22 वर्षों में, सबसे कम अंतर के साथ भाजपा ने हासिल की गुजरात पर जीत
गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले गुजरात के मांडवी में एक सार्वजनिक सभा के दौरान खुशी मनाते भारतीय जनता पार्टी ( भाजपा ) के समर्थक। भाजपा ने 192 सीटों में से 99 पर जीत हासिल की है। 121 सीटों के साथ 1995 में पहली बार सत्ता में आने के बाद से भाजपा के लिए इस बार सीटों की संख्या सबसे कम रही है, इंडियास्पेंड द्वारा किए गए विश्लेषण से पता चलता है।
लगातार छठी बार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 22 सीटों के अंतर से गुजरात विधानसभा चुनाव पर जीत हासिल की है। पांच साल पहले की तुलना में यह संख्या 54 सीटें या 59 फीसदी कम है। 121 सीटों के साथ 1995 में पहली बार सत्ता में आने के बाद से भाजपा के लिए इस बार सीटों की संख्या सबसे कम रही है, जैसा कि पिछले 22 वर्षों के चुनाव आंकड़ों पर इंडियास्पेंड द्वारा किए गए विश्लेषण से पता चलता है।
हालांकि कांग्रेस विपक्ष में है, लेकिन पार्टी ने महत्वपूर्ण लाभ हासिल किया है। इस बार कांग्रेस के खाते में 77 सीटें आई हैं। यह संख्या 1995 में 45 सीटें जीतनें के बाद से पिछले 22 वर्षों में सबसे ज्यादा है, जैसा कि चुनाव आंकड़ों के विश्लेषण में सामने आया है।
The Congress party accepts the verdict of the people and congratulates the new governments in both states. I thank the people of Gujarat and Himachal with all my heart for the love they showed me.
— Office of RG (@OfficeOfRG) December 18, 2017
Election results in Gujarat and Himachal Pradesh indicate a strong support for politics of good governance and development. I salute the hardworking BJP Karyakartas in these states for their hardwork which has led to these impressive victories.
— Narendra Modi (@narendramodi) December 18, 2017
15 दिसंबर, 2017 को, भाजपा पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह ने भविष्यवाणी की थी कि परिणाम के दिन भाजपा 11 बजे सुबह तक 150 सीटें जीते लेगी। परिणाम वाले दिन 5.22 बजे, भाजपा ने 15 सीटों पर बढत के साथ 84 सीटों पर जीत हासिल की, जैसा कि चुनाव के आंकड़ों से पता चलता है।
चुनाव के साथ सीटें और वोट-शेयर
1995 में भाजपा के पहली बार गुजरात में सत्ता में आने के बाद से, राज्य के चुनावों में मुख्य रूप से दो-पक्षों की लड़ाई रही है, जो कांग्रेस के साथ लड़ी जा रही है। भाजपा ने लगातार अधिकांश सीटों पर कब्जा किया है और ज्यादा वोट शेयर हासिल किया है।
गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और भाजपा द्वारा जीती गई सीटें, 1995-2017
Source: Election Commission
भाजपा का वोट शेयर, 2002 के चुनावों में 49.8 फीसदी की महत्वपूर्ण बढ़ोतरी के बाद 1995 में 42.5 फीसदी से बढ़कर 2017 में 49.1 फीसदी हुआ है। कांग्रेस का वोट शेयर 1995 में 32.8 फीसदी से लगातार बढ़ते हुए 2017 में 41.4 फीसदी तक दर्ज हुए हैं।
दो दशकों में यह इसकी उच्च वृद्धि है और यह निर्दलीय और अन्य क्षेत्रीय पार्टियों के वोट शेयरों में बंट गया है। 2002 के बाद से इन छोटी पार्टियों ने 5-6 फीसदी वोट शेयर का दावा किया है।
गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और भाजपा के वोट शेयर, 1995-2017
Source: Election Commission
चुनाव आंकड़ों के मुताबिक इस विधानसभा चुनाव में अपना पहली बार नोटा ( ऊपर से कोई नहीं (NOTA) ) विकल्प का इस्तेमाल, मतदान हुए 30.4 मिलियन वोटों में से करीब आधे मिलियन (551,580) या 1.8 फीसदी ने किया है, जैसा कि चुनाव आंकड़ों से पता चलता है।
ग्रामीण गुजरात: जहां भाजपा हार गई, कांग्रेस ने फायदा उठाया
भाजपा ने अहमदाबाद, सूरत और राजकोट जैसे राज्य के शहरी हिस्सों पर अपना कब्जा बरकरार रखा है,जैसा कि निर्वाचन क्षेत्र के चुनाव के आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है।
सौराष्ट्र और कच्छ क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों में इन व्यापार और वाणिज्य केंद्रों से दूर, कांग्रेस के पक्ष में वोटों की संख्या बढी है।
भाजपा ने 73 शहरी सीटों में 55 (75.3 फीसदी) सीटें जीती हैं। बाकि की 18 सीटें कांग्रेस ने अपने खाते में की हैं। लेकिन मुख्य रूप से ग्रामीण इलाकों में, कांग्रेस ने 109 में से 62 सीटों (56.8 फीसदी) जीती हैं जबकि भाजपा ने 43 सीटों पर कब्जा किया है, जैसा कि टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में बताया गया है।
