इन सर्दियों में वायु प्रदूषण के गंभीर स्तर तक जाने के साथ भारत के बुजुर्गों के लिए स्वास्थ्य संबंधी खतरा ज्यादा बढ़ गया। यहां तक कि अमेरीका ( जहां भारत तुलना में सख्त हवा की गुणवत्ता मानक है ) में भी थोड़े समय के लिए वायु प्रदूषण से बुजुर्गों की असामयिक मृत्यु देखी गई है। हार्वर्ड के एक नए अध्ययन में ऐसी चिंताजनक बात सामने आई है।

अमेरिका में, हवा में पीएम 2.5 और ओजोन का बढ़ जाना बुजुर्गों में असमायिक मौत के उच्च जोखिम से जुड़ा हुआ है, जैसा कि हार्वर्ड विश्वविद्यालय में ‘हार्वर्ड डीएच चैन स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ’ के अध्ययन में कहा गया है।

अध्ययन से पता चला है कि पीएम 2.5 ( वायु में पाए जाने वाला महीन कण जो कि मानव के बाल से 30 गुना ज्यादा बारीक होता है और सांस से जरिए शारीर में जा कर कई तरह के समस्याएं उत्पन्न कर सकता है ) और ओजोन, (विशेषकर गर्मियों में गर्म मौसम उत्सर्जन) मृत्यु दर की वृद्धि दर से जुड़ा है।

बायोस्टैटिक्स के प्रोफेसर और अध्ययन के वरिष्ठ लेखक फ्रांसिस्का डोमिनिकी कहते हैं, “यह प्रदूषण के अल्पकालिक जोखिम और मृत्यु दर के लिए का सबसे व्यापक अध्ययन है। हमने पाया है कि वायु प्रदूषण बढ़ने के कारण मृत्यु दर लगभग दोगुना बढ़ जाती है। वायु प्रदूषण के किसी भी स्तर, चाहे कितना भी कम हो, मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।"

अध्ययन के लिए उपयोग किए जाने वाली वायु गुणवत्ता के मानक, पीएम 2.5 ( 24-घंटे औसत ) वायु के लिए प्रति घन मीटर (माइक्रोग्राम / एम 3) 35 माइक्रोग्राम हैं और ओजोन (8-घंटे औसत) के लिए प्रति बिलियन 70 भाग है। ये मानक अमेरिकी पर्यावरण संरक्षण एजेंसी (ईपीए) द्वारा निर्धारित किए गए हैं।

अध्ययनों से पता चला है कि पीएम 2.5-एयरबोर्न कण एक मानव बाल की तुलना में 30 गुना बारीक है, जो कि फेफड़ों में प्रवेश करके और लोगों की सांस प्रणाली को ख़राब कर सकता है । इससे जान भी जा सकती है, और ओजोन (विशेषकर गर्मियों में गर्म मौसम उत्सर्जन) मृत्यु दर की वृद्धि दर से जुड़ा होता है। बायोस्टैटिक्स के प्रोफेसर और अध्ययन के वरिष्ठ लेखक फ्रांसिस्का डोमिनिकी ने कहते हैं, " यह प्रदूषण और मृत्यु दर के लिए अल्पकालिक जोखिम का सबसे व्यापक अध्ययन है।"

भारतीय वायु गुणवत्ता के मानक अधिक ढीले हैं – पीएम 25 (24-घंटे औसत) के लिए 60 μg / m3 और ओजोन (8-घंटे औसत) के लिए प्रति बिलियन 100 भाग हैं। इसका मतलब यह है कि कई भारतीय शहरों में वायु प्रदूषण की वजह से स्वास्थ्य परिदृश्य अधिक गंभीर है और अधिक ध्यान देने की जरूरत है।

भारतीय शहरों के लिए क्या है इसका मतलब

वायु प्रदूषण कार्यक्रम की प्रमुख और सेंटर ऑर साइंस एंड एंवायर्न्मेंट में वायु प्रदूषण कार्यक्रम और स्वच्छ हवा और सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए अभियान की प्रमुख अनुमिता राय चौधरी कहती हैं, "इस खोज में भारतीय शहरों के लिए बहुत ठोस प्रासंगिकता है, जो प्रदूषण की गड़बड़ी से जूझ रहे हैं"

