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भारतीय जनता पार्टी - जिसने हाल ही में हुए चुनाव में पहली बार असम में जीत हासिल कर इतिहास रचा है – ने लगातार राज्य में वोट शेयर में वृद्धि की है। 1985 में, असम में भाजपा वोट शेयर 1 फीसदी था जो कि 2016 में बढ़ कर 29.5 फीसदी हुआ है।

असम के बाहर, केरल, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और पुडुचेरी में भाजपा ने लड़े गए 607 सीटों – 698 विधानसभा क्षेत्रों में से - में से चार सीटों पर जीत दर्ज की है। लेकिन 2016 में भाजपा का वोट शेयर केरल में बढ़ा है, 2006 में 4.75 फीसदी से बढ़ कर 2016 में 10.5 फीसदी हुआ है; इसी अवधि के दौरान पश्चिम बंगाल में 1.93 फीसदी से बढ़ कर 17 फीसदी हुआ है। तमिलनाडु में वोट शेयर की वृद्धि नगण्य है, 2006 में 2 फीसदी से बढ़ कर 2016 में 2.8 फीसदी हुआ है।

12 वर्षों से अधिक से,संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) के तहत जब से मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री के रुप में अपने कार्यकाल की पहली अवधि शुरु की, तब से कांग्रेस छह राज्य गंवा चुका है। 131 साल पुरानी पार्टी अब सीधे 190 मिलियन भारतीयों (19 करोड़) या कुल आबादी के 15 फीसदी लोगों पर शासन करती है, गौर हो कि 2004 में यही आंकड़े 270 मिलियन या 27 करोड़ थे। असम पर जीत के साथ भाजपा 12 राज्यों में 520 मिलियन (52 करोड़) या 43 फीसदी आबादी पर शासन करेगी। गौर हो कि 2004 में भाजपा के लिए यही आंकड़े 216 मिलियन (21 फीसदी) थे।

जब हम भाजपा या कांग्रेस शासित राज्यों का उल्लेख करते हैं तो हम उन राज्यों को शामिल करते हैं जहां दोनों पार्टियां गठबंधन सरकार का हिस्सा हैं।

12 वर्षों में भाजपा का फैलाव

Source: Census of India

असम में कांग्रेस के पक्ष में मतदान का 31 फीसदी – भाजपा से अधिक – लेकिन अधिक सीटों पर लड़ा चुनाव

निर्वाचन डेटा बताते हैं कि असम में,2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा का वोट शेयर 36.9 फीसदी था, लेकिन यह पूरे 126 विधानसभा क्षेत्रों के आंकड़े थे। हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में पार्टी ने 89 विधानसभा सीटों से अधिक पर चुनाव नहीं लड़ा है।

असम में, 122 विधानसभा क्षेत्रों में लड़े गए कांग्रेस का वोट शेयर 31 फीसदी था। चूंकि, भाजपा को 89 विधानसभा क्षेत्रों में 29.5 फीसदी वोट मिले, यह उन सीटों में से 60 पर जीत दर्ज कराते हुए सबसे बड़ी पार्टी के रुप में उभरी है एवं 15 वर्षों से शासन कर रही कांग्रेस को बाहर किया है।

असम में भाजपा का वोट शेयर अस्थिर रहा है, पिछले दो विधानसभा चुनावों के बीच में गिरावट के रूप में, 2006 में 12 फीसदी से 2011 में 11.5 फीसदी हुआ है। 2014 में नरेंद्र मोदी की लहर आने के साथ असम में यह वोट शेयर 36.9 फीसदी हुआ है।

असम में भाजपा के प्रभावी वोट में सुधार

Source: Election Commission of India

10 वर्षों में, पश्चिम बंगाल में भाजपा का वोट शेयर 1.93 फीसदी से 10.2 फीसदी बढ़ा है

