2017 में भाजपा की आमदनी में 81 फीसदी वृद्धि, कांग्रेस में 14 फीसदी गिरावट
मुंबई: 2016-17 तक सालाना 81.2 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की आय भारत के राजनीतिक दलों की कुल आय का दो तिहाई (66.3 फीसदी) है। यह जानकारी एक संस्था ‘एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स’ (एडीआर) की रिपोर्ट में सामने आई है।
भाजपा की वर्तमान आय 1,034.28 करोड़ रुपये है, जो पिछले साल की सभी राष्ट्रीय दलों की कुल आय के बराबर थी। 2015-16 में पार्टी की आय 570.86 करोड़ रुपये थी।
एडीआर द्वारा वार्षिक रिपोर्ट पर इंडियास्पेंड के विश्लेषण के अनुसार, यह पार्टी ( जिसकी लोकसभा में 273 सीटें हैं ) की सबसे ज्यादा आय है, जो 2014 के बाद से उत्पन्न हुई है। इस बीच, कांग्रेस ( जिसकी 48 सीटें हैं ) ने इन चार वर्षों में सबसे कम आय प्राप्त किया है।
2016-17 में कांग्रेस को 225.36 करोड़ रुपये आए, जो पिछले वित्त वर्ष में 261.26 करोड़ रुपये से 13.8 फीसदी कम है। 2015-16 में इस राजनीतिक दल की आय का हिस्सा 10.8 प्रतिशत अंक गिर गया है, यानी 2015-16 में 25.3 फीसदी से चालू वर्ष में 14.5 फीसदी हुआ है।
सात राष्ट्रीय दलों की आय में 50.9 फीसदी की वृद्धि हुई है, 2015-16 में 1,033.18 करोड़ रुपये से 2016-17 में 1,559.17 करोड़ रुपये हुआ है।
राष्ट्रीय राजनीतिक दलों द्वारा अर्जित आय: 2013-14 से 2016-17
हालांकि, भाजपा और कांग्रेस के पास सभी राजनीतिक दलों द्वारा अर्जित कुल आय का उच्चतम हिस्सा है,जबकि बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) और नेशनल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) दोनों ने वित्तीय वर्ष में 2016-17 तक आय में सबसे ज्यादा प्रतिशत वृद्धि दर्ज की है।
बसपा की आय 47.38 करोड़ रुपये से बढ़कर 126.19 करोड़ रुपये हो गई, जबकि जबकि एनसीपी ने वित्तीय वर्ष 2015-16 और 2016-17 के बीच 9.14 करोड़ रुपये से 173.58 करोड़ रुपये की आय में वृद्धि देखी, यानी 266.3 फीसदी और 88.6 फीसदी की वृद्धि हुई है।
कांग्रेस के साथ, अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस (एआईटीसी) और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की आय में 81.5 फीसदी और 6.7 फीसदी की गिरावट आई है।
आय के प्रमुख स्रोत: दान, योगदान और कूपन
भाजपा और कांग्रेस दोनों ने आय के मुख्य स्रोत के रूप में दान और योगदान घोषित किया। 2016-17 में भाजपा की आमदनी में अनुदान / दान / योगदान की 96.4 फीसदी (997.12 करोड़ रुपये) की हिस्सेदारी रही है जबकि कांग्रेस की आय में 22.5 फीसदी (50.6 करोड़ रुपये) की हिस्सेदारी रही है।
कांग्रेस के लिए आमदनी का सबसे बड़ा हिस्सा पार्टी के सदस्यों और निधि के लिए दानदाताओं की पहचान के लिए विभिन्न मूल्यवर्ग (100-500 रुपये और उससे अधिक मूल्य) के कूपन जारी करने से आया था।
यह कूपन ( जिसकी वर्ष 2017 में पार्टी की आय में 51.3 फीसदी (115.6 करोड़ रुपये) की हिस्सेदारी रही है ) 2001 में पूर्व प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह के तहत एक समिति ने पार्टी की धन उगाहने की प्रक्रिया में अधिक पारदर्शिता लाने के लिए पेश किया था, जैसा कि द हिंदू ने 22 दिसंबर, 2001 की रिपोर्ट में बताया है।
अहमदाबाद के ‘इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट’ के पूर्व प्रोफेसर और निदेशक एडीआर के संस्थापक-ट्रस्टी जगदीप चोकर ने इंडियास्पेंड को बताया कि "हालांकि, इन कूपनों को न तो क्रमांकित किया गया है और न ही उन्हें ट्रैक किया जा सकता है, जिससे योगदान का लेखा परीक्षा करना असंभव हो जाता है या आय कहां से आ रही है। क्रमांकित कूपन जारी करने के लिए सभी सिफारिशें पार्टी द्वारा खारिज कर दी गईं, जिससे पारदर्शिता प्रभावित होती है। "