उन्होंने आगे कहा, “हम पहले से जानते हैं कि ‘बर्डन ऑफ डिजिज’ के अनुमान के मुताबिक अधिकांश स्वास्थ्य प्रभाव उस स्तर पर पाए जाते हैं जो कि राष्ट्रीय परिवेश वायु गुणवत्ता मानकों या स्तरों के मुकाबले बहुत कम दर्ज हैं, जो कि हमारे शहरों में बड़े पैमाने पर हो रहा है।"

वर्ष 2015 में, भारत में 10.3 मिलियन मौतों में से 2.5 मिलियन मौत के कारण गैर-संचारी रोग (एनसीडी) थे, जो प्रदूषण से जुड़ी हुई हैं। ये आंकड़े चीन के बाद भारत को प्रदूषण से संबंधित सबसे अधिक मौतों का संख्या वाला देश बनाते हैं, जैसा कि इंडियास्पेंड ने 3 जनवरी, 2018 की रिपोर्ट में बताया है।

वर्ष 1990 में, बीमारी के बोझ में एनसीडी की हिस्सेदारी 30.5 फीसदी थी, जो 2016 में बढ़कर 55.4 फीसदी हो गया है, जैसा कि ‘इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च’ द्वारा 2017 रिपोर्ट इंडिया: ‘हेल्थ ऑफ नेशन स्टेट्स’ में बताया गया है।

प्रदूषण को हटाने के लिए समय सीमा और 2015 में पर्यावरण मंत्रालय द्वारा लगाए गए कानून की भारत के प्रमुख प्रदूषकों में से एक - थर्मल पावर प्लांट- जैसे उद्योग अनदेखी कर रहे हैं और इससे स्थिति और बद्तर हो रही है। इस संबंध में इंडियास्पेंड ने 21 दिसंबर, 2017 की रिपोर्ट में भी बताया है।

वर्ष 2017 की सर्दियों में, भारत में वायु प्रदूषण का स्तर राष्ट्रीय स्तर से 15 गुना ज्यादा था। भारत के कई शहरों में पीएम 2.5 गंभीर स्तर के पार गया है, जैसा कि इंडियास्पेंड ने 22 दिसंबर, 2017 की रिपोर्ट में बताया है।

10 नवंबर, 2017 तक इंडो-गंगा के बेल्ट में वायु गुणवत्ता सूचकांक

Air Quality Index In The Indo-Gangetic Belt On November 10, 2017
CityAir Quality IndexMonitoring stations
Varanasi4911
Patna4281
NOIDA4702
Muzaffarpur4091
Lucknow4623
Kanpur4611
Ghaziabad4851
Gurgaon4801
Faridabad4281
Delhi46814
Agra4041

Source: Central Pollution Control Board; Figures are 24-hour averages. Major pollutant is PM 2.5

प्रदूषण में बढ़ोतरी ले सकती है जान

हार्वर्ड के शोधकर्ताओं ने अनियंत्रित क्षेत्रों सहित अमेरिका के अधिकांश पीएम 2.5 और ओजोन के सटीक अनुमान लगाने के लिए पूर्वानुमान मॉडल का इस्तेमाल किया और पूरे देश से मृत्यु आंकड़ों के साथ वायु प्रदूषण डेटा को जोड़ा है। इस अध्ययन में वर्ष 2000-2012 से 13 साल की अवधि में 39, 182 जिप कोड (अमेरिका के 93 फीसदी) में रहने वाले देश की मेडिकेयर आबादी ( जिन्होंने सामाजिक स्वास्थ्य बीमा कार्यक्रम में नामांकित किया ) को शामिल किया गया।

पीएम 2.5 रोजाना वृद्धि और गर्मियों में ओजोन की दैनिक वृद्धि से दैनिक मृत्यु दर में क्रमशः 1.05 फीसदी और 0.51 फीसदी की वृद्धि हुई है। इसका मतलब है कि अमेरिका में एक गर्मी के दौरान दैनिक पीएम 2.5 में सिर्फ 1 माइक्रोग्राम / एम 3 की वृद्धि से प्रति वर्ष 550 से अधिक मौतें हो सकती है – यानी 13 साल में 7,150 से ज्यादा मौतें हो सकती हैं। गर्मियों में रोजाना ओजोन में सिर्फ 1 पीपीबी की वृद्धि से प्रति वर्ष 250 अतिरिक्त मौतें हो सकती हैं या 13 वर्षों में 3,250 मौतें ।

(त्रिपाठी प्रमुख संवाददाता हैं और इंडियास्पेंड के साथ जुड़े हैं।)

यह रिपोर्ट मूलत: अंग्रेजी में 19 जनवरी, 2018 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।

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