हाल ही में, वोट शेयर में हुए स्पष्ट गिरावट के बावजूद , 2014 में 17.02 फीसदी से 2016 में 10.2 फीसदी, तीन सीटों पर जीत हासिल करते हुए भाजपा दूसरी बार पश्चिम बंगाल विधानसभा में प्रवेश किया है। भाजपा ने 2014 में पहली बार पश्चिम बंगाल में सीटें जीती थी।

2014 के आम चुनाव में भाजपा ने 41 सीटों (42 सीटों में से) पर चुनाव लड़ा था और बंगाल मतदाताओं का 17 फीसदी वोट अपने पक्ष में किया था एवं और दो लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की थी। 2016 में इसका चुनावी प्रदर्शन बुरा रहा है, 291 सीटों पर चुनाव लड़ते हुए, वोट शेयर 17 फीसदी से गिरकर 10.2 फीसदी हुआ है। हालांकि, पश्चिम बंगाल में भाजपा का वोट शेयर 2006 में 1.93 फीसदी से बढ़कर 2014 के लोकसभा चुनाव में 17 फीसदी हुआ है।

बंगाल में भाजपा के वोट शेयर में वृद्धि

Source: Election Commission of India

वोट शेयर बढ़ने के साथ केरल में भाजपा की पहली बढ़त

40 सदस्यीय केरल विधानसभा में भाजपा ने एक सीट पर जीत हासिल की है। राज्य में भाजपा की यह पहली जीत है। लड़े गए 98 विधानसभा सीटों में भाजपा का वोट शेयर 10.5 फीसदी रहा है। गौर हो कि 2006 में लड़े गए 136 विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा का वोट शेयर 4.75 फीसदी था।

केरल में भाजपा के वोट शेयर में वृद्धि

Source: Election Commission of India

2014 के आम चुनाव में, केरल में भाजपा को मतदान का 10.5 फीसदी प्राप्त हुआ था जो कि सबसे अधिक था। 2016 में, भाजपा ने उतना ही वोट शेयर प्राप्त किया है, हालांकि पार्टी ने 98 सीटों से अधिक पर चुनाव नहीं लड़ा है; 2014 वोट शेयर 140 विधानसभा सीटों से मिले थे।

तमिलनाडु के मतदाताओं पर भाजपा का प्रभाव कम

तमिलनाडु के मतदाता, भाजपा के प्रति उदासीन बने रहे हैं। राज्य में भाजपा को 2.8 फीसदी से अधिक वोट नहीं मिले हैं। गौर हो कि 2006 में यही आंकड़े 2.02 फीसदी थे।

तमिलनाडु में भाजपा का वोट शेयर 2014 लोकसभा चुनाव में 5.56 फीसदी से गिर कर 2.8 फीसदी हुआ है।

2014 लोकसभा चुनाव में सिर्फ नौ सीटों पर चुनाव लड़ते हुए (54 विधानसभा सीटों पर) पार्टी ने वोट का 5.56 फीसदी अपने पक्ष में किया है। 2016 में 188 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ते हुए, भाजपा को 2.8 फीसदी से अधिक वोट नहीं मिले हैं।

अब 15 फीसदी से कम भारतीयों पर शासन करती है कांग्रेस

2004 में 13 राज्यों को नियंत्रित करने से, कांग्रेस ने एक बड़े राज्य, कर्नाटक, छोटे गठबंधन भागीदार के रूप में एक और बड़े राज्य बिहार और छह छोटे राज्यों को गंवा दिया है – तीन उत्तरपूर्व से: मणिपुर, मिजोरम और मेघालय; दो उत्तर से हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड; और पुडुचेरी संघ राज्य क्षेत्र।

कांग्रेस अब सीधे 190 मिलियन (19 करोड़) भारतीयों पर शासन करती है। गौर हो की 2004 में यही आंकड़े 270 मिलियन (27 करोड़) था।

