वर्ष 2017 : घृणित अपराध का वर्ष
पश्चिम बंगाल के मालदा जिले के एक प्रवासी मजदूर मोहम्मद अफराजुल की हत्या के खिलाफ कोलकाता में प्रदर्शन करते लोग। राजस्थान के राजसमंद में अफराजुल की हत्या कर दी गई। आरोप शंभुलाल रगार नाम के एक शख्स पर है। साल भर में रिपोर्ट किए गए अपराधों पर कालानुक्रमिक नजर डालने से वर्ष में घृणित अपराध की बढ़ती संख्या और विस्तार का पता चलता है।
गाय-संबंधित घृणित अपराध को दर्ज करने वाले इंडियास्पेंड के डेटाबेस के अनुसार, वर्ष 2010 के बाद से, गाय और धर्म संबंधित अपराधों में वर्ष 2017 में सबसे ज्यादा मृत्यु (11 मौतें) और नफरत हिंसा की सबसे अधिक घटनाओं की संख्या (37 घटनाएं) दर्ज की गई हैं।
घृणित अपराध के प्रभाव गंभीर और गंभीर अपराधों जैसे कि हत्याओं और हमलों की तुलना में अधिक व्यापक हैं। वे न केवल तत्काल पीड़ित को प्रभावित करते हैं, बल्कि जिस समुदाय से पीड़ित है, वह समुदाय भी प्रभावित होता है । इससे सामाजिक सामंजस्य और स्थिरता प्रभावित होती है। इस संबंध में इंडियास्पेंड ने 8 दिसंबर, 2017 की रिपोर्ट में पहले भी बताया है।
लेखक और मानवाधिकार संगठन आयोजक हर्ष मंदर ने 13 दिसंबर, 2017 को एक लाइव साक्षात्कार में इंडियास्पेंड को बताया, “यह तो केवल एक छोटा सा अंश है, लेकिन जो हमने जमीनी स्तर पर सामना किया है, वह संख्या कहीं ज्यादा है। कई स्थानीय अखबारों में रिपोर्ट किया गया है। कई बार तो रिपोर्ट भी नहीं किए गए हैं। लेकिन इसमें कोई संदेह नहीं है कि हाल के वर्षों में देश भर में घृणित अपराधों में असाधारण वृद्धि हुई है।”
जिन आपराधिक कानून और मानवाधिकारों के विशेषज्ञों से हमने बात की, उनके मुताबिक भारत में जाति, धर्म, जाति या जातीयता के आधार पर हमला अक्सर तब होते हैं, जब हमलावर यह मानते हैं कि उन्हें शासन के प्रतिशोध से बचाने के लिए उनके पास राजनीतिक आवरण है। उन्होंने बताया कि राजनीतिक परिदृश्य, जिसके अंतर्गत ये अपराध होते हैं, उन्हें जवाबदेह होना चाहिए।
मंदर कहते हैं, " घृणास्पद भाषण देने और नफरत भरे कार्य करने के लिए लोगों को एक तरह का अनुमोदक वातावरण लगता है। यह लिन्चिंग, व्यक्तिगत नफरत के हमलों, पूजा के स्थानों पर हमले ( खासकर ईसाई धर्म के पुजारी और नन ) और दलितों पर हमले (जो बहुत अधिक समय तक चल रहा है) के संदर्भ में चलता है। विशेष रूप से, मुसलमानों के खिलाफ, हम हमलों की संख्या और उनके विद्रोह में एक उल्लेखनीय वृद्धि देखते हैं। "
विशेषज्ञ कहते हैं कि बदला लेने और हिंसा के चक्र को रोकने के लिए, यह महत्वपूर्ण है कि राज्य तुरंत कानून की सत्ता बनाने के लिए त्वरित कार्रवाई करे और यह सुनिश्चित करे कि किसी भी तरह के अपराध पर फैसला न्याय प्रणाली ले, न कि उत्तेजित भीड़ या समूह।
साल भर में रिपोर्ट किए गए घृणित अपराध पर एक कालानुक्रमिक नजर वर्ष में इसकी बढ़ती संख्या और बढ़ते प्रभाव को दर्शाती है। यहां 4 घटनाएं हैं, जो 2017 को समझने के लिए काफी है।
अप्रैल, 2017। राजस्थान: पहलु खान (55)
