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टेमसुटला इंसॉंग स्वच्छ भारत देखना चाहती हैं, एवं, दर्शिका शाह के साथ वाराणसी के कुछ गंदे घाटों की सफाई भी की है।

संघर्ष और विवाद से भरे इस साल में, भारत के लिए कुछ अच्छी बातें भी रहीं।

वैश्विक नेता के रुप में उभरे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रस्ताव सुधार शुरु किया है एवं उद्योग, रोजगार और सामाजिक कल्याण को बढ़ावा देने के उदेश्य से कई शुरुआतें की है, हालांकि कुछ प्रगति संदिग्ध रही| यहां हम वर्ष 2015 की पाँच सकारात्मक नीतिओं की चर्चा कर रहे हैं :

1. गैस सब्सिडी और खाद्य सब्सिडी लीक को रोकने से 5,000 करोड़ रुपैओं की बचत

कम से कम 5.5 मिलियन भारतीयों ने रसोई गैस पर सब्सिडी को छोड़ दिया है जिससे सरकार ने करीब 900 करोड़ रुपए की बचत की है। नवंबर में FactChecker.in ने बताया था कि सिंगापुर में मोदी ने कहा था कि चार मिलियन भारतीयों ने सब्सिडी छोड़ दि थी, लेकिन इस संबंध में उनका सतर्क वक्तव्य था।

मिंट की रिपोर्ट के अनुसार, अन्य 4,200 करोड़ रुपये, खाद्य सब्सिडी के लिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली में सुधार से बचाये गए।

खाद्य सब्सिडी 2011-12 से 2015-16

एलपीजी सब्सिडी 2011-12 से 2015 -16

नए साल में सरकार के 10 लाख रुपए से अधिक वार्षिक आय वाले परिवारों के लिए गैस सब्सिडी रोकने के साथ करीब 200 करोड़ रुपए से 300 करोड़ रुपए तक की और बचत हो सकती है।

एक सरकारी रिपोर्ट के अनुसार, कम से कम 47 फीसदी राशि राष्ट्रीय स्तर पर खाद्य सब्सिडी पर खर्च (अक्षमता और भ्रष्टाचार के लिए एक व्यंजना ) होते हैं, हालांकि आंकड़ा कुछ अर्थशास्त्रियों द्वारा विवादित है।

2. मोदी ने दुनिया के 32 देशों की यात्रा की है

विश्व नेताओं तक पहुंने का प्रयास मोदी ने जारी रखा है एवं विश्व के सामने हर मुद्दे पर भारत का पक्ष रखा है, जलवायु परिवर्तन से भू-राजनीति तक।

26 जनवरी को गणतंत्र दिवस परेड के मुख्य अतिथि के रूप में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने 2015 में दुनिया के साथ लंबी वचनबद्धता की शुरुआत की। ओबामा के बाद जर्मन चांसलर एंजेला मार्केल और जापान के प्रधानमंत्री शिंजो अबे ने सिलसिला जारी रखा है।

इंडियास्पेंड ने पहले ही अपनी रिपोर्ट में बताया है कि कार्यकाल के पहले वर्ष में ( जून 15, 2014 से मई 19, 2015) मोदी ने 17 देशों का दौरा किया है। बाद के समय में प्रधानमंत्री ने 15 और देशों का यात्रा की है।

3.विदेशी निवेशकों के लिए भारत है वैश्विक गंतव्य

2015 में दुनिया की सबसे बड़ी ई-टेलर Amazon.com ने भारत में 5 बिलियन डॉलर का निवेश करने की योजना की घोषणा की है। फाइनेंशियल टाइम्स, लंदन, ने सितंबर महीने में बताया था कि चीन और अमेरिका को पीछे छोड़ते हुए भारत, निवेशकों के लिए शीर्ष निवेश गंतव्य के रुप में उभरा है।

इंडियास्पेंड ने पहले ही अगस्त में ही बताया है कि अक्टूबर 2014 और अप्रैल 2015 के बीच प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) में 48 फीसदी की वृद्धि हुई है।

वार्षिक आधार पर, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में 18 फीसदी की वृद्धि हुई है। जनवरी से सितंबर 2014 में जहां यह आंकड़े 22.4 बिलियन डॉलर थे वहीं जनवरी से सितंबर 2015 में यह बढ़ कर 2.6 बिलियन डॉलर हुए हैं।

