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बुल्म , अरुणाचल प्रदेश में भारत-चीन सीमा के भारतीय पक्ष पर एक साइनबोर्ड

साल 2006-07 के दौरान भारत सरकार द्वारा 73 सामरिक भारत-चीन सीमा सड़क के निर्माण की मंजूरी दी गई थी। इन सड़कों का निर्माण 2012 तक पूरा होना था। लेकिन निर्रधारित समय सीमा के तीन साल बीत जाने के बाद भी अब तक इन सड़कों के निर्माण का 82 फीसदी काम समाप्त नहीं हो पाया है।अब साल 2018 तक सड़कों के पूरी तरह तैयार होने की उम्मीद की जारही है।

कई सारी महत्वकांक्षीयोजनाओं के बावजूद मूलभूत व्यवस्थाओं एवं दोनों देशों के बीच 3488 किलोमीटर लंबी सीमा के सैन्यकरण करने में, भारत चीन से पीछे ही है। भारतीय सीमा की सुरक्षा को मज़बूती देने में सड़कों का निर्माण एक शांतिपूर्ण लेकिन वृहद प्रक्रिया का हिस्सा है जिसमे 35,000 सैनिक भी शामिल हैं ( पहले 90000 थे )। यह खास तौर से हिमालय क्षेत्र में चीन की तेज़ी से बढ़ती सैन्य ताकत और सेना की टुकड़ियों को सीमा पर पहुंचाने के लिए बनी 14 रेल लाइन की चुनौती से निपटने के लिए किया जा रहा है।

शांति बनाए रखने की कितनी भी घोषणा की जाए, भारत चीन की क्षमता और इरादों से भलीभांति वाकिफ़ है।

भारत के प्रधानमंत्री, नरेंद्र मोदी ने हाल ही में किए गए चीन यात्रा से पहले, टाइम पत्रिका को दिए गए एक इंटरव्यू में कहा कि “यह एक अस्थिर सीमा नहीं है। पिछले 25 सालों में एक भी गोली नहीं चली है”।

हालांकि दोनों देशों के प्रधानमंत्री, नरेंद्र मोदी एवं ली क्विंग के बीच “मतभेदों को सुलझाने” एवं “शांति और सौहार्द बनाए रखने के" के लिए सहमती हुई है लेकिन “सीमा उल्लंघन”मामले को लेकर दोनों देशों के तेवर एक जैसे ही हैं।

गृह मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, साल 2010 से अगस्त 2014 के बीच चीनी सैनिकों द्वारा कम से कम 1,612 बार भारतीय क्षेत्रों में अतिक्रमण की कोशिश की गई है। ( देखें इंडियास्पेंड की रिपोर्ट )

नई सड़कों के निर्माण कार्य की धीमी रफ्तार

रक्षा की एक संसदीय समिति ने अरुणाचल प्रदेश के तवांग जिले की स्थिति का अवलोकन करते हुए एक रिपोर्ट में कहा, “हमारे पड़ोसी देशों दो से तीन घंटे के भीतर सीमाओं तक पहुँच सकते हैं , जबकि हमारी सेना वहाँ तक पहुँचने के लिए एक दिन से अधिक समय लगता है। यह हमारी रक्षा तैयारियों के संबंध में बड़ी चिंता की विषय है” ।

रिपोर्ट के अनुसार सरकार द्वारा73 सड़को के निर्माण की मंजूरी दी गई थी जिसमें से अब तक केवल 19 सड़क ही बन कर तैयार हुए हैं।

Work Status Of Roads Planned Near Chinese Border
StateWorks in ProgressCompleted
Jammu & Kashmir93
Himachal Pradesh14
Uttarakhand131
Arunachal Pradesh17*10
Sikkim2*1
Total42*19

Source: Parliamentary Standing Committee on Defence, *Work on two roads (one each from Arunachal Pradesh and Sikkim) is yet to commence

40 सड़को का निर्माण कार्य अपने पूरा होने की निर्धारित समय सीमा के छह साल विलंब से चल रहा है जबकि दो सड़क का निर्माण कार्य अब तक शुरु भी नहीं किया गया है।

Construction Deadline Of Roads Planned Near Chinese Border
YearNumber of Roads
201516
201613
20179
20182
Beyond 20182

Source: Parliamentary Standing Committee on Defence

भारत का सबसे लंबा पुल असाम में बनाया जाएगा। पुल का निर्माण साल 2015के अतं तक शुरु होने की उम्मीद है। इस पुल की लंबाई 9.15 किलोमीटर की होगी। पुल निर्माण का खर्च करीब 876 करोड़ आएगा एवं 41.5 टन टी -72 टैंकों को सहन करने की क्षमता होगी। साथ पुल बन जाने से अरुणाचल प्रदेश के लोहित ज़िले, जोकि वास्तविक नियंत्रण रेखा के अंदर आता है, तक पहुंचने में काफी कम समय लगेगा।

रेल योजनाओं पर कोई काम नहीं, जबकी चीन सीमा के करीब पहुंचा

भारत चार राज्यों, अरुणाचल प्रदेश, असम , हिमाचल प्रदेश और जम्मू एवं कश्मीर में रेल लाइनों के निर्माण पर विचार कर रही है। यह रेल लाइने 1352 किमी तक फैली होंगी एवं रेलवे और रक्षा मंत्रालयों द्वारा सामूहिक रूप से बनाई जाएंगी।

