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14 नवम्बर 2015 को पेरिस में हमले के बाद एक पीड़ित की सहायता करता फ्रांसीसी पुलिसकर्मी

वैश्विक स्तर पर आतंकवाद से होने वाली मौतों में नौ गुना वृद्धि हुई है। वर्ष 2000 में आतंकवाद से होने वाले मौत के आंकड़े 3,329 दर्ज की गई थी जबकि 2015 में यह बढ़ कर 32,658 दर्ज की गई है। यह आंकड़े वैश्विक आतंकवाद सूचकांक 2015 की रिपोर्ट में सामने आए हैं। यह सूचकांक प्रतिवर्ष ‘इंस्टीट्यूट फॉर इकोनॉमिक्स एंड पीस’ ( सिडनी, ऑसट्रेलिया ) द्वारा प्रकाशित किया जाता है।

पिछले 15 वर्षों में वैश्विक आर्थिक स्तर पर आतंकवाद पर 283 बिलियन डॉलर का व्यय दर्ज किया गया है। गौरतलब है कि वर्ष 2014 में यह रिकॉर्ड स्तर, 53 बिलियन डॉलर, तक पहुंच गया है।

आम नागरिक और निजी संपत्ती ही आतंकवादियों का मुख्य निशाना रहे हैं। पिछले वर्ष की तुलना में वर्ष 2014 में आम नागरिकों की मौत की संख्या में 172 फीसदी की वृद्धि हुई है।

वर्ष 2014 में आतंकवादी समूहों द्वारा किए गए हमलों में हुई कुल मौतों में से 51 फीसदी मौतों के लिए नाइजीरिया आधारित बोको हराम और इसलामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सिरिया ( आईएसआईएस ) ज़िम्मेदार है।

आतंकी घटनाएं एवं मौत, 2014

वर्ष 2014 में बोको हराम सबसे घातक आतंकवादी संगठन के रुप में उभरा है। इस आतंकवादी संगठन ने करीब 6,664 लोगों को मौत के घाट उतारा है। गौरतलब है कि पिछले वर्ष की तुलना में, मौत के इन आंकड़ों में 317 फीसदी की वृद्धि हुई है।

बोको हराम ने मार्च 2015 में अपना नाम इसलामिक स्टेट ऑफ वेस्ट अफ्रीका प्रोविंस रखते हुए आईएसआईएस को अपनी वचनवद्धता का प्रतिभूत दिया है।

नाइजीरिया में एक अन्य आतंकवादी संगठन, फुलानी समूह भी उभरा है। वर्ष 2014 में फुलानी संगठन करीब 1,229 लोगों के मौत का कारण बना है। 74 फीसदी आतंकवादी संबंधित मौतों के लिए टॉप पांच आतंकवादी संगठन ज़िम्मेदार है।

बोको हराम के बाद सबसे अधिक मौतों के लिए ज़िम्मेदार आईएसआई है।

वैश्विक आतंकवाद रिपोर्ट के अनुसार आईएसआईएस ने आतंकवादी समूहों के माध्यम (6,073) के मुकाबले युद्धमैदान (20,000 ) में अधिक लोगों को मौत की नींद सुलाया है।

Source: Global Terrorism Index 2015

बगदाद में प्रति 100,000 पर सबसे अधिक मृत्यु दर ( 43 ) है। इस संबंध में दूसरा स्थान मायूगुरी ( 39 ), तीसरे स्थान पर मोसुल (29) , चौथे पर पेशावर (25) और पांचवे स्थान पर डोनेट्स्क (10) है।

हाल ही में 13 नवंबर को फ्रांस की राजधानी पेरिस में आतंकवादियों ने सिरियल बम धमाके किए जिसमें कम से कम 129 लोगों की मौत हो गई एवं 300 घायल हुए हैं। फ्रांस में यह द्वितीय विश्व युद्ध के बाद हुई सबसे बुरी हिंसक घटना है।

आईएसआईएस एवं लेवंत ( आई एस आई एल ) ने पेरिस में हुए हमले की जिम्मेदारी ली है।

पेरिस हममें में आठ आतंकवादी शामिल थे जिनमें से सात आतंकवादियों की जान आत्मघाती बम विस्फोट में चली गई है।

वर्ष 2014 में आईएसआईएस द्वारा कम से कम 705 बम हमले किए जाने के मामले सामने आए हैं। कम से कम 117 मामले आत्मघाती हमले की थी जिसमें करीब 1,101 लोगों की जान गई यादि प्रति हमले पर 9 लोग मारे गए हैं।

पांच देश, आतंदवाद से 78 फीसदी मौत

आतंकी घटनाओं में मरने वाले करीब 78 फीसदी लोग पांच देशों, इराक, नाइजीरिया, अफगानिस्तान, पाकिस्तान और सीरिया, के हैं। यह पांच देश, वर्ष 2014 में हुए 57 फीसदी आतंकवादी हमलों के लिए ज़िम्मेदार हैं जबकि अकेले इराक और नाइजीरिया में 53 फीसदी मौतें हुई हैं।

