282 लाख निरक्षर भारतीय : शिक्षा को महाविस्फोट का इंतजार
दिल्ली में एक मेट्रो ब्रिज के नीचे पढ़ते ,अल्पाधिकार प्राप्त बच्चे
आप सोचेंगे कि 282 बिलियन अनपढ़ आबादी वाला देश जो दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक बनने की महत्वाकांक्षा रखता है वह शिक्षा के क्षेत्र में अधिक निवेश करेगा।
लेकिन बढ़ते हुए वार्षिक बजट के बावजूद, भारत अभी भी पर्याप्त प्रयास नहीं कर रहा है।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) जो स्कूल / उच्च शिक्षा और वयस्क साक्षरता संभालता है, हर साल संपन्न होता जा रहा है, लेकिन अभी भी यह केवल 5 %सरकारी व्यय के लिए ही ज़िम्मेदार है अधिक से अधिक 17 लाख करोड़ रुपये ($ 289 बिलियन )।
पिछले वित्तीय वर्ष, में मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) ,केंद्रीय सरकार के कुल बजट में से अलग से शिक्षा के लिए केवल 4.6% भाग मिलने के साथ पाँचवे स्थान पर था।
वित्त मंत्रालय सबसे ऊपर था (35%के साथ), उसके पीछे रक्षा मंत्रालय (16%) , फिर खाद्य मंत्रालय (6%) और ग्रामीण विकास मंत्रालय (4.7%)।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपने चुनाव घोषणा पत्र में शिक्षा पर खर्च सकल घरेलू उत्पाद का 6% तक बढ़ाने का वादा किया था। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा पेश किए गए पहले बजट में मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) के आवंटन में कोई ज्यादा परिवर्तन नहीं देखा गया ।
वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा 28 फरवरी को प्रस्तुत किए जाने वाले बजट से स्पष्ट हो जाएगा कि भाजपा अपनी बात पर कितनी कायम।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय में दो विभाग है - स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग एवं उच्च शिक्षा विभाग। स्कूल शिक्षा विभाग, वयस्क साक्षरता कार्यक्रमों के लिए जिम्मेदार है। सभी विश्वविद्यालय और तकनीकी / व्यावसायिक स्कूल , उच्च शिक्षा विभाग के अधीन आते हैं।
हम अब कुल सरकारी खर्च की तुलना में मानव संसाधन विकास मंत्रालय के लिए किया गया आवंटन देखते हैं।
शिक्षा का बजट बनाम कुल बजट, 2012-13से 2014-15 तक (करोड़ रुपए)
Source: Union Budget 2014-15
इंडिया स्पेंड ने इससे पहले शिक्षा की वार्षिक स्थिति रिपोर्ट (एएसईआर यानी एसर) 'एनुअल स्टे्टस आफ एजुकेशन रिपोर्ट के आधार पर स्कूल की शिक्षा के निम्न गुणवत्ता ; सार्वजनिक और निजी स्कूलों में और विभिन्न कक्षाओं के बीच के अंतराल; भारत में स्कूली शिक्षा नामांकन में किस प्रकार के अवरोध हैं , शिक्षक, अवसंरचना और उच्च शिक्षा पर पर विचार-विमर्श किया था।
हमें भी भारत भर में केंद्रीय सरकार विश्वविद्यालयों में 38% रिक्तियां मिली हैं। इन राज्य के मामलों में , हमे यह सवाल ज़रूर पूछना होगा कि : क्या हम शिक्षा पर ज़रूरत अनुसार खर्च कर रहे हैं?
इसका सरल जवाब है : नहीं
विश्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार जहां 2010 में विश्व में शिक्षा पर औसत खर्च सकल घरेलू उत्पाद का 4.9% था वहीं भारत में केवल 3.3% खर्च किए गए।
हम भारत के साथ कुछ देशों के खर्च की तुलना करते हैं।
भारत और विश्व: शिक्षा खर्च और साक्षरता, 2010 (%)
Source: World Bank, UNDP
भारत में शिक्षा पर हुआ कम व्यय स्पष्ट रूप से भारत की कम साक्षरता दर में परिलक्षित होता है। इस रिपोर्ट के उद्देश्य के लिए, हमने ब्रिक्स (बी आर आई सी एस ) देशों (चीन के लिए ताज़ा आंकड़े उपलब्ध नहीं है) और दो ऐसे विकसित देशों का चयन किया है जिनका मानव विकास रैंक उच्च है।
आजादी के छह दशकों के बाद भी साक्षरता , भारत के लिए एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। साक्षरता दर में तेजी से सुधार तो हुआ है, लेकिन बहुत से लोग अभी भी निरक्षर हैं जैसा कि नीचे दिए गए चार्ट से स्पष्ट है।
आजादी के बाद से साक्षरता दर (%)
Source: Census of India
ब्रिक्स अर्थव्यवस्थाऐं भारत के ही समान हैं, लेकिन शिक्षा के मामले में, वे 90% से अधिक साक्षरता दर के साथ वे विकसित अर्थव्यवस्थाओं के करीब हैं।
क्योंकि सरकार से कौशल विकास पर ध्यान केंद्रित करने की अपेक्षा है इसलिए असल चुनौती शिक्षा के बुनियादी ढांचे में सुधार लाना और परिणामों पर निगरानी रखना है।यद्यपि राज्यों में हमने प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में मिले परिणामों के संदर्भ में कुछ सफलता देखी है, लेकिन एक लंबा रास्ता तय करना अभी बाकी है ।
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