सम-विषम के 15 दिन बाद दिल्ली के पीएम 2.5 स्तर में 15% वृद्धि
डियास्पेंड के #Breathe वायु गुणवत्ता निगरानी उपकरणों के द्वारा उत्पन्न पीएम 2.5 आंकड़ों के विश्लेषण क से पता चलता है कि दिसंबर के अंतिम दो सप्ताह (17 से 31 दिसंबर, 2015) की तुलना में जनवरी के पहले दो सप्ताह (1 से 15 जनवरी, 2016) के दौरान दिल्ली के वायु प्रदूषण स्तर में फीसदी की वृद्धि हुई है। गौर तलब है कि जनवरी के महीने में राज्य सरकार द्वारा प्रदूषण कम करने के लिए सम-विषम योजना की पहल की गई है।
जैसा कि इंडियास्पेंड ने पहले ही चर्चा की है, पीएम में वृद्धि नीति परिवर्तन के गहरे प्रभाव को समझने की आवश्यकता (जैसे कि सम-विषम उपाय) की ओर इशारा करता है। आईआईटी के एक नए अध्ययन के अनुसार, शहर में वाहनों द्वारा होने वाले कुल प्रदूषण में से चार पहिया वाहनों की हिस्सेदारी 10 फीसदी है। स्पष्ट है कि इसे रोकने के लिए सरकार को अन्य कदम उठाने की आवश्यकता है।
औसत पीएम 2.5, 17 दिसंबर 2015 से 15 जनवरी 2016
Source: #Breathe; Note: Data for Jan 7, 2016 are from 12 AM to 6 PM, data for Jan 8, 2016 are from 12 PM to 11:59 PM, for Dec 31, 2015 and Jan 15, 2016 the data are from 12 AM to 4:30 PM.
दिल्ली में सम-विषम फॉर्मूला की प्रायोगिक पहल के दौरान (1 जनवरी से 15 जनवरी, 2016) शहर की वायु में औसत पीएम 2.5 प्रति घन मीटर 309 माइक्रोग्राम दर्ज किया गया है जो कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण ब्यूरो (सीपीसीबी) के दिशा निर्देशोंके अनुसार गंभीर स्तर में आता है। इस तरह की वायु से लोगों के स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ता है एवं सांस से जुड़ी बिमारियांहोने का जोखिम बढ़ जाता है। इसकी तुलना में सम-विषम फॉर्मूला लागू होने से पहले दो सप्ताह के दौरान औसत पीएम 2.5 270 माइक्रोग्राम घन मीटर दर्ज किया गया है। हमारा विश्लेषण, दिल्ली में लगे सर्वोदय एन्क्लेव, इंडिया हैबिटेट सेंटर और मुनिरका में #Breathe उपकरणों द्वारा दर्ज की गई साप्ताहिक औसत आंकड़ों पर आधारित है । इंडियास्पेंड की सांस लेने की हवा गुणवत्ता नेटवर्क की चर्चा इंडिया टुडे के इस प्रसारण में की गई है:
पीएम 2.5 आंकड़ों के साप्ताहिक विश्लेषण के आधार पर (नीचे ग्राफ देखें) पीएम 2.5 स्तर में सप्ताह 3 (1 से 7 जनवरी, 2016) से सप्ताह चार (8 से 14 जनवरी, 2016) तक में 37 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। इस अवधि के दौरान सम-विषम फॉर्मूला लागू किया गया था।
18 दिसंबर 2015 से 14 जनवरी 2016 तक प्रत्येक सप्ताह का औसत पीएम 2.5
Source: #Breathe; Note: Data for Jan 7, 2016 are from 12 AM to 6 PM, data for Jan 8, 2016 are from 12 PM to 11:59 PM, for Dec 31, 2015 and Jan 15, 2016 the data are from 12 AM to 4:30 PM.
जैसा कि शनिवार 16 जनवरी 2016 को किए गए ट्वीट्स संकेत देते हैं कि इस गिरावट का कारण हवा की गति में वृद्धि हो सकता है जो वायु प्रदूषण को छितराते हैं:
All 16 #breathe devices in Delhi show good to moderate conditions. Screenshot taken at 3:56PM. pic.twitter.com/bt0vVQnF1X
— IndiaSpend (@IndiaSpend) January 9, 2016
High wind speeds helping Delhi #breathe better today. Screenshot taken from DPCC's website. pic.twitter.com/qIpqNLMkeH — IndiaSpend (@IndiaSpend) January 9, 2016
यह गिरावट, पीएएम 2.5 में, सप्ताह 2 से सप्ताह 3 में 50 फीसदी की वृद्धि के बाद हुई है। इस संबंध में हमने पिछले सप्ताह ही विस्तार से चर्चा की है।
वायु में पाए जाने वाले 2.5 माइक्रोमीटर के व्यास के कणिका तत्व को पीएम 2.5 कहा जाता है एवं इसे मनुष्य के लिए सबसे बड़ा खतरा पैदा करने के रुप में जाना जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार पीएम 2.5 का माप से वायु प्रदूषण से स्वास्थ्य जोखिम के स्तर बेहतर तरीके से जाना जा सकता है।
सम-विषम फॉर्मूला लागू किए गए 15 दिनों में से औसतन 11 दिन दैनिक पीएम 2.5 का स्तर 250 माइक्रोग्राम / घन मीटर से ऊपर दर्ज किया गया है जो कि ‘गंभीर’ श्रेणी में आता है। बाकि के चार दिन ‘बहुत बुरी श्रेणी दर्ज की गई है। लंबे समय तक ऐसी वायु में रहने से सांस की गंभीर बिमारिया हो सकती हैं।
दिसंबर 17, 2015 से जनवरी 14 2016 तक प्रत्येक दिन का औसत पीएम 2.5
Source: #Breathe; Note: Data for Jan 7, 2016 are from 12 AM to 6 PM, data for Jan 8, 2016 are from 12 PM to 11:59 PM, for Dec 31, 2015 and Jan 15, 2016 the data are from 12 AM to 4:30 PM.
