र में कितने घंटे की बैठक?
Source: Lok Sabha
अगर हम राज्य सभा के भी 245 सांसदों को शामिल करते हैं तो लोकसभा सांसदों द्वारा खर्च किए गए गणना के आधार पर वेतन और भत्तों पर कुल वार्षिक खर्च 78 करोड़ रुपये से ऊपर चला जाएगा।
सरकार ने सांसद के मासिक वेतन में वृद्धि का प्रस्ताव किया है, 50,000 रुपए से बढ़ा कर 1,00,000 रुपए, निर्वाचन क्षेत्र भत्ता 45,000 रुपए से बढ़ा कर 90,000 रुपए और सचिवीय सहायता और कार्यालय भत्ता 45,000 रुपए से बढ़ा कर 90,000 रुपए तक करने का प्रस्ताव दिया है, जैसा कि इंडियन एक्सप्रेस ने 25 दिसंबर, 2015 की रिपोर्ट में बताया है।
यदि इस प्रस्ताव को वित्त मंत्री अरुण जेटली की मंजूरी मिल जाती है तो सांसदों का वेतन और भत्ता लगभग दोगुना हो जाएगा। ल्तन की राशि मौजूदा प्रति माह 140,000 रुपए से बढ़ कर प्रति माह 280,000 रुपए हो जाएगी।
यह लेख मूलत: अंग्रेजी में 22 दिसम्बर 2016 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।
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