2030 तक भारत बन सकता है विश्व का चौथा सबसे बड़ा नवीकरणीय ऊर्जा उपभोक्ता
अगले 14 वर्षों में, चीन, अमेरिका और यूरोपीय संघ के बाद भारत विश्व का चौथा सबसे बड़ा नवीकरणीय ऊर्जा उपभोक्ता बनने की राह पर है। अंतर्राष्ट्रीय अक्षय ऊर्जा एजेंसी (आईआरईएनए) की रिपोर्ट रोड मैप फॉर ए रिन्युएब्ल एनर्जी फ्यूचर, 2016 (आरईएमएपी) में यह पूर्वानुमान किया गया है।
गुरुवार को जारी किए गए रिपोर्ट में कहा गया है कि, यदि वैश्विक अक्षय ऊर्जा आपूर्ति दोगुनी होती है तो 2030 तक भारत में बिजली उत्पादन में अक्षय ऊर्जा की हिस्सेदारी 40 फीसदी (दो-पांचवा भाग) हो सकती है।
भारत ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार के तहत फास्ट ट्रैक अक्षय ऊर्जा मिशन, विशेष कर सौर ऊर्जा, की शुरूआत की गई है।
इस तरह, अब तक भारत ने अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं का प्रति वर्ष 10 बिलियन डॉलर से कम वित्त पोषण किया है। 2030 तक अक्षय ऊर्जा में हिस्सेदारी का दोहरीकरण के साथ, आरईएमपी विकल्प के विस्तार के लिए, भारत को प्रति वर्ष 60 बिलियन डॉलर निवेश करने की आवश्यकता होगी – जिसका मतलब हुआ आज की नीतियों द्वारा परिकल्पित के ऊपर 2030 तक अतिरिक्त नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता का विस्तार करना होगा।
भारतीय अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी के अनुसार, आने वाले वित्त वर्ष से 2018-19 तक, भारत में सौर और पवन ऊर्जा परियोजनाएं प्रति वर्ष 20 बिलियन डॉलर का निवेश कर सकती हैं।
21 वीं सदी के लिए अक्षय ऊर्जा नीति नेटवर्क (REN21 के) नवीकरणीय 2015 ग्लोबल स्टेटस रिपोर्ट के अनुसार, वर्तमान में 2014 में 31 गीगावॉट के साथ स्थापित अक्षय क्षमता के संदर्भ में, भारत सातवें स्थान पर है।
भारत में स्थापित अक्षय क्षमता में 25 फीसदी की वृद्धि हुई है, मार्च 2014 में 31.7 गीगा वाट (जीडब्ल्यू) से बढ़ कर जनवरी 2016 में 39.5 गीगावॉट तक हुआ है। इसी तरह, इसी अवधि के दौरान स्थापित सौर ऊर्जा बिजली उत्पादन क्षमता 2.6 गीगावाट से बढ़ 5.2 गीगावॉट, यानि दोगुनी हुई है।
भारत का अक्षय ऊर्जा की ओर कदम की गूंज दुनिया भर में
ब्लूमबर्ग की इस रिपोर्ट के अनुसार, भारत में अक्षय ऊर्जा निवेश दोगुना से भी अधिक हुआ है, 2006 में 4.9 बिलियन डॉलर से 2015 में 10.5 बिलियन डॉलर तक पहुंचा है।
आईआरईएनए रिपोर्ट कहती है कि, 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा की हिस्सेदारी को दोगुना करके, 18 फीसदी से 36 फीसदी तक, दुनिया, 2030 तक प्रति वर्ष 4.2 ट्रिलियन डॉलर की बचत कर सकती है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि, 2030 में आरईएमएपी विकल्प लागू करते हुए चीन, संयुक्त राज्य अमेरिका, भारत, ब्राजील, और रूस की हिस्सेदारी कुल वैश्विक अक्षय ऊर्जा के आधे से अधिक होगी।
यह भी पूर्वानुमान किया गया है कि, यदि आरईएमएपी विकल्प का (दुनिया के अक्षय ऊर्जा क्षमता का 60 फीसदी जो मौजूदा सरकार की योजना को लागू करके प्राप्त किया जा सकता है) सभी क्षेत्रों में विस्तार किया जाता है, तो 2030 में टॉप पांच अक्षय ऊर्जा के उपभोक्ता चीन (20 फीसदी), संयुक्त राज्य अमेरिका (15 फीसदी), यूरोपीय संघ (14 फीसदी), भारत (9 फीसदी) और ब्राजील (7 फीसदी) होगा।
