roads_620

22 मई, 2017 को भारतीय जनता पार्टी ( भाजपा ) ने ट्वीट के माध्यम से बताया कि प्रधान मंत्री ग्रामीण सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) के तहत ग्रामीण सड़क निर्माण की गति में वृद्धि हुई है। यह 2016-17 तक, पिछले तीन वर्षों में प्रतिदिन 133 किमी हुआ है। जबकि 2013-14 में प्रतिदिन 69.35 किमी का आंकड़ा था।

हालांकि, पहले दो वर्षों में नरेंद्र मोदी सरकार के अपने दो साल के प्रदर्शन के मुकाबले ग्रामीण सड़क निर्माण की गति में कमी आई है।

ग्रामीण विकास मंत्रालय के आंकड़ों पर इंडियास्पेंड द्वारा किए गए विश्लेषण से पता चलता है कि जनवरी 2017 तक पीएमजीएसवाई -1 के तहत लक्ष्य का आधे से भी कम ( 46 फीसदी ) हासिल हुआ है।

हाल ही में भाजपा ने अपने कार्यकाल के तीन वर्ष पूरे किए हैं। इंडियास्पेंड ने भाजपा के पांच मुख्य चुनावी वादे - रोजगार, स्वच्छ भारत, सड़क, बिजली और आतंकवाद के खात्मे- का विश्लेषण किया है। आज आलेखों की श्रृंखला के इस तीसरे भाग में हम देखेंगे कि पार्टी के चुनावी घोषणापत्र में भाजपा ने सड़कों के निर्माण और कनेक्टिविटी में सुधार के लिए किए जो वादे किए थे, उस पर सरकार का प्रदर्शन कैसा रहा है।

प्रधान मंत्री ग्रामीण सडक योजना के तहत प्रगति, 2011-17
Target-desktop

Source: Ministry of Rural Development Annual Report, 2016-17

सड़क आवंटन उत्साहवर्धक, काम के पूरा होने की अवधि कम, लक्ष्य अभी दूर

अपने घोषणापत्र में, भाजपा ने सड़कों को लेकर तीन प्रमुख वादे किए थे। पहला यह कि सभी मौसमों के लिए उपयुक्त सड़कों के साथ सभी आदिवासियों के गांवों को जोड़ा जाएगा। दूसरा यह कि देश में गांव स्तर पर सड़कों के ढांचे में सुधार किया जाएगा और तीसरा यह कि समुद्री तट के इलाकों को सड़कों के माध्यम से बंदरगाहों के साथ जोड़ा जाएगा।

लेकिन आज की तारीख में ​​आदिवासी बस्तियों को जोड़ने वाली सड़कों पर संपूर्ण डेटा उपलब्ध नहीं हैं। बंदरगाहों को किनारे से जोड़ने वाले सड़कों की समेकित संख्या केवल 2013 तक उपलब्ध है।

जैसा कि हमने पहले बताया है, ग्रामीण सड़कों के मामले में, जिसके लिए डेटा उपलब्ध हैं, निर्माण की गति कम हो गई है।

2016-17 तक पीएमजीएसवाई -1 के तहत लक्षित आबादी का आधे से कम जनवरी 2017 तक जोड़ा गया है। जनवरी 2017 तक उपलब्ध आंकड़ों पर इंडियास्पेंड द्वारा किए गए विश्लेषण के अनुसार, सरकार के लक्ष्य के हिस्से के रूप में बनाए गए सड़कों की लंबाई भी वर्ष 2014-15 में 167 फीसदी से गिरा है और वर्ष 2015-16 में 108 फीसदी से 2016-17 में 73 फीसदी हुआ है।

पीएमजीएसवाई- I का लक्ष्य है कि मैदानी इलाकों में कम से कम 500 की आबादी वाले गांवों और पहाड़ियों या आदिवासी जैसे ‘विशेष’ क्षेत्रों में कम से कम 250 की आबादी वाले ऐसे गांव जो, कम से कम 500 मीटर की दूरी ( सड़क रास्ते की दूरी कम से कम 1.5 किमी) पर है, के लिए सभी मौसम सड़कों का निर्माण करना है।

‘सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च’ (सीपीआर) के एक विश्लेषण के मुताबिक, अच्छी खबर यह है कि मोदी सरकार के दौरान, ग्रामीण सड़कों की योजना के लिए आवंटन फिर से 19 हजार करोड़ रुपए तक पहुंचा है। यह मनमोहन सिंह की सरकार के समय सबसे ज्यादा था। हम बता दें कि बाद में कांग्रेस की अगुवाई वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन के दूसरे कार्यकाल के दौरान इसमें 9 हजार करोड़ रूपए की गिरावट आई थी।

पीएमजीएसवाई के तहत मंजूरी के बाद परियोजना को पूरा करने के समय में भी भारी गिरावट आई है। आंकड़ों के मुताबिक इस संबंध में 74 फीसदी की गिरावट हुई है।

सीपीआर के विश्लेषण के मुताबिक, यूपीए -2 के अंतिम वर्ष 2013-14 में 474 दिन से गिरकर मोदी सरकार के दौरान 124 दिनों तक पहुंचा है। मोदी के पहले वर्ष के मुकाबले परियोजना पूरा होने वाला समय वर्ष 2014-15 में 374 दिन से वर्ष 2016-17 में 67 फीसदी तक गिरा है।

प्रधान मंत्री ग्रामीण सड़क योजना: आवंटन ऊपर, परियोजनाओं का तेजी से समापन

Source: Centre for Policy Research

राष्ट्रीय राजमार्गों का निर्माण धीमा

वर्ष 2016-17 में राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण की गति में 44 फीसदी की गिरावट हुई है। यह इस सरकार के तीन साल के शासन में सबसे कम है। अप्रैल 2017 में राज्यसभा को दी गई जानकारी के मुताबिक, इस साल रोजाना राजमार्ग निर्माण की औसत दर 22 किलोमीटर देखी गई है।

सरकार ने शुरू में प्रतिदिन 40 किमी निर्माण करने का लक्ष्य रखा था। सड़क और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने 21 मई, 2017 को आज तक एडीटर्स राउन्ड टेबल में दावा किया था कि अच्छे नतीजे तक जल्दी पहुंचने के लिए जान-बूझकर लक्ष्य को अधिक रखा गया था।

राष्ट्रीय राजमार्ग निर्माण, 2013-17

Source: Rajya Sabha questions

(विपुल विश्लेषक हैं और इंडियास्पेंड से जुड़े हैं।)

‘भाजपा सरकार के वादों की स्थिति’ का विश्लेषण करते पांच लेखों की श्रृंखला का यह तीसरा भाग है। पहला और दूसरा लेख आप यहां और यहां पढ़ सकते हैं।

यह लेख मूलत: अंग्रेजी में 25 मई 2017 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।

हम फीडबैक का

स्वागत करते हैं। हमसे

href="mailto:respond@indiaspend.org">respond@indiaspend.org

पर संपर्क किया जा सकता

है। हम भाषा और व्याकरण

के लिए प्रतिक्रियाओं को

संपादित करने का अधिकार रखते

हैं।

__________________________________________________________________

"क्या आपको यह लेख पसंद आया ?" Indiaspend.com एक गैर लाभकारी संस्था

है, और हम अपने इस जनहित पत्रकारिता प्रयासों की सफलता के लिए आप जैसे

पाठकों पर निर्भर करते हैं। कृपया अपना अनुदान दें :