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हाल ही में किए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार, भारत का सबसे बेहतर शहर मुंबई है; बेहतर रुप से चलने वाले शहरों में इसके बाद तिरुवनंतपुरम, कोलकाता, पुणे और भोपाल को माना गया है।

वित्तीय स्थिरता के मामले में मुंबई को 10 में से 5 एवं कुशल मानव संसाधन के लिए 6.7 अंक प्राप्त हुआ है। यह आंकड़े जनाग्रह, एक संस्था द्वारा किए गए भारत के शहर - सिस्टम के वार्षिक सर्वेक्षण, 2015 में सामने आए हैं। इस सर्वेक्षण में संसाधन जुटाने के लिए शक्तियां, निवेश और व्यय सहित 11 मारदंडों की जांच की गई है।

जनाग्रह के अध्ययन के अनुसार, मुख्य चिंता का विषय अधिक भारतीय शहरों का 10 अंको के आस-पास आने में विफल होना है।

जनाग्रह के एक बयान के अनुसार, “इंन अंकों का मतलब है कि भारतीय शहर, लंबी अवधि तक टिकाऊ जीवन की उच्च गुणवत्ता प्रदान करने के लिए तैयार नहीं है। यह विशेष रुप से चिंताजनक है, जबकि भारत में शहरीकरण की गति तीव्र है और सार्वजनिक सेवा वितरण समय से नहीं हो रहा है। शहरों को इन दोनों चुनौतियों से निपटने के लिए, केवल मजबूत शहर – प्रणाली ही तैयार कर सकते हैं। इस सर्वेक्षण के स्कोर में, मुख्यत:, पिछले संस्करण के मुकाबले कुछ अधिक सुधार नहीं दिखा है।”

नगर निगम के पास सीमित प्रबंधन क्षमताएं हैं, जैसा कि इंडियास्पेंड ने पहले भी बताया है।

चुनिंदा भारतीय शहर की वित्तीय स्थिरता

ऊपर दिए गए चार्ट से पता चलता है कि अध्ययन के लिए, लिए गए 21 शहरों में से छह शहर (हैदराबाद, पुणे, दिल्ली, मुंबई, पटना और तिरुवनंतपुरम) ही, खुद को बनाए रखने के लिए पर्याप्त राशि उत्पन्न करते हैं (अधिकतर संपत्ति एवं अन्य करों के माध्यम से)। बाकि अन्य शहर, या तो राज्य या केंद्र से सहायता लेते हैं।

इंडियास्पेंड के विश्लेषण के मुताबिक, भारत में केवल पांच राज्यों – गुजरात, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक और पंजाब - के पास मौजूदा गति से शहरीकरण का प्रबंधन करने के लिए, वित्तीय और प्रशासनिक क्षमता है।

वित्तीय स्थिरता के मामले में, हैदराबाद एवं पुणे को 10 में से 8.6 अंक प्राप्त हुआ है।

लंदन, न्यूयॉर्क का स्कोर 10; 5 स्कोर के साथ मुंबई भारत का सबसे बेहतर शहर

राजस्व और शहरी क्षमताओं के मामले में लंदन और न्यूयॉर्क कों पूरे 10 अंक मिले हैं जबकि पांच अंक के साथ मुंबई को भारत का सबसे बेहतर शहर माना गया है। 4.6 के साथ दिल्ली एवं 4.7 के साथ और पुणे का स्थान दूसरे और तीसरे स्थान पर रहा है। यह रेखा चित्र एएसआईसीएस के अध्ययन में सामने आया है।

भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में नगर निगम के राजस्व की हिस्सेदारी मुश्किल से 0.75 फीसदी होती है। जबकि यदि चीन से तुलना करें तो वहां के टॉप 8 शहरों का सकल घरेलू उत्पाद में 21 फीसदी का योगदान होता है।.

नगर निगम में मानव संसाधन

मानव संसाधन की कमी होना, नगर निगम के लिए एक और महत्वपूर्ण मुद्दा है: पटना में केवल 35 फीसदी पद भरे हुए हैं जबकि बेंग्लूरु में 48.4 फीसदी पद भरे हुए हैं।

जैसा कि हमने बताया है, कुशल मानव संसाधन के मामले में मुंबई सबसे अधिक, 6.7 स्कोर करता है, जबकि कलकत्ता का स्कोर 6 और पुणे का 5.6 है। शहर कुशलतापूर्वक चलाने के लिए, नगर निगम को सशक्त करना आवश्यक है, जोकि कि मौजूदा स्थिति में नहीं है।

उद्हारण के लिए, भारतीय शहरों में महापरौं के पास सीमित अधिकार हैं और वह केवल नाम मात्र के ही अधिकारी होते हैं। कई अन्य देशों में महापरौं के पास भारत के राज्यों के मुख्यमंत्री की तरह शहर चलाने के अधिकार होते हैं – शायद इनसे भी अधिक शक्ति होती है; उनके ट्रैक रिकॉर्ड अक्सर उन्हें राष्ट्रीय राजनीति में आगे बढ़ाती है। इस्तांबुल (तुर्की), जकार्ता (इंडोनेशिया) और ब्यूनस आयर्स (अर्जेंटीना) के पूर्व महापौर अब अपने देशों का नेतृत्व करते हैं।

(सालवे इंडियास्पेंड के साथ विश्लेषक हैं।)

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