भारत जहां रेलवे लाइन बिछाने पर विचार ही कर रही है वहीं चीन भारतीय सीमा के करीबमौजूदा रेल लाइनों का विस्तार कर रहा है।चीन ने सीक्कीम के करीब व्यापार केंद्र, यटुंग एवंअरुणाचल प्रदेश की सीमा से लगे एक छोटे से शहर, नाईंगची तक रेल लाइन बिछाने का काम शुरु कर दिया है। दोनों परियोजनाएं 2020 तक पूरा होने की उम्मीद है।

हाल ही में चीन ने शिगेत्जे, नाथू ला दर्रे के करीब एक शहर,को ल्हासा के तिब्बती राजधानी से जोड़ने की एक रेलवे लाइन बिछाई है जोकि तिब्बती स्वायत्त क्षेत्र के साथ सिक्किम को जोड़ने के लिए एक रणनीतिक सीमा चौकी है।

भारतीय रेलवे की योजनाएं नीचे दिखाई गई हैं –

Border-NE-Final

bordersKASH

Source: Lok Sabha

अन्य विवादास्पद सीमा के अलावा,अरुणाचल प्रदेश के लगभग 90,000 वर्ग किलोमीटर भी भारत-चीन के बीच लगातार विवाद का विषय रहा है। अरुणाचल प्रदेश के इस क्षेत्र को चीन दक्षिण तिब्बत से जुड़े होने का दावा करता है। इसके अलावा जम्मू-कश्मीर का कुछ क्षेत्र भी विवाद में है। भारत के मुताबिक 1962 के युद्ध के बाद चीन ने उत्तरी जम्मू-कश्मीर के अक्साई चिन क्षेत्र के लगभग 30,000 वर्ग किलोमीटर पर अवैध रुप से कब्जा कर लिया है।

चीनी हवाई अड्डों हो रहे हैं मजबूत

एयर मार्शल (सेवानिवृत्त ) एम.मथॆस्वर्रन, (उप प्रमुख, नीति, योजना एवं सेना विकासके लिए समेकित रक्षा स्टाफ) के अनुसार, सैन्य अभियानों के नियंत्रण के लिए तिब्बत में छह प्रमुख नागरिक चीनी हवाई अड्डों का विस्तार किया जा रहा है।

मथॆस्वर्रन ने बताया कि छह हावाई अड्डों के अलावा चीन विकसित सैन्य विमान एवं समर्थन प्रणाली, जैसे कि हवा से हवा में ईंधन भरने की क्षमता, हवाई अग्रिम चेतावनी प्रणाली , सेंसर , एयर डिफेंस सिस्टम और मिसाइल शेयर के विस्तार में लगा है।

इसके विपरीत, भारत ने हाल ही में जम्मू एवं कश्मीर के लद्दाख क्षेत्र, दौलत बेग ओल्डी , फुकचे और न्योम ,( वास्तविक नियंत्रण रेखा के करीब),में तीन विकसित लैंडिंग ग्राउंड खोला है।

दौलत बेग ओल्डी16,614 फीट की ऊंचाई पर दुनिया की सबसे ऊंची हवाई क्षेत्र है । यह भारत-चीन सीमा से लगभग 10 किलोमीटर दूर है एवं यहां भारी परिवहन विमानों को नियमित रुप से उतरते देखा गया है।

लेकिन इस तरह के लैंडिंग ग्राउंड के पूर्ण विकसित हावाई अड्डा नहीं कहा जा सकता है। यह हवाई पट्टी होते हैं जिसे सैनिकों को उतारने एवं उनकी जरुरत के सामान पहुंचाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

यही कारण है कि भारतीय वायु सेना साल 2016-17 तक न्योमा लैंडिंग ग्राउंड का सुधार करना चाहती है। यदि यह सुधार हो जाता है तो लड़ाकू विमानों के लिए स्टेशन एवं अर्द्धसैनिक भारत-तिब्बत सीमा पुलिस ( आई.टी.बी.पी ) और लद्दाख स्काउट्स , एक भारतीय सेना की इकाई को सहाय सहकार संबंधी पूरी सहायता मिल पाएगी।

अरुणाचल प्रदेश के तवांग, मेचुका, विजयनगर, तूतिंग, पासीघाट, वालॉंग, जाइरो में विकसित लैंडिंग ग्राउंड बनाने का काम किया जा रहा है। इन लैंडिग ग्राउंड बनाने में 720 करोड़ रुपए की लागत लगेगी।

इस बीच, भारतीय वायु सेना के ऊपर सीमा से 405 किलोमीटर, असाम के चाबुआऔर तेजपुर हवाई अड्डों पर अपनी अग्रिम पंक्ति के सुखोई -30 एमकेआई विमान तैनात करना होगा।सुखोई -30 एमकेआई कम से कम 15 मिनट में यह दूरी तय कर सकते हैं।

सेठी इंडियास्पेंडके साथ एक विश्लेषक है

( यह लेख मूलत: अंग्रेजी में 29 जून 2015 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है )

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