वैश्विक आतंकवाद सूचकांक 2015, टॉप 10 देश

Source: Global Terrorism Index; Figures are for 2014

वर्ष 2014 में पिछले साल के मुकाबले चरमपंथी घटनाओं से होने वाली मौतों में 80 फीसदी की वृद्धि हुई है। वर्ष 2014 में इन टॉप 10 देशों में 88 फीसदी मौतें हुई हैं।

162 देशों की सूची में सबसे पहले स्थान पर इराक है। वर्ष 2014 में 9,929 मौत के आंकड़ों के साथ इराक, सबसे अधिक आतंकवाद प्रभावित देश है। 2013 की तुलना में इराक में आतंकवाद से होने वाली मौतों में 55 फीसदी की वृद्धि हुई है। 2014 में, आतंकवाद से होने वाली करीब 30 फीसदी मौतें भी इराक में हुई है।

नाइजीरिया में आतंकी हमलों से होने वाली मौतों (7,512) में चार गुना वृद्धि हुई है। यह आंकड़े किसी भी अन्य देश की तुलना में सबसे अधिक है। गौर हो कि वर्ष 2013 में रहे पांचवें स्थान से अब यह दूसरे स्थान पर आ गया है।

आतंकवाद संबंधित गतिविधियों और घटनाओं के कारण वर्ष 2014 में 106 बिलियन डॉलर के प्रभाव के साथ करीब 53 बिलियन डॉलर का वैश्विक आर्थिक नुकसान हुआ है।

15 वर्षों में आतंकवाद की आर्थिक लागत

यूनाइटेड स्टेट्स रक्षा विभाग के अनुसार अमरीका द्वारा 8 अगस्त 2014 से 31 अक्टूबर 2015 तक इराक एवं सिरिया में आईएसआईएस के खिलाफ आतंकवाद के मुकाबले के लिए चलाए गए ऑपरेशन की कीमत लगभग 5 बिलियन डॉलर है। यानि 450 दिनों में औसतन प्रतिदिन 11 मिलियन डॉलर का खर्च हुआ है।

भारत में सबसे अधिक आतंक से होने वाली मौतों का कारण माओवादी हैं, बोडो आतंकी दूसरे स्थान पर

वर्ष 2014 में, भारत में 1.2 फीसदी की हिस्सेदारी के साथ 416 मौतों की रिपोर्ट दर्ज की गई है। रिपोर्ट के अनुसार यह पहली बार है जब आतंकवाद से होने वाली मौत की आंकड़ों के साथ भारत का नाम टॉप 10 देशों में नहीं है।

भारत में हुए अधिकतर हमलों की तीव्रता कम थी एवं गैर-घातक थे। इन हमलों के पीछे कम से कम 50 आतंकवादी संगठनों की पहचान की गई है एवं इन्हें तीन समूहों में वर्गीकृत किया गया है - इस्लामी , अलगाववादी और कम्युनिस्ट।

रिपोर्ट कहती है कि भारत में आतंक से होने वाली मौतों का मुख्य कारण कम्युनिस्ट संगठन है।

वर्ष 2014 में, दो माओवादी (कम्युनिस्ट ) संगठनों ने भारत में 172 लोगों की मृत्यु की जिम्मेदारी ली है जोकि आतंकवाद से होने वाली मौतों का 41 फीसदी है। जबकि इस्लामी आतंकवादी समूहों 57 मौतों ने ( 14 फीसदी ) की जिम्मेदारी ली है।

वर्ष 2014 में पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए- तैयबा और हिज्ब-उल – मुजाहिदीन 24 और 11 लोगों की मौत के लिए ज़िम्मेदार रहे हैं।

बोडोलैंड नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट, उत्तर-पूर्व में एक अलगाववादी आतंकी संगठन एवं 2014 में भारत में दूसरा सबसे घातक समूह, कम से कम 80 लोगों की मौत का ज़िम्मेदार रहा है। 2014 में असम के आस-पास के इलाकों में 106 लोगों की मौत (25 फीसदी) की खबर दर्ज की गई है।

आम नागरिक एवं निजी संपत्ति होते हैं निशाने पर

वर्ष 2014 में हुए कुल वैश्विक आतंकी हमलों में 31 फीसदी निशाना आम नागरिक एवं निजी संपत्ति रहे हैं। इन हमलों में 15,380 लोगों की जान गई है।

आतंकी हमलों का निशाना

( मल्लापुर इंडियास्पेंड के साथ नीति विश्लेषक हैं )

यह लेख मूलत: अंग्रेज़ी में 19 नवंबर 2015 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।

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