वर्ष 2021 तक मुंबई में मेट्रो चालू होने की उम्मीद
कई वर्षों से अंधेरी के पश्चिमी उपनगर में रहने वाली 25 वर्षीय प्रियंका डियास को , जो सांताक्रूज के विशेष आर्थिक क्षेत्र इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात प्रसंस्करण क्षेत्र (एसईईपीज़ेड) में एक विश्व स्तरीय आईटी फर्म के साथ एक व्यापार विश्लेषक के रूप में कार्यरत हैं, ऑफिस और घर तक पीक हॉवर ट्रैफिक में 18 घंटे की यात्रा के लिए मोटे तौर पर 1.45 घंटे लगते हैं । जो की 10.28 किमी प्रति घंटे की गति है।
ज्यादातर यह समय , लगभग 45 मिनट, एसईईपीज़ेड से अंधेरी रेलवे स्टेशन तक की दूरी , मात्र 5.2 किमी, तय करने में लगता है। इसका मतलब है उनकी गति उस समय 1.9 मीटर प्रति क्षण होती है जो की भृंग की गति से तुलनीय और मकड़ियों, कछुओं और घोंघे की गति से तुलना में तेज़ है ।
एक अच्छे दिन पर, डियास बस ले लेती हैं ; और बाकि मौको पर ऑटोरिक्शा पर निर्भर करती हैं । अधिकतर, वह कार्यालय से अपने गंतव्य तक पहुचने के लिए धूल, शोर, यातायात प्रभावित क्षेत्र से भरे रस्ते को पैदल हो पार करती हैं ।
यह भी लगता है कि वहां पहुंचने के लिए पैदल ही जाना सबसे तेज़ माध्यम साबित होता है ।
यह स्थिति जून 2014 में चालू हुई , 11.4 किलोमीटर लम्बी, 4,300 करोड़ रुपये की लागत वाली मेट्रो लाइन 1 आने से पहले थी जो पूर्व में घाटकोपर को पश्चिम में वर्सोवा से जोड़ने वाली मुंबई की पहली आधुनिक मास रैपिड-पारगमन रेल प्रणाली है ।
आज, 1.1 करोड़ यात्रियों ईस्ट-वेस्ट लिंक का उपयोग करते हैं और इस भयभीत कर देने वाले मार्ग पर स्वयं प्रियंका का यात्रा समय 30 मिनट तक कम हो गया है।
रेल मार्ग 1 रु 72,500 करोड़ की लागत वाली मुंबई हुई सबसे बड़ी परिवहन योजना ,मुंबई मेट्रो परियोजना का हिस्सा है, । यदि इसे सफलता से अमल में लाया गया तो यह भारत की वित्तीय राजधानी का चेहरा बदल सकती है।
लेकिन यह यदि ही बहुत बड़ा प्रश्न है ।
मुंबई ही अस्वीकृत को स्वीकृत बना सकती है
मुंबई महानगर क्षेत्रीय विकास प्राधिकरण (एमएमआरडीए) के एक व्यापक परिवहन अध्ययन 2008 (सीटीएस) के अनुसार, 2005 से पहले के दशकों में मुंबई में कारों की संख्या में एक 137% की वृद्धि , दुपहिया वाहनों में 306% की वृद्धि, 420% ऑटो रिक्शा में वृद्धि और टैक्सियों में 128% की वृद्धि देखी गई है ।
इस दशक के दौरान, न्यूनतम औसत यात्रा की गति ,धीमी यात्रा की गति में, उपनगरों में 30 किमी प्रति घंटे के मुकाबले 5 किमी प्रति घंटे और द्वीप शहर में 18 किमी प्रति घंटे से 8 किमी प्रति घंटे की गिरावट दर्ज की गई ।
78% मुंबईकर सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करते हैं जो विश्व स्तर पर ज़रूर महत्त्व रखता है लेकिन इसका मुख्य कारण है कि लोगों के पास कोई और विकल्प नहीं है।
प्रमुख शहरों में परिवहन इस्तेमाल के तरीके : सार्वजनिक या निजी (%)
एमएमआरडीए के अध्ययन में है कि मुंबई में सार्वजनिक परिवहन का उपयोग मुख्यत: अन्य घटनाओं के फलस्वरूप है, जैसे कि "असामान्य रूप से सघन शहरी रूप , उच्च घनत्व, कम आय और किफायती आवास की कमी" ।