2030 में, देश अनुसार अक्षय ऊर्जा की खपत के देश/क्षेत्र - अगर REMAP विकल्प का विस्तार होता है।
रिपोर्ट के अनुसार, लक्ष्य प्राप्ति के लिए वार्षिक नवीकरणीय ऊर्जा हिस्सेदारी में छह गुना अधिक होने की आवश्यकता है, प्रति वर्ष 0.17 फीसदी से, जैसे हाल की वर्षों में पाया गया है, 2030 तक प्रति वर्ष 1 फीसदी होने के ज़रुरत है। 2030 तक अक्षय ऊर्जा में हिस्सेदारी दोगुनी करने के लिए, प्रति वर्ष 290 बिलियन डॉलर की लागत आएगी।
मौजूदा राष्ट्रीय ऊर्जा योजना के अनुसार, 2030 तक दुनिया की ऊर्जा मिश्रण की अक्षय ऊर्जा का हिस्सा, मौजूदा 18 फीसदी से 21 फीसदी तक पहुंचेगा।
आईआरईएनए रिपोर्ट बताती हैं कि वैश्विक अक्षय हिस्सेदारी को दोगुना करने का मतलब हर देश में दोहरीकरण होना नहीं है। 2030 तक सभी आरईएमएपी विकल्पों के कार्यान्वयन से अधिकांश देशों में, अक्षय हिस्सेदारी में 20 फीसदी से 70 फीसदी की वृद्धि होगी।
नवीकरणीय ऊर्जा के बड़े, वैश्विक लाभ
रिपोर्ट में कहा गया है कि नवीकरणीय ऊर्जा की हिस्सेदारी को दोगुना करने से यह हो सकता है:
- पूर्व औद्योगिक स्तर से ऊपर 2 डिग्री सेल्सियस के लिए औसत वैश्विक तापमान वृद्धि को सीमित करेगा (जब ऊर्जा दक्षता के साथ युग्मित)।
- 2030 में प्रति वर्ष अतिरिक्त सीओ 2 उत्सर्जन के 12 गीगा टन तक टाल सकते हैं, वर्तमान राष्ट्रीय कमी के लक्ष्यों से पांच गुना अधिक।
- 2014 में 9.2 मिलियन की तुलना में, 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा में 24.4 मिलियन ( 244 लाख) नौकरियां प्रदान करेगा।
- वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) को 1.3 ट्रिलियन डॉलर (13000000 लाख) तक बढ़ावा मिल सकता है।
आरईएमएपी विकल्पों को लागू करने के लिए प्रति वर्ष 770 बिलियन डॉलर निवेश की आवश्यकता होगी, औसतन, 2016 से 2030 के बीच 2015 के स्तर से प्रति वर्ष एक 9 फीसदी की वृद्धि, 2030 में अमेरिका 1.3 ट्रिलियन डॉलर (13000000 लाख) तक पहुंचेगा।
पिछले दस वर्षों में, नवीकरणीय ऊर्जा में, चीन में 10 गुना (861 फीसदी) वृद्धि हुई है, इसके बाद लैटिन अमेरिका, भारत (114 फीसदी) और अमेरिका (62 फीसदी) का स्थान है।
हवा की 64 गीगावॉट और सौर पीवी के 57 गीगावॉट कमीशन के साथ, 2014 की तुलना में करीब 30 फीसदी की वृद्धि के साथ, वर्ष 2015 में दुनिया भर में व्यापक अक्षय ऊर्जा प्रतिष्ठानों के लिए एक रिकॉर्ड वर्ष रहा है।
अक्षय ऊर्जा क्षमता: टॉप सात देश, 2014
Source: Renewables 2015 Global Status Report; Figures in Gigawatts (GW); Does not include hydropower
2014 में, वैश्विक अक्षय शक्ति क्षमता (657 गीगावॉट) में भारत की हिस्सेदारी 5 फीसदी है।
(मल्लापुर इंडियास्पेंड के साथ विश्लेषक है।)
यह लेख मूलत: अंग्रेज़ी में 17 मार्च 2016 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।
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