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वर्ष 2016 में अनुमान है कि भारत की ग्रोथ रेट चीन के अनुमानित ग्रोथ रेट 6.3 फीसदी से अधिक 6.5 फीसदी रहेगी। इंटरनेशनल मोनेटरी फंड (आईएमएफ) ने हाल में जारी रिपोर्ट में यह जानकारी दी है। वैश्विक अर्थव्‍यवस्‍था के लिए आईएमएफ ने ग्रोथ का अनुमान 2015 के 3.5 फीसदी से बढ़ा कर 2016 के लिए 3.7 फीसदी कर दिया है क्‍योंकि तेल की कीमतें कम हुई हैं।

हालांकि, रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक अर्थव्‍यवस्‍था कई कारकों जैसे कई विकसित और उभरती हुई अर्थवयवस्‍थाओं के मध्‍यावधि की ग्रोथ कम रहने के अनुमानों को समायोजित करते हुए, उसके नकारात्‍मक प्रभावों से निपटने में सक्षम नहीं होगी।

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अर्थव्‍यवस्‍था की ग्रोथ रेट, ऐतिहासिक और आईएमएफ का अनुमान, वित्‍त वर्ष 2013 - वित्‍त वर्ष 2016 (फीसदी में)

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Source: IMF

उभरती अर्थव्‍यवस्‍थाएं वैश्विक औसत ग्रोथ रेट 4.7 फीसदी से कहीं ज्‍यादा तेजी से बढ़ना जारी रखेंगी। हम देख सकतेक हैं कि 2013 के बाद ग्रोथ रेट 4.7 फीसदी से घट कर 2014 में 4.4 फीसदी पर आ गया, अनुमान है कि 2015 में यह घट कर 4.3 पर आ जाएगा और फिर 2016 में बढ़ कर 4.7 फीसदी हो जाएगा।

चीन की ग्रोथ रेट 2013 में 7.8 फीसदी थी जो 2014 में घट कर 7.4 फीसदी रह गई। अनुमान है कि यह 2015 में घट कर 6.8 फीसदी रहेगी और 2016 में और घट कर 6.3 फीसदी के स्‍तर पर आ जाएगी। इसके साथ ही, विकासशील देशों की ग्रोथ रेट भी घट जाएगी। चीन की घटती ग्रोथ रेट की एक वजह नीतियों में किया गया बदलाव है, जहां सरकार निवेश की जगह खपत पर ज्‍यादा ध्‍यान दे रही है।

दूसरी तरफ, अनुमान है कि भारत की ग्रोथ रेट 2013 में जहां 5 फीसदी थी वह 2016 में 6.5 फीसदी रहेगी। निर्यात की मांग घटने की भरपाई तेल की घटती कीमतों के कारण आयात बिल कम होने से हो जाएगी। आईएमएफ का भरोसा है कि वर्तमान सरकार भविष्‍य में बदलावों को रफ्तार दे सकती है जिससे औद्योगिक उत्‍पादन को बूस्‍ट मिलेगा।

तेल और अन्‍य कमोडिटीज की घटती कीमतों का असर ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका के मध्‍यावधि और दीर्घावधि के ग्रोथ अनुमानों पर पड़ेगा। रूस के मामले में भी तेल की कीमतों में तेजी से आई कमी और भू-राजनीतिक तनावों का असर अनुमानों पर, प्रत्‍यक्ष और भरोसे के प्रभाव के जरिए, देखा जा सकता है।

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