सम-विषम फॉर्मूला लागू किए गए 15 दिनों में से आठ दिन पीएम 10 (2.5 से 10 व्यास में माइक्रोन के बीच कण)‘गंभीर’ स्तर दर्ज किया गया जबकि चार दिन ‘बहुत बुरा’ एवं ‘बुरा’ दर्ज किया गया है।
दिसंबर 17, 2015 से जनवरी 14 2016 तक प्रत्येक दिन का औसत पीएम 10
Source: #Breathe; Note: Data for Jan 7, 2016 are from 12 AM to 6 PM, data for Jan 8, 2016 are from 12 PM to 11:59 PM, for Dec 31, 2015 and Jan 15, 2016 the data are from 12 AM to 4:30 PM.
सम-विषम फॉर्मूला लागू होने से पहले 15 दिनें में से दो दिन पीएम 10 स्तर ‘गंभीर’दर्ज किया गया, आठ दिन ‘बहुत बुरा’ दर्ज किया गया एवं दो दिन ‘गंभीर’ स्थिति दर्ज की गई है।
1 जनवरी 2016 के पहले प्रति घंटा का औसत पीएम 2.5 स्तर. सुबह 7 से 8 बजे के बीच अधिकतम (366 माइक्रोग्राम/घन मीटर) दर्ज किया गया है जबकि सबसे न्यूनतम (137 माइक्रोग्राम/घन मीटर) शाम को 3 से 4 बजे के बीच दर्ज किया गया है। इसकी तुलना में, 1 जनवरी 2016 से दोनों में ही वृद्धि हुई है। सुबह 7 से 8 बजे के बीच प्रति घंटा औसत 2 फीसदी से बढ़ कर 374 माइक्रोग्राम घन मीटर हुआ है एवं शाम को 3 से 4 बजे यह 54 फीसदी बढ़ कर 211 माइक्रोग्राम घन मीटर हुआ है।
दिसंबर 17, 2015 से जनवरी 14, 2016 तक दिन भर का प्रति घंटा पीएम 2.5
Source: #Breathe; Note: Data for Jan 7, 2016 are from 12 AM to 6 PM, data for Jan 8, 2016 are from 12 PM to 11:59 PM, for Dec 31, 2015 and Jan 15, 2016 the data are from 12 AM to 4:30 PM.
सबसे अधिक प्रदूषण सड़क के धूल से फैलती है, ट्रक दूसरे, दुपहिया वाहन तीसरे एवं कार चौथे स्थान पर
आई आई टी कानपुर द्वारा किए एक नए अध्ययन के अनुसार, दिल्ली की वायु में पीएम 2.5 की 20 फीसदी और पीएम 10 के लिए 9 फीसदी जिम्मेदार होते हुए प्रदूषण के मुख्य श्रोत में वाहन चौथे स्थान पर हैं।
पीएम 2.5 के लिए 25 फीसदी और पीएम 10 के लिए 56 फीसदी ज़िम्मेदार होते हुए सड़क के धूल प्रदूषण के मुख्य श्रोत के रुप में सामने आए हैं। इंडियास्पेंड ने पहले ही बताया है कि प्रदूषण को रोकने के लिए सरकार को कई अन्य कदम उठाने पड़ेंगे और इस घोषणा के अनुसार, सरकार जल्द ही इस संबंध में कोई ठोस कदम उठाएगी।
आईआईटी, कानपुर की अध्ययन के अनुसार, वाहनों द्वारा निकने वाले कुल पीएम 2.5 एवं पीएम 10 उत्सर्जन में से 33 फीसदी ज़िम्मेदार दो पहिया वाहन हैं जिसे सम-विषम नियम से छूट दी गई है।
वाहनों द्वारा निकलने वाले कुल पीएम 2.5 एवं पीएम 10 में से 46 फीसदी हिस्सेदारी ट्रकों की हैं और केवल 10:30 बजे केबाद सड़कों पर आने की अनुमति दी जाती है । इससे पहले इन्हें रात के नौ बजे के बाद ही चलने की अनुमति थी।
कुल पीएम 10 एवं पीएम 2.5 में से चार पहिया वाहनों की हिस्सेदारी 10 फीसदी है।
यह लेख मूलत: अंग्रेज़ी में 16 जनवरी 2016 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।
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