हालाँकि मेट्रो लाइन 1 ने प्रियंका की यात्रा के समय में कटौती की है लेकिन उसे अभी भी अक्सर ठूस ठूस कर भरी हुई ट्रेन में 30 मिनट लंबी यात्रा के लिए खुद को तैयार करना पड़ता है, जहां अक्सर उसे कोच के पायदान पर यात्रा करते देखा जा सकता है ।
सीटीएस के द्वारा उल्लेख किया गया है कि मुंबई की उपनगरीय रेल प्रणाली दुनिया की सबसे सस्ती रेल प्रणालियों में से एक है, लेकिन यह कम लागत के साथ एक घातक दंड भी है : औसतन लगभग 10 लोग हर दिन इस यात्रा में मर जाते हैं ।
1996 की एक अमेरिकी संघीय ट्रांजिट प्रशासन की रिपोर्ट में प्रति पांच यात्री प्रति वर्ग मीटर घनत्व को "पूरी तरह से असहनीय" और आठ यात्री प्रति वर्ग मीटर को अस्वीकार्य ' कहा गया है।
मुंबई में, इस अस्वीकृत को स्वीकृत करना आम बात है।
एमएमआरडीए के अनुमान अनुसार औसतन, 12 यात्री प्रति वर्ग मीटर में खड़े रहते हैं , व्यस्त घंटो के दौरान यह संख्या बढ़कर , दरवाज़ों के बीच खड़े व्यक्तियों को मिला कर 16 व्यक्ति प्रति वर्ग मित्र तक हो जाती है। भारतीय रेलवे इसे आधिकारिक तौर पर "सुपर-डेंस क्रश लोड" कहती है।
'मुंबई में यात्रा सत्य रूप से समरूप कर देती है , "डायस ने इंडिया स्पेंड को बताया समस्याएँ इतनी व्यापक हैं- वे सभी को प्रभावित करती हैं । मेट्रो की ब्लेसिंग के बावजूद, पूर्व-पश्चिम यात्रा के 20 किमी के कम सफर के लिए मुझे अभी भी उत्तर-दक्षिण दूरी के 42 किमी जितना समय लगता है जो की पूरी तरह से भरी हुई उपनगरीय ट्रेन द्वारा सेवित है। यह यात्रा एक बुरा सपने की तरह मेरे पांच दिन के एक सप्ताह में दिन के चार घंटे खा जाती है। सप्ताहंत तक, अगले सप्ताह के शुरू होने से पहले आराम करने के अलावा कुछ भी करने के लिए किसी भी तरह की ताकत शायद ही बचती है।"
देरी और देरी-और अब संशोधन
इस स्थिति के और बिगड़ने की संभावना के साथ , योजना अधिकारी मेट्रो रेल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम की शुरूआत को मुंबई के परिवहन समस्याओं के समाधान के लिए एक रामबाण के रूप में देखते हैं। हर दिन, मुंबई में 11 लाख यात्री सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करते हैं , और एमएमआरडीए ने अनुमान लगाया है कि लगभग मोटे तौर पर 7 करोड़ यात्रियों को मेट्रो से लाभ होगा और सड़क और रेल यातायात अवरोध की समस्या काफी हद तक हल हो जाएगी।
संजय सेठी, मुंबई मेट्रो रेल निगम लिमिटेड (MMRCL) के प्रबंध निदेशक ने इंडिया स्पेंड को बताया कि " जब सीटीएस बनाया गया , तब हमे एहसास हुआ कि मुंबई को एक लंबे समय पहले मेट्रो सेवा मिल जानी चाहिए थी। इस कहानी की यह पहली नैतिक शिक्षा थी । "
एमएमआरडीए ने अपने मेट्रो प्रस्ताव में उल्लेख किया है कि मौजूदा उपनगरीय रेल प्रणाली "अत्यधिक दबाव के तहत है और सार्वजनिक बस प्रणाली की भूमिका केवल रेलवे के लिए फीडर सेवाएं प्रदान करने तक सीमित है " ।
हालांकि मेट्रो योजन देरी और लागत में लगातार वृद्धि जैसी समस्याओं में घिरी है। मुंबई की आबादी और वाहन संख्या में इस एक दशक में वृद्धि निश्चित है । एमएमआरडीए के अध्ययन में , आधार वर्ष 2005 में जो प्रवृत्तियाँ दर्ज की हैं , उनके अनुसार 2031 तक , शहर की आबादी 12.4 मिलियन से बढ़कर 34 मिलियन और वाहनों की संख्या मौजूदा 2.3 मिलियन से बढ़ कर 9 लाख तक हो जाएगी ।