प्रत्यक्ष विदेशी निवेश, 2014-2015

अगस्त में छपी वाल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के अनुसार, ताइवानी इलेक्ट्रॉनिक्स प्रमुख फॉक्सकॉन , भारत में 5 बिलियन डॉलर का निवेश करने की योजना की घोषणा की है। इस रिपोर्ट के मुताबिक केलॉग कंपनी दुनिया की सबसे बड़ी अनाज निर्माता, परिवहन प्रमुख बमबार्डियर, और होम फर्निशिंग ब्रांड इका, भारत में निवेश की योजना बना रहे हैं।

4. बुनियादी बैंकिंग गरीबों तक पहुंची है , लेकिन गरीब अभी भी साहूकारों पर निर्भर

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, प्रधानमंत्री जन धन योजना के तहत देश के कुछ गरीबों के लिए 196 मिलियन बैंक खाते खोले गए हैं।

वित्तीय समावेशन पर भारतीय रिजर्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार अर्ध-शहरी क्षेत्रों में सबसे बड़ी वृद्धि दर (15.9 फीसदी ) और ग्रामीण क्षेत्रों (15.6 फीसदी) के साथ व्यक्तिगत बचत बैंक खातों, 14 फीसदी की वृद्धि हुई है। महानगरीय क्षेत्रों में विकास दर 10.9 फीसदी थी।

व्यक्तिगत बचत बैंक खाते

हाउस लिस्टिंग और आवास सर्वेक्षण 2011 की जनगणना के अनुसार बैंकिंग सेवाओं का उपयोग कर भारतीय परिवारों का अनुपात वर्ष 2001 में 35 फीसदी से बढ़ कर 2011 में 59 फीसदी तक हुई है। जनगणना के आंकड़े 59 फीसदी परिवारों के पास मोबाइल फोन होने का भी संकेत देती है, बैंकिंग के प्रसार में एक शक्तिशाली उपकरण है।

इंटरनेट और मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, अक्टूबर 2015 के अंत तक भारत में (मई 2015 तक 976 मिलियन मोबाइल फोन) 277 मिलियन मोबाइल - इंटरनेट उपयोगकर्ताओं है (आधार कार्ड के साथ संयोजन के रूप में, राष्ट्रीय पहचान डेटाबेस) जो बैंक रहित क्षेत्रों में बैंकिंग सेवाएं देने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।

नवंबर में छपे Factchecker.in की रिपोर्ट के अनुसार, जन धन योजना के तहत 71 मिलियन बैंक खातों में कोई पैसे नहीं थे एवं साहूकारों की पकड़ में कोई कमी नहीं है जो वर्तमान में सबसे गरीब किसानों की हर 10 घरों में से छह को ऋण देते हैं। मिंट की रिपोर्ट के अनुसार इनमें से बैंकों ने 129 परिवारों से अधिक को पैसे ऋण नहीं दिया है।

हालांकि, बुनियादी बचत खातों को जोड़ने और विस्तार बैंकिंग का मूल उदेश्य पूरा हुआ है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की इस रिपोर्ट के अनुसार भारत में प्रति 1,00,000 व्यक्तियों पर शाखाओं की औसत संख्या जून 2015 तक बढ़ कर 9.7 हुई है। 2010 में यह आंकड़े 7.2 थे।

5. स्वच्छ भारत : धीमी गति से प्रगति लेकिन एक अच्छी शुरुआत

मोदी ने मजबूती से स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत की है , लेकिन प्रगति धीमी है। लक्ष्य बड़ा है लेकिन शायद इस ओर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

इंडियास्पेंड ने जुलाई में ही अपनी रिपोर्ट में बताया था कि और चार वर्ष के साथ,स्वच्छ भारत अभियान का 90 फीसदी लक्ष्य पूरा नहीं हुआ है।

लक्ष्य को जल्द पूरा करने के चक्कर में हो सकता है कि पैसे खर्च हो जाएं लेकिन सीमित या कोई बदलाव न दिखे जैसा कि देश भर में मोदी की स्कूलों में सभी छात्राओं के लिए अलग शौचालय के निर्माण की घोषणा में Factchecker.in की पड़ताल में सामने आया है।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार,बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों, जहां 292 मिलियन लोग रहते हैं, इस ओर प्रगति के लिए संघर्ष कर रहा है।

( यह लेख मूलत: अंग्रेज़ी में 31 दिसंबर 2015 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है। )

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