1 अप्रैल, 2017 को शाम 6 बजे राजस्थान के जयपुर, में 75,000 रूपए में दूध देने वाली गायों को खरीदने के बाद घर लौट रहे छह लोगों के एक समूह पर बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद के साथ संबद्ध गौ राक्षकों ने हमला किया था, जैसा कि अप्रैल 2017 में इंडियन एक्सप्रेस की इस रिपोर्ट से पता चलता है। कानूनी खरीद साबित करने वाले दस्तावेजों को दिखाने के बावजूद पीड़ितों पर हमला किया गया था। कथित तौर पर गौक्षकों ने पीड़ितों से नाम पूछे और ड्राइवरों में से एक, अर्जुन को छोड़ दिया। बाद में अन्य पांचों को इतना पीटा कि उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। इसके दो दिन के बाद, अलवर के अस्पताल में 55 वर्षीय पहलू खान की मृत्यु हो गई।
इस घटना का समस्त वीडियो सोशल मीडिया पर प्रसारित किया गया था। बाद में, राजस्थान पुलिस ने पहलू खान के द्वारा अस्पताल की गई पहचान के बाद छह संदिग्धों को गिरफ्तार किया था। बाद में सितंबर, 2017 में आरोपियों को रिहा कर दिया गया था। पुलिस ने यह दावा करते हुए जांच बंद कर दी थी कि हमले के समय इनमें से कोई भी व्यक्ति मौजूद नहीं था, जैसा कि हिंदुस्तान टाइम्स की 14 सितंबर, 2017 की रिपोर्ट में बताया गया है। इसके बाद से अब तक कोई अन्य गिरफ्तारी नहीं हुई है।
वर्ष 2012 के बाद से आठ वर्षों में, मारे गए लोगों में अधिकांश ( 29 में से 25 ) लोग मुस्लिम थे। सभी पीड़ितों में से ( मारे गए या घायल जिनकी पहचान मीडिया रिपोर्ट में की गई ) 53 फीसदी मुस्लिम थे, 12 फीसदी दलित और 10 फीसदी हिंदू थे, जैसा कि इंडियास्पेंड डेटाबेस से पता चलता है।
मंदर ने इंडियास्पेंड से बात करते हुए कहा, " इसका मतलब है कि हमले के बाद यदि व्यक्ति की पहचान मुस्लिम के रुप में हुई तो बहुत अधिक संभावना है कि भीड़ उन्हें मार डालेगी।"
जून 2017। दिल्ली: जुनैद खान (16)
ईद के तीन दिन पहले फरीदाबाद के 16 वर्षीय जुनैद खान जामा मस्जिद में प्रार्थना करने और अपने भाई के साथ नए कपड़े खरीदने के लिए दिल्ली आए थे। उन्होंने शाम होने से पहले घर वापस आने का वादा किया था। घर वापसी में, एक भीड़ भरे मथुरा वाली ट्रेन में, सीट को लेकर बहस शुरु हो गई और जुनैद की चाकू मार कर हत्या कर दी गई, जैसा कि 27 जून 2017 की हिंदुस्तान टाइम्स की इस रिपोर्ट में बताया गया है। हमलावर, ओखला पर ट्रेन में सवार हुए थे और चार लोगों को सीट खाली करने को कहा था और बार-बार उनके परिवार को देश-द्रोही और गौ मांस खाने वाले बता रहे थे। हमलावरों ने उनकी टोपियां सर से निकाल कर फर्श पर फेंक दीं और उन्हें मुल्ला कह कर संबोधित करने लगे, जैसा कि रिपोर्ट कहती है। उन्होंने लड़कों को आसोती स्टेशन पर ट्रेन से बाहर फेंक दिया, जहां जुनैद ने अपने भाई हाशिम की गोद में दम तोड़ दिया।
हाशिम ने कहना था कि यात्रियों में से कोई भी उनकी मदद के लिए नहीं आया। हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, "मदद की बजाय, उन्होंने उन लोगों से हम सभी को खत्म करने के लिए कहा।" अपराध के एक हफ्ते बाद हरियाणा पुलिस ने दिल्ली सरकार के एक कर्मचारी सहित इस अपराध के सिलसिले में चार लोगों को गिरफ्तार किया। अभी तक कोई भी दोषी नहीं ठहराया गया है।