2004 में, एमएमआरडीए ने मेट्रो मास्टर प्लान को सन्तीम् रूप दिया जिसमे ग्रेटर मुंबई के लिए 146.5 किमी की तेजी से पारगमन प्रणाली का प्रस्ताव रखा, जिसे 2021 तक पूर्ण करने की योजना है । 2012 की जगह इस साल में लाइन 1 के उद्घाटन और अन्य गलियारों (स्थानो ) शुरू न होने की वर्तमान सिथित में इस योजना में संशोधन करने की आवश्यकता है।
वर्तमान में , इस योजना के अंतर्गत सिर्फ तीन और गलियारे सम्मिलित हैं -कोलाबा-बांद्रा-एसईईपीज़ेड (32.5 किमी), दहिसर-बांद्रा-मानखुर्द (40.2 किमी), और वडाला-ठाणे-कासर्ववड़ावली (30 किमी) , जो पहले से ही कमीशन प्राप्त लाइन 1 के साथ 114.1 किलोमीटर का एक नेटवर्क बनाते हैं , ये मौजूदा कम्यूटर रेल प्रणाली से एकीकृत हैं और द्वीप शहर, उपनगर, वाणिज्यिक केन्द्रों, और हवाई अड्डे से जुड़े हुए हैं ।
नौ गलियारों के लिए अनुमानित कुल लागत (2012 अनुमान) 67,618 करोड़ रुपये से बढ़ कर अब संशोधित अनुमान के अनुसार सिर्फ तीन लाइनों के लिए 68,202 करोड़ रुपये हो गई है । एमएमआरडीए का अनुमान है कि निविदाओं के निर्णय के उपरांत प्रत्येक मेट्रो गलियारे के निर्माण को पूरा करने के लिए मोटे तौर पर छह से सात साल लगेंगे, जो अभी तक लिए भी नही गए हैं।
' भगवान की कृपा से 2021 तक मेट्रो आ ही जाएगी '
पूरी हुई 11.4 किलोमीटर लम्बी लाइन 1 को छोड़कर, 102.7 किमी लम्बे तीन गलियारों पर कोई निर्माण नही शुरू हुआ है। हालाँकि कोलाबा-बांद्रा-एसईईपीज़ेड मेट्रो के लिए निविदा प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और 2021 तक लाइन चालू होने की उम्मीद है, जबकि अन्य दो गलियारों के लिए गत महीने ही महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से स्वीकृति मिली है और वे अभी सिर्फ ड्राइंग बोर्ड पर ही अंकित हैं ।
"इस बढ़ती समस्या के लिए जल्द ही किसी समाधान की जरूरत है। मेट्रो के प्रस्ताव में देरी बर्दाश्त कर सकना मुंबई के लिए सम्भव नही है । शहरी परिवहन मामलों के विशेषज्ञ दल ,एम्बार्क भारत के निदेशक माधव पाई का कहना है कि " वर्तमान परियोजना लागत का अनुमान ही मुंबई के तीन वार्षिक बजट के बराबर है,"।
यदि दुनिया भर के अन्य शहरों में मेट्रो गलियारों के निर्माण का अनुभव कोई संकेत है तो इस परियोजना के कार्यान्वित होने के प्रथम चरण के बाद से पूर्ण होने तक 10 साल तक लग सकते हैं । पाई कहते हैं कि "तब तक, कार का स्वामित्व तिगुना हो सकता है, जो कि शहर के लिए यातायात से संबंधित नई परिवहन समस्याओं को जन्म दे सकता है ," ।
बस रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (बीआरटीएस), मुंबई को तेज और सस्ती बुनियादी सुविधा प्रदान कर सकता है जिसमे विशेष रूप से मुख्य सड़कों पर समर्पित बस लेन निर्माण शामिल है ? इसमें मेट्रो की कुल लागत से दसवें भाग की लागत आएगी।
पाई कहते हैं कि " लाइन 1 के लिए मेट्रो प्रणाली द्वारा निर्धारित की गई प्रारंभिक रियायती किराया दरें भी गरीबों के लिए बहुत अधिक मूल्य हैं " । वर्तमान में, प्रारंभिक प्रचार किराये उपनगरीय रेलवे से केवल मामूली तौर पर ही अधिक हैं, लेकिन एमएमआरडीए और परियोजना ऑपरेटर, मुंबई मेट्रो वन प्राइवेट लिमिटेड, के बीच चल रहा किराया विवाद, मेट्रो के लिए खर्च सामर्थ्य पर गंभीर सवाल खड़े करता है । यदि वर्तमान अधिकतम किरायों से एक 100% की वृद्धि के साथ परियोजना संचालक प्रस्तावित प्रारंभिक किराया संरचना इसी प्रकार रहती है तो मुंबई में भारत की सबसे अधिक महँगी मेट्रो प्रणाली होगी ।