भाजपा ने प्रमुख राष्ट्रीय पार्टी के रूप में कार्यभार संभाल लिया है। 2004 में छह राज्यों के शासन से - जब अटल बिहारी वाजपेयी की एनडीए सरकार ने सत्ता खो दिया था – वर्तमान में पार्टी का असम सहित 12 राज्यों पर शासन है। इसके राज्य सरकार 520 मिलियन (52 करोड़) भारतीयों पर शासन करती है। गौर हो कि 2004 में यही आंकड़े 216 मिलियन (21.6 करोड़) थे।

कांग्रेस ने जीता अधिक वोट, असम में हुई सत्ता से बाहर; पश्चिम बंगाल में वोट शेयर में वृद्धि

2006 से, असम में कांग्रेस ने लगातार वोट का 30 फीसदी से अधिक आकर्षित किया है। हाल ही में हुए चुनावों में कोई अपवाद नहीं थे।

असम में कांग्रेस – उतार-चढ़ाव

Source: Election Commission of India

असम में कांग्रेस का वोट शेयर 2011 में 39.4 फीसदी से गिरकर 2014 लोकसभा चुनाव में 29.9 फीसदी हुआ है। 2016 के चुनाव में यह बढ़ कर 31 फीसदी हुआ है।

पांच वर्षों के दौरान कांग्रेस ने अपना एक-चौथाई समर्थन आधार भआजपा को गंवा दिया है लेकिन असम के एक-तिहाई वोट को बनाए रखा है।

पश्चिम बंगाल में, 294 सदस्यीय विधानसभा में, पिछले अवधि के 42 सीटों की तुलना में इस बार 44 सीटें जीतते हुए कांग्रेस ने मामूली सुधार दिखाया है। कांग्रेस के वोट शेयर में भी सुधार हुआ है। 2011 में 9.09 फीसदी वोट शेयर से बढ़ कर इस बार 12.3 फीसदी हुआ है।

भाजपा की तुलना में, जिसने 291 सीटों पर चुनाव लड़ा, 10 फीसदी वोट अपने पक्ष में किया है और तीन सीटें जीती हैं, कांग्रेस ने एक-तिहाई सीटों (92) पर चुनाव लड़ा, 12.3 फीसदी वोट अपने पक्ष में किया एवं 44 सीटों पर जीत हासिल की है।

34 वर्षों में केरल में कम वोट शेयर, कांग्रेस के लिए तमिलनाडु में सांत्वना

केरल में कांग्रेस को 23.7 फीसदी वोट मिले हैं जो कि 34 वर्षों में सबसे कम है।

2014 के लोकसभा चुनाव में, 31.47 फीसदी वोट पाने एवं 15 संसदीय सीटों में आठ सीट जीतने के बावजूद, 140 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के 22 सदस्यों (38 से गिर कर) से अधिक नहीं हैं।

केरल में कांग्रेस के वोट शेयर में गिरावट

Source: Election Commission of India

तमिलनाडु में कांग्रेस के वोट शेयर में मामूली वृद्धि हुई है, 2014 में 4.37 फीसदी से बढ़ कर 2016 में 6.4 फीसदी हुआ है। 2009 के आम चुनाव के दौरान यह 15 फीसदी तक पहुंचा था जब देश भर में कांग्रेस ने 206 सीटों पर जीत हासिल की थी।

हालांकि पार्टी, 2006 के अपने प्रदर्शन को दोहरा नहीं सकी है, जब लड़े गए 48 निर्वाचन क्षेत्रों में से 34 पर जीत हासिल की थी, 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का वोट शेयर 4.37 फीसदी (जब हर सीट पर चुनाव लड़ा था) से बढ़ कर 2016 में, डीएमके के साथ गठबंधन में, 6.4 फीसदी (जब छठे हिस्से पर चुनाव लड़ा) हुआ है।

(वाघमारे और मल्लापुर इंडियास्पेंड साथ नीति विश्लेषक हैं।)

यह लेख मूलत: अंग्रेज़ी में 20 मई 2016 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।

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