जुनैद की मौत ने, ज्यादातर मुस्लिम और दलितों के खिलाफ राष्ट्रव्यापी हमलों के बाद सरकार की धीमी प्रतिक्रिया और चुप्पी के खिलाफ लंदन, न्यूयॉर्क और कई भारतीय शहरों में नागरिकों के विरोध प्रदर्शन के लिए प्रेरित किया। इन प्रदर्शनों के एक दिन बाद ( सोशल मीडिया और समाचार-पत्रों पर व्यापक रूप से उठाया गया ) प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने, जो अब तक गाय जागरूकता के मुद्दे पर चुप थे, उन्होंने गुजरात में साबरमती आश्रम के शताब्दी समारोह में चुप्पी तोड़ी। उन्होंने कहा, "गौ भक्ति के नाम पर लोगों को मारना अस्वीकार्य है।" 15 जुलाई, 2017 को संसद के मानसून सत्र शुरु होने से एक दिन पहले भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की अखिल भारतीय बैठक में प्रधान मंत्री ने एक बार फिर गाय सतर्कता समिति सदस्यों की आलोचना की और राज्य सरकारों को कठोर कार्रवाई करने के लिए कहा। इस संबंध में इंडियास्पेंड ने 28 जुलाई, 2017 की रिपोर्ट में विस्तार से बताया है। हालांकि, राज्यों में इस तरह के घृणित अपराध दर्ज होते रहे।
No one spoke about protecting cows more than Mahatma Gandhi and Acharya Vinoba Bhave. Yes. It should be done: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) June 29, 2017
No person in this nation has the right to take the law in his or her own hands in this country: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) June 29, 2017
Let's all work together. Let's create the India of Mahatma Gandhi's dreams. Let's create an India our freedom fighters would be proud of: PM
— PMO India (@PMOIndia) June 29, 2017
अगस्त 2017। बंगाल: अनवर हुसैन (19) और हाफिजुल शेख (19)
27 अगस्त, 2017 के शुरुआती घंटों में, नजरूल इस्लाम (25), अनवर हुसैन (19) और हाफिजुल शेख (19) धूपगुरी पशु बाजार से उत्तर-पूर्व बंगाल के कूच बिहार जिले तक मवेशी ले जा रहे थे, जब उन्हें जलपाईगुड़ी के बारहियालिया गांव के पास एक भीड़ ने घेर लिया था, जैसा कि 1 सितंबर, 2017 की रिपोर्ट में इंडियास्पेंड ने बताया है। इन लोगों ने बाजार से सात मवेशी खरीदा था और आधी रात को टुफांगंज लौटते हुए रास्ता भटक गए। यह देखते हुए कि लोग मवेशियों के साथ यात्रा कर रहे थे, भीड़ ने 50,000 रुपए की मांग की, ताकि वे क्षेत्र को पार कर सकें। जब पीड़ितों ने कहा कि उनके पास देने के लिए पैसे नहीं था, तो भीड़ ने उनपर हमला किया। वाहन चालक नज़रूल इस्लाम बच निकले, लेकिन 19-वर्षीय युवा अनवर भीड़ के हाथ लग गए और भीड़ उन्हें तब तक पीटती रही जब तक कि उन्होंने दम न तोड़ दिया।
28 अगस्त, 2017 को उत्तरी बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के धूपगुरी शहर के धुप्पुरी ग्रामीण अस्पताल में 19 वर्षीय अनवर हुसैन और 19 वर्षीय हाफिजुल शेख के शव।
इस साल लींचिंग से बंगाल की मौत की संख्या पांच हुई है, और इस संख्या के साथ ही अब तक 2017 में गोजातीय हिंसा के लिए यह सबसे घातक राज्य बना, जैसा कि इंडियास्पेंड के घृणित अपराध डेटाबेस से पता चलता है। हालांकि, राज्य पुलिस ने लींचिंग के संबंध में तीन लोगों की गिरफ्तार किया है, लेकिन हमला करने वाले भीड़ के अन्य सदस्यों की पहचान करने के लिए जांच में अब तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है।