दाताओं और योगदानकर्ताओं के विवरण को ‘अनुपलब्ध’ के रूप में चिह्नित किया गया था या पार्टियों द्वारा दायर किए गए अधिकांश खुलासे को खाली छोड़ दिया गया था।
भाजपा और कांग्रेस की आय, शीर्ष 3 स्रोत
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Income Of BJP And Congress, Top 3 Sources | ||
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Party | Source | Income % |
BJP | Voluntary Contributions | 96.40% |
BJP | Interests from Banks | 3% |
BJP | Fee and Subscription | 0.40% |
Congress | Income from Issuance of Coupons | 51.30% |
Congress | Donations and Contributions | 22.50% |
Congress | Interests on Fixed Deposits | 19.50% |
Source: Association for Democratic Reforms
पार्टियों के लिए वार्षिक लेखापरीक्षित खातों को जमा करने की समय सीमा 30 अक्टूबर, 2017 थी। सात राष्ट्रीय पार्टियों में से चार ( भाजपा, कांग्रेस, एनसीपी और सीपीआई) के पास पिछले पांच वर्षों में लेखापरीक्षा रिपोर्ट में लगातार देरी का रिकॉर्ड है।
हालांकि, भाजपा और कांग्रेस ने पिछले पांच वर्षों में औसतन छह महीने तक लेखा परीक्षा रिपोर्ट में देरी की है, चालू वर्ष के लिए, उनके प्रस्तुतिकरण में लगभग तीन और पांच महीने की देरी हुई थीं।
2016-17 में, भाजपा ने कांग्रेस से ज्यादा खर्च किया है!
भाजपा की कमाई में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है । 2016-17 में भाजपा की आय में 81.2 फीसदी की वृद्धि हुई, जैसा कि हमने कहा है, इसका व्यय 61.8 फीसदी बढ़ गया है। भाजपा के व्यय में साल दर साल सबसे ज्यादा वृद्धि 2014-15 में हुई थी। 177.9 फीसदी ज्यादा, 2013-15 में 328.51 करोड़ रुपये से बढ़ कर 2014-15 में 913 करोड़ रुपये हुआ है।
भाजपा व्यय, 2013-14 से 2016-17
हालांकि, 2016-17 में, कांग्रेस ने अर्जित आय से अधिक खर्च किया है। वर्ष 2017 में आय में लगभग 14 फीसदी की गिरावट के साथ भी, पिछले साल की तुलना में कांग्रेस व्यय 66.4 फीसदी बढ़ गया। इसके विपरीत, 2015-16 के दौरान कांग्रेस व्यय में 74.7 फीसदी की गिरावट हुई है। यह आंकड़ा 2014-15 में 765.02 करोड़ रुपये से गिरकर 2015-16 में 193.26 करोड़ रुपये हुआ है।
एक राजनीतिक व्यय
सत्तारूढ़ पार्टी के व्यय में चुनाव और आम प्रचार की सबसे ज्यादा हिस्सेदारी (85.4 फीसदी या 606.64 करोड़) है। कांग्रेस ने चुनावों पर 46.5 फीसदी (14 9 .66 करोड़ रुपये) और प्रशासनिक और सामान्य व्यय पर 35.9 फीसदी (116.7 करोड़ रुपये) खर्च किए हैं।
व्यय के हिस्से अनुसार चुनाव व्यय
Election Expenditure, By Share Of Expenses | ||
---|---|---|
Party | Top 3 Items of Expenditure | % of Expenditure |
BJP | Election/General Propaganda | 85.40% |
BJP | Administrative Costs | 9.80% |
BJP | Employee Costs | 2.90% |
BJP | Others | 1.90% |
INC | Election Expenditure | 46.50% |
INC | Administrative and General Expenditure | 35.90% |
INC | Financial Costs | 9.70% |
INC | Other Expenditure | 7.90% |
Source: Association for Democratic Reforms
(प्रभु डेटा विश्लेषक हैं और इंडियास्पेंड के साथ जुड़े हैं।)
यह लेख मूलत: अंग्रेजी में 25 अप्रैल, 2018 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।
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