12 साल पहले भारत में कुष्ठ रोग का हुआ था सफाया, लेकिन 2016 में 79,000 नए मामले
कुष्ठ रोग के संबंध में भले ही सार्वजनिक बहस बंद हो गए हैं, लेकिन भारत से यह अब भी पूरी तरह मिटा नहीं है। नेशनल हेल्थ प्रोफाइल 2017 के अनुसार, वर्ष 2016 में, अप्रैल से लेकर सितंबर के बीच 79,000 कुष्ठ रोगियों का पता चला है।
कुष्ठ रोग धीरे-धीरे बढ़ने वाला रोग है, जो त्वचा और तंत्रिका तंत्र को नुकसान पहुंचाता है। यह माइकोबैक्टीरियम लेप्रे द्वारा संक्रमण होने के कारण होता है और इससे त्वचा में घाव होते हैं, अंगों में विरूपण होता है और अंगों में अनुभूति का नुकसान पहुंचता है।
कुष्ठ रोग के मामले सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश में पाए गए हैं, करीब 13,423। लेकिन केंद्र शासित प्रदेश, दादर और नगर हवेली में प्रति 10,000 पर 7.93 का उच्चतम प्रसार था। इसका मतलब है कि हर 10,000 लोगों पर करीब 8 लोग कुष्ठ रोगी हैं।
2016 में सामने आए कुल कुष्ठ रोग के मामले
Source: National Health Profile,2017
प्रति 10,000 लोगों पर 1 से भी कम प्रसार दर के साथ भारत ने 2005 में कुष्ठ रोग का लगभग सफाया कर दिया था। लेकिन 2015 में भी इस पर दुनिया पर कुष्ठ रोग का बोझ था। वर्तमान में, इसका प्रसार दर प्रति 10,000 पर 0.81 का है।
बिहार (1.3), छत्तीसगढ़ (3.54), गोवा (1.1), झारखंड (1.23), पश्चिम बंगाल (1.13), ओडिशा (1.9), चंडीगढ़ (1.25), दिल्ली (1.26) और दादर नगर हवेली (7.93) में प्रति 10,000 लोगों पर 1 से ज्यादा मामले हैं, जो यह दर्शाता है कि कि सभी राज्यों से बीमारी का सफाया नहीं हुआ है।
कुष्ठ प्रसार दर, प्रति 10,000 व्यक्ति पर मामलों की संख्या
Source: National Health Profile,2017
सितंबर 2016 तक करीब 105,564 कुष्ठ रोगियों का इलाज किया जा रहा था, जबकि 59,356 रोगियों को पूरी तरह से ठीक कर वापस घर भेज दिया गया है।
(यदवार प्रमुख संवाददाता हैं और इंडियास्पेंड के साथ जुड़ी हैं।.)
यह लेख मूलत: अंग्रेजी में 17 जुलाई 2017 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।
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