दिसंबर 2017। राजस्थान: मोहम्मद अफराजुल (45)
6 दिसंबर, 2017 को, राजस्थान में राजसमंद में, पश्चिम बंगाल के मालदा जिले के एक प्रवासी मजदूर, मोहम्मद अफराजल की हत्या की गई और शंभूलाल रेगर (37) द्वारा आग लगा दिया गया था, जिसने व्हाट्सएप पर हमले के वीडियो रिकॉर्ड कर संचारित किया था। शंभूलाल रेगर के 14 वर्षीय भतीजे ने इस घटना को रिकॉर्ड किया था।
ऑनलाइन पोस्ट की गई क्लिप में, एक लाल शर्ट, सफेद पतलून और एक सफेद मफलर में रिगार को अफराजुल के पीछे जंगल में चलता दिखाया गया है। अचानक, रेगर जमीन से एक कुल्हाड़ी उठाता है और अफराजुल पर हमला करता है जिससे वह नीचे गिर जाता है। रेगर अफराजुल पर बार-बार हमला करता है अफराजुल उससे जान बख्शने की भीख मांगता है। अफराजुल, भागने की कोशिश भी करता है, लेकिन सफल नहीं हो पाता और अतत: अपनी जान गवां देता है। रेगर फिर मुड़ता है, कैमरे की ओर आता है और मुस्लिम विरोधी भाषण देता है
वीडियो में उसने कहा कि "लव जिहाद" से एक महिला को बचाने के लिए उसने उसे मार डाला। उसने आगे धमकी दी कि सभी हिंदू-मुस्लिम रिश्तों का ऐसा ही परिणाम होगा।
फिर वह अफराज़ुल की लाश के पास वापस जाता है, कुल्हाड़ी से इसे फिर से मारता है और शरीर को जलाने के लिए आगे बढ़ता है।
हालांकि, शंभूलाल रेगर को उसी दिन गिरफ्तार कर लिया गया था, लेकिन पुलिस की जांच में बाद में पता चला कि हमलावर दूसरे व्यक्ति को मारना चाहता था और अफराजुल की गलती से हत्या कर दी थी, जैसा कि हिंदुस्तान टाइम्स ने 19 दिसंबर, 2017 की रिपोर्ट में बताया है।
इंडियास्पेंड के साथ लाइव साक्षात्कार में मंदर ने कहा, "इस नफरत के प्रति क्रोध है। ऐसे क्रूरता के साथ किसी अजनबी को मारना यह दिखाता है कि हमने मुस्लिमों का लक्ष्य बनाते हुए नफरत का माहौल पैदा किया है। देश का नेतृत्व करने वाले टॉप लोगों को यह जिम्मेदारी लेने की आवश्यकता है कि कैसे नफरत के इस अनुमोदक वातावरण को ठीक किया जाए। "
लिंचिंग वाले हमलों का वीडियो टेपिंग, जो ज्यादातर मामलों में अपराधी या उनके समर्थकों द्वारा किया जाता है, जो वीडियो बनाते हैं और इसे ऑनलाइन अपलोड करते हैं, तीन चीजें दर्शता है। मंदर समझाते हैं, “सबसे पहले, इसका अर्थ है कि हमलावर " वीरता" का एक महान कार्य कर रहा है। दूसरा, यह इंगित करता है कि उसे पूरी तरह से उनके दण्ड से मुक्ति का आश्वासन है - भले ही आपका चेहरा भीड़ के भाग के रूप में फिल्माया गया हो, आपको आश्वासन दिया गया है कि कोई भी कुछ भी नहीं करेगा (अन्यथा आप अपने अपराध को टेप नहीं करेंगे); और तीसरा, यह लक्षित समुदाय को संदेश भेजता है, जो वीडियो में अपने जीवन के लिए भीख मांग रहा है, और बाकी सभी के लिए यही उसका नजरिया है।
मंदर कहते हैं, "भारत में लिंचिंग का वीडियो टेपिंग इस नफरत अपराध को एक सार्वजनिक तमाशा, एक सार्वजनिक मनोरंजन में बदल देता है। यह बहुत भयानक है, क्योंकि यह दर्शाता है कि हम एक समाज के रूप में क्या होते जा रहे हैं? "
(सलदानहा सहायक संपादक हैं और इंडियास्पेंड के साथ जुड़ी हैं।)
यह लेख मूलत: अंग्रेजी में 28 दिसंबर 2017 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।
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