18 महीनों में भारत में 1,600 से अधिक यूआरएल रोके गए
मुंबई: पिछले 18 महीनों से जून 2018 तक सोशल मीडिया पर 1,662 यूनिवॉर्म रिसोर्स लोकेटर (यूआरएल) या पोस्ट अवरुद्ध किए गए थे, जैसा कि 3 अगस्त, 2018 को इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने नकली खबरों का मुकाबला करने के स्पष्टीकरण के तहत राज्यसभा को बताया है।
रविशंकर प्रसाद ने सोशल मीडिया और फर्जी खबरों के लिए सोशल साइट्स के दुरुपयोग के मुद्दे पर उनके जवाब में कहा, "हाल ही में, यह भारत सरकार के ध्यान में आया है कि देश के विभिन्न हिस्सों में कई ऐसी घटनाएं हुई हैं, जिसमें कई निर्दोष लोगों को नुकसान हुआ है। ये बेहद खतरनाक और खेदजनक हैं, साथ ही साथ सरकार के लिए गहरी चिंता का विषय भी है। "
We have asked social media companies operating in India to:
- to appoint a grievance officer in India
- find technological solution for addressing mass circulation of fake news/ messages : @rsprasad in #RajyaSabha pic.twitter.com/X3P8QtwjQd
— RSPrasad Office (@OfficeOfRSP) August 3, 2018
To address the challenges of fake news / messages and its spread on social media we need to have technological solutions and administrative alertness as well: @rsprasad in #RajyaSabha pic.twitter.com/GS4gj9eNii
— RSPrasad Office (@OfficeOfRSP) August 3, 2018
सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) अधिनियम, 2000 की धारा 69 ए के तहत, फेसबुक पर सबसे ज्यादा यूआरएल ( 956 या 58 फीसदी )रोके गए है। इसके बाद ट्विटर (25 फीसदी) और यूट्यूब (9 फीसदी) का स्थान रहा है।
रोके गए यूनिफॉर्म रिसोर्स लोकेटर, जनवरी 2017-जून 2018
प्रसाद ने कहा, आईटी अधिनियम, 2000 की धारा 69 ए के अनुसार वेबसाइटों / पेज को "भारत की रक्षा, इसकी संप्रभुता, सुरक्षा और अखंडता, विदेशी संबंध, सार्वजनिक आदेश और ऊपर से संबंधित किसी भी संज्ञेय अपराध" के लिए अवरुद्ध किया जा सकता है।
वेबसाइट या पेज, जो इस कानून का अनुपालन करने में विफल रहता है उसे सात साल तक की जेल और दंडित किया जा सकता है।
दुनिया भर में 2,190 मिलियन फेसबुक उपयोगकर्ता में से मार्च 2018 तक 9 फीसदी भारतीय थे। ट्विटर यूजर बेस में से 8 फीसदी हिस्सेदारी भारतीयों की है, जबकि यूट्यूब में 4 फीसदी हिस्सेदारी है। फरवरी 2017 तक व्हाट्सएप यूजर बेस में भारतीयों की 13 फीसदी (200 मिलियन) की हिस्सेदारी है।
जुलाई 2018 में, कॉपीराइट और ट्रेडमार्क समेत बौद्धिक संपदा अधिकारों का उल्लंघन करने वाली सामग्री पोस्ट करने के आधार पर, फेसबुक ने राइट-विंग फेक न्यूज वेबसाइट ‘पोस्टकार्ड न्यूज’ के समाचार पेज को हटा दिया था, जिसके करीब 500,000 से अधिक फॉलोअर थे, जैसा के बूम ने 16 जुलाई, 2018 की रिपोर्ट में बताया है।
‘पोस्टकार्ड न्यूज’ के सह-संस्थापक, महेश हेगड़े को मार्च 2018 में नकली और सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील समाचार फैलाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था, जैसा कि द हिंदू ने 30 मार्च, 2018 को बताया है।
फर्जी खबरों के लिए नए, अनुभवहीन स्मार्टफोन उपयोगकर्ता जिम्मेदार
नए और अनुभवहीन स्मार्टफोन उपयोगकर्ताओं के साथ नकली खबरों का प्रसार "भारत में हानिकारक" रहा है, जो हर दिन अरबों व्हाट्सएप संदेश भेजते हैं, जैसा कि वाशिंगटन पोस्ट ने 2 जुलाई, 2018 की रिपोर्ट में कहा है।
पिछले छह सालों से 2016 तक, भारत में इंटरनेट उपयोगकर्ता में 324 फीसदी वृद्धि हुई है, यानी 92 मिलियन से 390 मिलियन तक हुआ है। जबकि इसी अवधि के दौरान चीन में 60 फीसदी,यानी 750 मिलियन, जापान में 20 फीसदी, यानी 120 मिलियन, अमेरिका में 14 फीसदी, यानी 250 मिलियन ब्राजील में 63 फीसदी से 130 मिलियन तक हुआ है, जैसा कि संयुक्त राष्ट्र एजेंसी, अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ के आंकड़ों से पता चलता है।
भारत में मार्च 2018 को भारत में 473 मिलियन वायरलेस इंटरनेट ग्राहक थे, जिनमें से 30 फीसदी (144 मिलियन) ग्रामीण इलाकों में थे और शेष (32 9 मिलियन) शहरी इलाकों में थे।
जनवरी 2017 से बच्चा उठाने की अफवाहों से संबंधित 69 भीड़ हमलों में 33 लोगों की मौत हुई है, जैसा कि इंडियास्पेंड ने 9 जुलाई, 2018 की रिपोर्ट में बताया है। इनमें से लगभग 77 फीसदी के लिए सोशल मीडिया के माध्यम से फैले फर्जी समाचार जिम्मेदार थे। व्हाट्सएप को एक प्रमुख अफवाह स्रोत के रूप में दिखाया गया है, जो 28 फीसदी या 19 मामलों के लिए जिम्मेदार थे।
"गलत सूचना" के प्रसार को रोकने के लिए, सरकार ने नकली समाचार के प्रसार को रोकने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफार्मों को सलाह जारी की है।
(मल्लापुर विश्लेषक हैं और इंडियास्पेंड के साथ जुड़े हैं।)
यह लेख मूलत: अंग्रेजी में 14 अगस्त 2018 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।
हम फीडबैक का स्वागत करते हैं। हमसे respond@indiaspend.org पर संपर्क किया जा सकता है। हम भाषा और व्याकरण के लिए प्रतिक्रियाओं को संपादित करने का अधिकार रखते हैं।
__________________________________________________________________
"क्या आपको यह लेख पसंद आया ?" Indiaspend.com एक गैर लाभकारी संस्था है, और हम अपने इस जनहित पत्रकारिता प्रयासों की सफलता के लिए आप जैसे पाठकों पर निर्भर करते हैं। कृपया अपना अनुदान दें :