यह विवाद लाइन 1 के उद्घाटन समारोह की तैयारियों के दौरान बहुत उछला यहां तक कि पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने भी उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करने की धमकी भी दे दी । लाइन 1 की मंजूरी के एक महीने बाद , एमएमआरडीए ने मुंबई उच्च न्यायालय से मांग भी की की कि मुंबई मेट्रो के किरायों पर रोक लगाई जाए ।
" वर्तमान में यह परियोजना जिस स्थिति में है केवल उन सड़कों पर रूकावटें कम करने की सेवा प्रदान कर रही है जो कार मालिकों, आबादी के मात्र 10%, द्वारा इस्तेमाल की जाती है। पाई कहते हैं कि इस प्रकार की बड़े पैमाने की विशाल लागत को कम आय वाले आवास, सार्वजनिक शिक्षा और स्वास्थ्य की दिशा में निर्देशित किया जाना अधिक उचित होगा "।
सेठी इससे असहमत हैं और कहते हैं कि "मुंबई के पास जमीन की सतह पर बीआरटीएस निर्माण के लिए बैंडविड्थ नहीं है। "यहां सड़क की चौड़ाई, मुंबई के यातायात की प्रकृति जैसी कुछ समस्याएँ तो हैं ही , और इसके अलावा, यहाँ यातायात व्यवस्था में बड़े बदलाव लाने होंगे जो मौजूदा यातायात व्यवस्था में लगभग असम्भव हैं । "
सेठी के अनुसार,मेट्रो को , रेल और बस नेटवर्क के पूरक के रूप में देखा जाना चाहिए, जो सीटीएस के अनुसार, 56% और 26% यात्रियों के वहन के लिए ज़िम्मेदार है ।सेठी कहते हैं कि "ये प्रणाली व्यापक और सक्षम है -नई मेट्रो इन्हे भीड़ मुक्त करती है और सार्वजनिक परिवहन के विकल्प के रूप में कार्य करती है। मुंबई में सार्वजनिक परिवहन का उपयोग के उच्चतम है और मेट्रो इसी बात को ध्यान में रखते हुए बनाया जा रहा है, "।
फिर भी, मुंबई का प्रस्तावित और मौजूदा मेट्रो नेटवर्क दुनिया के दूसरे शहरों की तुलना में बहुत छोटा है। शंघाई का 500 से अधिक किमी का रेल ढांचा दुनिया का सबसे बड़ा मेट्रो नेटवर्क है, इसके उपरांत एक और तेजी से बढ़ता नेटवर्क,चीन के बेजिंग में है । वास्तव में, सार्वजनिक परिवहन की इंटरनेशनल एसोसिएशन और इंटरनेशनल रेलवे जर्नल के अनुसार, नेटवर्क कनेक्टिविटी के लिए 10 उच्च पदों में से 5 पर एशियाई शहरों का कब्ज़ा है । रैंकिंग के अनुसार लंदन में सबसे लम्बा गैर-एशियन नेटवर्क है , न्यूयार्क, मास्को, मैड्रिड और पेरिस इस तालिका को पूरा कर देते हैं ।
प्रमुख शहरों में मेट्रो नेटवर्क की लंबाई (किमी में)
मुंबई की कमियों और अगले कुछ वर्षों में तेजी से बदलते यातायात की मांगों की संभावना को स्वीकार करते हुए सेठी ने कहा, "दुनिया के आँकड़े के साथ तुलना करें तो हम जानते हैं कि मेट्रो को बहुत पहले आ जाना चाहिए था । फ़िलहाल अब "भगवान की कृपा और इस परियोजना की देख रेख में शामिल लोगों की मेहनत के फलःस्वरूप, हमे उम्मीद है कि हमारे लक्ष्य अनुसार 2021 तक लाइन 3 पूरी तरह तैयार और सक्षम हो जाएगी ।
(छवि क्रेडिट: नितीन कासले | Dreamstime.com
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