सौराष्ट्र और कच्छ क्षेत्रों में, कांग्रेस को 54 में से 30 सीटें ( 55 फीसदी ) मिली हैं जबकि शेष 23 भाजपा के नाम रही हैं, जैसा कि क्षेत्रीय स्तर के चुनाव आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है।
सत्ताधारी पार्टी का एक पारंपरिक गढ़, उत्तरी गुजरात में, कांग्रेस ने 32 सीटों में से 17 सीटें (53 फीसदी) जीती हैं। दक्षिणी गुजरात में, राजकोट, भावनगर और पोरबंदर के शहरी क्षेत्रों में भाजपा ने 35 सीटों में से 25 सीटें (71 फीसदी) जीती हैं।
मध्य गुजरात में, अहमदाबाद के आसपास के क्षेत्रों में और वडोदरा के शहरी केंद्र में, सत्ताधारी पार्टी ने 61 सीटों में से 37 सीटें (60.6 फीसदी) जीती हैं।
गुजरात विधानसभा चुनाव 2017 में निर्वाचन क्षेत्र वार जीत हासिल करने वाली पार्टी
Source: Hindustan Times, as of 8:23 PM on December 18, 2017
ग्रामीण गुजरात में कांग्रेस के पुनरुत्थान का मुख्य कारण ग्रामीण संकट में वृद्धि से जुड़ा हुआ है। इन क्षेत्रों में कांग्रेस के पक्ष मजबूत होने का कारण नोटबंदी का प्रभाव और हाल ही में शुरु किए गए माल और सेवा कर (जीएसटी) हो सकता है जिससे छोटे-बढ़े सभी व्यापारी प्रभावित हुए हैं।
2017 की शुरुआत में, भारत के खेतों से खबरें अच्छी लग रही थीं लेकिन समय बीतने के साथ किसानों की बढती निराशा बढ़ी और गुजरात सहित कई अन्य राज्यों से ऋण माफी मांग बढ़ने लगी, जैसा कि इंडियास्पेंड ने 15 जून, 2017 की रिपोर्ट में बताया है
2014 और 2015 में लगातार सूखे के बाद, 2016 में अच्छे मानसून ने दो साल के ग्रामीण आर्थिक गिरावट को उलट दिया - 2014-15 में 0.2 फीसदी सिकुड़ने के बाद भारत के कृषि विकास 2016-17 में बढ़कर 4.1 फीसदी हुआ है, जैसा कि इंडियास्पेंड ने 8 जून, 2017 की रिपोर्ट में बताया है। लेकिन गुजरात सहित कई राज्यों के कृषि बाजारों में उत्पादन की बाढ़, आयातों में वृद्धि के साथ हुई और कीमतों में गिरावट आई है।
नकदी फसलों के लिए, नीचे एक न्यूनतम संवैधानिक मूल्य के साथ, संकट अधिक हो गया - संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार द्वारा दिए गए 1,300 रुपए की तुलना में एक किलोग्राम कपास के लिए 800 रुपए, जैसा कि 23 नवंबर, 2017 को द हिंदू की रिपोर्ट में बताया गया है।
इसके अलावा, राज्य में बाढ़ से फसलों को हुए नुकसान और बीमा का भुगतान न करने ( प्रीमियम के भुगतान के बावजूद ) से किसानों को विमुख किया है, जैसा कि बिजनेस स्टैंडर्ड ने 26 नवंबर, 2017 की रिपोर्ट में बताया है।
‘इकॉनोमिक एंड पॉलिटिकल वीकली’ के 9 दिसंबर, 2017 की रिपोर्ट के अनुसार, 1 जुलाई, 2017 को जीएसटी की शुरूआत के कुछ महीनों बाद, राज्य में कई छोटे और मध्यम व्यापार इकाइयां बंद होने के लिए मजबूर हुई हैं, कईयों ने भारी नुकसान का दावा किया है
उदाहरण के लिए, उंझा में मसाला व्यापारी ( प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी का गृहनगर और एशिया में सबसे बड़े मसाला बाजारों में से एक ) कथित तौर पर गुस्से में थे, क्योंकि उन्हे अब भी निर्यात पर लगाए गए जीएसटी पर रिफंड प्राप्त नहीं हुए थे। उन्होंने दावा किया कि इसके कारण उन्हें "नकदी की कमी" का सामना करना पड़ रहा है और व्यापार और निर्यात की मात्रा लगभग 50 फीसदी कम हुई है, जैसा कि रिपोर्ट में कहा गया है।
उंझा 1995 से भाजपा का एक लंबे समय का गढ़ रहा है, 2017 के चुनावों में 81,797 वोटों के अंतर से कांग्रेस के कब्जे में है, जैसा कि चुनाव आंकड़ों पर इंडियास्पेंड द्वारा किए गए विश्लेषण से पता चलता है।
(सालवे विश्लेषक हैं और सलदानहा सहायक संपादक हैं। दोनों इंडियास्पेंड के साथ जुड़ी हैं। लेख में एन्जिल कंडाथिल मोहन और संजुक्ता नायर का भी डेटा इनपुट है। दोनों इंडियास्पेंड के साथ इंटर्न हैं।)
यह लेख मूलत: अंग्रेजी में 18 दिसंबर 2017 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।
हम फीडबैक का स्वागत करते हैं। हमसे respond@indiaspend.org पर संपर्क किया जा सकता है। हम भाषा और व्याकरण के लिए प्रतिक्रियाओं को संपादित करने का अधिकार रखते हैं।
__________________________________________________________________
"क्या आपको यह लेख पसंद आया ?" Indiaspend.com एक गैर लाभकारी संस्था है, और हम अपने इस जनहित पत्रकारिता प्रयासों की सफलता के लिए आप जैसे पाठकों पर निर्भर करते हैं। कृपया अपना अनुदान दें :