20 साल में सबसे कम वोट शेयर के साथ, जेडी (एस) के पास कर्नाटक की कमान!
मुंबई: कर्नाटक चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का वोट शेयर 36.2 फीसदी रहा है। यह आंकड़ा 1983 में राज्य में पहली बार चुनाव लड़ने के बाद से सबसे ज्यादा है।
हालांकि, 18.3 फीसदी वोट शेयर के साथ जनता दल-सेक्युलर (जेडीएस) और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (38 फीसदी , 56.3 फीसदी की संयुक्त वोट हिस्सेदारी ) राज्य में सरकार बनाने के लिए मिल सकती है।
नतीजों के मुताबिक, जेडी (एस) का 18.3 फीसदी वोट शेयर 1999 के बाद से लगभग दो दशकों में सबसे कम रहा। 1999 में इसका वोट शेयर 10.4 फीसदी था।
With JD(S)-Congress staking a claim, their combined vote share is 56.4%. BJP vote share is 36.2% #KarnatakaVerdict pic.twitter.com/9hwJYiFa0d
— IndiaSpend (@IndiaSpend) May 15, 2018
तीन पार्टियों में 38 फीसदी का कांग्रेस का वोट-शेयर सबसे ज्यादा है और 1999 के चुनावों में 40.8 फीसदी का वोट-शेयर मिलने के बाद से इस बार पार्टी को सबसे ज्यादा वोट शेयर मिला है। हालांकि भाजपा का वोट शेयर कांग्रेस के मुकाबले 1.8 प्रतिशत कम था, इस चुनाव में भाजपा मौजूदा कांग्रेस से 26 सीट आगे है, जैसा कि लीड और परिणामों से पता चलता है।
ऐसा इसलिए है क्योंकि भारत में चुनाव ‘पास्ट-द-पोस्ट’ सिस्टम का पालन करता है। सबसे ज्यादा वोट वाले उम्मीदवार सीट जीतते हैं।
33 सालों के रूझानों को ध्यान में रखते हुए चुनाव डेटा पर इंडियास्पेंड के विश्लेषण से पता चलता है कि कर्नाटक ने 2018 के चुनावों में मौजूदा सरकार के खिलाफ भी मतदान किया है। 2013 में 122 सीट जीतते हुए कांग्रेस एकमात्र सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी, लेकिन 2018 में कांग्रेस ने 26 सीटें गवां दी है, मुख्य रुप से भाजपा को ये सीटें गई हैं, जैसा कि विश्लेषण से पता चलता है।
उन राज्यों में जहां भाजपा सत्ता में है, जैसे कि महाराष्ट्र, जम्मू-कश्मीर, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में, वहां पार्टी क्षेत्रीय दलों के गढ़ों में घुसपैठ के बाद सत्ता में आई है, जैसा कि इंडियास्पेंड ने पहले बताया (यहां, यहां और यहां) है।
कर्नाटक में, इस प्रवृत्ति के खिलाफ जाकर, जेडी (एस) ने 37 सीटें जीतकर अपने प्रभाव को बरकरार रखा है । 2013 में जेडी (एस) के पास 40 सीट थी, उससे तीन कम।
यह तब है जब, जैसा कि हमने कहा, 2018 के चुनावों में पार्टी का वोट शेयर 18.3 फीसदी है, जो कि 2013 के चुनावों में 20.2 फीसदी था।
Source: Election Commission Of India
कर्नाटक में 2018 के विधानसभा चुनावों का नतीजा 2004 के नतीजों के समान है, जब भाजपा एकमात्र सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है। लेकिन कांग्रेस और जेडी (एस) ने गठबंधन सरकार की रूपरेखा सामने रखी। उस समय भाजपा ने 28.3 फीसदी वोट-शेयर दर्ज किया था, जो उस समय कांग्रेस की तुलना में सात प्रतिशत कम था।
In 2004, the BJP emerged as the single largest party with 79 seats. Congress with 65 seats and JD(S) with 58 seats formed a coalition govt. BJP's vote share was 28.33% that year, Congress 35.27% and JD(S) 20.77% #KarnatakaVerdict
— IndiaSpend (@IndiaSpend) May 15, 2018
1985 के बाद से, जब भी कांग्रेस कर्नाटक विधानसभा चुनावों में पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आई थी (1989, 1999 और 2013 में ) पार्टी के पास उच्चतम वोट-शेयर था, जो उप-विजेता से कम से कम 16 प्रतिशत अधिक था।
यह मामला अन्य पार्टियों के साथ नहीं दिखाई देता है। 2008 में, जब भाजपा को बहुमत मिला और सरकार बनाई, तो उसने दूसरे सबसे ज्यादा वोट-शेयर के साथ 110 सीटें जीतीं थी।
जब जेडी (एस) ने 115 सीटों के साथ 1994 में राज्य चुनाव जीतने के बाद पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाई थी, तो पार्टी को 33 फीसदी वोट शेयर मिला, जो कांग्रेस (27 फीसदी) से छह प्रतिशत अंक अधिक था।
-----------------------------------------------------------------------------------------
( सलदानहा सहायक संपादक हैं। सालवे और मल्लापुर विश्लेषक हैं। तीनों इंडियास्पेंड के साथ जुड़े हैं। )
यह लेख मूलत: अंग्रेजी में 15 मई, 2018 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।
--
हम फीडबैक का स्वागत करते हैं, कृपया respond@indiaspend.org पर लिखें। हम भाषा और व्याकरण के लिए प्रतिक्रियाओं को संपादित करने का अधिकार सुरक्षित रखते हैं ।